< লেবীয় বই 14 >

1 সদাপ্রভু মোশিকে বললেন,
फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
2 “রোগগ্রস্ত ব্যক্তির পক্ষে তার আনুষ্ঠানিক শুচিশুদ্ধ হওয়ার সময় নিয়মাবলি এই ধরনের, যখন তাকে যাজকের কাছে আনা হয়:
“कोढ़ी के शुद्ध ठहराने की व्यवस्था यह है।, वह याजक के पास पहुँचाया जाए;
3 যাজক শিবিরের বাইরে যাবে ও তাকে পরীক্ষা করবে। যদি সেই ব্যক্তির সংক্রামক চর্মরোগ সুস্থ হয়ে থাকে,
और याजक छावनी के बाहर जाए, और याजक उस कोढ़ी को देखे, और यदि उसके कोढ़ की व्याधि चंगी हुई हो,
4 তাহলে তার শুচিকরণের জন্য যাজক দুটি জীবিত শুচি পাখি কিছু দেবদারু কাঠ, লাল রংয়ের সুতো ও এসোব আনতে আদেশ দেবে।
तो याजक आज्ञा दे कि शुद्ध ठहरानेवाले के लिये दो शुद्ध और जीवित पक्षी, देवदार की लकड़ी, और लाल रंग का कपड़ा और जूफा ये सब लिये जाएँ;
5 পরে যাজক মাটির পাত্রে টাটকা জলের উপরে একটি পাখিকে হত্যা করতে আদেশ দেবে।
और याजक आज्ञा दे कि एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलि किया जाए।
6 এবারে যাজক জীবিত পাখিটি নেবে এবং দেবদারু কাঠ, লাল রংয়ের সুতো ও এসোবের সঙ্গে ওই পাখি টাটকা জলের উপরে বধ করা পাখির রক্তে ডুবিয়ে রাখবে।
तब वह जीवित पक्षी को देवदार की लकड़ी और लाल रंग के कपड़े और जूफा इन सभी को लेकर एक संग उस पक्षी के लहू में जो बहते हुए जल के ऊपर बलि किया गया है डुबा दे;
7 সংক্রামক রোগগ্রস্ত ব্যক্তিকে শুচিশুদ্ধ করার জন্য যাজক সাতবার রক্ত ছিটাবে ও তাকে শুচি ঘোষণা করবে। পরে যাজক জীবিত পাখিটিকে খোলা মাঠে মুক্তি দেবে।
और कोढ़ से शुद्ध ठहरनेवाले पर सात बार छिड़ककर उसको शुद्ध ठहराए, तब उस जीवित पक्षी को मैदान में छोड़ दे।
8 “ওই রোগী শুচি হওয়ার জন্য অবশ্যই তার পরিধান ধুয়ে নেবে, তার মাথার সমস্ত চুল নেড়া করবে ও জলে স্নান করবে। এবারে সে আনুষ্ঠানিকভাবে শুচিশুদ্ধ হবে। এরপরে সে শিবিরে আসতে পারে, কিন্তু সাত দিনের জন্য তাকে তাঁবুর বাইরে থাকতে হবে।
और शुद्ध ठहरनेवाला अपने वस्त्रों को धोए, और सब बाल मुँण्डवाकर जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा; और उसके बाद वह छावनी में आने पाए, परन्तु सात दिन तक अपने डेरे से बाहर ही रहे।
9 সপ্তম দিনে সে তার সর্বাঙ্গের লোম চেঁচে ফেলবে; সে মাথার চুল, দাড়ি, ভুরুর ও সর্বাঙ্গের সমস্ত লোম চেঁচে ফেলবে। সে তার পোশাক অবশ্যই ধুয়ে নেবে, নিজেও জলে স্নান করবে ও শুচিশুদ্ধ হবে।
और सातवें दिन वह सिर, दाढ़ी और भौहों के सब बाल मुँड़ाएँ, और सब अंग मुँण्ड़न कराए, और अपने वस्त्रों को धोए, और जल से स्नान करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।
