< ପ୍ରଥମ ରାଜାବଳୀ 22 >

1 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଅରାମ ଓ ଇସ୍ରାଏଲ ଯୁଦ୍ଧ ନ କରି ତିନି ବର୍ଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ କ୍ଷାନ୍ତ ରହିଲେ।
पुढील तीन वर्षे इस्राएल आणि अराम यांच्यामध्ये शांततेची गेली.
2 ତହୁଁ ତୃତୀୟ ବର୍ଷରେ ଯିହୁଦାର ରାଜା ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆସିଲେ।
तिसऱ्या वर्षी, यहूदाचा राजा यहोशाफाट इस्राएलाचा राजा याला भेटायला गेला.
3 ଏଥିରେ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଆପଣା ଦାସମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ରାମୋତ୍‍-ଗିଲୀୟଦ ଯେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ଅଟେ, ଏହା କʼଣ ତୁମ୍ଭେମାନେ ଜାଣ ନାହିଁ? ତଥାପି ଆମ୍ଭେମାନେ ନୀରବ ହୋଇ ରହି ଅରାମର ରାଜା ହସ୍ତରୁ ତାହା ନେଉ ନାହୁଁ।”
यावेळी इस्राएलाच्या राजाने आपल्या अधिकाऱ्यांना विचारले, “अरामाच्या राजाने रामोथ-गिलाद आपल्याकडून घेतले होते ते आठवते ना? ते परत मिळवण्यासाठी आपण काहीच का केले नाही? रामोथ आपले असायला हवे.”
4 ପୁଣି, ସେ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ କʼଣ ଯୁଦ୍ଧ କରିବା ପାଇଁ ମୋʼ ସଙ୍ଗେ ରାମୋତ୍‍-ଗିଲୀୟଦକୁ ଯିବ?” ତହିଁରେ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜାଙ୍କୁ କହିଲେ; “ମୁଁ ତୁମ୍ଭ ପରି, ମୋର ଲୋକ ତୁମ୍ଭ ଲୋକ ପରି, ମୋର ଅଶ୍ୱ ତୁମ୍ଭ ଅଶ୍ୱ ପରି।”
आणि इस्राएल राजा यहोशाफाटाला म्हणाला, “तुम्ही आमच्या बाजूने रामोथ-गिलाद येथे अरामी सैन्याशी लढाल का?” यहोशाफाट म्हणाला, “अवश्य माझे सैन्य आणि घोडे तुमचेच आहेत.”
5 ଆହୁରି ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୁଁ ବିନୟ କରୁଅଛି, ଆଜି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବାକ୍ୟ ପଚାର।”
यहोशाफाटाने इस्राएलाच्या राजास म्हटले, “प्रथम आपण परमेश्वराचा सल्ला घेतला पाहिजे.”
6 ତେବେ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତାମାନଙ୍କର ଊଣାଧିକ ଚାରି ଶହ ଲୋକ ଏକତ୍ର କରି ସେମାନଙ୍କୁ ପଚାରିଲେ, “ମୁଁ ରାମୋତ୍‍-ଗିଲୀୟଦ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଯୁଦ୍ଧ କରିବାକୁ ଯିବି କି କ୍ଷାନ୍ତ ହେବି?” ତହୁଁ ସେମାନେ କହିଲେ, “ଯାଉନ୍ତୁ; କାରଣ ପ୍ରଭୁ ମହାରାଜାଙ୍କ ହସ୍ତରେ ତାହା ସମର୍ପଣ କରିବେ।”
तेव्हा इस्राएलाच्या राजाने संदेष्ट्यांची एक सभा घेतली. तेव्हा तिथे चारशे संदेष्टे हजर होते. राजाने त्यांना विचारले, “आपण आत्ताच रामोथ-गिलाद येथे अरामी फौजेवर चालून जावे का?” की काही काळ थांबावे? संदेष्टे म्हणाले, “तुम्ही खुशाल आत्ताच हल्ला करा. परमेश्वर तुम्हास जय मिळवून देईल.”
7 ମାତ୍ର ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ କହିଲେ, “ଏମାନଙ୍କ ବ୍ୟତୀତ ଯାହାକୁ ଆମ୍ଭେମାନେ ପଚାରି ପାରୁ, ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କର ଏପରି ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତା କି କେହି ଏଠାରେ ନାହିଁ?”
पण यहोशाफाटाने शंका काढली, “परमेश्वराचा आणखी कोणी संदेष्टा यांच्या खेरीज इथे आहे का? तसा असेल तर त्यालाही देवाचे मत विचारलेले बरे.”
