< मरकुस 6 >

1 फिर वहाँ से निकल कर 'ईसा अपने शहर में आया और उसके शागिर्द उसके पीछे हो लिए।
ᎤᏄᎪᏤᏃ ᎾᎿᎭᏂ, ᎠᎴ ᎤᏩᏒ ᎤᏤᎵᎪᎯ ᏭᎷᏤᎢ; ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎬᏩᏍᏓᏩᏛᏎᎢ.
2 जब सबत का दिन आया “तो वो इबादतख़ाने में ता'लीम देने लगा और बहुत लोग सुन कर हैरान हुए और कहने लगे, ये बातें इस में कहाँ से आ गईं? और ये क्या हिक्मत है जो इसे बख़्शी गई और कैसे मोजिज़े इसके हाथ से ज़ाहिर होते हैं?
ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬᏃ ᎤᎵᏰᎶᎸ, ᎤᎴᏅᎮ ᏚᏕᏲᏁ ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ; ᎤᏂᏣᏘᏃ ᎬᏩᏛᎦᏁᎸ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᎢ, ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᎭᏢ ᎠᎩᎭ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏩᏛᏁᏗ ᏥᎩ? ᎠᎴ ᎦᏙ ᎤᏍᏗ ᎠᎦᏙᎥᎯᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎠᏥᏁᎸᎯ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏥᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎭ?
3 क्या ये वही बढ़ई नहीं जो मरियम का बेटा और या'क़ूब और योसेस और यहूदाह और शमौन का भाई है और क्या इसकी बहनें यहाँ हमारे हाँ नहीं?” पस उन्होंने उसकी वजह से ठोकर खाई।
ᏝᏍᎪ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏗᏁᏍᎨᏍᎩ ᏱᎩ, ᎺᎵ ᎤᏪᏥ, ᏥᎻ, ᎠᎴ ᏦᏏ, ᎠᎴ ᏧᏓ, ᎠᎴ ᏌᏩᏂ ᎠᎾᎵᏅᏟ? ᎠᎴ ᏧᏙ ᏝᏍᎪ ᎠᏂ ᏱᎨᎦᏓᏑᏯ? ᎥᎬᏩᏐᏅᏤᎸᎩᏃ.
4 ईसा ने उन से कहा, “नबी अपने वतन और अपने रिश्तेदारों और अपने घर के सिवा और कहीं बेइज़्ज़त नहीं होता।”
ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ; ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ ᎥᏝ ᎾᏥᎸᏉᏛᎾ ᏱᎨᏐᎢ, ᎤᏤᎵᎪᎯᏍᎩᏂᏃᏅ ᎤᏩᏒ, ᎠᎴ ᏧᏴᏫ ᎠᏁᎲᎢ, ᎠᎴ ᎤᏩᏒ ᎦᏁᎸᎢ.
5 और वो कोई मोजिज़ा वहाँ न दिखा सका, सिर्फ़ थोड़े से बीमारों पर हाथ रख कर उन्हें अच्छा कर दिया।
ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎥᏝ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏗᎬᏩᎸᏫᏍᏓᏁᏗ ᏱᎨᏎᎢ, ᎤᏩᏒᏍᎩᏂᏃᏅ ᎢᎸᏍᎩ ᎢᏯᏂᏛ ᏧᏂᏢᎩ ᏚᏏᏔᏛ ᎠᎴ ᏚᏅᏩᏅᎢ.
6 और उस ने उनकी बे'ऐतिक़ादी पर ता'अज्जुब किया और वो चारों तरफ़ के गाँव में ता'लीम देता फिरा।
ᎠᎴ ᎤᏍᏆᏂᎪᏎ ᎾᏃᎯᏳᎲᏍᎬᎾ ᎨᏒᎢ. ᎠᎴ ᎤᏪᏙᎴ ᎤᏚᏫᏛ ᏕᎦᏚᏩᏗᏒᎢ ᏓᏕᏲᎲᏍᎨᎢ.
