< عَدَد 6 >

وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ١ 1
फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि;
«أَوْصِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: أَيُّ رَجُلٍ أَوِ امْرَأَةٍ تَعَهَّدَ بِنَذْرٍ خَاصٍّ يَتَنَسَّكُ فِيهِ لِلرَّبِّ، ٢ 2
'बनी — इस्राईल से कह कि जब कोई मर्द या 'औरत नज़ीर की मिन्नत, या'नी अपने आप को ख़ुदावन्द के लिए अलग रखने की ख़ास मिन्नत माने,
فَلْيَمْتَنِعْ عَنِ الْخَمْرِ وَالْمُسْكِرِ، وَلاَ يَشْرَبْ خَلَّ الْخَمْرِ وَلاَ خَلَّ الْمُسْكِرِ أَوْ نَقِيعَ الْعِنَبِ، وَلاَ يَأْكُلْ عِنَباً رَطْباً وَلاَ يَابِساً. ٣ 3
तो वह मय और शराब से परहेज़ करे, और मय का या शराब का सिरका न पिए और न अंगूर का रस पिए और न ताज़ा या ख़ुश्क अंगूर खाए।
لاَ يَذُقْ كُلَّ أَيَّامِ نَذْرِهِ شَيْئاً مِنْ نِتَاجِ الْكَرْمَةِ حَتَّى بُذُورِ الْعِنَبِ وَقِشْرِهِ. ٤ 4
और अपनी नज़ारत के तमाम दिनों में बीज से लेकर छिल्के तक जो कुछ अंगूर के दरख़्त में पैदा हो उसे न खाए।
وَلاَ يَحْلِقْ رَأْسَهُ طَوَالَ مُدَّةِ نَذْرِهِ إِلَى أَنْ تَتِمَّ الأَيَّامُ الَّتِي نَذَرَ فِيهَا نَفْسَهُ لِلرَّبِّ، لأَنَّهُ مُقَدَّسٌ، فَعَلَيْهِ أَنْ يُرْخِيَ خُصَلَ شَعْرِ رَأْسِهِ. ٥ 5
'और उसकी नज़ारत की मिन्नत के दिनों में उसके सिर पर उस्तरा न फेरा जाए; जब तक वह मुद्दत जिसके लिए वह ख़ुदावन्द का नज़ीर बना है पूरी न हो, तब तक वह पाक रहे और अपने सिर के बालों की लटों को बढ़ने दे।
لاَ يَقْرُبْ جَسَدَ مَيْتٍ كُلَّ أَيَّامِ نَذْرِهِ لِلرَّبِّ. ٦ 6
उन तमाम दिनों में जब वह ख़ुदावन्द का नज़ीर हो वह किसी लाश के नज़दीक न जाए।
سَوَاءٌ كَانَ الْمَيْتُ أَبَاهُ أَمْ أُمَّهُ أَمْ أَخَاهُ أَمْ أُخْتَهُ فَلاَ يَتَنَجَّسْ مِنْ أَجْلِهِمْ عِنْدَ مَوْتِهِمْ، لأَنَّ رَمْزَ نُسْكِ إِلَهِهِ عَلَى رَأْسِهِ. ٧ 7
वह अपने बाप या माँ या भाई या बहन की ख़ातिर भी जब वह मरें, अपने आप को नजिस न करे। क्यूँकि उसकी नज़ारत जो ख़ुदा के लिए है, उसके सिर पर है।
وَيَكُونُ كُلَّ أَيَّامِ نَذْرِهِ مُقَدَّساً لِلرَّبِّ. ٨ 8
वह अपनी नज़ारत की पूरी मुद्दत तक ख़ुदावन्द के लिए पाक है।
وَإِذَا تَنَجَّسَ شَعْرُ انْتِذَارِهِ عَلَى أَثَرِ مَوْتِ أَحَدٍ عِنْدَهُ بَغْتَةً، يَحْلِقُ شَعْرَهُ بَعْدَ ذَلِكَ بِسَبْعَةِ أَيَّامٍ فَيَطْهُرُ. ٩ 9
“और अगर कोई आदमी नागहान उसके पास ही मर जाए और उसकी नज़ारत के सिर को नापाक कर दे, तो वह अपने पाक होने के दिन अपना सिर मुण्डवाए, या'नी सातवें दिन सिर मुण्डवाए।
ثُمَّ فِي الْيَوْمِ الثَّامِنِ يَأْتِي بِيَمَامَتَيْنِ أَوْ فَرْخَيْ حَمَامٍ إِلَى الْكَاهِنِ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ. ١٠ 10
और आठवें दिन दो कुमरियाँ या कबूतर के दो बच्चे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर काहिन के पास लाए।