10 “অষ্টম দিনে দুটি মদ্দা মেষশাবক এবং একটি এক বছরের মেষী সে অবশ্যই আনবে, যেগুলির প্রত্যেকটি হবে নিখুঁত, সঙ্গে থাকবে শস্য-নৈবেদ্যর জন্য তেলমিশ্রিত মিহি ময়দার এক ঐফার দশ ভাগের তিন ভাগ ও এক লোগ তেল।
१०“आठवें दिन वह दो निर्दोष भेड़ के बच्चे, और एक वर्ष की निर्दोष भेड़ की बच्ची, और अन्नबलि के लिये तेल से सना हुआ एपा का तीन दहाई अंश मैदा, और लोज भर तेल लाए।
11 যে যাজক তাকে শুচি ঘোষণা করবে, সে তাকে ও তার নৈবেদ্য উভয়কে সমাগম তাঁবুর প্রবেশদ্বারে সদাপ্রভুর সামনে উপস্থিত করবে।
११और शुद्ध ठहरानेवाला याजक इन वस्तुओं समेत उस शुद्ध होनेवाले मनुष्य को यहोवा के सम्मुख मिलापवाले तम्बू के द्वार पर खड़ा करे।
12 “পরে যাজক একটি মদ্দা মেষশাবক নেবে ও এক লোগ তেলের সঙ্গে দোষার্থক-নৈবেদ্যরূপে তা উৎসর্গ করবে। দোলনীয়-নৈবেদ্যরূপে বলিদান নিয়ে সদাপ্রভুর সামনে যাজক সেগুলি দোলাবে।
१२तब याजक एक भेड़ का बच्चा लेकर दोषबलि के लिये उसे और उस लोज भर तेल को समीप लाए, और इन दोनों को हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के सामने हिलाए;
13 যাজক পবিত্রস্থানে সেই মেষশাবকটি বধ করবে, যেখানে পাপার্থক বলি ও হোমবলি বধ করা হয়। পাপার্থক বলির মতো দোষার্থক-নৈবেদ্য যাজকের; এটি অত্যন্ত পবিত্র।
१३और वह उस भेड़ के बच्चे को उसी स्थान में जहाँ वह पापबलि और होमबलि पशुओं का बलिदान किया करेगा, अर्थात् पवित्रस्थान में बलिदान करे; क्योंकि जैसे पापबलि याजक का निज भाग होगा वैसे ही दोषबलि भी उसी का निज भाग ठहरेगा; वह परमपवित्र है।
14 যাজক দোষার্থক-নৈবেদ্যের কিছুটা রক্ত নিয়ে যে শুচি হবে তার ডান কানের লতি, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে ও তার ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে রক্তের প্রলেপ দেবে শুচি হবার জন্য।
१४तब याजक दोषबलि के लहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाए।
15 এবারে যাজক এক লোগ তেলের কিছুটা নেবে এবং আপন বাম হাতের তালুতে ঢালবে,
१५तब याजक उस लोज भर तेल में से कुछ लेकर अपने बाएँ हाथ की हथेली पर डाले,
16 তার হাতে ঢালা তেলের মধ্যে তার তর্জনী ডোবাবে এবং সদাপ্রভুর সামনে আঙুল দিয়ে সাতবার তেল ছিটাবে।
१६और याजक अपने दाहिने हाथ की उँगली को अपनी बाईं हथेली पर के तेल में डुबाकर उस तेल में से कुछ अपनी उँगली से यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के।
17 যাজক তার হাতের অবশিষ্ট তেলের কিছুটা তেল নেবে, এবং শুচিকরণ প্রার্থীর ডান কানের লতিতে, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে, ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে দোষার্থক-নৈবেদ্যের রক্তের উপরে ঢেলে দেবে।
१७और जो तेल उसकी हथेली पर रह जाएगा याजक उसमें से कुछ शुद्ध होनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर दोषबलि के लहू के ऊपर लगाए;