7 उसने बारह को अपने पास बुलाकर दो दो करके भेजना शुरू किया और उनको बदरूहों पर इख़्तियार बख़्शा।
ᏔᎳᏚᏃ ᎢᏯᏂᏛ ᏫᏚᏯᏅᎮᎢ, ᎠᎴ ᏚᏅᏏᏙᎴ ᏔᎵᎭ ᏧᎵᎪᏅᏛ, ᎠᎴ ᏚᎵᏍᎪᎸᏓᏁᎴ ᏧᏂᏄᎪᏫᏍᏗᏱ ᏗᎦᏓᎭ ᏗᏓᏅᏙ;
8 और हुक्म दिया “रास्ते के लिए लाठी के सिवा कुछ न लो, न रोटी, न झोली, न अपने कमरबन्द में पैसे।
ᎠᎴ ᏚᏁᏤᎴ ᎾᏍᎩ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏂᏴᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᎤᎾᎵᏍᏕᎸᏙᏗ ᎠᏁᏙᎲᎢ, ᎠᏙᎳᏅᏍᏗ ᎤᏩᏒ; ᎥᏝ ᏕᎦᎶᏗ, ᎠᎴ ᎦᏚ, ᎠᎴ ᎥᏣᏱ ᏚᎾᏓᏠᎲᎢ;
9 मगर जूतियाँ पहनों और दो दो कुरते न पहनों।”
ᏧᎾᎳᏑᎸᏗᏱᏍᎩᏂ; ᎠᎴ ᏞᏍᏗ ᏔᎵ ᏱᏗᏣᏄᏬᏍᎨᏍᏗ.
10 और उसने उनसे कहा, “जहाँ तुम किसी घर में दाख़िल हो तो उसी में रहो, जब तक वहाँ से रवाना न हो।
ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎠᏓᏁᎸ ᎢᎸᎯᏢ ᎢᏥᏴᎯᎮᏍᏗ, ᎾᎿᎭᏉ ᎢᏣᏅᎥᏍᎨᏍᏗ ᎬᏂ ᎥᏣᏂᎩ ᎾᎿᎭᏂ.
11 जिस जगह के लोग तुम्हें क़बूल न करें और तुम्हारी न सुनें, वहाँ से चलते वक़्त अपने तलुओं की मिट्टी झाड़ दो ताकि उन पर गवाही हो।”
ᎠᎴ ᎩᎶ ᏂᏗᏣᏓᏂᎸᎬᎾ ᎠᎴ ᏂᏣᏛᏓᏍᏓᏁᎲᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ, ᎿᎭᏉ ᎾᎿᎭᎢᏣᏂᎩᏍᎨᏍᏗ, ᏗᏣᎳᏏᏕᏂ ᎪᏍᏚ ᏕᏥᏅᎪᎥᏗᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎪᎯᏳᏗᏍᎩ ᎤᎾᏡᏗᏍᎩ. ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎡᏍᎦᏉ ᎢᎦᎢ ᎤᏂᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᏐᏓᎻ, ᎠᎴ ᎪᎹᎵ, ᏗᎫᎪᏙᏗᏱ ᎢᎦ ᎨᏎᏍᏗ, ᎤᏟᎯᏳ ᎾᎿᎭᎦᏚᎲᎢ.
12 और बारह शागिर्दों ने रवाना होकर ऐलान किया, कि “तौबा करो।”
ᎤᏂᏄᎪᏤᏃ, ᏭᎾᎵᏥᏙᏁ ᎾᏍᎩ ᏴᏫ ᎠᏎ ᏧᏂᏁᏟᏴᏍᏗ ᎨᏒ ᏚᎾᏓᏅᏛᎢ.
13 और बहुत सी बदरूहों को निकाला और बहुत से बीमारों को तेल मल कर अच्छा कर दिया।
ᎤᏂᏣᏘᏃ ᏚᏂᏄᎪᏫᏎ ᎠᏂᏍᎩᎾ, ᎠᎴ ᎪᎢ ᏚᏂᎶᏁᏔᏁ ᎤᏂᏣᏘ ᏧᏂᏢᎩ, ᎠᎴ ᏚᏂᏅᏩᏁᎢ.
