< मरकुस 4 >

1 वो फिर झील के किनारे ता'लीम देने लगा; और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ जमा हो गई, वो झील में एक नाव में जा बैठा और सारी भीड़ ख़ुश्की पर झील के किनारे रही।
ᏔᎵᏁᏃ ᎤᎴᏅᎮ ᏚᏕᏲᏁ ᎥᏓᎷᎶᏗ; ᎤᏂᏣᏘᏃ ᎬᏩᏓᏡᏫᏍᏔᏁᎢ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏥᏳᎯ ᎤᏣᏁᎢ, ᎠᎴ ᎥᏓᎵ ᎠᏔᎸ ᎤᏪᏁᎢ; ᏂᎦᏛᏃ ᎤᏂᏣᏘ ᎨᏒ ᎥᏓᎷᎶᏗ ᏙᏱ ᎨᏒ ᎠᏂᏙᎾᎡᎢ.
2 और वो उनको मिसालों में बहुत सी बातें सिखाने लगा, और अपनी ता'लीम में उनसे कहा।
ᎠᎴ ᎤᏣᏖ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᏚᏪᏲᏁ ᏚᏟᎶᏍᏓᏁᎴᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴ ᏓᏕᏲᎲᏍᎬᎢ,
3 “सुनो! देखो; एक बोने वाला बीज बोने निकला।
ᎢᏣᏛᏓᏍᏓ; ᎬᏂᏳᏉ, ᎠᏫᏍᎩ ᎤᏫᏒᏎᎢ;
4 और बोते वक़्त यूँ हुआ कि कुछ राह के किनारे गिरा और परिन्दों ने आकर उसे चुग लिया।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁ ᎠᏫᏍᎬᎢ, ᎾᏍᎩ ᎢᎦᏛ ᏅᏃᎱᎶᏗ ᎤᎳᎨᏯᏛᏤᎢ, ᏥᏍᏆᏃ ᎦᎸᎶᎢ ᎠᏂᏃᎯᎢᏙᎯ ᎤᏂᎷᏤ ᎠᎴ ᎤᏂᎪᏁᎢ.
5 ओर कुछ पत्थरीली ज़मीन पर गिरा, जहाँ उसे बहुत मिट्टी न मिली और गहरी मिट्टी न मिलने की वजह से जल्द उग आया।
ᎢᎦᏛᏃ ᏅᏲᎯ ᎨᏒ ᎤᎳᎨᏯᏛᏤᎢ, ᎾᎿᎭᎦᏲᎵᏳ ᎨᏒ ᎦᏓ; ᎠᎴ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᏗᎤᎵᏰᏁᎢ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᏌᎨᎢᏳ ᎨᏒ ᎦᏓ;
6 और जब सुरज निकला तो जल गया और जड़ न होने की वजह से सूख गया।
ᎠᏎᏃ ᏅᏙ ᎢᎦ-ᎡᎯ ᏧᎧᎸᏨ ᎤᎴᏴᏎᎢ; ᎠᎴ ᏂᏚᎿᎭᏍᏕᏢᎾ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ, ᎤᎿᎭᏍᎬᏤᏉ.
7 और कुछ झाड़ियों में गिरा और झाड़ियों ने बढ़कर दबा लिया, और वो फल न लाया।
ᎢᎦᏛᏃ ᎠᏄᎦᎸᎯ ᎤᎳᎨᏯᏛᏤᎢ; ᎠᏄᎦᎸᏃ ᏧᏛᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏁᏄᎳᏍᏔᏁᎢ, ᎠᎴ ᏄᎾᏄᎪᏫᏒᎾ ᎨᏎ ᎤᎦᏔ.