18 যাজক তার হাতের অবশিষ্ট তেল শুচিকরণ প্রার্থীর মাথায় ঢালবে ও সদাপ্রভুর সামনে তার জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে।
१८और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसको वह शुद्ध होनेवाले के सिर पर डाल दे। और याजक उसके लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे।
19 “পরে যাজক পাপার্থক বলি উৎসর্গ করবে ও অশুচিতা থেকে শুচিতা প্রত্যাশী প্রার্থীর জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে। এরপরে যাজক হোমবলির পশু বধ করবে।
१९याजक पापबलि को भी चढ़ाकर उसके लिये जो अपनी अशुद्धता से शुद्ध होनेवाला हो प्रायश्चित करे; और उसके बाद होमबलि पशु का बलिदान करके
20 এরপরে শস্য-নৈবেদ্যের সঙ্গে যাজক বেদিতে ওই প্রার্থীর জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে এবং সে শুচিশুদ্ধ হবে।
२०अन्नबलि समेत वेदी पर चढ़ाए: और याजक उसके लिये प्रायश्चित करे, और वह शुद्ध ठहरेगा।
21 “অন্যদিকে, যদি সে দরিদ্র হয় ও বলিদানের সামগ্রী জোগাতে না পারে, তবুও দোষার্থক-নৈবেদ্যরূপে একটি মদ্দা মেষশাবক তাকে আনতেই হবে এবং শস্য-নৈবেদ্যরূপে তেলমিশ্রিত মিহি ময়দার এক ঐফার দশমাংশ ও এক লোগ তেল সহযোগে প্রায়শ্চিত্ত সাধনার্থে নৈবেদ্য দোলাতে হবে।
२१“परन्तु यदि वह दरिद्र हो और इतना लाने के लिये उसके पास पूँजी न हो, तो वह अपना प्रायश्चित करवाने के निमित्त, हिलाने के लिये भेड़ का बच्चा दोषबलि के लिये, और तेल से सना हुआ एपा का दसवाँ अंश मैदा अन्नबलि करके, और लोज भर तेल लाए;
22 সে তার সংগতি অনুসারে দুটি ঘুঘু অথবা দুটি কপোতশাবক আনবে এবং পাপার্থক বলিদানার্থে একটি ও হোমবলিদানার্থে অন্যটি উৎসর্গ করবে।
२२और दो पंडुक, या कबूतरी के दो बच्चे लाए, जो वह ला सके; और इनमें से एक तो पापबलि के लिये और दूसरा होमबलि के लिये हो।
23 “সে তার শুদ্ধকরণের জন্য অষ্টম দিনে সদাপ্রভুর সামনে সমাগম তাঁবুর প্রবেশদ্বারে যাজকের কাছে উল্লিখিত ঘুঘু অথবা কপোত আনবে।
२३और आठवें दिन वह इन सभी को अपने शुद्ध ठहरने के लिये मिलापवाले तम्बू के द्वार पर, यहोवा के सम्मुख, याजक के पास ले आए;
24 যাজক এক লোগ তেল সহযোগে দোষার্থক-নৈবেদ্যদানের পক্ষে মেষশাবক গ্রহণ করবে ও দোলনীয়-নৈবেদ্যরূপে সেগুলি সদাপ্রভুর সামনে দোলাবে।
२४तब याजक उस लोज भर तेल और दोषबलिवाले भेड़ के बच्चे को लेकर हिलाने की भेंट के लिये यहोवा के सामने हिलाए।
25 দোষার্থক-নৈবেদ্যদানের জন্য যাজক মেষশাবককে বধ করবে ও কিছুটা রক্ত নিয়ে শুচিতা প্রত্যাশী প্রার্থীর ডান কানের লতিতে, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে ও তার ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে রক্তের প্রলেপ দেবে।
