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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Hindi Contemporary Version Bible, John Chapter 6 https://www.AionianBible.org/Bibles/Hindi---Contemporary/John/6 1) इन बातों के बाद मसीह येशु गलील अर्थात् तिबेरियॉस झील के उस पार चले गए. 2) उनके द्वारा रोगियों को स्वास्थ्यदान के अद्भुत चिह्नों से प्रभावित एक बड़ी भीड़ उनके साथ हो ली. 3) मसीह येशु पर्वत पर जाकर वहां अपने शिष्यों के साथ बैठ गए. 4) यहूदियों का फ़सह उत्सव पास था. 5) जब मसीह येशु ने बड़ी भीड़ को अपनी ओर आते देखा तो फ़िलिप्पॉस से पूछा, “इन सबको खिलाने के लिए हम भोजन कहां से मोल लेंगे?” 6) मसीह येशु ने यह प्रश्न उन्हें परखने के लिए किया था क्योंकि वह जानते थे कि वह क्या करने पर थे. 7) फ़िलिप्पॉस ने उत्तर दिया, “दो सौ दीनार की रोटियां भी उनके लिए पर्याप्त नहीं होंगी कि हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल पाए.” 8) मसीह येशु के शिष्य शिमओन पेतरॉस के भाई आन्द्रेयास ने उन्हें सूचित किया, 9) “यहां एक लड़का है, जिसके पास जौ की पांच रोटियां और दो मछलियां हैं किंतु उनसे इतने लोगों का क्या होगा?” 10) मसीह येशु ने कहा, “लोगों को बैठा दो” और वे सब, जिनमें पुरुषों की ही संख्या पांच हज़ार थी, घनी घास पर बैठ गए. 11) तब मसीह येशु ने रोटियां लेकर धन्यवाद दिया और उनकी ज़रूरत के अनुसार बांट दीं और उसी प्रकार मछलियां भी. 12) जब वे सब तृप्त हो गए तो मसीह येशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी, “शेष टुकड़ों को इकट्ठा कर लो कि कुछ भी नाश न हो,” 13) उन्होंने जौ की उन पांच रोटियों के शेष टुकड़े इकट्ठा किए, जिनसे बारह टोकरे भर गए. 14) लोगों ने इस अद्भुत चिह्न को देखकर कहा, “निःसंदेह यह वही भविष्यवक्ता हैं, संसार जिनकी प्रतीक्षा कर रहा है.” 15) जब मसीह येशु को यह मालूम हुआ कि लोग उन्हें ज़बरदस्ती राजा बनाने के उद्देश्य से ले जाना चाहते हैं तो वह फिर से पर्वत पर अकेले चले गए. 16) जब संध्या हुई तो मसीह येशु के शिष्य झील के तट पर उतर गए. 17) अंधेरा हो चुका था और मसीह येशु अब तक उनके पास नहीं पहुंचे थे. उन्होंने नाव पर सवार होकर गलील झील के दूसरी ओर कफ़रनहूम नगर के लिए प्रस्थान किया. 18) उसी समय तेज हवा के कारण झील में लहरें बढ़ने लगीं. 19) नाव को लगभग पांच किलोमीटर खेने के बाद शिष्यों ने मसीह येशु को जल सतह पर चलते और नाव की ओर आते देखा. यह देखकर वे भयभीत हो गए. 20) मसीह येशु ने उनसे कहा, “भयभीत मत हो, मैं हूं.” 21) यह सुन शिष्य मसीह येशु को नाव में चढ़ाने को तैयार हो गए. इसके बाद नाव उस किनारे पर पहुंच गई जहां उन्हें जाना था. 22) अगले दिन झील के उस पार रह गई भीड़ को मालूम हुआ कि वहां केवल एक छोटी नाव थी और मसीह येशु शिष्यों के साथ उसमें नहीं गए थे—केवल शिष्य ही उसमें दूसरे पार गए थे. 23) तब तिबेरियॉस नगर से अन्य नावें उस स्थान पर आईं, जहां प्रभु ने बड़ी भीड़ को भोजन कराया था. 24) जब भीड़ ने देखा कि न तो मसीह येशु वहां हैं और न ही उनके शिष्य, तो वे मसीह येशु को खोजते हुए नावों द्वारा कफ़रनहूम नगर पहुंच गए. 25) झील के इस पार मसीह येशु को पाकर उन्होंने उनसे पूछा, “रब्बी, आप यहां कब पहुंचे?” 26) मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: तुम मुझे इसलिये नहीं खोज रहे कि तुमने अद्भुत चिह्न देखे हैं परंतु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्त हुए हो. 27) उस भोजन के लिए मेहनत मत करो, जो नाशमान है परंतु उसके लिए, जो अनंत जीवन तक ठहरता है, जो मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्वर ने समर्थन के साथ मात्र उसी को यह अधिकार सौंपा है.” (aiōnios g166) 28) इस पर उन्होंने मसीह येशु से पूछा, “हमसे परमेश्वर की इच्छा क्या है?” 29) “यह कि तुम परमेश्वर के भेजे हुए पर विश्वास करो,” मसीह येशु ने उत्तर दिया. 30) इस पर उन्होंने मसीह येशु से दोबारा पूछा, “आप ऐसा कौन सा अद्भुत चिह्न दिखा सकते हैं कि हम आप में विश्वास करें? क्या है वह काम? 31) हमारे पूर्वजों ने बंजर भूमि में मन्ना खाया; पवित्र शास्त्र के अनुसार: भोजन के लिए परमेश्वर ने उन्हें स्वर्ग से रोटी दी.” 32) इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: स्वर्ग से वह रोटी तुम्हें मोशेह ने नहीं दी; मेरे पिता ही हैं, जो तुम्हें स्वर्ग से वास्तविक रोटी देते हैं. 33) क्योंकि परमेश्वर की रोटी वह है, जो स्वर्ग से आती है, और संसार को जीवन प्रदान करती है.” 34) यह सुनकर उन्होंने विनती की, “प्रभु, अब से हमें यही रोटी दें.” 35) इस पर मसीह येशु ने घोषणा की, “मैं ही हूं वह जीवन की रोटी. जो मेरे पास आएगा, वह भूखा न रहेगा और जो मुझमें विश्वास करेगा, कभी प्यासा न रहेगा. 36) मैं तुमसे पहले भी कह चुका हूं कि तुम मुझे देखकर भी मुझमें विश्वास नहीं करते. 37) वे सभी, जो पिता ने मुझे दिए हैं, मेरे पास आएंगे और हर एक, जो मेरे पास आता है, मैं उसको कभी भी न छोड़ूंगा. 38) मैं स्वर्ग से अपनी इच्छा पूरी करने नहीं, अपने भेजनेवाले की इच्छा पूरी करने के लिए आया हूं. 39) मेरे भेजनेवाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उन्होंने मुझे सौंपा है, उसमें से मैं कुछ भी न खोऊं परंतु अंतिम दिन में उसे फिर से जीवित करूं. 40) क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है कि हर एक, जो पुत्र को अपनाकर उसमें विश्वास करे, वह अनंत काल का जीवन प्राप्त करे तथा मैं उसे अंतिम दिन में फिर से जीवित करूं.” (aiōnios g166) 41) मसीह येशु का यह दावा सुनकर: “स्वर्ग से उतरी रोटी मैं ही हूं,” यहूदी अगुए कुड़कुड़ाने लगे 42) और आपस में मंत्रणा करने लगे, “क्या यह योसेफ़ का पुत्र येशु नहीं, जिसके माता-पिता को हम जानते हैं? तो अब यह कैसे कह रहा है कि यह स्वर्ग से आया है?” 43) यह जानकर मसीह येशु ने उनसे कहा, “कुड़कुड़ाओ मत, 44) कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता, जब तक मेरे भेजनेवाले—पिता—उसे अपनी ओर खींच न लें. मैं उसे अंतिम दिन में फिर से जीवित करूंगा. 45) भविष्यद्वक्ताओं के अभिलेख में यह लिखा हुआ है: वे सब परमेश्वर द्वारा सिखाए हुए होंगे, अतः हर एक, जिसने पिता परमेश्वर को सुना और उनसे सीखा है, मेरे पास आता है. 46) किसी ने पिता परमेश्वर को नहीं देखा सिवाय उसके, जो पिता परमेश्वर से है, केवल उसी ने उन्हें देखा है. 47) मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: अनंत काल का जीवन उसी का है, जो विश्वास करता है. (aiōnios g166) 48) मैं ही हूं जीवन की रोटी. 