< داوران 16 >

و شمشون به غزه رفت و در آنجافاحشه‌ای دیده، نزد او داخل شد. ۱ 1
जब शिमशोन अज्जाह गया हुआ था, वहां उसकी नज़र एक वेश्या पर पड़ी, उसने उसके साथ संबंध बनाए.
و به اهل غزه گفته شد که شمشون به اینجا آمده است. پس او را احاطه نموده، تمام شب برایش نزددروازه شهر کمین گذاردند، و تمام شب خاموش مانده، گفتند، چون صبح روشن شود او رامی کشیم. ۲ 2
अज्जावासियों को बताया गया: “शिमशोन यहां आया हुआ है.” यह सुन उन्होंने उस स्थान को घेर लिया और सारी रात नगर के फाटक पर घात लगाए बैठे रहे. सारी रात वे चुपचाप रहे. उनकी योजना थी: “हम सुबह होने का इंतजार करेंगे, और भोर में हम उसकी हत्या कर देंगे.”
و شمشون تا نصف شب خوابید. ونصف شب برخاسته، لنکهای دروازه شهر و دوباهو را گرفته، آنها را با پشت بند کند و بر دوش خود گذاشته، بر قله کوهی که در مقابل حبرون است، برد. ۳ 3
शिमशोन आधी रात तक सोता रहा, फिर वह उठा, नगर द्वार के पल्लों को तथा दोनों मीनारों को पकड़ा, उन्हें उनकी छड़ों सहित उखाड़कर अपने कंधों पर रखा और उन्हें उस पहाड़ की चोटी पर ले गया, जो हेब्रोन के सामने है.
و بعد از آن واقع شد که زنی را در وادی سورق که اسمش دلیله بود، دوست می‌داشت. ۴ 4
इसके बाद, कुछ समय में उसे सोरेक घाटी की एक स्त्री से प्रेम हो गया, जिसका नाम दलीलाह था.
وسروران فلسطینیان نزد او برآمده، وی را گفتند: «او را فریفته، دریافت کن که قوت عظیمش در چه چیز است، و چگونه بر او غالب آییم تا او را بسته، ذلیل نماییم، و هریکی از ما هزار و صد مثقال نقره به تو خواهیم داد.» ۵ 5
फिलिस्तीनी के प्रधान दलीलाह से भेंटकरने आए और उसे आज्ञा दी, “उसे फुसला कर यह मालूम करो कि उसकी इस महान शक्ति का राज़ क्या है, और यह भी कि उसे कैसे बांधा जा सकता है, ताकि उसे वश में किया जाए. यह होने पर हमसे हर एक तुम्हें ग्यारह सौ चांदी के सिक्‍के देगा.”
پس دلیله به شمشون گفت: «تمنا اینکه به من بگویی که قوت عظیم تو در چه چیز است و چگونه می‌توان تو را بست و ذلیل نمود.» ۶ 6
दलीलाह ने शिमशोन से पूछा, “कृपया मुझे बताइए, आपकी महान शक्ति का राज़ क्या है, आपको दबाने के लिए किस प्रकार बांधा जा सकता है?”
شمشون وی را گفت: «اگر مرا به هفت ریسمان تر و تازه که خشک نباشد ببندند، من ضعیف و مثل سایر مردم خواهم شد.» ۷ 7
शिमशोन ने उसे उत्तर दिया, “यदि वे मुझे सात ऐसी तांतों से बांध दें, जिन्हें सुखाया नहीं गया है, तो मैं निर्बल हो जाऊंगा—किसी भी दूसरे मनुष्य के समान साधारण.”
و سروران فلسطینیان هفت ریسمان تر و تازه که خشک نشده بود، نزد او آوردند و او وی را به آنهابست. ۸ 8
फिलिस्तीनी प्रधानों ने सात नई तांतें लाकर दलीलाह को दे दी, जो सुखाई नहीं गई थी. दलीलाह ने शिमशोन को इनसे बांध दिया.
و کسان نزد وی در حجره در کمین می‌بودند و او وی را گفت: «ای شمشون فلسطینیان بر تو آمدند.» آنگاه ریسمانها رابگسیخت چنانکه ریسمان کتان که به آتش برخورد گسیخته شود، لهذا قوتش دریافت نشد. ۹ 9
उसने एक कमरे में कुछ व्यक्ति घात में बैठा रखे थे. वह चिल्लाई, “शिमशोन, फिलिस्तीनी तुम्हें पकड़ने आ रहे हैं!” किंतु शिमशोन ने उन तांतों को ऐसे तोड़ दिया जैसे आग लगते ही धागा टूट जाता है. उसका बल रहस्य ही बना रहा.