२५फिर दोषबलि के भेड़ के बच्चे का बलिदान किया जाए; और याजक उसके लहू में से कुछ लेकर शुद्ध ठहरनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों पर लगाए।
26 যাজক তার বাম হাতের তালুতে কিছুটা তেল ঢালবে
२६फिर याजक उस तेल में से कुछ अपने बाएँ हाथ की हथेली पर डालकर,
27 এবং তার হাতের তালু থেকে ডান তালুতে কিছুটা তেল নিয়ে সদাপ্রভুর সামনে সাতবার ছিটাবে।
२७अपने दाहिने हाथ की उँगली से अपनी बाईं हथेली पर के तेल में से कुछ यहोवा के सम्मुख सात बार छिड़के;
28 দোষার্থক-নৈবেদ্যের রক্ত যেখানে ঢালা হয়েছিল সেখানে, শুচিতা প্রত্যাশী প্রার্থীর ডান কানের লতিতে, তার ডান হাতের বুড়ো আঙুলে ও তার ডান পায়ের বুড়ো আঙুলে যাজক তার হাতের তালু থেকে কিছুটা তেল ঢালবে।
२८फिर याजक अपनी हथेली पर के तेल में से कुछ शुद्ध ठहरनेवाले के दाहिने कान के सिरे पर, और उसके दाहिने हाथ और दाहिने पाँव के अँगूठों, पर दोषबलि के लहू के स्थान पर लगाए।
29 যাজক তার হাতের তালুর অবশিষ্ট তেল ওই প্রার্থীর মাথায় ঢালবে, এবং এইভাবে সদাপ্রভুর সামনে তার জন্য প্রায়শ্চিত্ত করবে।
२९और जो तेल याजक की हथेली पर रह जाए उसे वह शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करने को उसके सिर पर डाल दे।
30 পরে সে তার সংগতি অনুসারে দুটি ঘুঘু অথবা দুটি কপোতশাবককে উৎসর্গ করবে।
३०तब वह पंडुक या कबूतरी के बच्चों में से जो वह ला सका हो एक को चढ़ाए,
31 ঘুঘু অথবা কপোতশাবকের একটি পাপার্থক বলিরূপে এবং অন্যটি হোমবলিরূপে শস্য-নৈবেদ্য সহকারে সে উৎসর্গ করবে। এইভাবে শুচিকৃত হতে ইচ্ছুক ব্যক্তির পক্ষে সদাপ্রভুর সামনে যাজক প্রায়শ্চিত্ত করবে।”
३१अर्थात् जो पक्षी वह ला सका हो, उनमें से वह एक को पापबलि के लिये और अन्नबलि समेत दूसरे को होमबलि के लिये चढ़ाए; इस रीति से याजक शुद्ध ठहरनेवाले के लिये यहोवा के सामने प्रायश्चित करे।
32 যে কোনো ব্যক্তির পক্ষে নিয়মাবলি এই ধরনের, যার সংক্রামক চামড়ার রোগ হয়েছে এবং যে তার শুচিতার জন্য নিয়মিত বলিদান দিতে অক্ষম।
३२जिसे कोढ़ की व्याधि हुई हो, और उसके इतनी पूँजी न हो कि वह शुद्ध ठहरने की सामग्री को ला सके, तो उसके लिये यही व्यवस्था है।”
33 সদাপ্রভু মোশি ও হারোণকে বললেন,
३३फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
34 “তোমরা যখন কনান দেশে প্রবেশ করবে, যে দেশ আমি তোমাদের অধিকার করতে দিচ্ছি, সেই দেশের কোনো বাড়িতে আমি যখন বিস্তৃত ছাতারোগ উৎপন্ন করব,
३४“जब तुम लोग कनान देश में पहुँचो, जिसे मैं तुम्हारी निज भूमि होने के लिये तुम्हें देता हूँ, उस समय यदि मैं कोढ़ की व्याधि तुम्हारे अधिकार के किसी घर में दिखाऊँ,
35 তখন বাড়ির মালিক যাজকের কাছে গিয়ে বলবে, ‘আমার বাড়িতে ছাতারোগের মতো কলঙ্ক আমার নজরে এসেছে।’
