< লেবীয় বই 13 >

1 সদাপ্রভু মোশি ও হারোণকে বললেন,
फिर यहोवा ने मूसा और हारून से कहा,
2 “যদি কারোর চামড়ায় ফোঁড়া অথবা ফুসকুড়ি কিংবা উজ্জ্বল দাগ দেখা যায়, তা সংক্রামক চর্মরোগ হতে পারে, তাহলে তাকে অবশ্যই যাজক হারোণের কাছে অথবা তার কোনো ছেলের সামনে আনতে হবে এবং সেই ছেলে যেন যাজক হয়।
“जब किसी मनुष्य के शरीर के चर्म में सूजन या पपड़ी या दाग हो, और इससे उसके चर्म में कोढ़ की व्याधि के समान कुछ दिखाई पड़े, तो उसे हारून याजक के पास या उसके पुत्र जो याजक हैं, उनमें से किसी के पास ले जाएँ।
3 যাজক ওই ব্যক্তির চামড়ায় ক্ষত পরীক্ষা করবে এবং যদি ক্ষতের লোম সাদা রংয়ের হয়ে থাকে ও ক্ষতটির আকার চামড়ার গভীরতার চেয়েও গভীর মনে হয়, তাহলে তা এক সংক্রামক চর্মরোগ। সেটি পরীক্ষা করে যাজক তাকে অশুচি বলবে।
जब याजक उसके चर्म की व्याधि को देखे, और यदि उस व्याधि के स्थान के रोएँ उजले हो गए हों और व्याधि चर्म से गहरी दिखाई पड़े, तो वह जान ले कि कोढ़ की व्याधि है; और याजक उस मनुष्य को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए।
4 যদি তার চামড়ার ক্ষতস্থান সাদা রংয়ের হয়, কিন্তু চামড়ার গভীরতার চেয়েও ক্ষতস্থান বেশি গভীর এবং ক্ষতস্থানের লোম সাদা রংয়ের হয়নি, তাহলে যাজক তাকে সাত দিন পৃথক জায়গায় রাখবে।
पर यदि वह दाग उसके चर्म में उजला तो हो, परन्तु चर्म से गहरा न देख पड़े, और न वहाँ के रोएँ उजले हो गए हों, तो याजक उसको सात दिन तक बन्द करके रखे;
5 সপ্তম দিনে যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি তার নজরে ক্ষত অপরিবর্তিত থাকে ও চামড়ায় তা প্রসারিত না হয়, তাহলে আরও সাত দিন যাজক তাকে পৃথক জায়গায় রাখবে।
और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि जैसी की तैसी बनी रहे और उसके चर्म में न फैली हो, तो याजक उसको और भी सात दिन तक बन्द करके रखे;
6 সপ্তম দিনে যাজক আবার তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি ক্ষত মুছে যায় ও চামড়ায় প্রসারিত না হয় তাহলে যাজক তাকে শুচি ঘোষণা করবে। মানুষটির শুধু ফুসকুড়ি হয়েছে। সে অবশ্যই তার পরিধান ধুয়ে নেবে ও শুচি হবে।
और सातवें दिन याजक उसको फिर देखे, और यदि देख पड़े कि व्याधि की चमक कम है और व्याधि चर्म पर फैली न हो, तो याजक उसको शुद्ध ठहराए; क्योंकि उसके तो चर्म में पपड़ी है; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाए।
7 নিজে শুচি ঘোষিত হওয়ার জন্য যাজকের কাছে নিজেকে দেখানোর পরে যদি সেই ফুসকুড়ি তার চামড়ায় প্রসারিত হয়, তাহলে সে আবার যাজকের সামনে উপস্থিত হবে।
पर यदि याजक की उस जाँच के पश्चात् जिसमें वह शुद्ध ठहराया गया था, वह पपड़ी उसके चर्म पर बहुत फैल जाए, तो वह फिर याजक को दिखाया जाए;
8 যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি তার চামড়ায় ফুসকুড়ি প্রসারিত হয়ে থাকে তাহলে যাজক তাকে অশুচি বলবে; এটি এক সংক্রামক রোগ।
