< حِزْقِيَال 20 >

وَكَانَ فِي ٱلسَّنَةِ ٱلسَّابِعَةِ، فِي ٱلشَّهْرِ ٱلْخَامِسِ، فِي ٱلْعَاشِرِ مِنَ ٱلشَّهْرِ، أَنَّ أُنَاسًا مِنْ شُيُوخِ إِسْرَائِيلَ جَاءُوا لِيَسْأَلُوا ٱلرَّبَّ، فَجَلَسُوا أَمَامِي. ١ 1
सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन, इस्राएल के कुछ अगुए याहवेह की इच्छा जानने के लिये आये और वे मेरे सामने बैठ गये.
فَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ٢ 2
तब याहवेह का वचन मेरे पास आया:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، كَلِّمْ شُيُوخَ إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: هَلْ أَنْتُمْ آتُونَ لِتَسْأَلُونِي؟ حَيٌّ أَنَا، لَا أُسْأَلُ مِنْكُمْ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ٣ 3
“हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के अगुओं से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम मेरी इच्छा जानने आए हो? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुम्हें अपनी इच्छा नहीं बताऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’
هَلْ تَدِينُهُمْ؟ هَلْ تَدِينُ يَا ٱبْنَ آدَمَ؟ عَرِّفْهُمْ رَجَاسَاتِ آبَائِهِمْ، ٤ 4
“क्या तुम उनका न्याय करोगे? हे मनुष्य के पुत्र, क्या तुम उनका न्याय करोगे? तब उनके पूर्वजों के द्वारा किए घृणित कार्य उन्हें बताओ
وَقُلْ لَهُمْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: فِي يَوْمِ ٱخْتَرْتُ إِسْرَائِيلَ وَرَفَعْتُ يَدِي لِنَسْلِ بَيْتِ يَعْقُوبَ، وَعَرَّفْتُهُمْ نَفْسِي فِي أَرْضِ مِصْرَ، وَرَفَعْتُ لَهُمْ يَدِي قَائِلًا: أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ، ٥ 5
और उनसे कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जिस दिन मैंने इस्राएल को चुन लिया, मैंने अपना हाथ उठाकर याकोब के वंशजों से शपथ खाई और अपने आपको मिस्र देश में उन पर प्रकट किया. हाथ उठाकर मैंने उनसे कहा, “मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ رَفَعْتُ لَهُمْ يَدِي لِأُخْرِجَهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي تَجَسَّسْتُهَا لَهُمْ، تَفِيضُ لَبَنًا وَعَسَلًا، هِيَ فَخْرُ كُلِّ ٱلْأَرَاضِي، ٦ 6
उस दिन मैंने उनसे शपथ खाई कि मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर एक ऐसे देश में ले आऊंगा, जिसे मैंने उनके लिये खोजा था, एक ऐसा देश जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और जो सब देशों से सुंदर है.
وَقُلْتُ لَهُمُ: ٱطْرَحُوا كُلُّ إِنْسَانٍ مِنْكُمْ أَرْجَاسَ عَيْنَيْهِ، وَلَا تَتَنَجَّسُوا بِأَصْنَامِ مِصْرَ. أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. ٧ 7
और मैंने उनसे कहा, “तुममें से हर एक उन निकम्मे मूर्तियों को निकाल फेंको, जिन पर तुम्हारी दृष्टि लगी रहती है, और मिस्र की मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो. मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
فَتَمَرَّدُوا عَلَيَّ وَلَمْ يُرِيدُوا أَنْ يَسْمَعُوا لِي، وَلَمْ يَطْرَحِ ٱلْإِنْسَانُ مِنْهُمْ أَرْجَاسَ عَيْنَيْهِ، وَلَمْ يَتْرُكُوا أَصْنَامَ مِصْرَ. فَقُلْتُ: إِنِّي أَسْكُبُ رِجْزِي عَلَيْهِمْ لِأُتِمَّ عَلَيْهِمْ سَخَطِي فِي وَسْطِ أَرْضِ مِصْرَ. ٨ 8
“‘परंतु उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया और मेरी बातें नहीं सुनी; उन्होंने उन निकम्मी मूर्तियों को नहीं फेंका, जिन पर उनकी दृष्टि लगी हुई थी, और न ही उन्होंने मिस्र की मूर्तियों का परित्याग किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और मिस्र देश में उनके विरुद्ध अपना क्रोध दिखाऊंगा.