8 और कुछ अच्छी ज़मीन पर गिरा और वो उगा और बढ़कर फला; और कोई तीस गुना कोई साठ गुना कोई सौ गुना फल लाया।”
ᎢᎦᏛᏃ ᎣᏒ ᎦᏙᎯ ᎤᎳᎨᏯᏛᏤᎢ, ᎠᎴ ᎤᎵᏰᏁᎢ, ᎠᎴ ᎠᏛᏍᎨᎢ, ᎠᎴ ᎧᏁᏉᎨᎢ, ᎠᎴ ᎤᎦᏔᏔᏁᎢ, ᎢᎦᏛ ᏦᎠᏍᎪᎯ ᎢᏳᏩᎫᏗ, ᎢᎦᏛᏃ ᏑᏓᎵᏍᎪᎯ, ᎢᎦᏛᏃ ᎠᏍᎪᎯᏧᏈ.
9 “फिर उसने कहा! जिसके सुनने के कान हों वो सुन ले।”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎩᎶ ᏕᎦᎵᎷᎨᏍᏗ ᎤᏛᎪᏗᏱ, ᏩᏛᎬᎦ.
10 जब वो अकेला रह गया तो उसके साथियों ने उन बारह समेत उसे इन मिसालों के बारे में पूछा?
ᎤᏩᏒᏃ ᎨᏎᎢ, ᎾᏍᎩ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏕᎩ ᎠᎴ ᏔᎳᏚ ᎢᏯᏂᏛ ᎬᏩᏛᏛᏁ ᎦᏛᎬ ᎾᏍᎩ ᏓᏟᎶᏍᏛᎢ.
11 उसने उनसे कहा “तुम को ख़ुदा की बादशाही का भी राज़ दिया गया है; मगर उनके लिए जो बाहर हैं सब बातें मिसालों में होती हैं
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ. ᏂᎯ ᎡᏥᏁᎸ ᎢᏦᎵᏍᏗᏱ ᎤᏕᎵᏛ ᎨᏒ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒᎢ; Ꮎ-ᏍᎩᏂ ᏙᏱᏗᏢ ᎠᏁᏙᎯ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏂᎦᏛ ᏕᎨᎦᏟᎶᏍᏓᏁᎰᎢ;
12 ताकि वो देखते हुए देखें और मा'लूम न करें‘और सुनते हुए सुनें और न समझें’ऐसा न हो कि वो फिर जाएँ और मु'आफ़ी पाएँ।”
ᎾᏍᎩ ᎠᏂᎪᏩᏗᏍᎬ ᎤᏂᎪᏩᏛᏗᏱ, ᎠᎴ ᎬᏩᎾᏙᎴᎰᎯᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ; ᎠᎴ ᎠᎾᏛᎩᏍᎬ ᎤᎾᏛᎪᏗᏱ, ᎠᎴ ᎬᏩᏃᎵᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ; ᎾᏍᎩ ᏧᎾᏓᏁᏟᏴᎡᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᏚᎾᏓᏅᏛ, ᎠᎴ ᎤᏂᏍᎦᏅᏨ ᎦᎨᏥᏁᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ.
13 फिर उसने उनसे कहा “क्या तुम ये मिसाल नहीं समझे? फिर सब मिसालों को क्यूँकर समझोगे?
ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏝᏍᎪ ᏱᏦᎵᎦ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏓᏟᎶᏍᏛᎢ? ᎦᏙᏃ ᏱᎦᎵᏍᏙᏓ ᏱᏕᏦᎵᎩ ᏂᎦᏛ ᏓᏟᎶᏍᏛᎢ?
14 बोनेवाला कलाम बोता है।
ᎾᏍᎩ ᎠᏫᏍᎩ ᎧᏃᎮᏛ ᎠᏫᏍᎪᎢ.