और यदि याजक को देख पड़े कि पपड़ी चर्म में फैल गई है, तो वह उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ ही है।
9 “যখন কারোর সংক্রামক চর্মরোগ হয়, যাজকের কাছে তাকে আনতেই হবে।
“यदि कोढ़ की सी व्याधि किसी मनुष्य के हो, तो वह याजक के पास पहुँचाया जाए;
10 যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি চামড়ায় সাদা রংয়ের ফোঁড়া হয় ও লোম সাদা রং হয়ে যায় এবং ফোঁড়াতে কাঁচা মাংস থাকে,
१०और याजक उसको देखे, और यदि वह सूजन उसके चर्म में उजली हो, और उसके कारण रोएँ भी उजले हो गए हों, और उस सूजन में बिना चर्म का माँस हो,
11 তাহলে এটি এক দুরারোগ্য চর্মরোগ এবং যাজক তাকে অশুচি বলবে ও তাকে আলাদা জায়গায় রাখবে না, কারণ ইতিমধ্যে সে অশুচি হয়েছে।
११तो याजक जाने कि उसके चर्म में पुराना कोढ़ है, इसलिए वह उसको अशुद्ध ठहराए; और बन्द न रखे, क्योंकि वह तो अशुद्ध है।
12 “যদি তার সারা শরীরে রোগ প্রসারিত হয় এবং যাজকের নজরে পড়ে যে সংক্রমিত মানুষটি আপাদমস্তক রোগগ্রস্ত,
१२और यदि कोढ़ किसी के चर्म में फूटकर यहाँ तक फैल जाए, कि जहाँ कहीं याजक देखे रोगी के सिर से पैर के तलवे तक कोढ़ ने सारे चर्म को छा लिया हो,
13 তাহলে যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি তার সারা শরীর রোগে আচ্ছন্ন হয়ে থাকে, তাহলে যাজক তাকে শুচি বলবে। যেহেতু তার সারা শরীর সাদা হয়ে গিয়েছে, তাই সে শুচি।
१३तो याजक ध्यान से देखे, और यदि कोढ़ ने उसके सारे शरीर को छा लिया हो, तो वह उस व्यक्ति को शुद्ध ठहराए; और उसका शरीर जो बिलकुल उजला हो गया है वह शुद्ध ही ठहरे।
14 কিন্তু যখনই তার দেহে কাঁচা মাংস দেখা যায়, সে অশুচি হবে।
१४पर जब उसमें चर्महीन माँस देख पड़े, तब तो वह अशुद्ध ठहरे।
15 কাঁচা মাংস যাজকের নজরে পড়লে যাজক তাকে অশুচি বলবে। কাঁচা মাংস অশুচি; তার সংক্রমিত রোগ হয়েছে।
१५और याजक चर्महीन माँस को देखकर उसको अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वैसा चर्महीन माँस अशुद्ध ही होता है; वह कोढ़ है।
16 কাঁচা মাংস অপরিবর্তিত হয়ে যদি সাদা রং হয়ে যায়, তাহলে সে অবশ্যই যাজকের কাছে যাবে।
१६पर यदि वह चर्महीन माँस फिर उजला हो जाए, तो वह मनुष्य याजक के पास जाए,
17 যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি ক্ষতস্থানগুলি সাদা রং হয়, তাহলে সংক্রমিত মানুষটিকে যাজক শুচি বলবে; এইভাবে সে শুচি হবে।
१७और याजक उसको देखे, और यदि वह व्याधि फिर से उजली हो गई हो, तो याजक रोगी को शुद्ध जाने; वह शुद्ध है।
18 “যখন কারোর চামড়ায় একটি ফোঁড়া থাকে এবং তা সেরে যায়,
१८“फिर यदि किसी के चर्म में फोड़ा होकर चंगा हो गया हो,
19 আর ফোঁড়ার জায়গায় সাদা রংয়ের অথবা হালকা শ্বেতির ছোপ দেখা যায়, তাহলে তাকে অবশ্যই যাজকের কাছে আনতে হবে।