لَكِنْ صَنَعْتُ لِأَجْلِ ٱسْمِي لِكَيْلَا يَتَنَجَّسَ أَمَامَ عُيُونِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ هُمْ فِي وَسْطِهِمِ، ٱلَّذِينَ عَرَّفْتُهُمْ نَفْسِي أَمَامَ عُيُونِهِمْ بِإِخْرَاجِهِمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ. ٩ 9
पर अपने नाम के निमित्त मैं उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया. मैंने ऐसा इसलिये किया ताकि मेरा नाम उन जातियों के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके बीच वे रहते थे और जिनके देखते में मैंने अपने आपको इस्राएलियों पर प्रकट किया था.
فَأَخْرَجْتُهُمْ مِنْ أَرْضِ مِصْرَ وَأَتَيْتُ بِهِمْ إِلَى ٱلْبَرِّيَّةِ. ١٠ 10
इसलिये मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर निर्जन प्रदेश में ले आया.
وَأَعْطَيْتُهُمْ فَرَائِضِي وَعَرَّفْتُهُمْ أَحْكَامِي ٱلَّتِي إِنْ عَمِلَهَا إِنْسَانٌ يَحْيَا بِهَا. ١١ 11
मैंने उन्हें अपने नियम दिये और उन्हें अपना कानून बताया, जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा.
وَأَعْطَيْتُهُمْ أَيْضًا سُبُوتِي لِتَكُونَ عَلَامَةً بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ، لِيَعْلَمُوا أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ مُقَدِّسُهُمْ. ١٢ 12
मैंने उनके लिये अपने शब्बाथ भी ठहराए, जो मेरे और उनके बीच एक चिन्ह हो, ताकि वे जानें कि मैं याहवेह ने उन्हें पवित्र बनाया है.
«فَتَمَرَّدَ عَلَيَّ بَيْتُ إِسْرَائِيلَ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. لَمْ يَسْلُكُوا فِي فَرَائِضِي وَرَفَضُوا أَحْكَامِي ٱلَّتِي إِنْ عَمِلَهَا إِنْسَانٌ يَحْيَا بِهَا، وَنَجَّسُوا سُبُوتِي كَثِيرًا. فَقُلْتُ: إِنِّي أَسْكُبُ رِجْزِي عَلَيْهِمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ لِإِفْنَائِهِمْ. ١٣ 13
“‘तो भी इस्राएल के लोगों ने निर्जन प्रदेश में मेरे विरुद्ध विद्रोह किया. वे मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे कानूनों को अस्वीकार किया—जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा—और उन्होंने पूरी तरह से मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उन्हें नाश कर दूंगा.
لَكِنْ صَنَعْتُ لِأَجْلِ ٱسْمِي لِكَيْلَا يَتَنَجَّسَ أَمَامَ عُيُونِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ أَخْرَجْتُهُمْ أَمَامَ عُيُونِهِمْ. ١٤ 14
पर अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया जिससे मेरा नाम उन जनताओं की दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते मैं उन्हें निकाल लाया था.
وَرَفَعْتُ أَيْضًا يَدِي لَهُمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ بِأَنِّي لَا آتِي بِهِمْ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي أَعْطَيْتُهُمْ إِيَّاهَا تَفِيضُ لَبَنًا وَعَسَلًا، هِيَ فَخْرُ كُلِّ ٱلْأَرَاضِي. ١٥ 15
अपना हाथ उठाकर निर्जन प्रदेश में, मैंने शपथ भी खाई कि मैं उन्हें उस देश में नहीं लाऊंगा, जिसे मैंने उन्हें दिया था—एक ऐसा देश जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, जो सब देशों से सुंदर है—
لِأَنَّهُمْ رَفَضُوا أَحْكَامِي وَلَمْ يَسْلُكُوا فِي فَرَائِضِي، بَلْ نَجَّسُوا سُبُوتِي، لِأَنَّ قَلْبَهُمْ ذَهَبَ وَرَاءَ أَصْنَامِهِمْ. ١٦ 16
इसका कारण यह था कि उन्होंने मेरे कानूनों को अस्वीकार किया और मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. क्योंकि उनका मन उनकी मूर्तियों पर लगा हुआ था.