14 और हेरोदेस बादशाह ने उसका ज़िक्र सुना “क्यूँकि उसका नाम मशहूर होगया था और उसने कहा, यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला मुर्दों में से जी उठा है, क्यूँकि उससे मोजिज़े ज़ाहिर होते हैं।”
ᎡᎶᏛᏃ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᏛᎦᏁ ᎾᏍᎩ ᎠᏥᏃᎮᏍᎬᎢ; ᏚᏃᏣᎶᏤᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᏚᏙᎥᎢ; ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎ ᎡᎶᏛ, ᏣᏂ ᏗᏓᏬᏍᎩ ᏓᎴᎯᏌ ᎤᏲᎱᏒᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏥᏕᎤᎸᏫᏍᏓᏁᎭ.
15 मगर बा'ज़ कहते थे, एलियाह है और बा'ज़ ये नबियों में से किसी की मानिन्द एक नबी है।
ᎢᎦᏛᏃ ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᎢᎳᏯ ᎯᎠ. ᎢᎦᏛᏃ ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ ᎯᎠ, ᎠᎴ ᎩᎶ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᎨᏒ ᎾᏍᎩᏯᎢ.
16 मगर हेरोदेस ने सुनकर कहा, “यूहन्ना जिस का सिर मैंने कटवाया वही जी उठा है”
ᎡᎶᏛᏍᎩᏂ ᎤᏛᎦᏅ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ; ᏣᏂ ᎯᎠ, ᎾᏍᎩ ᎠᏴ ᏥᏥᏍᎫᏕᏒᎩ; ᎾᏍᎩ ᏚᎴᎯᏌᏅ ᎤᏲᎱᏒᎢ.
17 क्यूँकि हेरोदेस ने अपने आदमी भेजकर यूहन्ना को पकड़वाया और अपने भाई फ़िलिपुस की बीवी हेरोदियास की वजह से उसे क़ैदख़ाने में बाँध रखा था, क्यूँकि हेरोदेस ने उससे शादी कर ली थी।
ᎡᎶᏛᏰᏃ ᎤᏩᏒ ᎤᏓᏅᏒᎯ ᎨᏎ ᏭᏂᏴᎲᎯ ᎨᏎ ᏣᏂ, ᎠᎴ ᏗᏓᏍᏚᏗᏱ ᎤᎸᎸᎯ ᎨᏎᎢ, ᎠᏍᏛᏗᏍᏗᏍᎨ ᎡᎶᏗᏏ, ᎤᏅᏟ ᏈᎵᎩ ᎤᏓᎵᎢ; ᎾᏍᎩᏰᏃ ᎠᏓᏰᎮᎢ.
18 और यूहन्ना ने उससे कहा था, “अपने भाई की बीवी को रखना तुझे जाएज़ नहीं।”
ᏣᏂᏰᏃ ᎯᎠ ᎢᏳᏪᏎᎸᎯ ᎨᏎ ᎡᎶᏛ, ᎥᏝ ᏱᏚᏳᎪᏗ ᎡᏣᏅᏟ ᎤᏓᎵᎢ ᏣᏓᏰᎭ.
19 पस हेरोदियास उस से दुश्मनी रखती और चाहती थी कि उसे क़त्ल कराए, मगर न हो सका।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎡᎶᏗᏏ ᎠᏍᎦᎨ [ ᏣᏂ ] ᎠᎴ ᏳᎴᎢ; ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏩᏛᏁᏗ ᏱᎨᏎᎢ.
20 क्यूँकि हेरोदेस यूहन्ना को रास्तबाज़ और मुक़द्दस आदमी जान कर उससे डरता और उसे बचाए रखता था और उसकी बातें सुन कर बहुत हैरान हो जाता था, मगर सुनता ख़ुशी से था।
ᎡᎶᏛᏰᏃ ᎤᎸᏉᏗᏳ ᎨᏎ ᏣᏂ, ᎠᎦᏔᎮᏰᏃ ᎤᏓᏅᏘᏳ ᎠᎴ ᎾᏍᎦᏅᎾ ᎨᏒ ᎠᏍᎦᏯ, ᎠᎴ ᎤᎦᏌᏯᏍᏗᏳ ᎨᏎᎢ; ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏛᎦᏅ [ ᎠᎵᏥᏙᎲᏍᎬ, ] ᎤᏣᏖ ᏚᎸᏫᏍᏓᏁᎴᎢ, ᎠᎴ ᎤᎵᎮᎵᏨᎯ ᎠᏛᏓᏍᏓᏁᎮᎢ.