१९और फोड़े के स्थान में उजली सी सूजन या लाली लिये हुए उजला दाग हो, तो वह याजक को दिखाया जाए;
20 যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি চামড়ার গভীরতার চেয়েও তা বেশি গভীর দেখায় ও সংক্রমিত স্থানের লোম সাদা হয়ে যায়, তাহলে যাজক তাকে অশুচি বলবে। এটি এক সংক্রামক চর্মরোগ, যা ফোঁড়া রূপে উৎপাদিত হয়েছে।
२०और याजक उस सूजन को देखे, और यदि वह चर्म से गहरा दिखाई पड़े, और उसके रोएँ भी उजले हो गए हों, तो याजक यह जानकर उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है जो फोड़े में से फूटकर निकली है।
21 কিন্তু যাজকের পরীক্ষায় যদি দেখা যায়, তাতে সাদা রংয়ের লোম নেই এবং চামড়ার গভীরতার চেয়ে তা বেশি গভীর নয়, দাগ মুছে গিয়েছে, তাহলে যাজক সাত দিনের জন্য তাকে পৃথক রাখবে।
२१परन्तु यदि याजक देखे कि उसमें उजले रोएँ नहीं हैं, और वह चर्म से गहरी नहीं, और उसकी चमक कम हुई है, तो याजक उस मनुष्य को सात दिन तक बन्द करके रखे।
22 যদি চামড়ায় দাগ প্রসারিত হতে থাকে, তাহলে যাজক তাকে অশুচি বলবে; রোগটি সংক্রামক।
२२और यदि वह व्याधि उस समय तक चर्म में सचमुच फैल जाए, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह कोढ़ की व्याधि है।
23 কিন্তু যদি দাগ অপরিবর্তিত থাকে এবং না বাড়ে, এটি ফোঁড়ার ক্ষতচিহ্নমাত্র ও যাজক তাকে শুচি বলবে।
२३परन्तु यदि वह दाग न फैले और अपने स्थान ही पर बना रहे, तो वह फोड़े का दाग है; याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए।
24 “যখন কারো চামড়া পুড়ে যায় এবং পোড়া কাঁচা মাংসে হালকা রক্তিম সাদাটে অথবা সাদা দাগ দেখা যায়,
२४“फिर यदि किसी के चर्म में जलने का घाव हो, और उस जलने के घाव में चर्महीन दाग लाली लिये हुए उजला या उजला ही हो जाए,
25 তাহলে যাজক সেই দাগ পরীক্ষা করবে এবং যদি ওই স্থানের লোম সাদা রং হয়ে যায় ও চামড়া থেকে অংশটি নিম্ন মানের মনে হয়, তাহলে এটি এক সংক্রামক রোগ, যা আগুনে পুড়ে উৎপন্ন হয়েছে। যাজক তাকে অশুচি বলবে; এটি সংক্রামক এক চর্মরোগ।
२५तो याजक उसको देखे, और यदि उस दाग में के रोएँ उजले हो गए हों और वह चर्म से गहरा दिखाई पड़े, तो वह कोढ़ है; जो उस जलने के दाग में से फूट निकला है; याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसमें कोढ़ की व्याधि है।
26 কিন্তু যদি যাজক দ্বারা পরীক্ষা করার পর ক্ষতস্থানে সাদা রংয়ের লোম না দেখা যায় ও চামড়ার গভীরে না থাকে, দাগ মুছে যায়, তাহলে যাজক সাত দিনের জন্য তাকে পৃথক স্থানে রাখবে।
२६पर यदि याजक देखे, कि दाग में उजले रोएँ नहीं और न वह चर्म से कुछ गहरा है, और उसकी चमक कम हुई है, तो वह उसको सात दिन तक बन्द करके रखे,
27 সপ্তম দিনে যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি তার চর্মরোগ ছড়িয়ে যায়, তাহলে যাজক তাকে অশুচি বলবে; এটি সংক্রামক এক চর্মরোগ।
