Preface
Read
+
Publisher
Nainoia, Inc.
PO Box 462, Bellefonte, PA 16823
(814) 470-8028
Nainoia Inc, Publisher
LinkedIn/NAINOIA-INC
Third Party Publisher Resources
Request Custom Formatted Verses
Please contact us below
Submit your proposed corrections
I understand that the Aionian Bible republishes public domain and Creative Commons Bible texts and that volunteers may be needed to present the original text accurately. I also understand that apocryphal text is removed and most variant verse numbering is mapped to the English standard. I have entered my corrections under the verse(s) below. Proposed corrections to the Hindi Bible, Jeremiah Chapter 14 https://www.AionianBible.org/Bibles/Hindi---Hindi-Bible/Jeremiah/14 1 १) यहोवा का वचन जो यिर्मयाह के पास सूखा पड़ने के विषय में पहुँचा 2 २) “यहूदा विलाप करता और फाटकों में लोग शोक का पहरावा पहने हुए भूमि पर उदास बैठे हैं; और यरूशलेम की चिल्लाहट आकाश तक पहुँच गई है। 3 ३) उनके बड़े लोग उनके छोटे लोगों को पानी के लिये भेजते हैं; वे गड्ढों पर आकर पानी नहीं पाते, इसलिए खाली बर्तन लिए हुए घर लौट जाते हैं; वे लज्जित और निराश होकर सिर ढाँप लेते हैं। 4 ४) देश में वर्षा न होने से भूमि में दरार पड़ गई हैं, इस कारण किसान लोग निराश होकर सिर ढाँप लेते हैं। 5 ५) हिरनी भी मैदान में बच्चा जनकर छोड़ जाती है क्योंकि हरी घास नहीं मिलती। 6 ६) जंगली गदहे भी मुंडे टीलों पर खड़े हुए गीदड़ों के समान हाँफते हैं; उनकी आँखें धुँधला जाती हैं क्योंकि हरियाली कुछ भी नहीं है।” 7 ७) “हे यहोवा, हमारे अधर्म के काम हमारे विरुद्ध साक्षी दे रहे हैं, हम तेरा संग छोड़कर बहुत दूर भटक गए हैं, और हमने तेरे विरुद्ध पाप किया है; तो भी, तू अपने नाम के निमित्त कुछ कर। 8 ८) हे इस्राएल के आधार, संकट के समय उसका बचानेवाला तू ही है, तू क्यों इस देश में परदेशी के समान है? तू क्यों उस बटोही के समान है जो रात भर रहने के लिये कहीं टिकता हो? 9 ९) तू क्यों एक विस्मित पुरुष या ऐसे वीर के समान है जो बचा न सके? तो भी हे यहोवा तू हमारे बीच में है, और हम तेरे कहलाते हैं; इसलिए हमको न तज।” 10 १०) यहोवा ने इन लोगों के विषय यह कहा: “इनको ऐसा भटकना अच्छा लगता है; ये कुकर्म में चलने से नहीं रुके; इसलिए यहोवा इनसे प्रसन्न नहीं है, वह इनका अधर्म स्मरण करेगा और उनके पाप का दण्ड देगा।” 11 ११) फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “इस प्रजा की भलाई के लिये प्रार्थना मत कर। 12 १२) चाहे वे उपवास भी करें, तो भी मैं इनकी दुहाई न सुनूँगा, और चाहे वे होमबलि और अन्नबलि चढ़ाएँ, तो भी मैं उनसे प्रसन्न न होऊँगा; मैं तलवार, अकाल और मरी के द्वारा इनका अन्त कर डालूँगा।” 13 १३) तब मैंने कहा, “हाय, प्रभु यहोवा, देख, भविष्यद्वक्ता इनसे कहते हैं ‘न तो तुम पर तलवार चलेगी और न अकाल होगा, यहोवा तुम को इस स्थान में सदा की शान्ति देगा।’” 14 १४) तब यहोवा ने मुझसे कहा, “ये भविष्यद्वक्ता मेरा नाम लेकर झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं, मैंने उनको न तो भेजा और न कुछ आज्ञा दी और न उनसे कोई भी बात कही। वे तुम लोगों से दर्शन का झूठा दावा करके अपने ही मन से व्यर्थ और धोखे की भविष्यद्वाणी करते हैं। 15 १५) इस कारण जो भविष्यद्वक्ता मेरे बिना भेजे मेरा नाम लेकर भविष्यद्वाणी करते हैं ‘उस देश में न तो तलवार चलेगी और न अकाल होगा,’ उनके विषय यहोवा यह कहता है, कि वे भविष्यद्वक्ता आप तलवार और अकाल के द्वारा नाश किए जाएँगे। 16 १६) और जिन लोगों से वे भविष्यद्वाणी कहते हैं, वे अकाल और तलवार के द्वारा मर जाने पर इस प्रकार यरूशलेम की सड़कों में फेंक दिए जाएँगे, कि न तो उनका, न उनकी स्त्रियों का और न उनके बेटे-बेटियों का कोई मिट्टी देनेवाला रहेगा। क्योंकि मैं उनकी बुराई उन्हीं के ऊपर उण्डेलूँगा। 17 १७) “तू उनसे यह बात कह, ‘मेरी आँखों से दिन-रात आँसू लगातार बहते रहें, वे न रुकें क्योंकि मेरे लोगों की कुँवारी बेटी बहुत ही कुचली गई और घायल हुई है। 18 १८) यदि मैं मैदान में जाऊँ, तो देखो, तलवार के मारे हुए पड़े हैं! और यदि मैं नगर के भीतर आऊँ, तो देखो, भूख से अधमरे पड़े हैं! क्योंकि भविष्यद्वक्ता और याजक देश में कमाई करते फिरते और समझ नहीं रखते हैं।’” 19 १९) क्या तूने यहूदा से बिलकुल हाथ उठा लिया? क्या तू सिय्योन से घृणा करता है? नहीं, तूने क्यों हमको ऐसा मारा है कि हम चंगे हो ही नहीं सकते? हम शान्ति की बाट जोहते रहे, तो भी कुछ कल्याण नहीं हुआ; और यद्यपि हम अच्छे हो जाने की आशा करते रहे, तो भी घबराना ही पड़ा है। 20 २०) हे यहोवा, हम अपनी दुष्टता और अपने पुरखाओं के अधर्म को भी मान लेते हैं, क्योंकि हमने तेरे विरुद्ध पाप किया है। 21 २१) अपने नाम के निमित्त हमें न ठुकरा; अपने तेजोमय सिंहासन का अपमान न कर; जो वाचा तूने हमारे साथ बाँधी, उसे स्मरण कर और उसे न तोड़। 22 २२) क्या जाति-जाति की मूरतों में से कोई वर्षा कर सकता है? क्या आकाश झड़ियाँ लगा सकता है? हे हमारे परमेश्वर यहोवा, क्या तू ही इन सब बातों का करनेवाला नहीं है? हम तेरा ही आसरा देखते रहेंगे, क्योंकि इन सारी वस्तुओं का सृजनहार तू ही है। Additional comments?
Refresh Captcha
The world's first Holy Bible un-translation!