فَيُقَدِّمُ الْكَاهِنُ أَحَدَهُمَا ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ وَالآخَرَ مُحْرَقَةً، وَيُكَفِّرُ عَنْهُ خَطِيئَتَهُ لِوُجُودِهِ أَمَامَ جُثَّةِ مَيْتٍ، وَيُقَدِّسُ رَأْسَهُ فِي ذَلِكَ الْيَوْمِ بِعَيْنِهِ. ١١ 11
और काहिन एक को ख़ता की क़ुर्बानी के लिए और दूसरे को सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए पेश करे और उसके लिए कफ़्फ़ारा दे, क्यूँकि वह मुर्दे की वजह से गुनहगार ठहरा है; और उसके सिर को उसी दिन पाक करे।
وَلاَ تُحْسَبُ لَهُ أَيَّامُ نَذْرِهِ الَّتِي سَبَقَتْ تَنْجِيسَهُ بِسَبَبِ الْمَيْتِ، وَعَلَيْهِ أَنْ يَبْدَأَ عَدَّ أَيَّامِ فَتْرَةِ نَذْرِهِ مِنْ جَدِيدٍ، وَيَأْتِيَ بِحَمَلٍ حَوْلِيٍّ وَيُقَدِّمَهُ ذَبِيحَةَ إِثْمٍ. ١٢ 12
फिर वह अपनी नज़ारत की मुद्दत को ख़ुदावन्द के लिए पाक करे, और एक यकसाला नर बर्रा जुर्म की क़ुर्बानी के लिए लाए; लेकिन जो दिन गुज़र गए हैं वह गिने नहीं जाएँगे क्यूँकि उसकी नज़ारत नापाक हो गई थी।
وَهَذِهِ هِيَ شَرِيعَةُ النَّذِيرِ عِنْدَمَا يَسْتَوْفِي أَيَّامَ نَذْرِهِ: يَأْتِي إِلَى مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، ١٣ 13
'और नज़ीर के लिए शरा' यह है, कि जब उसकी नज़ारत के दिन पूरे हो जाएँ तो वह ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर हाज़िर किया जाए।
فَيُقَدِّمُ قُرْبَانَهُ لِلرَّبِّ حَمَلاً حَوْلِيّاً، بِلاَ عَيْبٍ، لِيَكُونَ مُحْرَقَةً، وَنَعْجَةً حَوْلِيَّةً، صَحِيحَةً، لِتَكُونَ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ، وَكَبْشاً سَلِيماً لِيَكُونَ ذَبِيحَةَ سَلاَمَةٍ. ١٤ 14
और वह ख़ुदावन्द के सामने अपना चढ़ावा चढ़ाए, या'नी सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए एक बे — 'ऐब यक — साला नर बर्रा, और ख़ता की क़ुर्बानी के लिए एक बे — 'ऐब यक — साला मादा बर्रा, और सलामती की क़ुर्बानी के लिए एक बे — 'ऐब मेंढा,
فَضْلاً عَنْ سَلٍّ مِنْ كَعْكِ فَطِيرٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ، وَرِقَاقٍ غَيْرِ مُخْتَمِرَةٍ مَدْهُونَةٍ بِالزَّيْتِ مَعَ تَقْدِمَةِ دَقِيقٍ وَخَمْرٍ. ١٥ 15
और बेख़मीरी रोटियों की एक टोकरी, और तेल मिले हुए मैदे के कुल्चे, और तेल चुपड़ी हुई बे — ख़मीरी रोटियाँ, और उनकी नज़्र की कुर्बानी, और उनके तपावन लाए।
فَيُقَدِّمُهَا الْكَاهِنُ أَمَامَ الرَّبِّ ذَبِيحَةَ خَطِيئَتِهِ وَمُحْرَقَتَهُ. ١٦ 16
और काहिन उनको ख़ुदावन्द के सामने ला कर उसकी तरफ़ से ख़ता की क़ुर्बानी और सोख़्तनी क़ुर्बानी पेश करे।
ثُمَّ يُقَرِّبُ كَبْشَ ذَبِيحَةِ السَّلاَمَةِ مَعَ سَلِّ كَعْكِ الْفَطِيرِ. وَأَخِيراً يَرْفَعُ الْكَاهِنُ تَقْدِمَةَ الدَّقِيقِ وَالْخَمْرَ. ١٧ 17
और उस मेंढे को बेख़मीरी रोटियों की टोकरी के साथ ख़ुदावन्द के सामने सलामती की क़ुर्बानी के तौर पर पेश करे, और काहिन उसकी नज़्र की क़ुर्बानी और उसका तपावन भी अदा करे।