21 और मौक़े के दिन जब हेरोदेस ने अपनी सालगिराह में अमीरों और फ़ौजी सरदारों और गलील के रईसों की दावत की।
ᎠᎯᏛᏃ ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏛᏁᏗ ᎨᏒ ᎤᏍᏆᎸᎲ, ᎾᏍᎩ ᎡᎶᏛ ᎤᏕᏅ ᎢᏳ ᎢᎦ ᎤᏛᏅᎢᏍᏔᏁ ᎬᏩᎵᏍᏓᏴᎾᏁᏗᏱ ᏧᏤᎵ ᎤᏂᎬᏫᏳᎯ, ᎠᎴ ᎠᏂᏍᎦᏰᎬᏍᏓ, ᎠᎴ ᏗᎨᎦᏁᎶᏗ ᎨᎵᎵ ᎠᏁᎯ,
22 और उसी हेरोदियास की बेटी अन्दर आई और नाच कर हेरोदेस और उसके मेहमानों को ख़ुश किया तो बादशाह ने उस लड़की से कहा, “जो चाहे मुझ से माँग मैं तुझे दूँगा।”
ᎾᏍᎩᏃ ᎡᎶᏗᏏ ᎤᏪᏥ ᎠᏛ ᎤᏴᎵᎸ, ᎠᎴ ᎤᎵᏍᎩᏒ, ᎠᎴ ᎡᎶᏛ ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᎠᏂᏂᏜᏓᎢ ᎣᏏᏳ ᎤᏂᏰᎸᏅ, ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎠᏛ, ᏍᎩᏔᏲᏏ ᎢᏳᏍᏗᏉ ᎮᎵᏍᎬᎢ, ᏓᎬᏁᎵᏃ.
23 और उससे क़सम खाई “जो कुछ तू मुझ से माँगेगी अपनी आधी सल्तन्त तक तुझे दूँगा।”
ᎤᏎᎵᏓᏁᎴᏃ [ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ] ᎢᏳᏍᏗᏉ ᎮᎵᏍᎬ ᏍᎩᏔᏲᏏ, ᏓᎬᏁᎵᏃ, ᎾᏍᏉ ᎠᏰᎵ ᎢᏴᏛ ᏱᎩ ᎾᎿᎭᎠᎩᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒᎢ.
24 और उसने बाहर आकर अपनी माँ से कहा, “मै क्या माँगू?” उसने कहा, “यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का सिर।”
ᎤᏄᎪᏨᏃ ᎯᎠ ᏫᏄᏪᏎᎴ ᎤᏥ, ᎦᏙ ᏓᏥᏔᏲᎵ? ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏣᏂ ᏗᏓᏬᏍᎩ ᎠᏍᎪᎵ.
25 वो फ़ौरन बादशाह के पास जल्दी से अन्दर आई और उस से अर्ज़ किया, “मैं चाहती हूँ कि तू यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले का सिर एक थाल में अभी मुझे मँगवा दें।”
ᎢᎬᏪᏅᏛᏉᏃ ᎤᎵᏍᏗ ᎤᏴᎵᎴ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎠᏯᎥᎢ, ᎠᎴ ᎤᏔᏲᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎠᏆᏚᎵ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᏍᎩᏁᏗᏱ, ᎠᏖᎵᏙᎩᎯ, ᏣᏂ ᏗᏓᏬᏍᎩ ᎤᏍᎪ.
26 बादशाह बहुत ग़मगीन हुआ मगर अपनी क़समों और मेहमानों की वजह से उसे इन्कार करना न चाहा।
ᎤᎬᏫᏳᎯᏃ ᎤᏣᏘ ᏝᏉ ᎤᏰᎸᏁᎢ; ᎠᏎᏃ ᎤᏎᎵᏔᏅᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᎤᎾᏂᏜᏓᏅᎯ ᏅᏧᎵᏍᏙᏔᏁ, ᎥᏝ ᎬᏩᎨᏳᏙᏗ ᏱᎨᏎᎢ.
