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I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Urdu Bible, Devanagari, Isaiah Chapter 28 https://www.AionianBible.org/Bibles/Urdu---Urdu-Bible/Isaiah/28 1) अफ़सोस इफ़्राईम के मतवालों के घमण्ड के ताज पर और उसकी शानदार शौकत के मुरझाये हुए फूल पर जो उन लोगों की शादाब वादी के सिरे पर है जो मय के मग़लूब हैं। 2) देखो ख़ुदावन्द के पास एक ज़बरदस्त और ताक़तवर शख़्स है, जो उस आँधी की तरह जिसके साथ ओले हों और बाद समूम की तरह और सैलाब — ए — शदीद की तरह ज़मीन पर हाथ से पटक देगा। 3) इफ़्राईम के मतवालों के घमण्ड का ताज पामाल किया जाएगा; 4) और उस शानदार शौकत का मुरझाया हुआ फूल जो उस शादाब वादी के सिरे पर है, पहले पक्के अंजीर की तरह होगा जो गर्मी के दिनों से पहले लगे; जिस पर किसी की निगाह पड़े और वह उसे देखते ही और हाथ में लेते ही निगल जाए। 5) उस वक़्त रब्ब — उल — अफ़वाज अपने लोगों के बक़िये के लिए शौकत का अफ़सर और हुस्न का ताज होगा। 6) और 'अदालत की कुर्सी पर बैठने वाले के लिए इन्साफ़ की रूह, और फाटकों से लड़ाई को दूर करने वालों के लिए ताक़त होगा। 7) लेकिन यह भी मयख़्वारी से डगमगाते और नशे में लड़खड़ाते हैं; काहिन और नबी भी नशे में चूर और मय में ग़र्क़ हैं, वह नशे में झूमते हैं; वह रोया में ख़ता करते और 'अदालत में लगज़िश खाते हैं। 8) क्यूँकि सब दस्तरख़्वान क़य और गन्दगी से भरे हैं कोई जगह बाक़ी नहीं। 9) वह किसको अक़्ल सिखाएगा? किसको तक़रीर करके समझाएगा? क्या उनको जिनका दूध छुड़ाया गया, जो छातियों से जुदा किए गए? 10) क्यूँकि हुक्म पर हुक्म, हुक्म पर हुक्म; क़ानून पर क़ानून, क़ानून पर क़ानून है; थोड़ा यहाँ थोड़ा वहाँ। 11) लेकिन वह बेगाना लबों और अजनबी ज़बान से इन लोगों से कलाम करेगा। 12) जिनको उसने फ़रमाया, “यह आराम है, तुम थके मान्दों को आराम दो, और यह ताज़गी है;” लेकिन वह सुनने वाले न हुए। 13) तब ख़ुदावन्द का कलाम उनके लिए हुक्म पर हुक्म, हुक्म पर हुक्म, क़ानून पर क़ानून, क़ानून पर क़ानून, थोड़ा यहाँ, थोड़ा वहाँ होगा; ताकि वह चले जाएँ और पीछे गिरें और सिकश्त खाएँ और दाम में फसें और गिरफ़्तार हों। 14) इसलिए ऐ ठट्ठा करने वालो, जो येरूशलेम के इन बाशिन्दों पर हुक्मरानी करते हो; ख़ुदावन्द का कलाम सुनो: 15) चूँकि तुम कहा करते हो, कि “हम ने मौत से 'अहद बाँधा, और पाताल से पैमान कर लिया है; जब सज़ा का सैलाब आएगा तो हम तक नहीं पहुँचेगा, क्यूँकि हम ने झूठ को अपनी पनाहगाह बनाया है और दरोग़गोई की आड़ में छिप गए हैं;” (Sheol h7585) 16) इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है देखो मैं सिय्यून में बुनियाद के लिए एक पत्थर रख्खूँगा, आज़मूदा पत्थर मुहकम बुनियाद के लिए कोने के सिरे का क़ीमती पत्थर: जो कोई ईमान लाता है क़ाईम रहेगा। 17) और मैं 'अदालत को सूत, सदाक़त को साहूल बनाऊँगा; और ओले झूठ की पनाहगाह को साफ़ कर देंगे, और पानी छिपने के मकान पर फैल जायेगा। 18) और तुम्हारा 'अहद जो मौत से हुआ मन्सूख़ हो जाएगा और तुम्हारा पैमान जो पाताल से हुआ क़ाईम न रहेगा; जब सज़ा का सैलाब आएगा, तो तुम को पामाल करेगा। (Sheol h7585) 19) और गुज़रते वक़्त तुम को बहा ले जाएगा सुबह और शब — ओ — रोज़ आएगा बल्कि उसका ज़िक्र सुनना भी ख़ौफ़नाक होगा। 20) क्यूँकि पलंग ऐसा छोटा है कि आदमी उस पर दराज़ नहीं हो सकता; और लिहाफ़ ऐसा तंग है कि वह अपने आपको उसमें लपेट नहीं सकता। 21) क्यूँकि ख़ुदावन्द उठेगा जैसा कोह — ए — पराज़ीम में, और वह ग़ज़बनाक होगा जैसा जिबा'ऊन की वादी में; ताकि अपना काम बल्कि अपना 'अजीब काम करे और अपना काम, हाँ अपना अनोखा, काम पूरा करे। 22) इसलिए अब तुम ठठ्ठा न करो, ऐसा न हो कि तुम्हारे बंद सख़्त हो जाएं क्यूँकि मैंने ख़ुदावन्द रब्ब — उल — अफ़्वाज से सुना है कि उसने कामिल और मुसमम्म इरादा किया है कि सारी सर ज़मीन को तबाह करे। 23) कान लगा कर मेरी आवाज़ सुनो, सुनने वाले होकर मेरी बात पर दिल लगाओ। 24) क्या किसान बोने के लिए हर रोज़ हल चलाया करता है? क्या वह हर वक़्त अपनी ज़मीन को खोदता और उसके ढेले फोड़ा करता है? 25) जब उसको हमवार कर चुका, तो क्या वह अजवाइन को नहीं छांटता, और ज़ीरे को डाल नहीं देता, और गेहूँ को कतारों में नहीं बोता, और जौ को उसके मु'अय्यन मकान में, और कठिया गेहूँ को उसकी ख़ास क्यारी में नहीं बोता? 26) क्यूँकि उसका ख़ुदा उसको तरबियत करके उसे सिखाता है। 27) कि अजवाइन को दावने के हेंगे से नहीं दावते, और ज़ीरे के ऊपर गाड़ी के पहिये नहीं घुमाते; बल्कि अजवाइन को लाठी से झाड़ते है और ज़ीरे को छड़ी से। 28) रोटी के ग़ल्ले पर दाँय चलाता है, लेकिन वह हमेशा उसे कूटता नहीं रहता; और अपनी गाड़ी के पहिये और घोड़ों को उस पर हमेशा फिराता नहीं उसे सरासर नहीं कुचलेगा। 29) यह भी रब्ब — उल — अफ़वाज से मुक़र्रर हुआ है, जिसकी मसलहत 'अजीब और दानाई 'अज़ीम है। Additional comments?
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