३५तो जिसका वह घर हो वह आकर याजक को बता दे कि मुझे ऐसा देख पड़ता है कि घर में मानो कोई व्याधि है।
36 যাজক ওই ছাতারোগ পরীক্ষা করার আগে বাড়িটি খালি করতে আদেশ দেবে, যেন বাড়ির কোনো জিনিসকে অশুচি না বলা হয়। এরপরে যাজক বাড়ির মধ্যে প্রবেশ করে সেটি পরীক্ষা করবে।
३६तब याजक आज्ञा दे कि उस घर में व्याधि देखने के लिये मेरे जाने से पहले उसे खाली करो, कहीं ऐसा न हो कि जो कुछ घर में हो वह सब अशुद्ध ठहरे; और इसके बाद याजक घर देखने को भीतर जाए।
37 যাজক দেওয়ালগুলির ছাতারোগ পরীক্ষা করবে এবং যদি হালকা সবুজ অথবা হালকা লাল দাগ দেওয়ালের বাইরের দিকের চেয়ে গাঢ় মনে হয়,
३७तब वह उस व्याधि को देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर हरी-हरी या लाल-लाल मानो खुदी हुई लकीरों के रूप में हो, और ये लकीरें दीवार में गहरी देख पड़ती हों,
38 যাজক বাড়ির দরজা দিয়ে বেরিয়ে যাবে এবং তা সাত দিন বন্ধ রাখবে।
३८तो याजक घर से बाहर द्वार पर जाकर घर को सात दिन तक बन्द कर रखे।
39 সপ্তম দিনে বাড়িটি পরীক্ষা করার জন্য যাজক ফিরে আসবে। যদি সমস্ত দেওয়ালে ছাতারোগ বিস্তৃত দেখা যায়,
३९और सातवें दिन याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर की दीवारों पर फैल गई हो,
40 তাহলে তার আদেশে কলুষিত পাথর খুঁড়ে বের করতে হবে ও নগরের বাইরের অশুচি জায়গায় ছুঁড়ে ফেলতে হবে।
४०तो याजक आज्ञा दे कि जिन पत्थरों को व्याधि है उन्हें निकालकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में फेंक दें;
41 সে বাড়ির ভিতরের দেওয়ালগুলি অবশ্যই ঘষাবে ও ঘষার উপাদানের ধুলো নগরের বাইরে অশুচি জায়গায় ফেলবে।
४१और वह घर के भीतर ही भीतर चारों ओर खुरचवाए, और वह खुरचन की मिट्टी नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान में डाली जाए;
42 পরে তারা অন্য পাথর নিয়ে আগে গাঁথা পাথরের জায়গায় বসাবে ও নতুন প্রলেপ দিয়ে বাড়ি পলস্তরা করবে।
४२और उन पत्थरों के स्थान में और दूसरे पत्थर लेकर लगाएँ और याजक ताजा गारा लेकर घर की जुड़ाई करे।
43 “কলুষিত পাথর ফেলে দেওয়ার, বাড়ি ঘষে পলস্তরা করার পর যদি বাড়িতে ছাতারোগ আবার দেখা যায়,
४३“यदि पत्थरों के निकाले जाने और घर के खुरचे और पुताई जाने के बाद वह व्याधि फिर घर में फूट निकले,
44 তাহলে যাজক গিয়ে তা পরীক্ষা করবে এবং যদি ছাতারোগ বাড়িতে ছড়িয়ে পড়ে, তাহলে সেটি ধ্বংসাত্মক ছাতারোগ; ওই বাড়ি অশুদ্ধ।
४४तो याजक आकर देखे; और यदि वह व्याधि घर में फैल गई हो, तो वह जान ले कि घर में गलित कोढ़ है; वह अशुद्ध है।
45 প্রভাবিত সমস্ত পাথর, কাঠ ও পলস্তরা তুলে নগরের বাইরে অশুচি জায়গায় ফেলে দিতে হবে।
४५और वह सब गारे समेत पत्थर, लकड़ी और घर को खुदवाकर गिरा दे; और उन सब वस्तुओं को उठवाकर नगर से बाहर किसी अशुद्ध स्थान पर फिंकवा दे।