27 पस बादशाह ने फ़ौरन एक सिपाही को हुक्म देकर भेजा कि उसका सिर लाए, उसने जाकर क़ैद खाने में उस का सिर काटा।
ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎤᏅᏎ ᎠᏯᏫᏍᎩ, ᎠᎴ ᎤᏁᏤ ᎤᏍᎪ ᎤᏂᏲᎯᏍᏗᏱ; ᎤᏪᏅᏎᏃ, ᎠᎴ ᏭᏍᎫᏕᏎ ᏗᏓᏍᏚᏗᏱ ᎠᏯᎥᎢ,
28 और एक थाल में लाकर लड़की को दिया और लड़की ने माँ को दिया।
ᎠᎴ ᎤᏲᎴ ᎤᏍᎪ ᎠᏖᎵᏙᎩᎯ ᎦᎶᏕᎢ, ᎠᎴ ᎠᏛ ᎤᏁᎴᎢ; ᎠᏛᏃ ᎤᏥ ᎤᏁᎴᎢ.
29 फिर उसके शागिर्द सुन कर आए, उस की लाश उठा कर क़ब्र में रख्खी।
ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯᏃ ᎤᎾᏛᎦᏅ, ᎤᏂᎷᏤ ᎠᎴ ᎤᏂᏁᏎ ᎠᏰᎸᎢ, ᎠᎴ ᎠᏤᎵᏍᏛ ᎤᏂᏅᏁᎢ.
30 और रसूल ईसा के पास जमा हुए और जो कुछ उन्होंने किया और सिखाया था, सब उससे बयान किया।
ᎨᏥᏅᏏᏛᏃ ᎤᎾᏓᏟᏌᏁ ᏥᏌ ᎡᏙᎲᎢ, ᎠᎴ ᎬᏩᏃᏁᎴ ᏂᎦᏛ ᏄᎾᏛᏁᎵᏙᎸ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᏄᏍᏛ ᏚᎾᏕᏲᏅᎢ.
31 उसने उनसे कहा, “तुम आप अलग वीरान जगह में चले आओ और ज़रा आराम करो इसलिए कि बहुत लोग आते जाते थे और उनको खाना खाने को भी फ़ुरसत न मिलती थी।”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏕᎾ ᎢᏨᏒᏉ ᎢᏴᏛ ᏫᏗᎶᎯ ᎢᎾᎨ ᏗᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏞᎦ ᎢᏣᏣᏪᏐᎸᏍᏓ; ᎤᏂᏣᏖᏰᏃ ᎠᏂᎷᎨ ᎠᎴ ᏓᏁᎨᎢ, ᎥᏞᏃ ᏯᏜᏓᏅᏓᏗᏍᎨ ᎾᏍᏉ ᎤᎾᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎢᎪᎯᏛ.
32 पस वो नाव में बैठ कर अलग एक वीरान जगह में चले आए।
ᏥᏳᎯᏃ ᎤᎾᏣᎡᎢ, ᎤᎾᏂᎩᏎ ᎢᎾᎨ ᏭᏂᎶᏎ ᎤᏕᎵᏛ.
33 लोगों ने उनको जाते देखा और बहुतेरों ने पहचान लिया और सब शहरों से इकट्ठे हो कर पैदल उधर दौड़े और उन से पहले जा पहुँचे।
ᏴᏫᏃ ᎬᏩᏂᎪᎮ ᎠᎾᏂᎩᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏣᏖ ᎬᏬᎵᎨᎢ, ᎠᎴ ᎡᎳᏗᏉ ᏚᏂᏍᏆᎸᏔᏁ ᎾᎿᎭᎢᏗᏢ ᏭᏂᎶᏎ ᏕᎦᏚᏩᏗᏒ ᏂᏙᏓᏳᏂᎶᏒᎯ, ᏕᎬᏩᏂᎩᏰᏃ, ᎠᎴ ᏫᎬᏩᏓᏟᏌᏁᎴᎢ.
