< دوم پادشاهان 17 >

در سال دوازدهم آحاز، پادشاه یهودا، هوشع بن ایلا بر اسرائیل در سامره پادشاه شد و نه سال سلطنت نمود. ۱ 1
यहूदिया के राजा आहाज़ के शासन के बारहवें साल में एलाह का पुत्र होशिया शमरिया में राजा बना. उसका शासन नौ साल का था.
و آنچه درنظر خداوند ناپسند بود، به عمل آورد اما نه مثل پادشاهان اسرائیل که قبل از او بودند. ۲ 2
उसने वह किया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत था, मगर उस सीमा तक नहीं, जैसा इस्राएल में उसके पहले के राजाओं ने किया था.
و شلمناسر، پادشاه آشور، به ضد وی برآمده، هوشع، بنده او شد و برای او پیشکش آورد. ۳ 3
अश्शूर के राजा शालमानेसर ने उस पर हमला कर दिया. होशिया को उसके अधीन, जागीरदार होकर उसे कर देना पड़ता था.
اماپادشاه آشور در هوشع خیانت یافت زیرا که رسولان نزد سوء، پادشاه مصر فرستاده بود وپیشکش مثل هر سال نزد پادشاه آشور نفرستاده، پس پادشاه آشور او را بند نهاده، در زندان انداخت. ۴ 4
मगर अश्शूर के राजा को होशिया के एक षड़्‍यंत्र के विषय में मालूम हो गया. होशिया ने मिस्र देश के राजा सोअ से संपर्क के लिए अपने दूत भेजे थे, और उसने अपने ठहराए गए कर का भुगतान भी नहीं किया था, जैसा वह हर साल किया करता था. तब अश्शूर के राजा ने उसे बंदी बनाकर बंदीगृह में डाल दिया.
و پادشاه آشور بر تمامی زمین هجوم آورده، به سامره برآمد و آن را سه سال محاصره نمود. ۵ 5
इसके बाद उसने सारी इस्राएल देश पर कब्जा किया, और तीन साल तक शमरिया नगर को अपनी अधीनता में रखा.
ودر سال نهم هوشع، پادشاه آشور، سامره را گرفت و اسرائیل را به آشور به اسیری برد و ایشان را درحلح و خابور بر نهر جوزان و در شهرهای مادیان سکونت داد. ۶ 6
होशिया के शासन के नवें साल में अश्शूर के राजा ने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया. उसने इस्राएल जनता को बंदी बनाकर अश्शूर ले जाकर वहां हालाह और हाबोर क्षेत्र में बसा दिया. ये दोनों क्षेत्र मेदिया प्रदेश के गोज़ान नदी के तट पर स्थित हैं.
و از این جهت که بنی‌اسرائیل به یهوه، خدای خود که ایشان را از زمین مصر از زیردست فرعون، پادشاه مصر بیرون آورده بود، گناه ورزیدند و از خدایان دیگر ترسیدند. ۷ 7
यह सब इसलिये हुआ कि इस्राएल वंशजों ने याहवेह, अपने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया; उस परमेश्वर के विरुद्ध, जिन्होंने उन्हें मिस्र के राजा फ़रोह की बंधुआई से मुक्त कराया था. उनमें पराए देवताओं के लिए भय आ गया था.
و درفرایض امتهایی که خداوند از حضور بنی‌اسرائیل اخراج نموده بود و در فرایضی که پادشاهان اسرائیل ساخته بودند، سلوک نمودند. ۸ 8
वे उन राष्ट्रों की प्रथाओं का पालन करने लगे थे, जिन जनताओं को याहवेह ने इस्राएल वंश के सामने से अलग कर दिया था. इसके अलावा वे इस्राएल के राजाओं द्वारा प्रचलित प्रथाओं का पालन करने लगे थे.
وبنی‌اسرائیل به خلاف یهوه، خدای خود کارهایی را که درست نبود، سر به عمل آوردند، و درجمیع شهرهای خود، از برجهای دیدبانان تاشهرهای حصاردار، مکان های بلند برای خودساختند. ۹ 9
इस्राएल के लोग याहवेह, उनके परमेश्वर के विरुद्ध गुप्‍त रूप से वह सब करते रहे, जो गलत था. उन्होंने अपने सारे नगरों में पहरेदारों के खंभों से लेकर गढ़नगर तक पूजा की जगहों को बनवाया.