46 “যদি বন্ধ বাড়িতে কেউ প্রবেশ করে, সন্ধ্যা পর্যন্ত সে অশুদ্ধ ঘোষিত হবে।
४६और जब तक वह घर बन्द रहे तब तक यदि कोई उसमें जाए तो वह साँझ तक अशुद्ध रहे;
47 যে কেউ সেই বাড়িতে ঘুমায় অথবা খাবার খায়, সে তার কাপড় অবশ্যই ধুয়ে নেবে।
४७और जो कोई उस घर में सोए वह अपने वस्त्रों को धोए; और जो कोई उस घर में खाना खाए वह भी अपने वस्त्रों को धोए।
48 “যদি যাজক তা পরীক্ষা করতে আসে ও সেই বাড়ি পলস্তরা করার পর ছাতারোগ ছড়িয়ে পড়তে না দেখা যায়, তাহলে সেই বাড়িকে সে শুচি আখ্যা দেবে, কারণ ছাতারোগ নিরসন হয়েছে।
४८“पर यदि याजक आकर देखे कि जब से घर लेसा गया है तब से उसमें व्याधि नहीं फैली है, तो यह जानकर कि वह व्याधि दूर हो गई है, घर को शुद्ध ठहराए।
49 ওই বাড়ি পবিত্র করার জন্য যাজক দুটি পাখি, কিছু দেবদারু কাঠ, উজ্জ্বল লাল রংয়ের পাকানো সুতো ও এসোব নেবে।
४९और उस घर को पवित्र करने के लिये दो पक्षी, देवदार की लकड़ी, लाल रंग का कपड़ा और जूफा लाए,
50 মাটির পাত্রে টাটকা জলের ওপরে সে একটি পাখিকে বধ করবে।
५०और एक पक्षी बहते हुए जल के ऊपर मिट्टी के पात्र में बलिदान करे,
51 এবারে সে দেবদারু কাঠ, এসোব, উজ্জ্বল লাল রংয়ের পাকানো সুতো নিয়ে মৃত পাখির রক্তে ও টাটকা জলে ডোবাবে এবং সাতবার সেই বাড়িতে ছিটাবে।
५१तब वह देवदार की लकड़ी, लाल रंग के कपड़े और जूफा और जीवित पक्षी इन सभी को लेकर बलिदान किए हुए पक्षी के लहू में और बहते हुए जल में डुबा दे, और उस घर पर सात बार छिड़के।
52 পাখির রক্ত, টাটকা জল, জীবিত পাখি, দেবদারু কাঠ, এসোব ও উজ্জ্বল লাল রংয়ের পাকানো সুতো দিয়ে সে বাড়িটি শুদ্ধ করবে।
५२इस प्रकार वह पक्षी के लहू, और बहते हुए जल, और जीवित पक्षी, और देवदार की लकड़ी, और जूफा और लाल रंग के कपड़े के द्वारा घर को पवित्र करे;
53 পরে নগরের বাইরে খোলা মাঠে সে জীবিত পাখিকে ছেড়ে দেবে। এইভাবে বাড়িটির জন্য সে প্রায়শ্চিত্ত করবে ও সেই বাড়ি শুদ্ধ হবে।”
५३तब वह जीवित पक्षी को नगर से बाहर मैदान में छोड़ दे; इसी रीति से वह घर के लिये प्रायश्चित करे, तब वह शुद्ध ठहरेगा।”
54 এই নিয়মাবলি যে কোনো সংক্রামক চামড়ার রোগ, চুলকানি,
५४सब भाँति के कोढ़ की व्याधि, और सेंहुएँ,
55 কাপড়ে অথবা বাড়িতে ছাতারোগ,
५५और वस्त्र, और घर के कोढ़,
56 এবং কোনো আব, ফুসকুড়ি অথবা উজ্জ্বল দাগের জন্য,
५६और सूजन, और पपड़ी, और दाग के विषय में,
57 যেন কোনো কিছুর শুদ্ধতা বা অশুদ্ধতা নির্ণয় করা যায়। এসব নিয়মাবলি সংক্রামক চর্মরোগ ও ছাতারোগের জন্য।
५७शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की शिक्षा देने की व्यवस्था यही है। सब प्रकार के कोढ़ की व्यवस्था यही है।

< লেবীয় বই 14 >