< مزامیر 50 >

مزمور آساف خدا، خدا یهوه تکلم می‌کند و زمین رااز مطلع آفتاب تا به مغربش می‌خواند. ۱ 1
आसफ का एक स्तोत्र. वह, जो सर्वशक्तिमान हैं, याहवेह, परमेश्वर, सूर्योदय से सूर्यास्त तक पृथ्वी को संबोधित करते हैं.
از صهیون که کمال زیبایی است، خدا تجلی نموده است. ۲ 2
ज़ियोन के परम सौंदर्य में, परमेश्वर तेज दिखा रहे हैं.
خدای ما می‌آید و سکوت نخواهد نمود. آتش پیش روی او می‌بلعد. وطوفان شدید گرداگرد وی خواهد بود. ۳ 3
हमारे परमेश्वर आ रहे हैं, वह निष्क्रिय नहीं रह सकते; उनके आगे-आगे भस्मकारी अग्नि चलती है, और उनके चारों ओर है प्रचंड आंधी.
آسمان را از بالا می‌خواند و زمین را، تا قوم خود راداوری کند: ۴ 4
उन्होंने आकाश तथा पृथ्वी को आह्वान किया, कि वे अपनी प्रजा की न्याय-प्रक्रिया प्रारंभ करें.
«مقدسان مرا نزد من جمع کنید، که عهد را با من به قربانی بسته‌اند.» ۵ 5
उन्होंने आदेश दिया, “मेरे पास मेरे भक्तों को एकत्र करो, जिन्होंने बलि अर्पण के द्वारा मुझसे वाचा स्थापित की है.”
و آسمانها ازانصاف او خبر خواهند داد. زیرا خدا خود داوراست، سلاه. ۶ 6
आकाश उनकी धार्मिकता की पुष्टि करता है, क्योंकि परमेश्वर ही न्यायाध्यक्ष हैं.
«ای قوم من بشنوتا سخن گویم. و‌ای اسرائیل تا برایت شهادت دهم که خدا، خدای تومن هستم. ۷ 7
“मेरी प्रजा, मेरी सुनो, मैं कुछ कह रहा हूं; इस्राएल, मैं तुम्हारे विरुद्ध साक्ष्य दे रहा हूं, परमेश्वर मैं हूं, तुम्हारा परमेश्वर.
درباره قربانی هایت تو را توبیخ نمی کنم و قربانی های سوختنی تو دائم در نظرمن است. ۸ 8
तुम्हारी बलियों के कारण मैं तुम्हें डांट नहीं रहा और न मैं तुम्हारी अग्निबलियों की आलोचना कर रहा हूं, जो नित मुझे अर्पित की जा रही हैं.
گوساله‌ای از خانه تو نمی گیرم و نه بزی از آغل تو. ۹ 9
मुझे न तो तुम्हारे पशुशाले से बैल की आवश्यकता है और न ही तुम्हारे झुंड से किसी बकरे की,
زیراکه جمیع حیوانات جنگل از آن منند و بهایمی که بر هزاران کوه می‌باشند. ۱۰ 10
क्योंकि हर एक वन्य पशु मेरा है, वैसे ही हजारों पहाड़ियों पर चर रहे पशु भी मेरे ही हैं.
همه پرندگان کوهها را می‌شناسم و وحوش صحرا نزد من حاضرند. ۱۱ 11
पर्वतों में बसे समस्त पक्षियों को मैं जानता हूं, मैदान में चलते फिरते सब प्राणी भी मेरे ही हैं.
اگر گرسنه می‌بودم تورا خبر نمی دادم. زیرا ربع مسکون و پری آن از آن من است. ۱۲ 12
तब यदि मैं भूखा होता तो तुमसे नहीं कहता, क्योंकि समस्त संसार तथा इसमें मगन सभी वस्तुएं मेरी ही हैं.
آیا گوشت گاوان را بخورم و خون بزها را بنوشم؟ ۱۳ 13
क्या बैलों का मांस मेरा आहार है और बकरों का रक्त मेरा पेय?
برای خدا قربانی تشکر رابگذران، و نذرهای خویش را به حضرت اعلی وفانما. ۱۴ 14
“परमेश्वर को धन्यवाद का बलि अर्पित करो, सर्वोच्च परमेश्वर के लिए अपनी प्रतिज्ञा पूर्ण करो,
پس در روز تنگی مرا بخوان تا تو راخلاصی دهم و مرا تمجید بنمایی.» ۱۵ 15
तब संकट काल में मुझे पुकारो; तो मैं तुम्हारा उद्धार करूंगा और तुम मुझे सम्मान दोगे.”
و اما به شریر خدا می‌گوید: «ترا چه‌کاراست که فرایض مرا بیان کنی و عهد مرا به زبان خود بیاوری؟ ۱۶ 16
किंतु दुष्ट से, परमेश्वर कहते हैं: “जब तुम मेरी शिक्षाओं से घृणा करते, और मेरे निर्देशों को हेय मानते हो?
چونکه تو از تادیب نفرت داشته‌ای و کلام مرا پشت سر خود انداخته‌ای. ۱۷ 17
तो क्या अधिकार है तुम्हें मेरी व्यवस्था का वाचन करने, अथवा मेरी वाचा को बोलने का?
چون دزد را دیدی او را پسند کردی و نصیب تو با زناکاران است. ۱۸ 18
चोर को देखते ही तुम उसके साथ हो लेते हो; वैसे ही तुम व्यभिचारियों के साथ व्यभिचार में सम्मिलित हो जाते हो.
دهان خود را به شرارت گشوده‌ای و زبانت حیله را اختراع می‌کند. ۱۹ 19
तुमने अपने मुख को बुराई के लिए समर्पित कर दिया है, तुम्हारी जीभ छल-कपट के लिए तत्पर रहती है.
نشسته‌ای تا به ضد برادر خود سخن رانی ودرباره پسر مادر خویش غیبت‌گویی. ۲۰ 20
तुम निरंतर अपने ही भाई की निंदा करते रहते हो, अपने ही सगे भाई के विरुद्ध चुगली लगाते रहते हो.
این راکردی و من سکوت نمودم. پس گمان بردی که من مثل تو هستم. لیکن تو را توبیخ خواهم کرد. و این را پیش نظر تو به ترتیب خواهم نهاد. ۲۱ 21
तुम यह सब करते रहे, किंतु मैं चुप रहा, और तुम यह समझते रहे कि मैं तुमसे सहमत हूं. किंतु मैं अब तुम्ही पर शासन करूंगा और तुम्हारे ही सम्मुख तुम पर आरोप लगाऊंगा.
‌ای فراموش کنندگان خدا، در این تفکر کنید! مباداشما را بدرم و رهاننده‌ای نباشد. ۲۲ 22
“तुम, जो परमेश्वर को भूलनेवाले हो गए हो, विचार करो, ऐसा न हो कि मैं तुम्हें टुकड़े-टुकड़े कर नष्ट कर दूं और कोई तुम्हारी रक्षा न कर सके:
هر‌که قربانی تشکر را گذراند مرا تمجید می‌کند. و آنکه طریق خود را راست سازد، نجات خدا را به وی نشان خواهم داد.» ۲۳ 23
जो कोई मुझे धन्यवाद की बलि अर्पित करता है, मेरा सम्मान करता है, मैं उसे, जो सन्मार्ग का आचरण करता है, परमेश्वर के उद्धार का अनुभव करवाऊंगा.”

< مزامیر 50 >