لَكِنَّ عَيْنِي أَشْفَقَتْ عَلَيْهِمْ عَنْ إِهْلَاكِهِمْ، فَلَمْ أُفْنِهِمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. ١٧ 17
तौभी मैंने उन पर दया की और उन्हें नाश नहीं किया या निर्जन प्रदेश में उनका अंत नहीं किया.
وَقُلْتُ لِأَبْنَائِهِمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ: لَا تَسْلُكُوا فِي فَرَائِضِ آبَائِكُمْ، وَلَا تَحْفَظُوا أَحْكَامَهُمْ، وَلَا تَتَنَجَّسُوا بِأَصْنَامِهِمْ. ١٨ 18
निर्जन प्रदेश में मैंने उनके बच्चों से कहा, “अपने माता-पिता के विधियों पर या उनके कानूनों पर मत चलो या उनके मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो.
أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ، فَٱسْلُكُوا فِي فَرَائِضِي وَٱحْفَظُوا أَحْكَامِي وَٱعْمَلُوا بِهَا، ١٩ 19
मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं; मेरे नियमों पर चलो और ध्यानपूर्वक मेरे कानूनों का पालन करो.
وَقَدِّسُوا سُبُوتِي فَتَكُونَ عَلَامَةً بَيْنِي وَبَيْنَكُمْ، لِتَعْلَمُوا أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. ٢٠ 20
मेरे विश्राम दिनों को पवित्र मानो, कि वे मेरे और तुम्हारे बीच एक चिन्ह ठहरें. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
فَتَمَرَّدَ ٱلْأَبْنَاءُ عَلَيَّ. لَمْ يَسْلُكُوا فِي فَرَائِضِي وَلَمْ يَحْفَظُوا أَحْكَامِي لِيَعْمَلُوهَا، ٱلَّتِي إِنْ عَمِلَهَا إِنْسَانٌ يَحْيَا بِهَا، وَنَجَّسُوا سُبُوتِي. فَقُلْتُ: إِنِّي أَسْكُبُ رِجْزِي عَلَيْهِمْ لِأُتِمَّ سَخَطِي عَلَيْهِمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ. ٢١ 21
“‘परंतु उनके बच्चों ने भी मेरे विरुद्ध विद्रोह किया: वे मेरे नियमों पर नहीं चले, उन्होंने मेरे कानूनों का पालन करने में सावधानी नहीं बरती, जिनके बारे में मैंने कहा था, “वह व्यक्ति जो उनका पालन करेगा, वह जीवित रहेगा,” और उन्होंने मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उनको अपना क्रोध दिखाऊंगा.
ثُمَّ كَفَفْتُ يَدِي وَصَنَعْتُ لِأَجْلِ ٱسْمِي لِكَيْلَا يَتَنَجَّسَ أَمَامَ عُيُونِ ٱلْأُمَمِ ٱلَّذِينَ أَخْرَجْتُهُمْ أَمَامَ عُيُونِهِمْ. ٢٢ 22
परंतु मैंने अपना हाथ रोके रखा, और अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया, जिससे मेरा नाम उन जनताओं के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते में, मैं उन्हें निकाल लाया था.