49) बंजर भूमि में तुम्हारे पूर्वजों ने मन्ना खाया फिर भी उनकी मृत्यु हो गई. 50) मैं ही स्वर्ग से उतरी रोटी हूं कि जो कोई इसे खाए, उसकी मृत्यु न हो. 51) स्वर्ग से उतरी जीवन की रोटी मैं ही हूं. जो कोई यह रोटी खाता है, वह हमेशा जीवित रहेगा. जो रोटी मैं दूंगा, वह संसार के जीवन के लिए भेंट मेरा शरीर है.” (aiōn g165) 52) यह सुनकर यहूदी अगुए आपस में विवाद करने लगे, “यह व्यक्ति कैसे हमें अपना शरीर खाने के लिए दे सकता है?” 53) मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर यह अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूं: जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का शरीर न खाओ और उसका लहू न पियो, तुममें जीवन नहीं. 54) अनंत काल का जीवन उसी का है, जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है; अंतिम दिन मैं उसे फिर से जीवित करूंगा. (aiōnios g166) 55) मेरा शरीर ही वास्तविक भोजन और मेरा लहू ही वास्तविक पेय है. 56) जो मेरा शरीर खाता और मेरा लहू पीता है, वही है, जो मुझमें बना रहता है और मैं उसमें. 57) जैसे जीवन्त पिता परमेश्वर ने मुझे भेजा है और मैं पिता के कारण जीवित हूं, वैसे ही वह भी, जो मुझे ग्रहण करता है, मेरे कारण जीवित रहेगा. 58) यह वह रोटी है, जो स्वर्ग से उतरी हुई है; वैसी नहीं, जो पूर्वजों ने खाई और फिर भी उनकी मृत्यु हो गई; परंतु वह, जो यह रोटी खाता है, हमेशा जीवित रहेगा.” (aiōn g165) 59) मसीह येशु ने ये बातें कफ़रनहूम नगर के यहूदी सभागृह में शिक्षा देते हुए बताईं. 60) यह बातें सुनकर उनके अनेक शिष्यों ने कहा, “बहुत कठोर है यह शिक्षा. कौन इसे स्वीकार कर सकता है?” 61) अपने चेलों की बड़बड़ाहट का अहसास होने पर मसीह येशु ने कहा, “क्या यह तुम्हारे लिए ठोकर का कारण है? 62) तुम तब क्या करोगे जब तुम मनुष्य के पुत्र को ऊपर स्वर्ग में जाते देखोगे, जहां वह पहले था? 63) आत्मा ही हैं, जो शरीर को जीवन देती है. केवल शरीर का कुछ महत्व नहीं. जो वचन मैंने तुमसे कहे हैं, वे आत्मा हैं और जीवन भी. 64) फिर भी तुममें कुछ हैं, जो मुझमें विश्वास नहीं करते.” मसीह येशु प्रारंभ से जानते थे कि कौन हैं, जो उनमें विश्वास नहीं करेंगे और कौन है वह, जो उनके साथ धोखा करेगा. 65) तब मसीह येशु ने आगे कहा, “इसलिये मैंने तुमसे यह कहा कि कोई भी मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक पिता उसे मेरे पास न आने दें.” 66) इसके परिणामस्वरूप मसीह येशु के अनेक चेले पीछे हट गए और उनके पीछे चलना छोड़ दिया. 67) यह देख मसीह येशु ने अपने बारह शिष्यों से अभिमुख हो उनसे पूछा, “कहीं तुम भी तो लौट जाना नहीं चाहते?” 68) शिमओन पेतरॉस ने उत्तर दिया, “प्रभु, हम किसके पास जाएं? अनंत काल के जीवन की बातें तो आप ही के पास हैं. (aiōnios g166) 69) हमने विश्वास किया और जान लिया है कि आप ही परमेश्वर के पवित्र जन हैं.” 70) मसीह येशु ने उनसे कहा, “क्या स्वयं मैंने तुम बारहों को नहीं चुना? यह होने पर भी तुममें से एक इबलीस है.” 71) (उनका इशारा कारियोतवासी शिमओन के पुत्र यहूदाह की ओर था क्योंकि उन बारह शिष्यों में से वही मसीह येशु के साथ धोखा करने पर था.) Additional comments?
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