و دلیله به شمشون گفت: «اینک استهزاکرده، به من دروغ گفتی، پس الان مرا خبر بده که به چه چیز تو را توان بست.» ۱۰ 10
दलीलाह ने शिमशोन से कहा, “देखिए, आपने मेरे साथ छल किया है. आपने झूठ कहा है. कृपया मुझे बताइए कि आपको किस प्रकार बांधा जा सकता है.”
او وی را گفت: «اگر مرا با طنابهای تازه که با آنها هیچ کار کرده نشده است، ببندند، ضعیف و مثل سایر مردان خواهم شد.» ۱۱ 11
शिमशोन ने उसे उत्तर दिया, “यदि वे मुझे ऐसी रस्सियों से बांधें, जिनका उपयोग पहले किया नहीं गया है, मैं किसी भी अन्य व्यक्ति के समान निर्बल रह जाऊंगा.”
و دلیله طنابهای تازه گرفته، او رابا آنها بست و به وی گفت: «ای شمشون فلسطینیان بر تو آمدند.» و کسان در حجره درکمین می‌بودند. آنگاه آنها را از بازوهای خود مثل نخ بگسیخت. ۱۲ 12
तब दलीलाह ने वैसा ही किया. उसने शिमशोन को नई रस्सियों से बांध दिया. यह करने के बाद वह चिल्लाई, “शिमशोन! फिलिस्तीनी तुम्हें पकड़ने आ रहे हैं!” ये लोग कमरे में इसकी प्रतीक्षा ही कर रहे थे. शिमशोन ने अपनी बाहों पर बांधी गई इन रस्सियों को ऐसे तोड़ दिया, मानो उसकी बांहें धागों से बांधी गई हों.
و دلیله به شمشون گفت: «تابحال مرااستهزا نموده، دروغ گفتی. مرا بگو که به چه چیزبسته می‌شوی.» او وی را گفت: «اگر هفت گیسوی سر مرا با تار ببافی.» ۱۳ 13
दलीलाह ने शिमशोन से कहा, “अब तक मेरे साथ झूठ और छल ही करते रहे हैं. मुझे बताइए आपको बांधा कैसे जा सकता है.” शिमशोन ने उसे उत्तर दिया, “यदि मेरी सात लटों को बुनकर खूंटी की सहायता से जकड़ दें, तो मैं निर्बल और किसी भी दूसरे व्यक्ति के समान हो जाऊंगा!”
پس آنها را به میخ قایم بست و وی را گفت: «ای شمشون فلسطینیان بر تو آمدند.» آنگاه از خواب بیدار شده، هم میخ نورد نساج و هم تار را برکند. ۱۴ 14
सो जब शिमशोन सो रहा था, दलीलाह ने उसकी सात लटों को वस्त्र में बुन दिया और उन्हें खूंटी में फंसा दिया. फिर वह चिल्लाई, “शिमशोन आपको पकड़ने के लिए फिलिस्तीनी आ रहे हैं!” शिमशोन नींद से जाग उठा और करघे की खूंटी समेत वस्त्र को खींचकर ले गया.
و او وی را گفت: «چگونه می‌گویی که مرادوست می‌داری و حال آنکه دل تو با من نیست. این سه مرتبه مرا استهزا نموده، مرا خبر ندادی که قوت عظیم تو در چه چیز است.» ۱۵ 15
तब दलीलाह ने शिमशोन से कहा, “यह कैसे संभव है कि आप मुझसे यह कहें, ‘मुझे तुमसे प्रेम है,’ जब आपका हृदय मेरे प्रति सच्चा ही नहीं है? तीन बार आपने मुझसे छल किया है, और मुझसे यह छिपाए रखा है कि आपकी अपार शक्ति का राज़ क्या है.”
و چون اووی را هر روز به سخنان خود عاجز می‌ساخت واو را الحاح می‌نمود و جانش تا به موت تنگ می‌شد، ۱۶ 16
तब वह उसे हर दिन सताने लगी. वह शिमशोन को इतना मजबूर करने लगी कि शिमशोन की नाक में दम आ गया.