وَرَفَعْتُ أَيْضًا يَدِي لَهُمْ فِي ٱلْبَرِّيَّةِ لِأُفَرِّقَهُمْ فِي ٱلْأُمَمِ وَأُذَرِّيَهُمْ فِي ٱلْأَرَاضِي، ٢٣ 23
निर्जन प्रदेश में, मैंने अपना हाथ उठाकर उनसे शपथ भी खाई कि मैं उन्हें जाति-जाति के लोगों के बीच छितरा दूंगा और विभिन्‍न देशों में तितर-बितर कर दूंगा,
لِأَنَّهُمْ لَمْ يَصْنَعُوا أَحْكَامِي، بَلْ رَفَضُوا فَرَائِضِي، وَنَجَّسُوا سُبُوتِي، وَكَانَتْ عُيُونُهُمْ وَرَاءَ أَصْنَامِ آبَائِهِمْ. ٢٤ 24
क्योंकि उन्होंने मेरे कानूनों का पालन नहीं किया और मेरे नियमों को अस्वीकार किया और मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया, और उनकी आंखें उनके माता-पिता के मूर्तियों पर लगी रहीं.
وَأَعْطَيْتُهُمْ أَيْضًا فَرَائِضَ غَيْرَ صَالِحَةٍ، وَأَحْكَامًا لَا يَحْيَوْنَ بِهَا، ٢٥ 25
इसलिये मैंने उन्हें दूसरे विधि विधान दिये जो अच्छे नहीं थे और उन्हें ऐसे कानून दिये जिसके द्वारा वे जीवित नहीं रह सकते थे;
وَنَجَّسْتُهُمْ بِعَطَايَاهُمْ إِذْ أَجَازُوا فِي ٱلنَّارِ كُلَّ فَاتِحِ رَحْمٍ، لِأُبِيدَهُمْ، حَتَّى يَعْلَمُوا أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ. ٢٦ 26
मैंने उन्हें उनके ही उपहारों के द्वारा अशुद्ध किया—हर पहलौठा का बलिदान किया जाना—जिससे वे अत्यंत भयभीत हों और वे जानें कि मैं याहवेह हूं.’
«لِأَجْلِ ذَلِكَ كَلِّمْ بَيْتَ إِسْرَائِيلَ يَا ٱبْنَ آدَمَ، وَقُلْ لَهُمْ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: فِي هَذَا أَيْضًا جَدَّفَ عَلَيَّ آبَاؤُكُمْ، إِذْ خَانُونِي خِيَانَةً ٢٧ 27
“इसलिये, हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोगों से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: इस पर भी तुम्हारे पूर्वजों ने मुझसे विश्वासघात करके मेरी निंदा की.
لَمَّا أَتَيْتُ بِهِمْ إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي رَفَعْتُ لَهُمْ يَدِي لِأُعْطِيَهُمْ إِيَّاهَا، فَرَأَوْا كُلَّ تَلٍّ عَالٍ وَكُلَّ شَجَرَةٍ غَبْيَاءَ، فَذَبَحُوا هُنَاكَ ذَبَائِحَهُمْ، وَقَرَّبُوا هُنَاكَ قَرَابِينَهُمُ ٱلْمُغِيظَةَ، وَقَدَّمُوا هُنَاكَ رَوَائِحَ سُرُورِهِمْ، وَسَكَبُوا هُنَاكَ سَكَائِبَهُمْ. ٢٨ 28
जब मैं उन्हें उस देश में ले आया, जिसे मैंने उन्हें देने की शपथ खाई थी तो वे किसी ऊंची पहाड़ी या किसी पत्तीवाले पेड़ को देखकर, वहां अपना बलिदान और भेंट चढ़ाने लगे, और अपना सुगंधित धूप जलाकर पेय बलिदान देने लगे, जिससे मेरा क्रोध भड़का.
فَقُلْتُ لَهُمْ: مَا هَذِهِ ٱلْمُرْتَفَعَةُ ٱلَّتِي تَأْتُونَ إِلَيْهَا؟ فَدُعِيَ ٱسْمُهَا «مُرْتَفَعَةً» إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ. ٢٩ 29
तब मैंने उनसे कहा: यह ऊंचा स्थान क्या है जो तुम वहां जाते हो?’
«لِذَلِكَ قُلْ لِبَيْتِ إِسْرَائِيلَ: هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: هَلْ تَنَجَّسْتُمْ بِطَرِيقِ آبَائِكُمْ، وَزَنَيْتُمْ وَرَاءَ أَرْجَاسِهِمْ؟ ٣٠ 30
“इसलिये इस्राएलियों से कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम लोग अपने पूर्वजों की तरह अपने आपको अशुद्ध करोगे और उनकी निकम्मी मूर्तियों के पीछे भागोगे?