و تماثیل و اشیریم بر هر تل بلند وزیر هر درخت سبز برای خویشتن ساختند. ۱۰ 10
उन्होंने हर एक ऊंची पहाड़ी पर और हर एक हरे पेड़ के नीचे अशेराह के खंभे खड़े किए.
ودر آن جایها مثل امتهایی که خداوند از حضورایشان رانده بود، در مکان های بلند بخور سوزانیدند واعمال زشت به‌جا آورده، خشم خداوند را به هیجان آوردند. ۱۱ 11
वे सारे पूजा स्थलों पर धूप जलाते थे, उन्हीं जनताओं के समान, जिन्हें याहवेह ने उनके सामने से हटाकर अलग किया था. इस्राएली प्रजा दुष्टता से भरे कामों में लगी रही, जिससे याहवेह का गुस्सा भड़क उठता था.
و بتها را عبادت نمودند که درباره آنها خداوند به ایشان گفته بود، این کار را مکنید. ۱۲ 12
वे मूर्तियों की सेवा-उपासना करते रहे, जिनके विषय में याहवेह ने उन्हें चेताया था, “तुम यह न करना.”
و خداوند به واسطه جمیع انبیا و جمیع رائیان بر اسرائیل و بر یهودا شهادت می‌داد و می‌گفت: «از طریقهای زشت خودبازگشت نمایید و اوامر و فرایض مرا موافق تمامی شریعتی که به پدران شما امر فرمودم و به واسطه بندگان خود، انبیا نزد شما فرستادم، نگاه دارید.» ۱۳ 13
फिर भी याहवेह इस्राएल और यहूदिया को हर एक भविष्यद्वक्ता और दर्शी के द्वारा इस प्रकार चेतावनी देते रहेः “व्यवस्था के अनुसार अपनी बुराइयों से फिरकर मेरे आदेशों और नियमों का पालन करो, जिनका आदेश मैंने तुम्हारे पूर्वजों को दिया था, और जिन्हें मैंने भविष्यवक्ताओं, मेरे सेवकों के माध्यम से तुम तक पहुंचाया.”
اما ایشان اطاعت ننموده، گردنهای خود را مثل گردنهای پدران ایشان که به یهوه، خدای خود ایمان نیاوردند، سخت گردانیدند. ۱۴ 14
मगर उन्होंने इसकी अवहेलना की, और अपने हृदय कठोर कर लिए; जैसा उनके पूर्वजों ने किया था, जिनकी याहवेह, उनके परमेश्वर में कोई श्रद्धा न थी.
و فرایض او و عهدی که با پدران ایشان بسته، وشهادات را که به ایشان داده بود، ترک نمودند، وپیروی اباطیل نموده، باطل گردیدند و امتهایی راکه به اطراف ایشان بودند و خداوند، ایشان رادرباره آنها امر فرموده بود که مثل آنها عمل منمایید، پیروی کردند. ۱۵ 15
उन्होंने याहवेह के नियमों का तिरस्कार किया और उस वाचा को तुच्छ माना, जो याहवेह ने उनके पूर्वजों के साथ स्थापित की थी. उन्होंने उन चेतावनियों पर ध्यान न दिया, जिनके द्वारा याहवेह ने उन्हें सचेत करना चाहा था. वे बेकार के कामों का अनुसरण करते-करते खुद भी बेकार बन गए, और अपने पड़ोसी राष्ट्रों के समान हो गए. इन्हीं राष्ट्रों के बारे में याहवेह ने उन्हें साफ़ आदेश दिया था: “उनका अनुसरण नहीं करना.”
و تمامی اوامر یهوه خدای خود را ترک کرده، بتهای ریخته شده، یعنی دو گوساله برای خود ساختند و اشیره راساخته، به تمامی لشکر آسمان سجده کردند وبعل را عبادت نمودند. ۱۶ 16
उन्होंने याहवेह, अपने परमेश्वर के सभी आदेशों को त्याग दिया, और उन्होंने अपने लिए बछड़ों की धातु की मूर्तियां, हां, दो बछड़ों की मूर्तियां ढाल लीं. उन्होंने अशेराह को बनाया और आकाश की सारी शक्तियों और बाल देवता की उपासना की.