२७और सातवें दिन याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैल गई हो, तो वह उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; क्योंकि उसको कोढ़ की व्याधि है।
28 অন্যদিকে, যদি দাগ অপরিবর্তিত থাকে এবং চামড়ায় ছড়িয়ে না যায়, কিন্তু দাগ দেখা না যায়, তাহলে তা আগুনে পোড়া এক ফোলা অংশ এবং যাজক তাকে শুচি বলবে; এটি কেবল আগুনে পোড়া এক ক্ষতচিহ্ন।
२८परन्तु यदि वह दाग चर्म में नहीं फैला और अपने स्थान ही पर जहाँ का तहाँ बना हो, और उसकी चमक कम हुई हो, तो वह जल जाने के कारण सूजा हुआ है, याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; क्योंकि वह दाग जल जाने के कारण से है।
29 “যদি কোনো নর বা নারীর মাথায় কিংবা থুতনিতে ক্ষত থাকে,
२९“फिर यदि किसी पुरुष या स्त्री के सिर पर, या पुरुष की दाढ़ी में व्याधि हो,
30 তাহলে যাজক সেই ক্ষত পরীক্ষা করবে এবং যদি সেই ক্ষত চামড়ার চেয়েও গভীরে থাকে এবং ক্ষতস্থানের লোম হলুদ ও রুগ্ন হয়, তাহলে ওই মানুষকে যাজক অশুচি ঘোষণা করবে; এটি মস্তকের অথবা থুতনির এক সংক্রামক রোগ।
३०तो याजक व्याधि को देखे, और यदि वह चर्म से गहरी देख पड़े, और उसमें भूरे-भूरे पतले बाल हों, तो याजक उस मनुष्य को अशुद्ध ठहराए; वह व्याधि सेंहुआ, अर्थात् सिर या दाढ़ी का कोढ़ है।
31 কিন্তু যদি যাজক দ্বারা এই ধরনের ক্ষত পরীক্ষা করার পর তা চামড়ার চেয়েও গভীরে না থাকে এবং সেখানে কালো রংয়ের লোম দেখা না যায়, তাহলে রোগগ্রস্ত মানুষটিকে যাজক সাত দিনের জন্য পৃথক জায়গায় রাখবে।
३१और यदि याजक सेंहुएँ की व्याधि को देखे, कि वह चर्म से गहरी नहीं है और उसमें काले-काले बाल नहीं हैं, तो वह सेंहुएँ के रोगी को सात दिन तक बन्द करके रखे,
32 সপ্তম দিনে যাজক তার ক্ষতস্থান পরীক্ষা করবে এবং যদি সেটি প্রসারিত না হয় ও সেখানে হলুদ রংয়ের লোম না থাকে এবং চামড়ার চেয়েও গভীরে এর অবস্থান না থাকে,
३२और सातवें दिन याजक व्याधि को देखे, तब यदि वह सेंहुआ फैला न हो, और उसमें भूरे-भूरे बाल न हों, और सेंहुआ चर्म से गहरा न देख पड़े,
33 তাহলে রোগগ্রস্ত নর বা নারীর ক্ষতস্থান ছাড়া সর্বত্র লোম চেঁচে ফেলবে এবং যাজক সাত দিনের জন্য তাকে পৃথক জায়গায় রাখবে।
३३तो यह मनुष्य मुँड़ा जाए, परन्तु जहाँ सेंहुआ हो वहाँ न मुँड़ा जाए; और याजक उस सेंहुएँ वाले को और भी सात दिन तक बन्द करे;
34 সপ্তম দিনে যাজক তার ক্ষত পরীক্ষা করবে এবং যদি চামড়ায় ক্ষতের প্রসারণ না দেখা যায় ও চামড়ার চেয়েও গভীরে এর অবস্থান না হয়, তাহলে যাজক তাকে শুচি ঘোষণা করবে। সে তার পরিধান অবশ্যই ধুয়ে পরিষ্কার করবে ও নিজে শুদ্ধ হবে।
३४और सातवें दिन याजक सेंहुएँ को देखे, और यदि वह सेंहुआ चर्म में फैला न हो और चर्म से गहरा न देख पड़े, तो याजक उस मनुष्य को शुद्ध ठहराए; और वह अपने वस्त्र धोकर शुद्ध ठहरे।