وَبِتَقْدِيمِ عَطَايَاكُمْ وَإِجَازَةِ أَبْنَائِكُمْ فِي ٱلنَّارِ، تَتَنَجَّسُونَ بِكُلِّ أَصْنَامِكُمْ إِلَى ٱلْيَوْمِ. فَهَلْ أُسْأَلُ مِنْكُمْ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ؟ حَيٌّ أَنَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، لَا أُسْأَلُ مِنْكُمْ. ٣١ 31
जब तुम अपनी भेटें चढ़ाते हो—अपने बच्चों का आग में बलिदान करते हो—तो ऐसा करने के द्वारा तुम आज तक अपने आपको अपनी सब मूर्तियों के द्वारा अशुद्ध करते आ रहे हो. तो हे इस्राएलियो, क्या मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने दूंगा? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने नहीं दूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
وَٱلَّذِي يَخْطُرُ بِبَالِكُمْ لَنْ يَكُونَ، إِذْ تَقُولُونَ: نَكُونُ كَٱلْأُمَمِ، كَقَبَائِلِ ٱلْأَرَاضِي فَنَعْبُدُ ٱلْخَشَبَ وَٱلْحَجَرَ. ٣٢ 32
“‘तुम कहते हो, “हम उन जाति-जाति और संसार के लोगों के समान होना चाहते हैं, जो लकड़ी और पत्थर की सेवा करते हैं.” पर तुम्हारे मन में जो है, वह कभी पूरा न होगा.
حَيٌّ أَنَا، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، إِنِّي بِيَدٍ قَوِيَّةٍ وَبِذِرَاعٍ مَمْدُودَةٍ، وَبِسَخَطٍ مَسْكُوبٍ أَمْلِكُ عَلَيْكُمْ. ٣٣ 33
मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मैं शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से तुम्हारे ऊपर शासन करूंगा.
وَأُخْرِجُكُمْ مِنْ بَيْنِ ٱلشُّعُوبِ، وَأَجْمَعُكُمْ مِنَ ٱلْأَرَاضِي ٱلَّتِي تَفَرَّقْتُمْ فِيهَا بِيَدٍ قَوِيَّةٍ وَبِذِرَاعٍ مَمْدُودَةٍ، وَبِسَخَطٍ مَسْكُوبٍ. ٣٤ 34
मैं तुम्हें उन जाति-जाति के लोगों और देशों से लाकर इकट्ठा करूंगा, जहां तुम बिखरे हुए हो—मैं तुम्हें शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से इकट्ठा करूंगा.
وَآتِي بِكُمْ إِلَى بَرِّيَّةِ ٱلشُّعُوبِ، وَأُحَاكِمُكُمْ هُنَاكَ وَجْهًا لِوَجْهٍ. ٣٥ 35
मैं तुम्हें जनताओं के निर्जन प्रदेश में ले आऊंगा और वहां, आमने-सामने मैं तुम्हारा न्याय करूंगा.
كَمَا حَاكَمْتُ آبَاءَكُمْ فِي بَرِّيَّةِ أَرْضِ مِصْرَ، كَذَلِكَ أُحَاكِمُكُمْ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ. ٣٦ 36
जैसा कि मैंने मिस्र देश के निर्जन प्रदेश में तुम्हारे पूर्वजों का न्याय किया था, वैसा ही मैं तुम्हारा न्याय करूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
وَأُمِرُّكُمْ تَحْتَ ٱلْعَصَا، وَأُدْخِلُكُمْ فِي رِبَاطِ ٱلْعَهْدِ. ٣٧ 37
जब तुम मेरी लाठी के अधीन चलोगे, तो मेरा ध्यान तुम पर रहेगा, और मैं तुम्हें वाचा के बंधन में लाऊंगा.