و پسران و دختران خودرا از آتش گذرانیدند و فالگیری و جادوگری نموده، خویشتن را فروختند تا آنچه در نظرخداوند ناپسند بود، به عمل آورده، خشم او را به هیجان بیاوردند. ۱۷ 17
इसके बाद उन्होंने अपनी संतान को आग के बीच से होकर निकलने की प्रथा पूरी करने के लिए मजबूर किया. वे भावी कहते थे और जादू-टोना भी करते थे. उन्होंने स्वयं को वह सब करने के लिए समर्पित कर दिया, जो याहवेह की दृष्टि में गलत है. इससे उन्होंने याहवेह के क्रोध को भड़का दिया.
پس از این جهت غضب خداوند بر اسرائیل به شدت افروخته شده، ایشان را از حضور خود دور انداخت که جز سبط یهودافقط باقی نماند. ۱۸ 18
फलस्वरूप याहवेह इस्राएल पर बहुत ही क्रोधित हो गए, और उन्होंने इस्राएल को अपनी नज़रों से दूर कर दिया; सिवाय यहूदाह गोत्र के.
اما یهودا نیز اوامر یهوه، خدای خود را نگاه نداشتند بلکه به فرایضی که اسرائیلیان ساخته بودند، سلوک نمودند. ۱۹ 19
यहूदिया ने भी याहवेह, अपने परमेश्वर के आदेशों का पालन नहीं किया. उसने उन्हीं प्रथाओं का अनुसरण किया, जिनको इस्राएल द्वारा शुरू किया गया था.
پس خداوند تمامی ذریت اسرائیل را ترک نموده، ایشان را ذلیل ساخت و ایشان را به‌دست تاراج کنندگان تسلیم نمود، حتی اینکه ایشان را از حضور خود دورانداخت. ۲۰ 20
याहवेह ने इस्राएल के सारे वंशजों को त्याग दिया, उन्हें सताया, उन्हें लुटेरों को सौंप दिया, और अपनी दृष्टि से दूर कर दिया.
زیرا که او اسرائیل را از خاندان داود منشق ساخت و ایشان یربعام بن نباط را به پادشاهی نصب نمودند و یربعام، اسرائیل را از پیروی خداوند برگردانیده، ایشان را مرتکب گناه عظیم ساخت. ۲۱ 21
जब याहवेह इस्राएल को दावीद के वंश से अलग कर चुके, इस्राएलियों ने नेबाथ के पुत्र यरोबोअम को राजा बनाकर प्रतिष्ठित किया. यरोबोअम ने इस्राएल से याहवेह का अनुसरण खत्म करवा दिया, और इस्राएल को अधम पाप के लिए उकसाया.
و بنی‌اسرائیل به تمامی گناهانی که یربعام ورزیده بود سلوک نموده، از آنها اجتناب نکردند. ۲۲ 22
इस्राएली प्रजा ने वे सारे पाप किए, जो यरोबोअम ने स्वयं किए थे. इन पापों से वे कभी दूर न हुए.
تا آنکه خداوند اسرائیل را موافق آنچه به واسطه جمیع بندگان خود، انبیا گفته بود، از حضور خود دور انداخت. پس اسرائیل از زمین خود تا امروز به آشور جلای وطن شدند. ۲۳ 23
तब याहवेह ने उन्हें अपनी दृष्टि से दूर कर दिया, जैसा उन्होंने भविष्यवक्ताओं, अपने सेवकों, के द्वारा पहले ही घोषित कर दिया था. तब इस्राएल वंशज अपने देश से अश्शूर को बंधुआई में भेज दिए गए, वे अब तक बंधुआई में ही हैं.
و پادشاه آشور، مردمان از بابل و کوت وعوا و حمات و سفروایم آورده، ایشان را به‌جای بنی‌اسرائیل در شهرهای سامره سکونت داد وایشان سامره را به تصرف آورده، در شهرهایش ساکن شدند. ۲۴ 24
अश्शूर के राजा ने बाबेल, कूथाह, अव्वा, हामाथ और सेफरवाइम से लोगों को लाकर शमरिया के नगरों में बसा दिया, जहां इसके पहले इस्राएल का रहना था. उन्होंने शमरिया को अपने अधिकार में ले लिया, और उसके नगरों में रहने लगे.
