< مزامیر 131 >

سرود زائران به هنگام بالا رفتن به اورشلیم. مزمور داوود. ای خداوند، من از خودبینی و تکبر دست کشیده‌ام؛ از آنچه بزرگتر و بلندتر از عقل من است خود را دور نگه داشته‌ام. 1
ऐ ख़ुदावन्द! मेरा दिल मग़रूर नहीं और मै बुलंद नज़र नहीं हूँ न मुझे बड़े बड़े मु'आमिलो से कोई सरोकार है, न उन बातों से जो मेरी समझ से बाहर हैं,
جان مضطرب خود را آرام ساخته‌ام. اینک، دل من، همچون کودکی که در آغوش مادر آرمیده، آرام و بی‌تشویش است. 2
यक़ीनन मैंने अपने दिल को तिस्कीन देकर मुत्मइन कर दिया है, मेरा दिल मुझ में दूध छुड़ाए हुए बच्चे की तरह है; हाँ, जैसे दूध छुड़ाया हुआ बच्चा माँ की गोद में।
ای اسرائیل، بر خداوند امیدوار باش، از حال تا ابد! 3
ऐ इस्राईल! अब से हमेशा तक, ख़ुदावन्द पर भरोसा कर!

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