< عِبرانِيّين 11 >

وَأَمَّا ٱلْإِيمَانُ فَهُوَ ٱلثِّقَةُ بِمَا يُرْجَى وَٱلْإِيقَانُ بِأُمُورٍ لَا تُرَى. ١ 1
और विश्वास उन तत्वों का निश्चय है, हमने जिनकी आशा की है, तथा उन तत्वों का प्रमाण है, जिन्हें हमने देखा नहीं है.
فَإِنَّهُ فِي هَذَا شُهِدَ لِلْقُدَمَاءِ. ٢ 2
इसी के द्वारा प्राचीनों ने परमेश्वर की प्रशंसा प्राप्‍त की.
بِٱلْإِيمَانِ نَفْهَمُ أَنَّ ٱلْعَالَمِينَ أُتْقِنَتْ بِكَلِمَةِ ٱللهِ، حَتَّى لَمْ يَتَكَوَّنْ مَا يُرَى مِمَّا هُوَ ظَاهِرٌ. (aiōn g165) ٣ 3
यह विश्वास ही है, जिसके द्वारा हमने यह जाना है कि परमेश्वर की आज्ञा मात्र से सारी सृष्टि अस्तित्व में आ गई. वह सब, जो दिखता है उसकी उत्पत्ति देखी हुई वस्तुओं से नहीं हुई. (aiōn g165)
بِٱلْإِيمَانِ قَدَّمَ هَابِيلُ لِلهِ ذَبِيحَةً أَفْضَلَ مِنْ قَايِينَ. فَبِهِ شُهِدَ لَهُ أَنَّهُ بَارٌّ، إِذْ شَهِدَ ٱللهُ لِقَرَابِينِهِ. وَبِهِ، وَإِنْ مَاتَ، يَتَكَلَّمْ بَعْدُ! ٤ 4
यह विश्वास ही था, जिसके द्वारा हाबिल ने परमेश्वर को काइन की तुलना में बेहतर बलि भेंट की, जिसके कारण स्वयं परमेश्वर ने प्रशंसा के साथ हाबिल को धर्मी घोषित किया. परमेश्वर ने हाबिल की भेंट की प्रशंसा की. यद्यपि उनकी मृत्यु हो चुकी है, उनका यही विश्वास आज भी हमारे लिए गवाही है.
بِٱلْإِيمَانِ نُقِلَ أَخْنُوخُ لِكَيْ لَا يَرَى ٱلْمَوْتَ، وَلَمْ يُوجَدْ لِأَنَّ ٱللهَ نَقَلَهُ. إِذْ قَبْلَ نَقْلِهِ شُهِدَ لَهُ بِأَنَّهُ قَدْ أَرْضَى ٱللهَ. ٥ 5
यह विश्वास ही था कि हनोख उठा लिए गए कि वह मृत्यु का अनुभव न करें: “उन्हें फिर देखा न गया, स्वयं परमेश्वर ने ही उन्हें अपने साथ ले लिया था.” उन्हें उठाए जाने के पहले उनकी प्रशंसा की गई थी कि उन्होंने परमेश्वर को प्रसन्‍न किया था.
وَلَكِنْ بِدُونِ إِيمَانٍ لَا يُمْكِنُ إِرْضَاؤُهُ، لِأَنَّهُ يَجِبُ أَنَّ ٱلَّذِي يَأْتِي إِلَى ٱللهِ يُؤْمِنُ بِأَنَّهُ مَوْجُودٌ، وَأَنَّهُ يُجَازِي ٱلَّذِينَ يَطْلُبُونَهُ. ٦ 6
विश्वास की कमी में परमेश्वर को प्रसन्‍न करना असंभव है क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले व्यक्ति के लिए यह ज़रूरी है कि वह यह विश्वास करे कि परमेश्वर हैं और यह भी कि वह उन्हें प्रतिफल देते हैं, जो उनकी खोज करते हैं.