15 जो राह के किनारे हैं जहाँ कलाम बोया जाता है ये वो हैं कि जब उन्होंने सुना तो शैतान फ़ौरन आकर उस कलाम को जो उस में बोया गया था, उठा ले जाता है।
ᎯᎠᏃ ᎾᏍᎩ ᏅᏃᎱᎶᏗ ᎾᎿᎭᎧᏃᎮᏛ ᏥᎨᏥᏫᏎᎴᎢ; ᎿᎭᏉᏃ ᎠᎾᏛᎬᎦ, ᎠᏍᎩᎾ ᎦᎷᎪ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ, ᎠᎴ ᎠᎩᏍᎪ ᎧᏃᎮᏛ ᏧᏂᎾᏫᏱ ᎠᏫᏒᎯ.
16 और इसी तरह जो पत्थरीली ज़मीन में बोए गए, ये वो हैं जो कलाम को सुन कर फ़ौरन ख़ुशी से क़बूल कर लेते हैं।
ᎯᎠᏃ ᎾᏍᎩ ᎾᏍᏉ ᏅᏲᎯ ᏥᎨᏥᏫᏎᎴᎢ; ᎾᏍᎩ ᎿᎭᏉ ᎧᏃᎮᏛ ᎠᎾᏛᎬᎦ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᎤᎾᎵᎮᎵᏨᎯ ᏓᎾᏓᏂᎸᎪᎢ;
17 और अपने अन्दर जड़ नहीं रखते, बल्कि चन्द रोज़ा हैं, फिर जब कलाम की वजह से मुसीबत या ज़ुल्म बर्पा होता है तो फ़ौरन ठोकर खाते हैं।
ᎠᎴ ᎥᏝ ᏱᏚᏂᎿᎭᏍᏕᏠᎢ, ᏞᎦᏉᏍᎩᏂ ᏓᏂᎧᎿᎭᏩᏕᎪᎢ; ᎿᎭᏉᏃ, ᎠᎩᎵᏯ ᎠᎴ ᎤᏕᏯᏙᏗ ᎠᎵᏰᎢᎶᎦ ᎧᏃᎮᏛ ᏛᎵᏰᎢᎸᏍᏓ, ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᏚᏃᏕᎯᎰᎢ.
18 और जो झाड़ियों में बोए गए, वो और हैं ये वो हैं जिन्होंने कलाम सुना।
ᎠᎴ ᎯᎠ ᎠᏄᎦᎸᎯ ᏥᎨᏥᏫᏎᎴᎢ; ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᎧᏃᎮᏛ ᏣᎾᏛᎩᏍᎪᎢ,
19 और दुनिया की फ़िक्र और दौलत का धोखा और और चीज़ों का लालच दाख़िल होकर कलाम को दबा देते हैं, और वो बेफल रह जाता है।” (aiōn g165)
ᎤᏪᎵᎯᏍᏗᏃ ᎡᎶᎯ ᎡᎯ, ᎠᎴ ᎨᏅᎢᏍᏗ ᎨᏒ ᎤᏓᎵᏓᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏧᏓᎴᏅᏛ ᎪᎱᏍᏗ ᎠᏚᎸᏗ ᎨᏒ, ᎠᏂᏴᎯᎲ ᎠᏂᏁᏄᎳᏍᏗᏍᎪ ᎧᏃᎮᏛ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎾᎦᏔᏛᏍᎬᎾᏉ ᎨᏐᎢ. (aiōn g165)
20 और जो अच्छी ज़मीन में बोए गए, ये वो हैं जो कलाम को सुनते और क़ुबूल करते और फल लाते हैं; कोई तीस गुना कोई साठ गुना और कोई सौ गुना।”
ᎯᎠᏃ ᎾᏍᎩ ᎣᏒ ᎦᏙᎯ ᏥᎨᏥᏫᏎᎴᎢ; ᎾᏍᎩ ᎠᎾᏛᎩᏍᎩ ᎧᏃᎮᏛ, ᎠᎴ ᏗᎾᏓᏂᎸᎩ, ᎠᎴ ᎠᏂᎦᏔᏛᏍᎩ, ᎢᎦᏛ ᏦᎠᏍᎪᎯ ᎢᏳᏩᎫᏗ, ᎢᎦᏛᏃ ᏑᏓᎳᏍᎪᎯ, ᎢᎦᏛᏃ ᎠᏍᎪᎯᏧᏈ.