35 কিন্তু যদি যাজক দ্বারা তাকে শুচি ঘোষণা করার পর তার চামড়ায় ক্ষত প্রসারিত হয়,
३५पर यदि उसके शुद्ध ठहरने के पश्चात् सेंहुआ चर्म में कुछ भी फैले,
36 তাহলে যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি চামড়ায় প্রসারিত ক্ষত দেখা যায়, তাহলে যাজকের হলুদ রংয়ের লোম দেখার প্রয়োজন নেই; মানুষটি অশুচি।
३६तो याजक उसको देखे, और यदि वह चर्म में फैला हो, तो याजक भूरे बाल न ढूँढ़े, क्योंकि वह मनुष्य अशुद्ध है।
37 অন্যদিকে, তার বিচারে যদি দাগ অপরিবর্তিত থাকে এবং সেখানে কালো রংয়ের লোম উৎপন্ন হয়, তাহলে ক্ষত নিরাময় হয়েছে। সে শুচিশুদ্ধ এবং যাজক তাকে শুদ্ধ ঘোষণা করবে।
३७परन्तु यदि उसकी दृष्टि में वह सेंहुआ जैसे का तैसा बना हो, और उसमें काले-काले बाल जमे हों, तो वह जाने की सेंहुआ चंगा हो गया है, और वह मनुष्य शुद्ध है; याजक उसको शुद्ध ही ठहराए।
38 “যখন কোনো নর বা নারীর চামড়ায় সাদা রং দাগ দেখা যায়,
३८“फिर यदि किसी पुरुष या स्त्री के चर्म में उजले दाग हों,
39 তাহলে যাজক সমস্ত দাগ পরীক্ষা করবে এবং যদি দাগগুলি হালকা সাদা রং থাকে, তাহলে তা ক্ষতিহীন ফুসকুড়ি, যা চামড়ায় ফুটে উঠেছে; সেই ব্যক্তি শুদ্ধ।
३९तो याजक देखे, और यदि उसके चर्म में वे दाग कम उजले हों, तो वह जाने कि उसको चर्म में निकली हुई दाद ही है; वह मनुष्य शुद्ध ठहरे।
40 “যদি কোনো মানুষের মাথায় চুল না থাকে ও তার টাক পড়ে, সে শুচি।
४०“फिर जिसके सिर के बाल झड़ गए हों, तो जानना कि वह चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।
41 যদি তার মাথার সামনের দিকে চুল না থাকে এবং টাকপড়া কপাল দেখা যায়, তাহলে সে শুচি।
४१और जिसके सिर के आगे के बाल झड़ गए हों, तो वह माथे का चन्दुला तो है परन्तु शुद्ध है।
42 কিন্তু যদি তার টাক মাথায় বা কপালে হালকা রক্তিম সাদাটে ক্ষত থাকে, তাহলে তা মাথায় বা কপালে অঙ্কুরিত এক সংক্রামক রোগ।
४२परन्तु यदि चन्दुले सिर पर या चन्दुले माथे पर लाली लिये हुए उजली व्याधि हो, तो जानना कि वह उसके चन्दुले सिर पर या चन्दुले माथे पर निकला हुआ कोढ़ है।
43 যাজক তাকে পরীক্ষা করবে এবং যদি তার মাথায় অথবা কপালে ফুলে ওঠা ক্ষত এবং সংক্রামক চামড়ার রোগের মতো হালকা রক্তিম সাদাটে হয়,
४३इसलिए याजक उसको देखे, और यदि व्याधि की सूजन उसके चन्दुले सिर या चन्दुले माथे पर ऐसी लाली लिये हुए उजली हो जैसा चर्म के कोढ़ में होता है,
44 তাহলে মানুষটি রোগগ্রস্ত ও অশুচি। তার মাথায় ক্ষতের কারণে যাজক তাকে অশুচি ঘোষণা করবে।
४४तो वह मनुष्य कोढ़ी है और अशुद्ध है; और याजक उसको अवश्य अशुद्ध ठहराए; क्योंकि वह व्याधि उसके सिर पर है।
45 “এমন এক সংক্রামক রোগগ্রস্ত মানুষ অবশ্যই ছেঁড়া কাপড় পরবে, তার চুল এলোমেলো থাকুক; সে তার মুখমণ্ডলের নিচের দিকটি ভাগ ঢেকে রাখবে ও তারস্বরে বলবে ‘অশুচি! অশুচি!’