بِٱلْإِيمَانِ نُوحٌ لَمَّا أُوحِيَ إِلَيْهِ عَنْ أُمُورٍ لَمْ تُرَ بَعْدُ خَافَ، فَبَنَى فُلْكًا لِخَلَاصِ بَيْتِهِ، فَبِهِ دَانَ ٱلْعَالَمَ، وَصَارَ وَارِثًا لِلْبِرِّ ٱلَّذِي حَسَبَ ٱلْإِيمَانِ. ٧ 7
यह विश्वास ही था कि अब तक अनदेखी वस्तुओं के विषय में नोहा को परमेश्वर से चेतावनी प्राप्‍त हुई और नोहा ने अत्यंत भक्ति में अपने परिवार की सुरक्षा के लिए एक विशाल जलयान का निर्माण किया तथा विश्वास के द्वारा संसार को धिक्कारा और मीरास में उस धार्मिकता को प्राप्‍त किया, जो विश्वास से प्राप्‍त होती है.
بِٱلْإِيمَانِ إِبْرَاهِيمُ لَمَّا دُعِيَ أَطَاعَ أَنْ يَخْرُجَ إِلَى ٱلْمَكَانِ ٱلَّذِي كَانَ عَتِيدًا أَنْ يَأْخُذَهُ مِيرَاثًا، فَخَرَجَ وَهُوَ لَا يَعْلَمُ إِلَى أَيْنَ يَأْتِي. ٨ 8
यह विश्वास ही था, जिसके द्वारा अब्राहाम ने परमेश्वर के बुलाने पर घर-परिवार का त्याग कर एक अन्य देश को चले जाने के लिए उनकी आज्ञा का पालन किया—वह देश, जो परमेश्वर उन्हें मीरास में देने पर थे. वह यह जाने बिना ही चल पड़े कि वह कहां जा रहे थे.
بِٱلْإِيمَانِ تَغَرَّبَ فِي أَرْضِ ٱلْمَوْعِدِ كَأَنَّهَا غَرِيبَةٌ، سَاكِنًا فِي خِيَامٍ مَعَ إِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ ٱلْوَارِثَيْنِ مَعَهُ لِهَذَا ٱلْمَوْعِدِ عَيْنِهِ. ٩ 9
वह विश्वास के द्वारा ही उस प्रतिज्ञा किए हुए देश में वैसे रहे, जैसे विदेश में एक अजनबी रहता है. विदेश में एक अजनबी की तरह उन्होंने यित्सहाक और याकोब के साथ तंबुओं में निवास किया, जो उसी प्रतिज्ञा के साथ वारिस थे.
لِأَنَّهُ كَانَ يَنْتَظِرُ ٱلْمَدِينَةَ ٱلَّتِي لَهَا ٱلْأَسَاسَاتُ، ٱلَّتِي صَانِعُهَا وَبَارِئُهَا ٱللهُ. ١٠ 10
उनकी दृष्टि उस स्थायी नगर की ओर थी, जिसके रचनेवाले और बनानेवाले परमेश्वर हैं.
بِٱلْإِيمَانِ سَارَةُ نَفْسُهَا أَيْضًا أَخَذَتْ قُدْرَةً عَلَى إِنْشَاءِ نَسْلٍ، وَبَعْدَ وَقْتِ ٱلسِّنِّ وَلَدَتْ، إِذْ حَسِبَتِ ٱلَّذِي وَعَدَ صَادِقًا. ١١ 11
यह विश्वास ही था कि साराह ने भी गर्भधारण की क्षमता प्राप्‍त की हालांकि उनकी अवस्था इस योग्य नहीं रह गई थी. उन्होंने विश्वास किया कि परमेश्वर, जिन्होंने इसकी प्रतिज्ञा की थी, विश्वासयोग्य हैं.