هر‌چه در دل خود داشت برای او بیان کرده، گفت که «استره بر سر من نیامده است، زیرا که از رحم مادرم برای خداوند نذیره شده‌ام، واگر تراشیده شوم، قوتم از من خواهد رفت وضعیف و مثل سایر مردمان خواهم شد.» ۱۷ 17
सो शिमशोन ने उसके सामने वह सब प्रकट कर दिया, जो उसके हृदय में था. उसने दलीलाह को बताया, “मैं अपनी माता के गर्भ से परमेश्वर के लिए नाज़ीर हूं. मेरे सिर पर कभी भी उस्तरा नहीं लगाया गया है. यदि उस्तरे से मेरे केश साफ़ कर दिए जाएं, तो मैं निर्बल होकर साधारण मनुष्य समान हो जाऊंगा.”
پس چون دلیله دید که هرآنچه در دلش بود، برای او بیان کرده است، فرستاد و سروران فلسطینیان را طلبیده، گفت: «این دفعه بیایید زیراهرچه در دل داشت مرا گفته است.» آنگاه سروران فلسطینیان نزد او آمدند و نقد را به‌دست خود آوردند. ۱۸ 18
जब दलीलाह को यह अहसास हुआ कि शिमशोन ने उस पर अपने हृदय के सारे राज़ बता दिए हैं, उसने फिलिस्तीनी प्रधानों को यह संदेश देते हुए बुलवा लिया, “एक बार और आ जाइए, क्योंकि उसने मुझे सारा राज़ बता दिया है.” तब फिलिस्तीनी प्रधान उसके पास आए और अपने साथ वे सिक्‍के भी ले आए.
و او را بر زانوهای خودخوابانیده، کسی را طلبید و هفت گیسوی سرش را تراشید. پس به ذلیل نمودن او شروع کرد وقوتش از او برفت. ۱۹ 19
उसने शिमशोन को अपने घुटनों पर सुला लिया, एक आदमी को बुलवाकर उसकी सात लटों पर उस्तरा चलवा दिया; शक्ति उसमें से जाती रही और दलीलाह उसे अपने वश में करने लगी!
و گفت: «ای شمشون فلسطینیان بر تو آمدند.» آنگاه از خواب بیدارشده، گفت: «مثل پیشتر بیرون رفته، خود رامی افشانم. اما او ندانست که خداوند از او دورشده است. ۲۰ 20
वह चिल्लाई, “शिमशोन, फिलिस्तीनी आपको पकड़ने आ रहे हैं!” वह अपनी नींद से जाग उठा. उसने सोचा, “इसके पहले के अवसरों के समान मैं अब भी एक झटके में स्वयं को आज़ाद कर लूंगा.” किंतु उसे यह मालूम ही न था कि याहवेह उसे छोड़ गए हैं.
پس فلسطینیان او را گرفته، چشمانش را کندند و او را به غزه آورده، به زنجیرهای برنجین بستند و در زندان دستاس می‌کرد. ۲۱ 21
फिलिस्तीनी आए और उन्होंने उसे पकड़कर उसकी आंखें निकाल डालीं. वे उसे अज्जाह ले गए और उसे कांसे की बेड़ियों में जकड़ दिया. वह कारागार में चक्की चलाने लगा.
و موی سرش بعد از تراشیدن باز به بلند شدن شروع نمود. ۲۲ 22
उसके सिर पर उस्तरा फेरे जाने के बाद अब उसके बाल दोबारा बढ़ने लगे.
و سروران فلسطینیان جمع شدند تا قربانی عظیمی برای خدای خود، داجون بگذرانند، وبزم نمایند زیرا گفتند خدای ما دشمن ما شمشون را به‌دست ما تسلیم نموده است. ۲۳ 23
फिलिस्तीनी प्रधानों ने अपने देवता दागोन के सम्मान में आनंद उत्सव और विशेष बलि का आयोजन किया. उनका विचार था, “हमारे देवता ने हमारे शत्रु शिमशोन को हमारे हाथों में सौंप दिया है.”
و چون خلق او را دیدند خدای خود را تمجید نمودند، زیراگفتند خدای ما دشمن ما را که زمین ما را خراب کرد و بسیاری از ما را کشت، به‌دست ما تسلیم نموده است. ۲۴ 24
जब लोगों ने शिमशोन को देखा, उन्होंने अपने देवता की स्तुति में कहा, “हमारे देवता ने हमारे शत्रु को हमारे वश में कर दिया है, वह हमारे देश को नाश करता रहा, उसने हमारी प्रजा के बहुतों को मार गिराया है.”