४५“जिसमें वह व्याधि हो उस कोढ़ी के वस्त्र फटे और सिर के बाल बिखरे रहें, और वह अपने ऊपरवाले होंठ को ढाँपे हुए अशुद्ध, अशुद्ध पुकारा करे।
46 যতদিন তার ক্ষত থাকবে, তাকে অশুচি বলা হবে। সে অবশ্যই একলা থাকবে; সে অবশ্যই শিবিরের বাইরে দিন কাটাবে।
४६जितने दिन तक वह व्याधि उसमें रहे उतने दिन तक वह तो अशुद्ध रहेगा; और वह अशुद्ध ठहरा रहे; इसलिए वह अकेला रहा करे, उसका निवास-स्थान छावनी के बाहर हो।
47 “ছাতারোগ দ্বারা যদি কোনো কাপড় কলঙ্কিত হয়, হতে পারে তা পশমি বা মসিনা কাপড়,
४७“फिर जिस वस्त्र में कोढ़ की व्याधि हो, चाहे वह वस्त्र ऊन का हो चाहे सनी का,
48 তাঁতের কাপড়, অথবা মসিনা কিংবা পশমে বোনা, যে কোনো চামড়ার উপাদান অথবা চামড়ার জিনিস,
४८वह व्याधि चाहे उस सनी या ऊन के वस्त्र के ताने में हो चाहे बाने में, या वह व्याधि चमड़े में या चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में हो,
49 যদি কাপড়ে অথবা চামড়ায়, কিংবা তাঁত কাপড়ে বা বোনা উপাদানে অথবা চামড়ার জিনিসে কলঙ্ক থাকে, সবুজ অথবা হালকা রক্তিম রং পাওয়া যায়, তাহলে প্রসারিত ছাতারোগ এবং অবশ্যই তা যাজককে দেখাতে হবে।
४९यदि वह व्याधि किसी वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, या चमड़े में या चमड़े की किसी वस्तु में हरी हो या लाल सी हो, तो जानना कि वह कोढ़ की व्याधि है और वह याजक को दिखाई जाए।
50 যাজক ওই ছাতারোগ পরীক্ষা করবে ও সাত দিনের জন্য রোগগ্রস্ত উপাদান বিচ্ছিন্ন রাখবে।
५०और याजक व्याधि को देखे, और व्याधिवाली वस्तु को सात दिन के लिये बन्द करे;
51 সপ্তম দিনে সে সেটি পরীক্ষা করবে এবং যদি ছাতারোগ কাপড়ে, অথবা কোনো বোনায়, কিংবা বোনা পরিধানে, অথবা চামড়ায়, কিংবা ব্যবহার করা যে কোনো জিনিসে প্রসারিত হয়ে থাকে, তাহলে তা এক মারাত্মক ছাতারোগ, অশুচি জিনিস।
५१और सातवें दिन वह उस व्याधि को देखे, और यदि वह वस्त्र के चाहे ताने में चाहे बाने में, या चमड़े में या चमड़े की बनी हुई किसी वस्तु में फैल गई हो, तो जानना कि व्याधि गलित कोढ़ है, इसलिए वह वस्तु, चाहे कैसे ही काम में क्यों न आती हो, तो भी अशुद्ध ठहरेगी।
52 সে ওই কাপড়, অথবা তাঁতের কাপড়, কিংবা পশম বা মসিনার কাপড় অথবা কলঙ্কিত যে কোনো চর্মজাত জিনিস পোড়াবে, কেননা ছাতারোগ ধ্বংসাত্মক। ওই জিনিস অবশ্যই পুড়িয়ে দিতে হবে।
५२वह उस वस्त्र को जिसके ताने या बाने में वह व्याधि हो, चाहे वह ऊन का हो चाहे सनी का, या चमड़े की वस्तु हो, उसको जला दे, वह व्याधि गलित कोढ़ की है; वह वस्तु आग में जलाई जाए।
