< ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎷᎦ ᎤᏬᏪᎳᏅᎯ 20 >

1 ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ, ᎾᏍᎩ ᏌᏉ ᎢᎦ ᎾᎯᏳ ᎨᏒ, ᏕᎨᏲᎲᏍᎨ ᏴᏫ ᎤᏛᎾᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᎣᏍᏛ ᎧᏃᎮᏛ ᎠᎵᏥᏙᎲᏍᎨᎢ, ᎾᏍᎩ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸᎠᏁᎶᎯ, ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎬᏩᏃᎴᎢ, ᎤᎾᎵᎪᏎ ᏗᏂᎳᏫᎩ,
एक दिन ऐसा हुआ कि जब वह मन्दिर में लोगों को उपदेश देता और सुसमाचार सुना रहा था, तो प्रधान याजक और शास्त्री, प्राचीनों के साथ पास आकर खड़े हुए।
2 ᎠᎴ ᎬᏩᎵᏃᎮᏔᏁ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᏍᎩᏃᎲᏏ, ᎦᏙ ᏣᎵᏍᎦᏍᏙᏗ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏄᏍᏗ ᏥᏕᏣᎸᏫᏍᏓᏁᎭ? ᎠᎴ ᎦᎪ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏣᏁᎸᎯ ᎾᏍᎩ ᎢᏣᏛᏁᏗᏱ?
और कहने लगे, “हमें बता, तू इन कामों को किस अधिकार से करता है, और वह कौन है, जिसने तुझे यह अधिकार दिया है?”
3 ᎤᏁᏨᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎠᏴ ᎾᏍᏉ ᏑᏓᎴᎩ ᏓᏨᏯᏛᏛᏂ; ᎠᎴ ᏍᎩᏃᎲᏏ;
उसने उनको उत्तर दिया, “मैं भी तुम से एक बात पूछता हूँ; मुझे बताओ
4 ᏣᏂ ᏧᏓᏬᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎦᎸᎳᏗᏍᎪ ᏧᏓᎴᏁᎢ, ᏴᏫᏉᎨ ᎠᏁᎲᎢ.
यूहन्ना का बपतिस्मा स्वर्ग की ओर से था या मनुष्यों की ओर से था?”
5 ᏙᏧᎾᏓᏅᏛᏃ ᎤᎾᏓᏅᏖᎴ ᎯᎠ ᎾᏂᏪᏍᎨᎢ, ᎢᏳᏃ ᎦᎸᎳᏗ, ᏲᎦᏛᏅ, ᎯᎠ ᏱᏃᎩᏪᏏ, ᎦᏙᏃ Ꮭ ᏱᎡᏦᎢᏳᏁᎢ?
तब वे आपस में कहने लगे, “यदि हम कहें, ‘स्वर्ग की ओर से,’ तो वह कहेगा; ‘फिर तुम ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया?’
6 ᎢᏳᏃ ᏴᏫᏉ ᎠᏁᎲᎢ, ᏲᎦᏛᏅ, ᏂᎦᏛᏉ ᏴᏫ ᏅᏯ ᏱᏕᎪᎬᏂᏍᏓ; ᏣᏂᏰᏃ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ ᎨᏒᎩ, ᎠᏁᎵᎭ.
और यदि हम कहें, ‘मनुष्यों की ओर से,’ तो सब लोग हमें पथराव करेंगे, क्योंकि वे सचमुच जानते हैं, कि यूहन्ना भविष्यद्वक्ता था।”
7 ᎤᏂᏁᏨᏃ, ᎥᏝ ᏲᏥᎦᏔᎭ ᏧᏓᎴᏅᎢ, ᎤᎾᏛᏁᎢ.
अतः उन्होंने उत्तर दिया, “हम नहीं जानते, कि वह किसकी ओर से था।”
8 ᏥᏌᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎥᏝ ᎾᏍᏉ ᎠᏴ ᏴᎨᏨᏃᎲᏏ ᎢᏳᏍᏗ ᎨᏒ ᎠᏆᎵᏍᎦᏍᏙᏛ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏥᏓᎩᎸᏫᏍᏓᏁᎭ.