8 ତହିଁରେ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଆଉ ଜଣେ ଅଛନ୍ତି, ଯାହା ଦ୍ୱାରା ଆମ୍ଭେମାନେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ପଚାରି ପାରୁ, ସେ ଇମ୍ଲର ପୁତ୍ର ମୀଖାୟ; ମାତ୍ର ମୁଁ ତାହାକୁ ଘୃଣା କରେ; କାରଣ ସେ ମୋʼ ବିଷୟରେ ଅମଙ୍ଗଳ ବିନା ମଙ୍ଗଳର ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବାକ୍ୟ ପ୍ରଚାର କରେ ନାହିଁ।” ତହୁଁ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ କହିଲେ, “ରାଜା ଏପରି ନ କହନ୍ତୁ।”
इस्राएलाचा राजा म्हणाला, “ज्याच्या द्वारे परमेश्वराचा सल्ला घेता येईल तसा आणखी एक संदेष्टा आहे. इम्ला याचा पुत्र मीखाया.” पण मी त्याचा द्वेष करतो. कारण तो काही सांगतो तेव्हा माझ्याबद्दल कधीच चांगले भविष्यकथन करत नाही. त्याचे बोलणे मला अप्रिय वाटते. यहोशाफाट म्हणाला, “इस्राएलाच्या राजा, तुझे असे बोलणे बरोबर नव्हे.”
9 ସେତେବେଳେ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଏକ ଅଧ୍ୟକ୍ଷଙ୍କୁ ଡାକି କହିଲେ, “ଇମ୍ଲର ପୁତ୍ର ମୀଖାୟକୁ ଶୀଘ୍ର ଆଣ।”
तेव्हा इस्राएलाच्या राजाने आपल्या एका सेवकाला “इम्लाचा पुत्र मीखायाला घेऊन येण्यास सांगितले.”
10 ଏଥିମଧ୍ୟରେ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଓ ଯିହୁଦାର ରାଜା ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଆପଣାମାନଙ୍କ ରାଜବସ୍ତ୍ର ପିନ୍ଧି ଶମରୀୟାର ଦ୍ୱାର-ପ୍ରବେଶ ସ୍ଥାନ ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ମେଲାରେ ଆପଣା ଆପଣା ସିଂହାସନରେ ବସିଥିଲେ; ଆଉ ସେମାନଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତା ସମସ୍ତେ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବାକ୍ୟ ପ୍ରଚାର କରୁଥିଲେ।
१०यावेळी इस्राएलाचा राजा व यहूदाचा राजा यहोशाफाट राजवस्त्रे घालून सिंहासनावर बसले होते. शोमरोनच्या वेशीजवळ न्यायदान चालते त्याठिकाणी ते होते. सर्व संदेष्टे त्यांच्या समोर उभे होते. त्यांचे भविष्यकथन चालेले होते.
11 ଆଉ କନାନାର ପୁତ୍ର ସିଦିକୀୟ ଲୌହମୟ ଶୃଙ୍ଗମାନ ନିର୍ମାଣ କରି କହିଲା, “ସଦାପ୍ରଭୁ ଏହି କଥା କହନ୍ତି, ଏତଦ୍ଦ୍ୱାରା ଆପଣ ଅରାମୀୟମାନଙ୍କୁ ସଂହାର କରିବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଭୁସି ପକାଇବେ।”
११त्यांच्यापैकी एक कनानाचा पुत्र सिद्कीया हा होता. त्याने प्रचंड शक्तीचे प्रतीक अशी लोखंडाची शिंगे केली होती. तो अहाबाला म्हणाला, “परमेश्वराचे म्हणणे हे आहे की ही शिंगे तू अरामी सैन्याविरुध्द लढताना वापरावीस म्हणजे तू शत्रूचा पराभव करशील, त्याचा संहार करशील.”
12 ତହିଁରେ ସବୁ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତା ତଦ୍ରୂପ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବାକ୍ୟ ପ୍ରଚାର କରି କହିଲେ, “ରାମୋତ୍‍-ଗିଲୀୟଦକୁ ଯାଇ କୃତକାର୍ଯ୍ୟ ହେଉନ୍ତୁ; କାରଣ ସଦାପ୍ରଭୁ ତାହା ମହାରାଜଙ୍କ ହସ୍ତରେ ସମର୍ପଣ କରିବେ।”
१२मग ते सर्वच भविष्यवादी भविष्य सांगत होते. पुढे सिद्कीया म्हणाला, “आता तुझ्या सैन्याने चढाई करावी. रामोथ-गिलाद येथे अरामी सैन्यावर हल्ला करावा. विजय तुमचाच आहे. परमेश्वर ते राजाच्या हाती देईल.”
13 ଯେଉଁ ଦୂତ ମୀଖାୟକୁ ଡାକିବାକୁ ଯାଇଥିଲା, ସେ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଦେଖ, ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତାମାନଙ୍କର ବାକ୍ୟ ଏକ ମୁଖରେ ରାଜାଙ୍କର ମଙ୍ଗଳ ପ୍ରକାଶ କରୁଅଛି; ମୁଁ ବିନୟ କରୁଅଛି, ତୁମ୍ଭର ବାକ୍ୟ ସେମାନଙ୍କର ଜଣକର ବାକ୍ୟ ତୁଲ୍ୟ ହେଉ, ଆଉ ତୁମ୍ଭେ ମଙ୍ଗଳର କଥା କୁହ।”
१३हे चाललेले असतानाच एक सेवक मीखायाच्या शोधात गेला व त्यास भेटून म्हणाला, “राजा या युध्दात विजयी होईल असे सर्वच संदेष्ट्यांचे म्हणणे आहे. तेव्हा तूही तसेच म्हणणे श्रेयस्कर ठरेल व ते सुरक्षितपणाचे होईल.”