21 और उसने उनसे कहा “क्या चराग़ इसलिए जलाते हैं कि पैमाना या पलंग के नीचे रख्खा जाए? क्या इसलिए नहीं कि चिराग़दान पर रख्खा जाए।”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎠᏨᏍᏙᏗᏍᎪ ᎠᏂᏃᎯᎰ ᎠᏟᎶᏍᏗ ᎦᎧᎲ ᎭᏫᏂᏗᏢ ᎤᏂᎪᏗᏱ, ᎠᎴ ᎦᏂᏢᏫᏉ? ᎥᏝᏃ ᎤᏂᎪᏗᏱ ᎠᏨᏍᏙᏗ ᎦᎪᏗᏱ?
22 क्यूँकि कोई चीज़ छिपी नहीं मगर इसलिए कि ज़ाहिर हो जाए, और पोशीदा नहीं हुई, मगर इसलिए कि सामने में आए।
ᎥᏝᏰᏃ ᎪᎱᏍᏗ ᏱᎬᏍᎦᎳ ᎾᏍᎩ ᎬᏂᎨᏒ ᎢᎬᏁᏗ ᏂᎨᏒᎾ; ᎥᏝ ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏕᎵᏛ ᏱᏂᎬᏃ, ᎾᏍᎩ ᎠᏎ ᎬᏂᎨᏒ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗ ᏂᎨᏒᎾ.
23 अगर किसी के सुनने के कान हों तो सुन लें।”
ᎩᎶ ᏕᎦᎵᎷᎨᏍᏗ ᎤᏛᎪᏗᏱ ᏩᏛᎬᎦ.
24 फिर उसने उनसे कहा “ख़बरदार रहो; कि क्या सुनते हो जिस पैमाने से तुम नापते हो उसी से तुम्हारे लिए नापा जाएगा, और तुम को ज़्यादा दिया जाएगा।
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏤᏯᏔᎮᏍᏗ ᏄᏍᏛ ᎢᏣᏛᎩᏍᎬᎢ; ᏄᏍᏛ ᎢᏣᏓᏟᎶᏒᎲ, ᎾᏍᎩᏯ ᎡᏣᎵᎾᎶᎡᏗ ᎨᏎᏍᏗ; ᏂᎯᏃ ᎢᏣᏛᎩᏍᎩ ᎡᏥᏁᏉᎡᏗ ᎡᏥᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
25 क्यूँकि जिस के पास है उसे दिया जाएगा और जिसके पास नहीं है उस से वो भी जो उसके पास है ले लिया जाएगा।”
ᎩᎶᏰᏃ ᎤᎮᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎠᏥᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ; ᎩᎶᏃ ᏄᎲᎾ ᎨᏎᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎠᏥᎩᏒᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᎾᏍᏉ ᎤᎲᎢ.
26 और उसने कहा “ख़ुदा की बादशाही ऐसी है जैसे कोई आदमी ज़मीन में बीज डाले।
ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎢ, ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎾᏍᎩᏯᏉ ᎩᎶ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᎦᏔ ᏳᏫᏒ ᎦᏙᎯ;
27 और रात को सोए और दिन को जागे और वो बीज इस तरह उगे और बढ़े कि वो न जाने।
ᎠᎴ ᏳᎸᏅ, ᎠᎴ ᏯᏗᏗᎭ ᏗᎬᏩᎩᏨᏗ, ᎠᎴ ᎤᎦᏔ ᏳᎵᏰᏅ, ᎠᎴ ᏳᏛᏒ, ᏄᎵᏍᏙᏔᏅ ᏄᏙᎴᎰᏒᎾ.