34 और उसने उतर कर बड़ी भीड़ देखी और उसे उनपर तरस आया क्यूँकि वो उन भेड़ों की मानिन्द थे, जिनका चरवाहा न हो; और वो उनको बहुत सी बातों की ता'लीम देने लगा।
ᏥᏌᏃ ᎤᏣᎢᏒ, ᏚᎪᎮ ᎤᏂᏣᏘ ᏴᏫ, ᎠᎴ ᏚᏪᏙᎵᏤᎢ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᎠᏫ ᎤᏂᏃᏕᎾ ᏓᎾᏤᎳᎬ ᏁᎲᎾ ᏥᎨᏐ ᎤᏂᎦᏘᏯ; ᎤᎴᏅᎮᏃ ᎤᏣᏘ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏚᏪᏲᏁᎢ.
35 जब दिन बहुत ढल गया तो उसके शागिर्द उसके पास आकर कहने लगे, “ये जगह वीरान है, और दिन बहुत ढल गया है।
ᎿᎭᏉᏃ ᎤᎶᏐᏂᏕᎾ ᎨᏎ ᎢᎦ, ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᎬᏩᎷᏤᎴ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᎠᏂ ᎢᎾᎨᎢ, ᎠᎴ ᎿᎭᏉ ᎤᎶᏐᏂᏗ ᎢᎦ.
36 इनको रुख़्सत कर ताकि चारों तरफ़ की बस्तियों और गाँव में जाकर, अपने लिए कुछ खाना मोल लें।”
ᏘᏰᎵᎯᏍᏓ, ᎾᏍᎩ ᏓᏓᏁᎳᏗᏒ ᎬᏩᏚᏫᏛ ᏩᏂᎶᎯ, ᎠᎴ ᏕᎦᏚᏩᏗᏒᎢ, ᎠᎴ ᏭᏂᏩᎯ ᎦᏚ, ᎥᏞᏰᏃ ᎪᎱᏍᏗ ᏯᏂᏰ ᎤᎾᎵᏍᏓᏴᏗ.
37 उसने उनसे जवाब में कहा, “तुम ही इन्हें खाने को दो।” उन्होंने उससे कहा “क्या हम जाकर दो सौ दिन की मज़दूरी से रोटियाँ मोल लाएँ और इनको खिलाएँ?”
ᏚᏁᏤᎴᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏂᎯ ᏗᏤᎳᏍᏓ. ᎯᎠᏃ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ, ᏥᎪ ᏓᏲᏤᏏ ᏔᎵᏧᏈ ᎠᏂᎩᏏ ᏧᎬᏩᎶᏗ ᎦᏚ ᏮᏓᏲᎩᏩᏏ, ᎠᎴ ᏙᏓᏲᏤᎳᏍᏔᏂ?
38 उसने उनसे पूछा, “तुम्हारे पास कितनी रोटियाँ हैं?” उन्होंने दरियाफ़्त करके कहा, “पाँच और दो मछलियाँ।”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᎳᎪ ᎦᏚ ᏕᏥᏰᎭ? ᏫᏣᎦᏔ. ᎤᎾᏙᎴᎰᏒᏃ, ᎯᎠ ᏄᎯᏪᏎᎢ, ᎯᏍᎩ, ᏔᎵᏃ ᎠᏣᏗ.
39 उसने उन्हें हुक्म दिया कि, “सब हरी घास पर कतार में होकर बैठ जाएँ।”
ᏚᏁᏤᎴᏃ ᎤᎾᏂᏢᏗᏱ ᏂᎦᏛ ᎢᏤ ᎧᏁᏍᎪᎯ ᎨᏒ ᏧᎾᏓᏡᏅᏛ.
40 पस वो सौ सौ और पचास पचास की कतारें बाँध कर बैठ गए।
ᎤᎾᏂᏢᏁᏃ ᎣᏍᏛ ᏚᎾᏓᏅᎿᎭᏁᎢ ᎠᏍᎪᎯᏧᏈ, ᎠᎴ ᎯᏍᎦᏍᎪᎯ ᏧᎾᏓᏡᏅᏛ.