وَأَعْزِلُ مِنْكُمُ ٱلْمُتَمَرِّدِينَ وَٱلْعُصَاةَ عَلَيَّ. أُخْرِجُهُمْ مِنْ أَرْضِ غُرْبَتِهِمْ وَلَا يَدْخُلُونَ أَرْضَ إِسْرَائِيلَ، فَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ. ٣٨ 38
मैं तुम्हें उनमें से हटाकर शुद्ध करूंगा, जो मेरे विरुद्ध विद्रोह और अपराध करते हैं. यद्यपि मैं उन्हें उस देश से निकालकर लाऊंगा, जहां वे रह रहे हैं, तौभी वे इस्राएल देश में प्रवेश न कर पाएंगे. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
«أَمَّا أَنْتُمْ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ، فَهَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: ٱذْهَبُوا ٱعْبُدُوا كُلُّ إِنْسَانٍ أَصْنَامَهُ. وَبَعْدُ إِنْ لَمْ تَسْمَعُوا لِي فَلَا تُنَجِّسُوا ٱسْمِي ٱلْقُدُّوسَ بَعْدُ بِعَطَايَاكُمْ وَبِأَصْنَامِكُمْ. ٣٩ 39
“‘हे इस्राएल के लोगों, जहां तक तुम्हारा संबंध है, परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: तुममें से हर एक जन जाए और अपनी-अपनी मूर्तियों की सेवा करे! परंतु बाद में तुम निश्चित रूप से मेरी सुनोगे और फिर मेरे पवित्र नाम को अपने उपहारों और मूर्तियों से अशुद्ध नहीं करोगे.
لِأَنَّهُ فِي جَبَلِ قُدْسِي، فِي جَبَلِ إِسْرَائِيلَ ٱلْعَالِي، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ، هُنَاكَ يَعْبُدُنِي كُلُّ بَيْتِ إِسْرَائِيلَ، كُلُّهُمْ فِي ٱلْأَرْضِ. هُنَاكَ أَرْضَى عَنْهُمْ، وَهُنَاكَ أَطْلُبُ تَقْدِمَاتِكُمْ وَبَاكُورَاتِ جِزَاكُمْ مَعَ جَمِيعِ مُقَدَّسَاتِكُمْ. ٤٠ 40
क्योंकि परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मेरे पवित्र पर्वत, इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर, वहां देश में, इस्राएल के सारे लोग मेरी सेवा करेंगे, और वहां मैं उन्हें स्वीकार करूंगा. तब वहां मैं तुम्हारी भेंट और उत्तम उपहारों को तुम्हारे सब पवित्र बलिदानों सहित ग्रहण करूंगा.
بِرَائِحَةِ سُرُورِكُمْ أَرْضَى عَنْكُمْ، حِينَ أُخْرِجُكُمْ مِنْ بَيْنِ ٱلشُّعُوبِ، وَأَجْمَعُكُمْ مِنَ ٱلْأَرَاضِي ٱلَّتِي تَفَرَّقْتُمْ فِيهَا، وَأَتَقَدَّسُ فِيكُمْ أَمَامَ عُيُونِ ٱلْأُمَمِ، ٤١ 41
मैं तुम्हें एक सुगंधित धूप के रूप में ग्रहण करूंगा जब मैं तुम्हें जनताओं के बीच से निकाल लाऊंगा और उन देशों से तुम्हें इकट्ठा करूंगा, जहां तुम तितर-बितर हो गये हो, और मैं जाति-जाति के लोगों के दृष्टि में तुम्हारे द्वारा पवित्र ठहराया जाऊंगा.
فَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ، حِينَ آتِي بِكُمْ إِلَى أَرْضِ إِسْرَائِيلَ، إِلَى ٱلْأَرْضِ ٱلَّتِي رَفَعْتُ يَدِي لِأُعْطِي آبَاءَكُمْ إِيَّاهَا. ٤٢ 42
तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, जब मैं तुम्हें इस्राएल देश में ले आऊंगा, वह देश जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को देने की हाथ उठाकर शपथ खाई थी.