ثُمَّ يَحْلِقُ النَّذِيرُ شَعْرَ انْتِذَارِهِ عِنْدَ مَدْخَلِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ، وَيُحْرِقُهُ عَلَى نَارِ ذَبِيحَةِ السَّلاَمَةِ. ١٨ 18
फिर वह नज़ीर ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के दरवाज़े पर अपनी नज़ारत के बाल मुण्डवाए, और नज़ारत के बालों को उस आग में डाल दे जो सलामती की क़ुर्बानी के नीचे होगी।
ثُمَّ يَأْخُذُ الْكَاهِنُ كَتِفَ الْكَبْشِ بَعْدَ سَلْقِهِ، وَكَعْكَةَ فَطِيرٍ وَاحِدَةً وَرِقَاقَةً وَاحِدَةً. وَيَضَعُهَا بَيْنَ يَدَيِ النَّذِيرِ بَعْدَ حَلْقِهِ شَعْرَ انْتِذَارِهِ. ١٩ 19
और जब नज़ीर अपनी नज़ारत के बाल मुण्डवा चुके, तो काहिन उस मेंढे का उबाला हुआ शाना और एक बे — ख़मीरी रोटी टोकरी में से और एक बे — ख़मीरी कुल्चा लेकर उस नज़ीर के हाथों पर उनको धरे।
وَيُرَجِّحُهَا الْكَاهِنُ أَمَامَ الرَّبِّ، فَتَكُونُ نَصِيباً مُقَدَّساً لِلْكَاهِنِ مَعَ صَدْرِ التَّرْجِيحِ وَسَاقِ الذَّبِيحَةِ. وَبَعْدَ ذَلِكَ يَشْرَبُ النَّذِيرُ خَمْراً. ٢٠ 20
फिर काहिन उनको हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने हिलाए। हिलाने की क़ुर्बानी के सीने और उठाने की क़ुर्बानी के शाने के साथ यह भी काहिन के लिए पाक हैं। इसके बाद नज़ीर मय पी सकेगा।
هَذِهِ هِيَ شَرِيعَةُ النَّذِيرِ الَّذِي يَنْذُرُ تَقْدِمَةً لِلرَّبِّ وَقْتَ نُسْكِهِ، فَضْلاً عَنْ تَقْدِمَاتِهِ الطَّوْعِيَّةِ الَّتِي يَبْذُلُهَا. وَعَلَيْهِ أَنْ يَفِيَ بِمَا نَذَرَ حَسَبَ شَرِيعَةِ انْتِذَارِهِ». ٢١ 21
“नज़ीर जो मिन्नत माने और जो चढ़ावा अपनी नज़ारत के लिए ख़ुदावन्द के सामने लाये 'अलावा उसके जिसका उसे मक़दूर हो उन सभों के बारे में शरा' यह है। जैसी मिन्नत उसने मानी हो वैसा ही उसको नज़ारत की शरा' के मुताबिक़ 'अमल करना पड़ेगा।”
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى: ٢٢ 22
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि;
«أَوْصِ هَرُونَ وَأَبْنَاءَهُ قَائِلاً: هَذَا مَا يُبَارِكُونَ بِهِ بَنِي إِسْرَائِيلَ قَائِلِينَ لَهُمْ: ٢٣ 23
“हारून और उसके बेटों से कह कि तुम बनी — इस्राईल को इस तरह दुआ दिया करना। तुम उनसे कहना:
يُبَارِكُكَ الرَّبُّ وَيَحْرُسُكَ. ٢٤ 24
'ख़ुदावन्द तुझे बरकत दे और तुझे महफ़ूज़ रख्खें।
يُضِيءُ الرَّبُّ بِوَجْهِهِ عَلَيْكَ وَيَرْحَمُكَ. ٢٥ 25
“ख़ुदावन्द अपना चेहरा तुझ पर जलवागर फ़रमाए, और तुझ पर मेहरबान रहे।
يَلْتَفِتُ الرَّبُّ بِوَجْهِهِ إِلَيْكَ وَيَمْنَحُكَ سَلاَماً. ٢٦ 26
“ख़ुदावन्द अपना चेहरा तेरी तरफ़ मुतवज्जिह करे, और तुझे सलामती बख़्शे।
وَهَكَذَا يَجْعَلُونَ اسْمِي عَلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ وَأَنَا أُبَارِكُهُمْ». ٢٧ 27
“इस तरह वह मेरे नाम को बनी — इस्राईल पर रख्खें और मैं उनको बरकत बख़्शूँगा।”

< عَدَد 6 >