28 ज़मीन आप से आप फल लाती है, पहले पत्ती फिर बालों में तैयार दाने।
ᎦᏙᎯᏰᏃ ᎤᏩᏒᏉ ᎦᎾᏄᎪᏫᏍᎪ ᎤᎦᏔᏔᏅᎯ; ᎢᎬᏱᏱ ᎨᏒ ᎤᎦᎶᎬ, ᎿᎭᏉᏃ ᎤᏍᎫᏓᏛᎢ, ᎣᏂᏃ ᎤᎧᎵᏨᎯ ᎤᎦᏔᏛ ᎤᏍᎫᏓᏛᎢ.
29 फिर जब अनाज पक चुका तो वो फ़ौरन दरान्ती लगाता है क्यूँकि काटने का वक़्त आ पहुँचा।”
ᎿᎭᏉᏃ ᎠᎦᏛᎾᎩ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᎠᏍᎫᏕᏍᎪᎢ, ᎠᏍᎫᏕᏍᏗᏱᏰᏃ ᎤᎵᏰᎢᎶᎶᎢ.
30 फिर उसने कहा “हम ख़ुदा की बादशाही को किससे मिसाल दें और किस मिसाल में उसे बयान करें?
ᎯᎠᏃ ᏄᏪᏎᎢ, ᎦᏙ ᏙᏓᏓᏤᎳᏍᏔᏂ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒᎢ? ᎦᏙᎨ ᏓᏟᎶᏍᏛ ᏙᏓᏓᏟᎶᏍᏔᏂ?
31 वो राई के दाने की तरह है कि जब ज़मीन में बोया जाता है तो ज़मीन के सब बीजों से छोटा होता है।
ᎠᏥᎸ-ᎤᎦᏔ ᎾᏍᎩᏯᎢ, ᎾᏍᎩ ᎦᏙᎯ ᏣᏫᏐᎢ, ᏥᏭᏓᎪᎾᏛᏗ ᎤᏍᏗᎩᏳ ᎡᏍᎦᏉ ᏂᎦᎥ ᎤᎦᏔ ᎦᏙᎯ ᏓᎭᏛᎢ.
32 मगर जब बो दिया गया तो उग कर सब तरकारियों से बड़ा हो जाता है और ऐसी बड़ी डालियाँ निकालता है कि हवा के परिन्दे उसके साए में बसेरा कर सकते हैं।”
ᎠᏎᏃ ᎠᏫᏒᎯ ᏥᎨᏐᎢ, ᏗᏛᏍᎪᎢ, ᎠᎴ ᎤᏟ ᎡᏉᎯᏳ ᏂᎦᎵᏍᏗᏍᎪ ᎡᏍᎦᏉ ᏂᎦᎥ ᎤᏰᎿᎭᎥᎢ, ᎠᎴ ᏤᏉᎯᏳ ᏓᏱᏢᏍᎪᎢ; ᎠᎴ ᏥᏍᏆ ᎤᏜᏓᏅᏛ ᎠᏂᏃᎯᎵᏙᎯ ᏰᎵᏉ ᎤᏓᏩᏗᏍᏛ ᎭᏫᏂᏗᏢ ᎠᎾᎭᏗᏍᎪᎢ.
33 और वो उनको इस क़िस्म की बहुत सी मिसालें दे दे कर उनकी समझ के मुताबिक़ कलाम सुनाता था।
ᎾᏍᎩ ᏄᏪᏎ ᎤᏣᏖ ᏚᏟᎶᏍᏓᏁᎴᎢ, ᎧᏃᎮᏛ ᏚᎵᏥᏙᏁᎴᎢ, ᎾᏍᎩ ᏰᎵ ᎬᏩᎾᏛᎪᏗ ᏂᎦᎵᏍᏗᏍᎬᎢ.
34 और बे मिसाल उनसे कुछ न कहता था, लेकिन तन्हाई में अपने ख़ास शागिर्दों से सब बातों के मा'ने बयान करता था।
ᏂᏓᏟᎶᏍᏓᏁᎲᎾᏍᎩᏂ ᎥᏝ ᏱᏚᏬᏁᏔᏁᎢ; ᎤᏅᏒᏃ ᎨᏎᎢ, ᏂᎦᏛ ᎾᏍᎩ ᏚᏬᏏᏌᏁᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ.