यीशु ने उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता कि मैं ये काम किस अधिकार से करता हूँ।”
9 ᎠᎴ ᎿᎭᏉ ᎤᎴᏅᎮ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏚᏟᎶᏍᏓᏁᎴ ᏴᏫ; ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏍᎦᏯ ᏖᎸᎳᏗ ᏚᏫᏎᎢ, ᎠᎴ ᏚᏙᎳᏍᏔᏁ ᏠᎨᏏ ᏭᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ, ᎠᎴ ᎢᏅ ᏭᎶᏎ ᎪᎯᏛ ᏭᏪᏙᎴᎢ.
तब वह लोगों से यह दृष्टान्त कहने लगा, “किसी मनुष्य ने दाख की बारी लगाई, और किसानों को उसका ठेका दे दिया और बहुत दिनों के लिये परदेश चला गया।
10 ᎾᎯᏳᏃ ᎤᏅᏂᏍᏗᏱ ᎨᏒ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ ᎤᏅᏎ ᏠᎨᏏ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᏗᏁᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᏂᏙᏓᎬᏩᏅᏁᏗᏱ ᎤᎾᏓᏛᏅᎯ ᏖᎸᎳᏗ ᏓᏫᏒᎢ; ᎠᏎᏃ ᏠᎨᏏ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᎤᏂᎵᎥᏂᎸ ᎠᏒᎭ ᎤᏂᎨᎯᏙᎴᎢ.
१०नियुक्त समय पर उसने किसानों के पास एक दास को भेजा, कि वे दाख की बारी के कुछ फलों का भाग उसे दें, पर किसानों ने उसे पीटकर खाली हाथ लौटा दिया।
11 ᎠᎴ ᏔᎵᏁ ᏅᏩᏓᎴ ᎤᏅᏎ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ ᎦᎬᏩᏂᏐᏢᏔᏅ, ᎠᏒᎭ ᎤᏂᎨᎯᏙᎴᎢ.
११फिर उसने एक और दास को भेजा, ओर उन्होंने उसे भी पीटकर और उसका अपमान करके खाली हाथ लौटा दिया।
12 ᎠᎴᏬ ᏦᎢᏁ ᎤᏅᏎᎢ; ᎾᏍᎩᏃ ᎾᏍᏉ ᎤᏂᏐᏅᏅ ᎤᏂᏄᎪᏫᏎᎢ.
१२फिर उसने तीसरा भेजा, और उन्होंने उसे भी घायल करके निकाल दिया।
13 ᎿᎭᏉᏃ ᏖᎸᎳᏗ ᏓᏫᏒ ᎤᏤᎵᎦ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎦᏙ ᏓᎦᏛᏁᎵ? ᎠᏇᏥ ᏥᎨᏳᎢ ᏓᏥᏅᏏ; ᏯᏂᎸᏉᏓ ᏱᎩ ᎾᏍᎩ ᎠᏂᎪᎲᎭ.
१३तब दाख की बारी के स्वामी ने कहा, ‘मैं क्या करूँ? मैं अपने प्रिय पुत्र को भेजूँगा, क्या जाने वे उसका आदर करें।’
14 ᎠᏎᏃ ᏠᎨᏏ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᎤᏂᎪᎲ, ᎤᏅᏒ ᎨᏒ ᎤᎾᎵᏃᎮᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᎾᏓᏪᏎᎴᎢ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎤᏘᏰᏗ ᏥᎩ ᏧᎬᏩᎶᏗ, Ꭷ, ᎡᏗᎷᎦ, ᎾᏍᎩᏃ ᏧᎬᏩᎶᏗ ᎤᏘᏯᏍᏓᏁᏗ ᎨᏒ ᎢᎦᏤᎵ ᏱᏂᎦᎵᏍᏓ.
१४जब किसानों ने उसे देखा तो आपस में विचार करने लगे, ‘यह तो वारिस है; आओ, हम उसे मार डालें, कि विरासत हमारी हो जाए।’
15 ᎰᏩᏃ ᎤᏂᏄᎪᏫᏒ ᏖᎸᎳᏗ ᏓᏫᏒᎢ, ᎤᏂᎴᎢ. ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏖᎸᎳᏗ ᏓᏫᏒ ᎤᏤᎵᎦ ᎦᏙ ᏙᏓᎬᏁᎵ ᎾᏍᎩ?