لِذَلِكَ وُلِدَ أَيْضًا مِنْ وَاحِدٍ، وَذَلِكَ مِنْ مُمَاتٍ، مِثْلُ نُجُومِ ٱلسَّمَاءِ فِي ٱلْكَثْرَةِ، وَكَالرَّمْلِ ٱلَّذِي عَلَى شَاطِىءِ ٱلْبَحْرِ ٱلَّذِي لَا يُعَدُّ. ١٢ 12
इस कारण उस व्यक्ति के द्वारा, जो मरे हुए से थे, इतने वंशज पैदा हुए, जितने आकाश में तारे तथा समुद्र के किनारे पर रेत के कण हैं.
فِي ٱلْإِيمَانِ مَاتَ هَؤُلَاءِ أَجْمَعُونَ، وَهُمْ لَمْ يَنَالُوا ٱلْمَوَاعِيدَ، بَلْ مِنْ بَعِيدٍ نَظَرُوهَا وَصَدَّقُوهَا وَحَيَّوْهَا، وَأَقَرُّوا بِأَنَّهُمْ غُرَبَاءُ وَنُزَلَاءُ عَلَى ٱلْأَرْضِ. ١٣ 13
विश्वास की स्थिति में ही इन सब की मृत्यु हुई, यद्यपि उन्हें प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं प्राप्‍त नहीं हुई थी, परंतु उन्होंने उन तत्वों को दूर से पहचानकर इस अहसास के साथ उनका स्वागत किया कि वे स्वयं पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं.
فَإِنَّ ٱلَّذِينَ يَقُولُونَ مِثْلَ هَذَا يُظْهِرُونَ أَنَّهُمْ يَطْلُبُونَ وَطَنًا. ١٤ 14
इस प्रकार के भावों को प्रकट करने के द्वारा वे यह साफ़ कर देते हैं कि वे अपने ही देश की खोज में हैं.
فَلَوْ ذَكَرُوا ذَلِكَ ٱلَّذِي خَرَجُوا مِنْهُ، لَكَانَ لَهُمْ فُرْصَةٌ لِلرُّجُوعِ. ١٥ 15
वस्तुतः यदि वे उस देश को याद कर रहे थे, जिससे वे निकल आए थे, तब उनके सामने वहां लौट जाने का सुअवसर भी होता
وَلَكِنِ ٱلْآنَ يَبْتَغُونَ وَطَنًا أَفْضَلَ، أَيْ سَمَاوِيًّا. لِذَلِكَ لَا يَسْتَحِي بِهِمِ ٱللهُ أَنْ يُدْعَى إِلَهَهُمْ، لِأَنَّهُ أَعَدَّ لَهُمْ مَدِينَةً. ١٦ 16
किंतु सच्चाई यह है कि उन्हें एक बेहतर देश की इच्छा थी, जो स्वर्गीय है. इसलिये उन लोगों द्वारा परमेश्वर कहलाए जाने में परमेश्वर को किसी प्रकार की लज्जा नहीं है क्योंकि परमेश्वर ही ने उनके लिए एक नगर का निर्माण किया है.
بِٱلْإِيمَانِ قَدَّمَ إِبْرَاهِيمُ إِسْحَاقَ وَهُوَ مُجَرَّبٌ. قَدَّمَ ٱلَّذِي قَبِلَ ٱلْمَوَاعِيدَ، وَحِيدَهُ ١٧ 17
यह विश्वास ही था कि अब्राहाम ने, जब उन्हें परखा गया, यित्सहाक को बलि के लिए भेंट कर दिया. जिन्होंने प्रतिज्ञाओं को प्राप्‍त किया था, वह अपने एकलौते पुत्र को भेंट कर रहे थे,
ٱلَّذِي قِيلَ لَهُ: «إِنَّهُ بِإِسْحَاقَ يُدْعَى لَكَ نَسْلٌ». ١٨ 18
यह वही थे, जिनसे कहा गया था, “तुम्हारे वंशज यित्सहाक के माध्यम से नामित होंगे.”