و چون دل ایشان شاد شد، گفتند: «شمشون را بخوانید تا برای ما بازی کند.» پس شمشون را از زندان آورده، برای ایشان بازی می کرد، و او را در میان ستونها برپا داشتند. ۲۵ 25
जब वे इस प्रकार के उल्लास में लीन थे, उन्होंने प्रस्ताव किया, “शिमशोन को बुलवाया जाए कि वह हमारा मनोरंजन करे.” तब उन्होंने कारागार से शिमशोन को बुलवाया और वह उनका मनोरंजन करने लगा. उन्होंने शिमशोन को मीनारों के बीच में खड़ा कर दिया.
وشمشون به پسری که دست او را می‌گرفت، گفت: «مرا واگذار تا ستونهایی که خانه بر آنها قایم است، لمس نموده، بر آنها تکیه نمایم.» ۲۶ 26
वहां शिमशोन ने उस बालक से कहा, जो उसे चलाने के लिए उसका हाथ पकड़ा करता था, “मुझे उन मीनारों को छूने दो, जिन पर यह भवन टिका है, कि मैं उनका टेक ले सकूं.”
و خانه از مردان و زنان پر بود و جمیع سروران فلسطینیان در آن بودند و قریب به سه هزار مرد و زن برپشت بام، بازی شمشون را تماشا می‌کردند. ۲۷ 27
इस समय वह भवन स्त्री-पुरुषों से भरा हुआ था, सभी फिलिस्तीनी शासक भी वहीं थे. छत पर लगभग तीन हज़ार स्त्री-पुरुष शिमशोन द्वारा किया जा रहा मनोरंजन का कार्य देख रहे थे.
و شمشون از خداوند استدعا نموده، گفت: «ای خداوند یهوه مرا بیاد آور و‌ای خدا این مرتبه فقط مرا قوت بده تا یک انتقام برای دو چشم خوداز فلسطینیان بکشم.» ۲۸ 28
जब शिमशोन ने याहवेह की यह दोहाई दी, “प्रभु याहवेह, कृपा कर मुझे याद कीजिए. परमेश्वर, बस एक ही बार मुझे शक्ति दे दीजिए, कि मैं फिलिस्तीनियों से अपनी दोनो आंखों का बदला ले सकूं.”
و شمشون دو ستون میان را که خانه بر آنها قایم بود، یکی را به‌دست راست و دیگری را به‌دست چپ خود گرفته، بر آنها تکیه نمود. ۲۹ 29
शिमशोन ने दो बीच के मीनारों को पकड़ लिया, जिन पर पूरा भवन टिका था. उसने उन्हें मजबूती से जकड़ कर उन पर अपना सारा बोझ डाल दिया. उसका दायां हाथ एक खंभे को तथा बायां हाथ दूसरे को पकड़ा हुआ था.
و شمشون گفت: «همراه فلسطینیان بمیرم و با زور خم شده، خانه بر سروران و برتمامی خلقی که در آن بودند، افتاد. پس مردگانی که در موت خود کشت از مردگانی که درزندگی‌اش کشته بود، زیادتر بودند. ۳۰ 30
शिमशोन ने विचार किया, “सही होगा कि मेरी मृत्यु फिलिस्तीनियों के साथ ही हो जाए!” वह अपनी पूरी शक्ति लगाकर झुक गया. तब यह हुआ कि वह भवन, प्रधानों और वहां जमा हुआ लोगों पर आ गिरा. इस प्रकार उनकी गिनती, जिनकी हत्या शिमशोन ने स्वयं अपनी मृत्यु के साथ की थी, उनसे अधिक हो गई, जिनकी हत्या शिमशोन ने अपने जीवन भर में की थी.
آنگاه برادرانش و تمامی خاندان پدرش آمده، او رابرداشتند و او را آورده، در قبر پدرش مانوح درمیان صرعه و اشتاول دفن کردند. و او بیست سال بر اسرائیل داوری کرد. ۳۱ 31
तब उसके भाई और उसके पिता के परिवार के सभी सदस्य वहां आ गए और उसे वहां से उठाकर ज़ोराह तथा एशताओल के बीच उसके पिता मानोहा की गुफा की कब्र में ले जाकर रख दिया. शिमशोन ने बीस साल इस्राएल का शासन किया था.

< داوران 16 >