१५और उन्होंने उसे दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला: इसलिए दाख की बारी का स्वामी उनके साथ क्या करेगा?
16 ᏓᎦᎷᏥ ᎠᎴ ᏙᏛᏛᏔᏂ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏠᎨᏏ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ, ᎠᎴ ᏅᏩᎾᏓᎴ ᏙᏛᏁᎵ ᏖᎸᎳᏗ ᏓᏫᏒᎢ. ᎾᏍᎩᏃ ᎤᎾᏛᎦᏁᎸ, ᎥᏞᏍᏗ, ᎤᎾᏛᏁᎢ.
१६“वह आकर उन किसानों को नाश करेगा, और दाख की बारी दूसरों को सौंपेगा।” यह सुनकर उन्होंने कहा, “परमेश्वर ऐसा न करे।”
17 ᏚᎧᎿᎭᏅᏃ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎦᏙᏃ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏥᏂᎬᏅ ᏥᎪᏪᎳ, ᏗᎾᏁᏍᎨᏍᎩ ᎤᏂᏲᎢᏎᎸᎯ ᏅᏯ ᎾᏍᎩ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎤᏅᏏᏴ ᎠᏗ ᏄᎵᏍᏔᏅ?
१७उसने उनकी ओर देखकर कहा, “फिर यह क्या लिखा है: ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने निकम्मा ठहराया था, वही कोने का सिरा हो गया।’
18 ᎩᎶ ᎾᏍᎩ ᎾᎿᎭᏅᏲᎯ ᎠᏢᏨᎭ ᏓᏳᏐᏅᏂ; ᎩᎶᏃ ᎾᏍᎩ ᎤᏐᏅᎭ ᏓᏳᏪᏓᏬᏔᏂ.
१८“जो कोई उस पत्थर पर गिरेगा वह चकनाचूर हो जाएगा, और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।”
19 ᏄᏂᎬᏫᏳᏒᏃ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎾᎯᏳᏉ ᎤᎾᏁᎶᏔᏁ ᎤᏂᏂᏴᏗᏱ, ᎠᏎᏃ ᏚᏂᏍᎦᎴ ᏴᏫ; ᎤᎾᏙᎴᎰᏎᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏚᏟᎶᏍᏔᏅ ᎤᏅᏒ ᎨᏥᏛᎬᎢ.
१९उसी घड़ी शास्त्रियों और प्रधान याजकों ने उसे पकड़ना चाहा, क्योंकि समझ गए थे, कि उसने उनके विरुद्ध दृष्टान्त कहा, परन्तु वे लोगों से डरे।
20 ᎬᏩᎦᏌᏯᏍᏕᏃ, ᎠᎴ ᏙᏧᏂᏅᏎ ᎠᎾᏓᎦᏌᏯᏍᏗᏍᎩ, ᎾᏍᎩ ᎤᎾᏓᏅᏘ ᎤᎾᏣᎸᏗᏱ ᎾᏍᎩ ᎬᏩᎪᏁᎶᎯᏎᏗᏱ ᎦᏬᏂᏍᎬᎢ, ᎾᏍᎩᏃ ᏫᏚᏂᏲᎯᏎᏗᏱ ᎤᏰᎢᎵᏓᏍᏗᏱ ᎤᎬᏫᏳᎯ.
२०और वे उसकी ताक में लगे और भेदिए भेजे, कि धर्मी का भेष धरकर उसकी कोई न कोई बात पकड़ें, कि उसे राज्यपाल के हाथ और अधिकार में सौंप दें।
21 ᎬᏩᏛᏛᏁᏃ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎣᏥᎦᏔᎭ ᎯᏬᏂᏍᎬ ᎠᎴ ᏕᎭᏕᏲᎲᏍᎬ ᏚᏳᎪᏛ ᎨᏎᎢ, ᎠᎴ ᏂᏘᎸᏉᏙᏛᎾ ᎨᏒ ᏄᎾᏍᏛ ᏴᏫ, ᎤᏁᎳᏅᎯᏍᎩᏂ ᎤᏤᎵ ᎦᏅᏅ ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᏕᎭᏕᏲᎲᏍᎬᎢ;
२१उन्होंने उससे यह पूछा, “हे गुरु, हम जानते हैं कि तू ठीक कहता, और सिखाता भी है, और किसी का पक्षपात नहीं करता; वरन् परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से बताता है।
22 ᏚᏳᎪᏗᏍᎪ ᏏᏌ ᎡᏓᎫᏴᎡᏗᏱ ᎠᏰᎵ ᎠᎫᏴᏗ ᎨᏒᎢ, ᏝᎨ?