35 उसी दिन जब शाम हुई तो उसने उनसे कहा “आओ पार चलें।”
ᎾᎯᏳᏉᏃ ᎢᎦ, ᎤᏒ ᏄᎵᏍᏔᏅ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᏗᏗᏐᎩ ᏍᎪᎾ ᏫᏗᎶᎯ.
36 और वो भीड़ को छोड़ कर उसे जिस हाल में वो था, नाव पर साथ ले चले, और उसके साथ और नावें भी थीं।
ᏚᏂᏰᎵᎯᏍᏔᏅᏃ ᎤᏂᏣᏘ ᏅᏩᏛᏁᏉ ᏥᏳᎯ ᎤᏣᎥ ᎬᏩᏘᎾᏫᏛᎮᎢ; ᎠᎴ ᎾᏍᏉ ᏂᏗᎬᏩᏓᎴ ᏧᏍᏗ ᏥᏳ ᎤᎾᎵᎪᏩᏗᏎᎢ.
37 तब बड़ी आँधी चली और लहरें नाव पर यहाँ तक आईं कि नाव पानी से भरी जाती थी।
ᎤᏣᏘᏃ ᎤᏱᎶᎴ ᎤᏃᎴ, ᎠᎴ ᏓᎵᏍᏗᎳᏁᎬ ᏥᏳᎯ ᎠᏟᎨᎢ, ᎠᎴ ᎿᎭᏉ ᎠᎧᎵᏬᎯ ᎨᏎᎢ.
38 और वो ख़ुद पीछे की तरफ़ गद्दी पर सो रहा था “पस उन्होंने उसे जगा कर कहा? ऐ उस्ताद क्या तुझे फ़िक्र नहीं कि हम हलाक हुए जाते हैं।”
ᏥᏳᎯᏃ ᎣᏂᏗᏢ ᎤᏣᎡ ᎦᎵᎮᎢ, ᎠᎫᏍᏙ ᎤᎫᏍᏓᎡᎢ; ᎬᏩᏰᏍᏔᏁᏃ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᏝᏍᎪ ᎪᎱᏍᏗ ᏰᎵᎭ ᏨᏓᏲᏣᏗᏒᏂ?
39 उसने उठकर हवा को डाँटा और पानी से कहा “साकित हो या'नी थम जा!” पस हवा बन्द हो गई, और बड़ा अमन हो गया।
ᏚᎴᏁᏃ, ᎤᏃᎴ ᎤᏍᎦᏤᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎥᏓᎵ, ᏙᏉ; ᎤᏓᏥᎾᏍᏛᎯ ᎿᎭᎵᏍᏓ. ᎦᏃᎸᎥᏍᎬᏃ ᎤᏑᎵᎪᏤᎢ, ᎠᎴ ᎤᏣᏘ ᎤᏓᏥᎾᏍᏛᎯ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ.
40 फिर उसने कहा “तुम क्यूँ डरते हो? अब तक ईमान नहीं रखते।”
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙᏃ ᏂᏥᏍᎦᏒᎾ? ᎦᏙ ᏗᎦᎵᏍᏙᏗ ᏂᏦᎯᏳᏒᎾ ᎢᎩ?
41 और वो निहायत डर गए और आपस में कहने लगे “ये कौन है कि हवा और पानी भी इसका हुक्म मानते हैं।”
ᎤᏣᏘᏃ ᎤᏂᏍᎦᎴᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᎾᏓᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙ ᎤᏍᏗ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ, ᎾᏍᏉᏰᏃ ᎤᏃᎴ ᎠᎴ ᎥᏓᎵ ᎢᎬᏬᎯᏳᎲᏍᎦ.

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