إِذْ حَسِبَ أَنَّ ٱللهَ قَادِرٌ عَلَى ٱلْإِقَامَةِ مِنَ ٱلْأَمْوَاتِ أَيْضًا، ٱلَّذِينَ مِنْهُمْ أَخَذَهُ أَيْضًا فِي مِثَالٍ. ١٩ 19
अब्राहाम यह समझ चुके थे कि परमेश्वर में मरे हुओं को जीवित करने का सामर्थ्य है. एक प्रकार से उन्होंने भी यित्सहाक को मरे हुओं में से जीवित प्राप्‍त किया.
بِٱلْإِيمَانِ إِسْحَاقُ بَارَكَ يَعْقُوبَ وَعِيسُو مِنْ جِهَةِ أُمُورٍ عَتِيدَةٍ. ٢٠ 20
यह विश्वास ही था कि यित्सहाक ने याकोब तथा एसाव को उनके आनेवाले जीवन के लिए आशीर्वाद दिया.
بِٱلْإِيمَانِ يَعْقُوبُ عِنْدَ مَوْتِهِ بَارَكَ كُلَّ وَاحِدٍ مِنِ ٱبْنَيْ يُوسُفَ، وَسَجَدَ عَلَى رَأْسِ عَصَاهُ. ٢١ 21
यह विश्वास ही था कि याकोब ने अपने मरते समय योसेफ़ के दोनों पुत्रों को अपनी लाठी का सहारा ले आशीर्वाद दिया और आराधना की.
بِٱلْإِيمَانِ يُوسُفُ عِنْدَ مَوْتِهِ ذَكَرَ خُرُوجَ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَأَوْصَى مِنْ جِهَةِ عِظَامِهِ. ٢٢ 22
यह विश्वास ही था कि योसेफ़ ने अपनी मृत्यु के समय इस्राएलियों के निर्गमन जाने का वर्णन किया तथा अपनी अस्थियों के विषय में आज्ञा दीं.
بِٱلْإِيمَانِ مُوسَى، بَعْدَمَا وُلِدَ، أَخْفَاهُ أَبَوَاهُ ثَلَاثَةَ أَشْهُرٍ، لِأَنَّهُمَا رَأَيَا ٱلصَّبِيَّ جَمِيلًا، وَلَمْ يَخْشَيَا أَمْرَ ٱلْمَلِكِ. ٢٣ 23
यह विश्वास ही था कि जब मोशेह का जन्म हुआ, उनके माता-पिता ने उन्हें तीन माह तक छिपाए रखा. उन्होंने देखा कि शिशु सुंदर है इसलिये वे राज आज्ञा से भयभीत न हुए.
بِٱلْإِيمَانِ مُوسَى لَمَّا كَبِرَ أَبَى أَنْ يُدْعَى ٱبْنَ ٱبْنَةِ فِرْعَوْنَ، ٢٤ 24
यह विश्वास ही था कि मोशेह ने बड़े होने पर फ़रोह की पुत्री की संतान कहलाना अस्वीकार कर दिया.
مُفَضِّلًا بِٱلْأَحْرَى أَنْ يُذَلَّ مَعَ شَعْبِ ٱللهِ عَلَى أَنْ يَكُونَ لَهُ تَمَتُّعٌ وَقْتِيٌّ بِٱلْخَطِيَّةِ، ٢٥ 25
और पाप के क्षण-भर के सुखों के आनंद की बजाय परमेश्वर की प्रजा के साथ दुःख सहना सही समझा.
حَاسِبًا عَارَ ٱلْمَسِيحِ غِنًى أَعْظَمَ مِنْ خَزَائِنِ مِصْرَ، لِأَنَّهُ كَانَ يَنْظُرُ إِلَى ٱلْمُجَازَاةِ. ٢٦ 26
उनकी दृष्टि में मसीह के लिए सही गई निंदा मिस्र देश के भंडारों से कहीं अधिक कीमती थी क्योंकि उनकी आंखें उस ईनाम पर स्थिर थी.