41 फिर उसने वो पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ लीं और आसमान की तरफ़ देखकर बर्क़त दी; और रोटियाँ तोड़ कर शागिर्दों को देता गया कि उनके आगे रख्खें, और वो दो मछलियाँ भी उन सब में बाँट दीं।
ᎯᏍᎩᏃ ᎦᏚ ᏚᎩᏒ ᎠᎴ ᏔᎵ ᎠᏣᏗ ᏚᏁᏒ, ᎦᎸᎳᏗ ᏫᏚᎧᎿᎭᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᎵᎮᎵᏤᎢ, ᎠᎴ ᏚᎬᎭᎷᏰ ᎦᏚ, ᎠᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᏚᏁᎴ ᏧᏂᏁᏗᏱ; ᏔᎵᏃ ᎠᏣᏗ ᏂᎦᏛ ᏚᏯᏙᎮᎴᎢ.
42 पस वो सब खाकर सेर हो गए।
ᏂᎦᏛᏃ ᎤᎾᎵᏍᏓᏴᏁᎢ; ᎠᎴ ᏚᏃᎸᏎᎢ.
43 और उन्होंने बे इस्तेमाल खाने और मछलियों से बारह टोकरियाँ भरकर उठाईं।
ᎤᏄᏖᏎᏃ ᎤᎵᎬᎭᎷᏴᎯ ᏔᎳᏚ ᏗᎧᎵᎢ ᏔᎷᏣ, ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᎠᏣᏗ.
44 और खानेवाले पाँच हज़ार मर्द थे।
ᎾᏍᎩᏃ Ꮎ ᎦᏚ ᏧᏂᎬᎯ ᎯᏍᎩ ᎢᏯᎦᏴᎵ ᎢᏴᏛ ᎾᏂᎡ ᎠᏂᏍᎦᏯ.
45 और फ़ौरन उसने अपने शागिर्दों को मजबूर किया कि नाव पर बैठ कर उस से पहले उस पार बैत सैदा को चले जाएँ जब तक वो लोगों को रुख़्सत करे।
ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᏚᏅᏫᏍᏔᏁ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᏥᏳᎯ ᎤᎾᏦᏗᏱ, ᎠᎴ ᎢᎬᏱ ᏧᏂᏐᎯᏍᏗᏱ, ᏇᏣᏱᏗ ᏭᏂᎷᎯᏍᏗᏱ, ᎠᏏᏉ ᎤᏩᏒ ᏓᏰᎵᎯᏍᏗᏍᎬ ᎤᏂᏣᏘ.
46 उनको रुख़्सत करके पहाड़ पर दुआ करने चला गया।
ᏚᏰᎵᎯᏍᏔᏅᏃ, ᎣᏓᎸ ᏭᎶᏎ ᎤᏓᏙᎵᏍᏔᏅᏎᎢ.
47 जब शाम हुई तो नाव झील के बीच में थी और वो अकेला ख़ुश्की पर था।
ᎤᏒᏃ ᏄᎵᏍᏔᏅ ᏥᏳ ᎥᏓᎵ ᎠᏰᎵ ᎠᏂᏂᏎᎢ, ᎤᏩᏒᏃ ᏙᏱ ᎡᏙᎮᎢ.
48 जब उसने देखा कि वो खेने से बहुत तंग हैं क्यूँकि हवा उनके मुख़ालिफ़ थी तो रात के पिछले पहर के क़रीब वो झील पर चलता हुआ उनके पास आया और उनसे आगे निकल जाना चाहता था।
ᏚᎪᎮᏃ ᎠᏂᎩᎵᏲᎬ ᎠᏂᎦᏪᎯᎲᎢ; ᏩᏂᎦᏛᏃ ᎢᏗᏏ ᏗᎦᏃᎸᏗᏍᎨᎢ. ᏅᎩᏁᏃ ᎢᏴᏛ ᎠᏂᏯᏫᏍᎬ ᏒᏃᏱ ᏚᎷᏤᎴᎢ, ᎥᏓᎵ ᎦᏚᎢ ᎠᎢᏎᎢ, ᎠᎴ ᏱᏚᎶᎯᏎᎴᎢ.
49 लेकिन उन्होंने उसे झील पर चलते देखकर ख़याल किया कि “भूत है” और चिल्ला उठे।
ᎠᏎᏃ ᏫᎬᏩᎪᎲ ᎥᏓᎵ ᎦᏚᎢ ᎠᎢᏒᎢ, ᎤᏤᎸᏅᎯ ᎤᏁᎵᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏁᎷᏁᎢ.