२२क्या हमें कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं?”
23 ᎠᏎᏃ ᎤᏙᎴᎰᏎ ᎠᏂᏏᎾᏌᏅᎬᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙᏃ ᎢᏍᎩᏌᏛᎥᏍᎦ?
२३उसने उनकी चतुराई को ताड़कर उनसे कहा,
24 ᏥᎪᏩᏛ ᎠᎩᏏ ᏧᎬᏩᎶᏗ. ᎦᎪ ᏓᎦᏟᎶᏍᏗ, ᎠᎴ ᎦᎪ ᎠᏥᏃᎮᎭ ᎯᎠ ᏥᎪᏪᎳ? ᎤᏂᏁᏤᏃ, ᏏᏌ, ᎤᎾᏛᏁᎢ.
२४“एक दीनार मुझे दिखाओ। इस पर किसकी छाप और नाम है?” उन्होंने कहा, “कैसर का।”
25 ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎵᎢ, ᏏᏌ ᎠᏗᎾ ᎡᏣᎫᏴᏏ ᏏᏌ ᎤᏤᎵᎦ, ᎤᏁᎳᏅᎯᏃ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ.
२५उसने उनसे कहा, “तो जो कैसर का है, वह कैसर को दो और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।”
26 ᎧᏁᎬᏃ ᎥᏝ ᏰᎵ ᎦᎬᏩᏂᎪᏁᎶᎯᏎᏗ ᏱᎨᏎ ᏴᏫ ᎠᏂᎦᏔᎲᎢ; ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᏃ ᏄᏪᏒ ᎤᏁᏨᎢ, ᎠᎴ ᎡᎳᏪᏱ ᎤᏅᏁᎢ.
२६वे लोगों के सामने उस बात को पकड़ न सके, वरन् उसके उत्तर से अचम्भित होकर चुप रह गए।
27 ᎿᎭᏉᏃ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏂᏌᏚᏏ, ᎾᏍᎩ ᏣᎾᏓᏱᎭ ᎠᏲᎱᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒᎢ, ᎬᏩᎷᏤᎸ ᎬᏩᏛᏛᏁᎢ,
२७फिर सदूकी जो कहते हैं, कि मरे हुओं का जी उठना है ही नहीं, उनमें से कुछ ने उसके पास आकर पूछा।
28 ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᎼᏏ ᎣᎪᏪᏁᎸᎩ ᎯᎠ ᏃᎩᏪᏎᎸᎩ, ᎩᎶ ᏗᎾᏓᏅᏟ ᎠᏲᎱᏍᎨᏍᏗ ᎤᏓᎵᎢ ᎤᏪᎧᎮᏍᏗ, ᎠᎴ ᏧᏪᏥ ᎾᏁᎲᎾ ᎠᏲᎱᏍᎨᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᏗᎾᏓᏅᏟ ᎠᏓᏰᎨᏍᏗ ᎤᏓᏴᏛ, ᎠᎴ ᏓᏛᎯᏍᏓᏁᎮᏍᏗ ᏧᏪᏥ ᏗᎾᏓᏅᏟ.
२८“हे गुरु, मूसा ने हमारे लिये यह लिखा है, ‘यदि किसी का भाई अपनी पत्नी के रहते हुए बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उसकी पत्नी से विवाह कर ले, और अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे।’
29 ᎾᏍᎩᏃ ᎠᏁᎲᎩ ᎦᎵᏉᎩ ᎢᏯᏂᏛ ᎠᎾᎵᏅᏟ; ᎤᏓᏂᎵᎨᏃ ᎤᏕᏒᏅᎩ, ᎠᎴ ᎤᏲᎱᏒ ᏧᏪᏥ ᎾᏁᎲᎾ.
२९अतः सात भाई थे, पहला भाई विवाह करके बिना सन्तान मर गया।
30 ᎠᎴ ᏔᎵᏁ ᏪᎯ ᎾᏍᎩ ᎤᏓᏴᏒᎩ, ᎠᎴ ᎤᏲᎱᏒ ᏧᏪᏥ ᎾᏁᎲᎾ.