بِٱلْإِيمَانِ تَرَكَ مِصْرَ غَيْرَ خَائِفٍ مِنْ غَضَبِ ٱلْمَلِكِ،لِأَنَّهُ تَشَدَّدَ، كَأَنَّهُ يَرَى مَنْ لَا يُرَى. ٢٧ 27
यह विश्वास ही था कि मोशेह मिस्र देश को छोड़कर चले गए. उन्हें फ़रोह के क्रोध का कोई भय न था. वह आगे ही बढ़ते चले गए मानो वह उन्हें देख रहे थे, जो अनदेखे हैं.
بِٱلْإِيمَانِ صَنَعَ ٱلْفِصْحَ وَرَشَّ ٱلدَّمَ لِئَلَّا يَمَسَّهُمُ ٱلَّذِي أَهْلَكَ ٱلْأَبْكَارَ. ٢٨ 28
यह विश्वास ही था कि मोशेह ने इस्राएलियों को फ़सह उत्सव मनाने तथा बलि-लहू छिड़कने की आज्ञा दी कि वह, जो पहलौठे पुत्रों का नाश कर रहा था, उनमें से किसी को स्पर्श न करे.
بِٱلْإِيمَانِ ٱجْتَازُوا فِي ٱلْبَحْرِ ٱلْأَحْمَرِ كَمَا فِي ٱلْيَابِسَةِ، ٱلْأَمْرُ ٱلَّذِي لَمَّا شَرَعَ فِيهِ ٱلْمِصْرِيُّونَ غَرِقُوا. ٢٩ 29
यह विश्वास ही था कि उन्होंने लाल सागर ऐसे पार कर लिया, मानो वे सूखी भूमि पर चल रहे हों किंतु जब मिस्रवासियों ने वही करना चाहा तो डूब मरे.
بِٱلْإِيمَانِ سَقَطَتْ أَسْوَارُ أَرِيحَا بَعْدَمَا طِيفَ حَوْلَهَا سَبْعَةَ أَيَّامٍ. ٣٠ 30
यह विश्वास ही था जिसके द्वारा येरीख़ो नगर की दीवार उनके सात दिन तक परिक्रमा करने पर गिर पड़ी.
بِٱلْإِيمَانِ رَاحَابُ ٱلزَّانِيَةُ لَمْ تَهْلِكْ مَعَ ٱلْعُصَاةِ، إِذْ قَبِلَتِ ٱلْجَاسُوسَيْنِ بِسَلَامٍ. ٣١ 31
यह विश्वास ही था कि नगरवधू राहाब ने गुप्‍तचरों का स्वागत मैत्री भाव में किया तथा आज्ञा न माननेवालों के साथ नाश नहीं हुई.
وَمَاذَا أَقُولُ أَيْضًا؟ لِأَنَّهُ يُعْوِزُنِي ٱلْوَقْتُ إِنْ أَخْبَرْتُ عَنْ جِدْعُونَ، وَبَارَاقَ، وَشَمْشُونَ، وَيَفْتَاحَ، وَدَاوُدَ، وَصَمُوئِيلَ، وَٱلْأَنْبِيَاءِ، ٣٢ 32
मैं और क्या कहूं? समय की कमी मुझे आज्ञा नहीं देती कि मैं गिदौन, बाराक, शिमशोन, यिफ्ताह, दावीद, शमुएल तथा भविष्यद्वक्ताओं का वर्णन करूं,
ٱلَّذِينَ بِٱلْإِيمَانِ: قَهَرُوا مَمَالِكَ، صَنَعُوا بِرًّا، نَالُوا مَوَاعِيدَ، سَدُّوا أَفْوَاهَ أُسُودٍ، ٣٣ 33
जो विश्वास से राज्यों पर विजयी हुए, जिन्होंने धार्मिकता में राज्य किया, जिन्हें प्रतिज्ञाओं का फल प्राप्‍त हुआ, जिन्होंने सिंहों के मुंह बांध दिए,
أَطْفَأُوا قُوَّةَ ٱلنَّارِ، نَجَوْا مِنْ حَدِّ ٱلسَّيْفِ، تَقَوَّوْا مِنْ ضَعْفٍ، صَارُوا أَشِدَّاءَ فِي ٱلْحَرْبِ، هَزَمُوا جُيُوشَ غُرَبَاءَ، ٣٤ 34
आग की लपटों को ठंडा कर दिया, तलवार की धार से बच निकले; जिन्हें निर्बल से बलवंत बना दिया गया; युद्ध में वीर साबित हुए; जिन्होंने विदेशी सेनाओं को खदेड़ दिया.