50 क्यूँकि सब उसे देख कर घबरा गए थे, मगर उसने फ़ौरन उनसे बातें कीं और कहा, “मुतमईन रहो! मैं हूँ डरो मत।”
( ᏂᎦᏛᏰᏃ ᎬᏩᎪᎮᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᏕᏯᏔᏁᎴᎢ.) ᎩᎳᏉᏃ ᎢᏴᏛ ᏚᎵᏃᎮᏔᏁᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎤᎦᎵᏍᏗᏉ ᎢᏣᏓᏅᏓᏓ; ᎠᏴᏉ; ᏞᏍᏗ ᏱᏥᏍᎦᎢᎮᏍᏗ.
51 फिर वो नाव पर उनके पास आया और हवा थम गई। और वो अपने दिल में निहायत हैरान हुए।
ᎤᎩᎳᏫᏎᏃ ᏫᏚᏣᏁᎴ ᏥᏳᎯ; ᎦᏃᎸᎥᏍᎬᏃ ᎤᏎᎵᎪᏤᎢ; ᎠᎴ ᎤᎶᏒᏍᏔᏅᎯ ᎤᎾᏓᏅᏖᏔᏁ ᏙᏧᎾᏓᏅᏛᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᎢ.
52 इसलिए कि वो रोटियों के बारे में न समझे थे, बल्कि उनके दिल सख़्त हो गए थे।
ᎥᏝᏰᏃ ᏱᏚᎾᏓᏅᏖᎴ ᎦᏚ; ᏧᏂᎾᏫᏰᏃ ᏗᏍᏓᏱᏳ ᎨᏎᎢ.
53 और वो पार जाकर गनेसरत के इलाक़े में पहुँचे और नाव किनारे पर लगाई।
ᏚᏂᏐᏨᏃ, ᎨᏂᏏᎳᏗ ᏭᏂᎷᏤᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏔᎳᏕᎢ.
54 और जब नाव पर से उतरे तो फ़ौरन लोग उसे पहचान कर।
ᏥᏳᎯᏃ ᎤᎾᏣᎢᏒ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᎬᏬᎵᏤᎢ.
55 उस सारे इलाक़े में चारों तरफ़ दौड़े और बीमारों को चारपाइयों पर डाल कर जहाँ कहीं सुना कि वो है वहाँ लिए फिरे।
ᎠᎴ ᎾᎿᎭᎬᏩᏚᏫᏛ ᎤᏁᏙᎴᎢ, ᎠᎴ ᏧᏂᏢᎩ ᏚᏂᏂᏙᎴ ᏗᏤᏍᏙᎩᎯ ᏚᏂᏢᏕ, ᏫᏓᏂᏃᎯᎮ ᎠᎾᏛᎬᎦ ᎾᎿᎭᎡᏙᎲᎢ.
56 और वो गाँव शहरों और बस्तियों में जहाँ कहीं जाता था लोग बीमारों को राहों में रख कर उसकी मिन्नत करते थे कि वो सिर्फ़ उसकी पोशाक का किनारा छू लें और जितने उसे छूते थे शिफ़ा पाते थे।
ᎠᎴ ᎢᎸᎯᏢ ᏫᎦᎷᎩ, ᏧᏍᏗ ᏕᎦᏚᎲ, ᎠᎴ ᏧᏛᎾ ᏕᎦᏚᎲ, ᎠᎴ ᎢᏴᏛ ᏗᏓᏁᎶᎯ ᎨᏒᎢ, ᏧᏂᏢᎩ ᏕᎦᎳᏅᏛ ᏓᏂᏅᎥᏍᎨᎢ, ᎠᎴ ᎬᏩᏔᏲᏎᎮ ᎤᎾᏒᏂᏍᏗᏱ, ᎦᏓᎷᏯᏛᏉ ᎾᏍᏉ ᎤᏄᏮᎢ; ᎾᏂᎥᏃ ᎾᏍᎩ ᎬᏩᏒᏂᎸᎯ ᏚᎾᏗᏩᏍᎨᎢ.

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