53 “কিন্তু যাজক দ্বারা পরীক্ষার পর যদি দেখা যায় ছাতারোগ কাপড়ে কিংবা কোনো বয়ন শিল্পে বা বোনা উপাদানে অথবা চর্মজাত দ্রব্যে প্রসারিত না হয়,
५३“यदि याजक देखे कि वह व्याधि उस वस्त्र के ताने या बाने में, या चमड़े की उस वस्तु में नहीं फैली,
54 তাহলে সেই কলঙ্কিত জিনিস ধুয়ে নিতে তাকে আদেশ দেওয়া হবে। পরে আরও সাত দিনের জন্য সে ওই জিনিস দূরে রাখবে।
५४तो जिस वस्तु में व्याधि हो उसके धोने की आज्ञा दे, तब उसे और भी सात दिन तक बन्द करके रखे;
55 প্রভাবিত জিনিস ধোয়ার পরে যাজক সেটি পরীক্ষা করবে এবং যদি ছাতারোগের ছোপ পরিবর্তিত না হয় ও তার প্রসারণ নজরে না পড়ে, তবুও এটি অশুদ্ধ। একদিকে বা অন্যদিকে প্রভাবিত ছাতা আগুনে পোড়াতে হবে।
५५और उसके धोने के बाद याजक उसको देखे, और यदि व्याधि का न तो रंग बदला हो, और न व्याधि फैली हो, तो जानना कि वह अशुद्ध है; उसे आग में जलाना, क्योंकि चाहे वह व्याधि भीतर चाहे ऊपरी हो तो भी वह खा जानेवाली व्याधि है।
56 যদি যাজক দ্বারা পরীক্ষিত হয়ে জিনিসটি ধোয়ার পরে ছাতারোগ না দেখা যায়, তাহলে কলঙ্কিত কাপড়ের টুকরো অথবা চামড়া কিংবা বয়ন শিল্প বা বোনা উপাদান সে ছিঁড়ে ফেলবে।
५६पर यदि याजक देखे, कि उसके धोने के पश्चात् व्याधि की चमक कम हो गई, तो वह उसको वस्त्र के चाहे ताने चाहे बाने में से, या चमड़े में से फाड़कर निकाले;
57 কিন্তু যদি তা কাপড়ে অথবা বয়ন শিল্পে কিংবা বোনা উপাদানে বা চামড়ার জিনিসে আবার দেখা যায়, তাহলে তা ছড়িয়ে যাচ্ছে এবং অল্পবিস্তর ছাতারোগ অবশ্যই আগুনে পোড়াতে হবে।
५७और यदि वह व्याधि तब भी उस वस्त्र के ताने या बाने में, या चमड़े की उस वस्तु में दिखाई पड़े, तो जानना कि वह फूटकर निकली हुई व्याधि है; और जिसमें वह व्याधि हो उसे आग में जलाना।
58 কাপড় অথবা বয়ন শিল্প কিংবা বোনা উপাদান অথবা চামড়ার জিনিস যা ধোয়া হয়েছে ও সেটি ছাতারোগ মুক্ত দেখা যায়, তাহলে ওই জিনিস অবশ্যই পুনরায় ধুয়ে নিতে হবে, তাহলে সেটি শুদ্ধ হবে।”
५८यदि उस वस्त्र से जिसके ताने या बाने में व्याधि हो, या चमड़े की जो वस्तु हो उससे जब धोई जाए और व्याधि जाती रही, तो वह दूसरी बार धुलकर शुद्ध ठहरे।”
59 পশমি বা মসিনার কাপড়, বয়ন শিল্প কিংবা বোনা উপাদান অথবা চর্মজাত যে কোনো জিনিসের মলিনতা সম্বন্ধে নিয়মাবলি রয়েছে যেগুলি শুদ্ধ অথবা অশুদ্ধ বলা যেতে পারে।
५९ऊन या सनी के वस्त्र में के ताने या बाने में, या चमड़े की किसी वस्तु में जो कोढ़ की व्याधि हो उसके शुद्ध और अशुद्ध ठहराने की यही व्यवस्था है।

< লেবীয় বই 13 >