أَخَذَتْ نِسَاءٌ أَمْوَاتَهُنَّ بِقِيَامَةٍ. وَآخَرُونَ عُذِّبُوا وَلَمْ يَقْبَلُوا ٱلنَّجَاةَ لِكَيْ يَنَالُوا قِيَامَةً أَفْضَلَ. ٣٥ 35
दोबारा जी उठने के द्वारा स्त्रियों को उनके मृतक दोबारा जीवित प्राप्‍त हो गए. कुछ अन्य थे, जिन्हें ताड़नाएं दी गईं और उन्होंने छुटकारा अस्वीकार कर दिया कि वे बेहतर पुनरुत्थान प्राप्‍त कर सकें.
وَآخَرُونَ تَجَرَّبُوا فِي هُزُءٍ وَجَلْدٍ، ثُمَّ فِي قُيُودٍ أَيْضًا وَحَبْسٍ. ٣٦ 36
कुछ अन्य थे, जिनकी परख उपहास, कोड़ों, बेड़ियों में जकड़े जाने और बंदीगृह में डाले जाने के द्वारा हुई.
رُجِمُوا، نُشِرُوا، جُرِّبُوا، مَاتُوا قَتْلًا بِٱلسَّيْفِ، طَافُوا فِي جُلُودِ غَنَمٍ وَجُلُودِ مِعْزَى، مُعْتَازِينَ، مَكْرُوبِينَ، مُذَلِّينَ، ٣٧ 37
उनका पथराव किया गया, उन्हें चीर डाला गया, लालच दिया गया, तलवार से उनका वध किया गया, भेड़ों व बकरियों की खाल में मढ़ दिया गया, वे अभाव की स्थिति में थे, उन्हें यातनाएं दी गईं तथा उनसे दुर्व्यवहार किया गया.
وَهُمْ لَمْ يَكُنِ ٱلْعَالَمُ مُسْتَحِقًّا لَهُمْ. تَائِهِينَ فِي بَرَارِيَّ وَجِبَالٍ وَمَغَايِرَ وَشُقُوقِ ٱلْأَرْضِ. ٣٨ 38
उनके लिए संसार सही स्थान साबित न हुआ. वे बंजर भूमि में, पर्वतों पर, गुफाओं में तथा भूमि के गड्ढों में भटकते-छिपते रहे.
فَهَؤُلَاءِ كُلُّهُمْ، مَشْهُودًا لَهُمْ بِٱلْإِيمَانِ، لَمْ يَنَالُوا ٱلْمَوْعِدَ، ٣٩ 39
ये सभी गवाहों ने अपने विश्वास के द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्‍त किया, किंतु इन्होंने वह प्राप्‍त नहीं किया जिसकी इनसे प्रतिज्ञा की गई थी;
إِذْ سَبَقَ ٱللهُ فَنَظَرَ لَنَا شَيْئًا أَفْضَلَ، لِكَيْ لَا يُكْمَلُوا بِدُونِنَا. ٤٠ 40
क्योंकि उनके लिए परमेश्वर के द्वारा कुछ बेहतर ही निर्धारित था कि हमारे साथ जुड़े बिना उन्हें सिद्धता प्राप्‍त न हो.

< عِبرانِيّين 11 >