وَهُنَاكَ تَذْكُرُونَ طُرُقَكُمْ وَكُلَّ أَعْمَالِكُمُ ٱلَّتِي تَنَجَّسْتُمْ بِهَا، وَتَمْقُتُونَ أَنْفُسَكُمْ لِجَمِيعِ ٱلشُّرُورِ ٱلَّتِي فَعَلْتُمْ. ٤٣ 43
वहां तुम अपने चालचलन और उन सब कामों को याद करोगे, जिनके द्वारा तुमने अपने आपको अशुद्ध किया है, और अपने द्वारा किए गए सब बुरे कामों के कारण, तुम अपने आपसे घृणा करोगे.
فَتَعْلَمُونَ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ إِذَا فَعَلْتُ بِكُمْ مِنْ أَجْلِ ٱسْمِي. لَا كَطُرُقِكُمُ ٱلشِّرِّيرَةِ، وَلَا كَأَعْمَالِكُمُ ٱلْفَاسِدَةِ يَا بَيْتَ إِسْرَائِيلَ، يَقُولُ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ». ٤٤ 44
हे इस्राएल के लोगों, जब मैं तुम्हारे बुरे कार्यों और तुम्हारे भ्रष्‍ट आचरण के अनुसार नहीं, परंतु अपने नाम के निमित्त तुमसे व्यवहार करूंगा, तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’”
وَكَانَ إِلَيَّ كَلَامُ ٱلرَّبِّ قَائِلًا: ٤٥ 45
याहवेह का वचन मेरे पास आया:
«يَا ٱبْنَ آدَمَ، ٱجْعَلْ وَجْهَكَ نَحْوَ ٱلتَّيْمَنِ، وَتَكَلَّمْ نَحْوَ ٱلْجَنُوبِ، وَتَنَبَّأْ عَلَى وَعْرِ ٱلْحَقْلِ فِي ٱلْجَنُوبِ، ٤٦ 46
“हे मनुष्य के पुत्र, अपना चेहरा दक्षिण की ओर करो; दक्षिण के विरुद्ध प्रचार करो और दक्षिण देश के बंजर भूमि के विरुद्ध भविष्यवाणी करो.
وَقُلْ لِوَعْرِ ٱلْجَنُوبِ: ٱسْمَعْ كَلَامَ ٱلرَّبِّ. هَكَذَا قَالَ ٱلسَّيِّدُ ٱلرَّبُّ: هَأَنَذَا أُضْرِمُ فِيكَ نَارًا فَتَأْكُلُ كُلَّ شَجَرَةٍ خَضْرَاءَ فِيكَ وَكُلَّ شَجَرَةٍ يَابِسَةٍ. لَا يُطْفَأُ لَهِيبُهَا ٱلْمُلْتَهِبُ، وَتُحْرَقُ بِهَا كُلُّ ٱلْوُجُوهِ مِنَ ٱلْجَنُوبِ إِلَى ٱلشِّمَالِ. ٤٧ 47
दक्षिण के बंजर भूमि से कहो: ‘याहवेह के वचन को सुनो. परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम पर आग लगाने ही वाला हूं, और यह तुम्हारे हरे और सूखे सब पेड़ों को जलाकर नष्ट कर देगी. धधकती ज्वाला नहीं बुझेगी, और दक्षिण से लेकर उत्तर तक हर चेहरा इससे झुलस जाएगा.
فَيَرَى كُلُّ بَشَرٍ أَنِّي أَنَا ٱلرَّبُّ أَضْرَمْتُهَا. لَا تُطْفَأُ». ٤٨ 48
हर एक जन देखेगा कि मैं याहवेह ने ही यह आग लगायी है; यह नहीं बुझेगी.’”
فَقُلْتُ: «آهِ يَا سَيِّدُ ٱلرَّبُّ! هُمْ يَقُولُونَ: أَمَا يُمَثِّلُ هُوَ أَمْثَالًا؟». ٤٩ 49
तब मैंने कहा, “हे परम प्रधान याहवेह, वे लोग मेरे विषय में कह रहे हैं, ‘क्या वह मात्र दृष्टांत नहीं कह रहे हैं?’”

< حِزْقِيَال 20 >