و واقع شد که در ابتدای سکونت ایشان در آنجا از خداوند نترسیدند. لهذا خداوندشیران در میان ایشان فرستاد که بعضی از ایشان راکشتند. ۲۵ 25
उनके वहां रहने के शुरुआती सालों में उनके मन में याहवेह के प्रति भय था ही नहीं. तब याहवेह ने उनके बीच शेर भेज दिए, जिन्होंने उनमें से कुछ को अपना कौर बना लिया.
پس به پادشاه آشور خبر داده، گفتند: «طوایفی که کوچانیدی و ساکن شهرهای سامره گردانیدی، قاعده خدای آن زمین را نمی دانند و اوشیران در میان ایشان فرستاده است و اینک ایشان را می‌کشند از این جهت که قاعده خدای آن زمین را نمی دانند.» ۲۶ 26
इसके बारे में अश्शूर के राजा को सूचित किया गया: “जिन राष्ट्रों को आपने ले जाकर शमरिया के नगरों में बसाया है, उन्हें इस देश के देवता की विधि पता नहीं है, इसलिये उसने उनके बीच शेर भेज दिए हैं. अब देखिए वे प्रजा को मार रहे हैं, क्योंकि प्रजा को इस देश के देवता का पता नहीं है.”
و پادشاه آشور امر فرموده، گفت: «یکی از کاهنانی را که از آنجا کوچانیدید، بفرست تا برود و در آنجا ساکن شود و ایشان راموافق قاعده خدای زمین تعلیم دهد.» ۲۷ 27
यह सुन अश्शूर के राजा ने यह आदेश दिया, “जिन पुरोहितों को बंधुआई में लाया गया है, उनमें से एक पुरोहित को वहां भेज दिया जाए, कि वह वहां जाकर वहीं रहा करे, और वहां बसे इन लोगों को उस देश के देवता की व्यवस्था की शिक्षा दे.”
پس یکی از کاهنانی که از سامره کوچانیده بودند، آمدو در بیت ئیل ساکن شده، ایشان را تعلیم داد که چگونه خداوند را باید بپرستند. ۲۸ 28
तब शमरिया से निकले पुरोहितों में से एक पुरोहित बेथेल नगर में आकर निवास करने लगा, जो उन्हें याहवेह के प्रति भय रखने के विषय में शिक्षा देता था.
اما هر امت، خدایان خود را ساختند و درخانه های مکان های بلند که سامریان ساخته بودندگذاشتند، یعنی هر امتی در شهر خود که در آن ساکن بودند. ۲۹ 29
मगर हर एक राष्ट्र अपने-अपने देवताओं की मूर्तियां बनाता रहा, और उन्हें अपने-अपने नगरों के पूजा स्थलों में प्रतिष्ठित करता रहा; उन पूजा स्थलों पर, जो शमरिया के मूलवासियों द्वारा बनाए गए थे. यह वे उन सभी नगरों में करते गए, जहां वे बसते जा रहे थे.
پس اهل بابل، سکوت بنوت را واهل کوت، نرجل را و اهل حمات، اشیما راساختند. ۳۰ 30
जो लोग बाबेल से आए थे उन्होंने सुक्कोथ-बेनोथ की मूर्ति, कूथ से आए लोगों ने नेरगल की, हामाथ से बसे हुए विदेशियों ने आषिमा की,
و عویان، نبحز و ترتاک را ساختند واهل سفروایم، پسران خود را برای ادرملک وعنملک که خدایان سفروایم بودند، به آتش می‌سوزانیدند. ۳۱ 31
अब्बी प्रवासियों ने निभाज़ और तारतक की; इसके अलावा सेफारवी प्रवासियों ने अपने बालकों को अद्राम्मेलेख और अन्‍नाम्मेलेख के लिए आग में बलि करने सेफरवाइम देवता की प्रथा चालू रखी.
پس یهوه را می‌پرستیدند وکاهنان برای مکان های بلند از میان خود ساختندکه برای ایشان در خانه های مکان های بلند قربانی می‌گذرانیدند. ۳۲ 32
हां, उन्होंने भय के कारण याहवेह के लिए सभी प्रकार के लोगों में से पुरोहित भी चुन लिए. ये पुरोहित उनके लिए पूजा की जगहों पर बलि चढ़ाया करते थे.