३०फिर दूसरे,
31 ᎠᎴ ᏦᎢᏁ ᏪᎯ ᎤᏓᏴᏒᎩ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᎦᎵᏉᎩ ᎢᏯᏂᏛ; ᎠᎴ ᏧᏁᏥ ᎾᏁᎲᎾ ᏚᏂᏲᎱᏒᎩ.
३१और तीसरे ने भी उस स्त्री से विवाह कर लिया। इसी रीति से सातों बिना सन्तान मर गए।
32 ᎣᏂᏱᏃ ᎠᎨᏴ ᎾᏍᏉ ᎤᏲᎱᏒᎩ.
३२सब के पीछे वह स्त्री भी मर गई।
33 ᎾᏍᎩᏃ ᎿᎭᏉ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᏂᎦᎵᏍᏔᏂᎸᎭ, ᎦᎪ ᎤᏓᎵᎢ ᎨᏎᏍᏗ ᎾᏍᎩ, ᎦᎵᏉᎩᏰᏃ ᎢᏯᏂᏛ ᎤᎾᏓᏴᏛ ᎢᎩ.
३३अतः जी उठने पर वह उनमें से किसकी पत्नी होगी, क्योंकि वह सातों की पत्नी रह चुकी थी।”
34 ᏥᏌᏃ ᎤᏁᏨ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎠᏂ ᎡᎶᎯ ᎠᏁᎯ ᏓᎾᏕᏒᎲᏍᎪᎢ ᎠᎴ ᏕᎨᏥᏰᎪᎢ; (aiōn g165)
३४यीशु ने उनसे कहा, “इस युग के सन्तानों में तो विवाह-शादी होती है, (aiōn g165)
35 ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ ᏐᎢᏱ ᏗᎨᏒ ᎠᎴ ᎠᏲᎱᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ ᏰᎵᏉ ᎬᏩᎾᏖᎳᏗᏍᏗ ᎨᏥᏰᎸᎯ, ᎥᏝ ᏱᏓᎾᏕᏒᎲᏍᎪᎢ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᏱᏗᎨᏥᏰᎪᎢ. (aiōn g165)
३५पर जो लोग इस योग्य ठहरेंगे, की उस युग को और मरे हुओं में से जी उठना प्राप्त करें, उनमें विवाह-शादी न होगी। (aiōn g165)
36 ᎥᏝ ᎠᎴ ᎿᎭᏉ ᏗᎬᏩᏂᏲᎱᎯᏍᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ; ᏗᏂᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯᏍᎩᏂ ᎦᎸᎳᏗ ᎠᏁᎯ ᏄᎾᏍᏛ ᎾᏍᎩᏯ ᏄᎾᏍᏕᏍᏗ; ᎠᎴ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏪᏥ ᎾᏍᎩ, ᎠᏲᎱᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ ᏧᏪᏥ ᎨᏒ ᎢᏳᏍᏗ.
३६वे फिर मरने के भी नहीं; क्योंकि वे स्वर्गदूतों के समान होंगे, और पुनरुत्थान की सन्तान होने से परमेश्वर के भी सन्तान होंगे।
37 ᎾᏃ ᏧᏂᏲᎱᏒᎯ ᏧᎾᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒ, ᏱᏏ ᎬᏂᎨᏒ ᏄᏩᏁᎴ ᎤᏪᏲᏓᏛᎢ, ᎾᎯᏳ ᏱᎰᏩ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎡᏆᎭᎻ ᎤᏤᎵᎦ, ᎠᎴ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎡᏏᎩ ᎤᏤᎵᎦ, ᎠᎴ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏤᎦᏈ ᎤᏤᎵᎦ, ᏧᏬᏎᎴᎢ.
३७परन्तु इस बात को कि मरे हुए जी उठते हैं, मूसा ने भी झाड़ी की कथा में प्रगट की है, वह प्रभु को ‘अब्राहम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर’ कहता है।
38 ᎤᏁᎳᏅᎯᏰᏃ ᎥᏝ ᏧᏂᏲᎱᏒᎯ ᎤᎾᏤᎵᎦ ᏱᎩ, ᏗᏅᏃᏛᏍᎩᏂ; ᎾᏍᎩᏰᏃ ᎠᏓᏅᏖᏍᎬ ᏂᎦᏗᏳ ᏗᏅᏃᏛ.