پس یهوه را می‌پرستیدند وخدایان خود را نیز بر وفق رسوم امتهایی که ایشان را از میان آنها کوچانیده بودند، عبادت می‌نمودند. ۳۳ 33
संक्षेप में, वे याहवेह के प्रति भय रखते हुए भी अपने-अपने राष्ट्र के उन देवताओं की उपासना करते रहे, जिन राष्ट्रों से लाकर वे यहां बसाए गए थे.
ایشان تا امروز بر‌حسب عادت نخستین خود رفتار می‌نمایند و نه از یهوه می‌ترسند و نه موافق فرایض و احکام او و نه مطابق شریعت و اوامری که خداوند به پسران یعقوب که او را اسرائیل نام نهاد، امر نمود، رفتارمی کنند، ۳۴ 34
आज तक वे अपनी-अपनी पहले की प्रथाओं में लगे हैं. वे न तो याहवेह के प्रति भय दिखाते हैं, न ही वे याहवेह द्वारा दी गई विधियों या आदेशों या नियमों या व्यवस्था का पालन करते हैं, जिनके पालन करने का आदेश याहवेह द्वारा याकोब के वंशों को दिया गया था, जिन्हें वह इस्राएल नाम से बुलाते थे,
با آنکه خداوند با ایشان عهد بسته بود و ایشان را امر فرموده، گفته بود: «از خدایان غیر مترسید و آنها را سجده منمایید و عبادت مکنید و برای آنها قربانی مگذرانید. ۳۵ 35
जिनके साथ याहवेह ने वाचा स्थापित की थी, और उन्हें यह आदेश दिया था: “पराए देवताओं से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है और न ही आवश्यकता है उनके सामने झुकने की, न उन्हें बलि चढ़ाने की, और न उनकी सेवा-उपासना करने की.
بلکه ازیهوه فقط که شما را از زمین مصر به قوت عظیم وبازوی افراشته بیرون آورد، بترسید و او را سجده نمایید و برای او قربانی بگذرانید. ۳۶ 36
हां, भय उस याहवेह के लिए रखो, जिन्होंने मिस्र देश से तुम्हें अद्धुत सामर्थ्य और बढ़ाई हुई भुजा से तुमको निकालकर यहां ले आए हैं. भय उन्हीं के प्रति बनाए रखो, वंदना के लिए उन्हीं के सामने झुको, और बलि उन्हें ही चढ़ाओ.
و فرایض واحکام و شریعت و اوامری را که برای شما نوشته است، همیشه اوقات متوجه شده، به‌جا آورید واز خدایان غیر مترسید. ۳۷ 37
इसके अलावा जो विधियां, नियम, व्यवस्था और आदेश उन्होंने तुम्हारे लिए लिखवा दिए हैं, उन्हें तुम हमेशा पालन करते रहो. साथ ही, यह ज़रूरी नहीं कि तुम पराए देवताओं से डरो.
و عهدی را که با شمابستم، فراموش مکنید و از خدایان غیر مترسید. ۳۸ 38
तुम उस वाचा को न भूलना जो मैंने तुम्हारे साथ बांधी है और न पराए देवताओं का भय मानना.
زیرا اگر از یهوه، خدای خود بترسید، او شمارا از دست جمیع دشمنان شما خواهد رهانید.» ۳۹ 39
तुम सिर्फ याहवेह अपने परमेश्वर का भय मानना. याहवेह ही तुम्हें तुम्हारे सारी शत्रुओं से छुटकारा दिलाएंगे.”
اما ایشان نشنیدند بلکه موافق عادت نخستین خود رفتار نمودند. ۴۰ 40
इतना सब होने पर भी उन्होंने याहवेह की बातों पर ध्यान न दिया, वे अपने पहले के आचरण पर ही चलते रहे.
پس آن امتها، یهوه را می‌پرستیدند و بتهای خود را نیز عبادت می‌کردند و همچنین پسران ایشان و پسران پسران ایشان به نحوی که پدران ایشان رفتار نموده بودند تا امروز رفتار می‌نمایند. ۴۱ 41
इन जातियों ने याहवेह का भय तो माना, मगर साथ ही वे अपनी गढ़ी हुई मूर्तियों की उपासना भी करते रहे. उनकी संतान भी यही करती रही. और उनके बाद उनकी संतान भी, जैसा जैसा उन्होंने अपने पिता को करते देखा, उन्होंने आज तक उसी के जैसा किया.

< دوم پادشاهان 17 >