३८परमेश्वर तो मुर्दों का नहीं परन्तु जीवितों का परमेश्वर है: क्योंकि उसके निकट सब जीवित हैं।”
39 ᎿᎭᏉᏃ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ ᎤᏂᏁᏤ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ, ᏔᏕᏲᎲᏍᎩ, ᏰᎵᎦᏯ ᏂᏫ.
३९तब यह सुनकर शास्त्रियों में से कितनों ने कहा, “हे गुरु, तूने अच्छा कहा।”
40 ᎾᎯᏳᏃ ᎢᏳᏓᎴᏅᏛ ᎠᏂᏍᎦᎢᎮ ᎪᎱᏍᏗ ᎬᏩᏛᏛᏗᏱ.
४०और उन्हें फिर उससे कुछ और पूछने का साहस न हुआ।
41 ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎦᏙ ᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎦᎶᏁᏛ ᏕᏫ ᎤᏪᏥ ᏣᎾᏗᎭ?
४१फिर उसने उनसे पूछा, “मसीह को दाऊद की सन्तान कैसे कहते हैं?
42 ᏕᏫᏃ ᎤᏩᏒ ᎯᎠ ᏂᎦᏪᎭ ᏗᎧᏃᎩᏍᏗᏱ ᎪᏪᎵ, ᏱᎰᏩ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎠᏆᏤᎵᎦ, ᏥᎦᏘᏏ ᎢᏗᏢ ᏦᎴᏍᏗ,
४२दाऊद आप भजन संहिता की पुस्तक में कहता है: ‘प्रभु ने मेरे प्रभु से कहा, मेरे दाहिने बैठ,
43 ᎬᏂ ᎨᏣᏍᎦᎩ ᏗᏣᎳᏏᏗᏱ ᎦᏍᎩᎶ ᏂᎦᏥᏴᏁᎸᎭ.
४३जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पाँवों तले की चौकी न कर दूँ।’
44 ᏕᏫᏰᏃ ᏣᎬᏫᏳᎯ ᎪᏎᎭ; ᎦᏙᏃ ᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎤᏪᏥ ᎢᎩ?
४४दाऊद तो उसे प्रभु कहता है; तो फिर वह उसकी सन्तान कैसे ठहरा?”
45 ᎿᎭᏉᏃ ᏂᎦᏛ ᏴᏫ ᎤᎾᏛᏓᏍᏛ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴ ᎬᏩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ,
४५जब सब लोग सुन रहे थे, तो उसने अपने चेलों से कहा।
46 ᏕᏤᏯᏙᏤᎮᏍᏗ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ, ᎾᏍᎩ ᏧᎾᏚᎵᏍᎪ ᏗᎦᏅᎯᏛ ᏧᎾᏄᏩᎢ ᎤᏁᏓᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎣᏏᏳ ᏧᏂᏰᎸᎭ ᎨᏥᏲᎵᏍᏗᏱ ᏗᎦᏃᏙᏗᏱ, ᎠᎴ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏕᎦᏍᎩᎸ ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᎾᏢᏗᏱ ᏓᎾᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬᎢ;
४६“शास्त्रियों से सावधान रहो, जिनको लम्बे-लम्बे वस्त्र पहने हुए फिरना अच्छा लगता है, और जिन्हें बाजारों में नमस्कार, और आराधनालयों में मुख्य आसन और भोज में मुख्य स्थान प्रिय लगते हैं।
47 ᎾᏍᎩ ᏥᏓᏂᏒᏁᎰ ᏧᏃᏑᎶᏨᎯ ᏓᏂᏁᎸᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᏠᎾᏍᏛ ᎪᎯᏗᏳ ᏣᎾᏓᏙᎵᏍᏗᏍᎪᎢ; ᎾᏍᎩ ᎤᏟᎯᏳ ᎢᎦᎢ ᎤᏂᎩᎵᏲᎢᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
४७वे विधवाओं के घर खा जाते हैं, और दिखाने के लिये बड़ी देर तक प्रार्थना करते रहते हैं, ये बहुत ही दण्ड पाएँगे।”

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