14 ତହୁଁ ମୀଖାୟ କହିଲା, “ସଦାପ୍ରଭୁ ଜୀବିତ ଥିବା ପ୍ରମାଣେ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋତେ ଯାହା କହିବେ, ମୁଁ ତାହା ହିଁ କହିବି।”
१४पण मीखाया म्हणाला, “नाही, कदापि नाही. जे परमेश्वर माझ्याकडून वदवतो तेच मी सांगेन. माझी तशी प्रतिज्ञाच आहे.”
15 ଏଉତ୍ତାରେ ମୀଖାୟ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆସନ୍ତେ, ରାଜା ତାହାକୁ କହିଲେ, “ମୀଖାୟ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଯୁଦ୍ଧ କରିବା ପାଇଁ ରାମୋତ୍‍-ଗିଲୀୟଦକୁ ଯିବା କି କ୍ଷାନ୍ତ ହେବା?” ତହିଁରେ ସେ ଉତ୍ତର କଲା, “ଯାଉନ୍ତୁ, କୃତକାର୍ଯ୍ୟ ହେଉନ୍ତୁ; ସଦାପ୍ରଭୁ ତାହା ମହାରାଜଙ୍କ ହସ୍ତରେ ସମର୍ପଣ କରିବେ।”
१५मीखाया मग राजाकडे आला. राजाने त्यास विचारले, “मीखाया, मी आणि राजा यहोशाफाट हातमिळवणी करु ना? रामोथ-गिलाद अरामाच्या सैन्यावर आता चढाई करु का?” मीखाया म्हणाला, “हो तुम्ही आत्ताच ही लढाई करा. परमेश्वर तुम्हास यश देईल.”
16 ତହୁଁ ରାଜା ତାହାକୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନାମରେ ସତ୍ୟ ବିନୁ ଆଉ କିଛି ମୋତେ ନ କୁହ ବୋଲି ମୁଁ କେତେ ଥର ତୁମ୍ଭକୁ ଶପଥ କରାଇବି?”
१६पण राजा त्यास म्हणाला, “तू हे परमेश्वराच्या शक्तीने सांगत नाहीस. आपल्या मनाचे सांगतो आहेस. तेव्हा खरे काय ते सांग परमेश्वराचे म्हणणे सांग. अशी शपथ कितीदा मी तुला देऊ?”
17 ଏଥିରେ ସେ କହିଲା, “ମୁଁ ସମଗ୍ର ଇସ୍ରାଏଲକୁ ଅରକ୍ଷକ ମେଷପଲ ତୁଲ୍ୟ ପର୍ବତମାନରେ ଛିନ୍ନଭିନ୍ନ ଦେଖିଲି, ଆଉ ସଦାପ୍ରଭୁ କହିଲେ, ‘ଏମାନଙ୍କର କର୍ତ୍ତା ନାହିଁ; ଏମାନେ ପ୍ରତ୍ୟେକେ କୁଶଳରେ ଆପଣା ଆପଣା ଗୃହକୁ ଫେରି ଯାଉନ୍ତୁ।’”
१७तेव्हा मीखायाने सांगितले, “काय होणार ते मला दिसते आहे. इस्राएलाचे सैन्य डोंगरांवर इतस्तत: पसरेल. मेंढपाळ नसलेल्या मेंढरांसारखी त्यांची अवस्था होईल. परमेश्वराचे म्हणणे असे आहे, ‘यांना कोणी नेता नाही. यांनी सुखरूप घरी जावे. लढाईच्या भानगडीत पडू नये.”
18 ତହୁଁ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଏ ଆମ୍ଭ ବିଷୟରେ ଅମଙ୍ଗଳ ବିନା ମଙ୍ଗଳର ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବାକ୍ୟ ପ୍ରଚାର କରିବ ନାହିଁ ବୋଲି କି ମୁଁ ତୁମ୍ଭକୁ କହିଲି ନାହିଁ?”
१८मग इस्राएलाच्या राजा यहोशाफाटाला म्हणाला, “पाहा, हेच बोललो होतो ना मी! हा संदेष्टा कधीही माझ्याबद्दल चांगले भविष्यकथन करत नाही. हा नेहमी अप्रिय गोष्टीच मला ऐकवतो.”
19 ପୁଣି, ମୀଖାୟ କହିଲା, “ଏହେତୁ ତୁମ୍ଭେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବାକ୍ୟ ଶୁଣ; ମୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କୁ ତାହାଙ୍କ ସିଂହାସନରେ ଉପବିଷ୍ଟ ଓ ତାହାଙ୍କ ଦକ୍ଷିଣ ଓ ବାମ ହସ୍ତରେ ତାହାଙ୍କ ନିକଟରେ ସ୍ୱର୍ଗୀୟ ସମୁଦାୟ ସୈନ୍ୟଙ୍କୁ ଉଭା ହେବାର ଦେଖିଲି।
१९इकडे परमेश्वराचे म्हणणे काय आहे ते मीखाया सांगतच होता. मीखाया म्हणाला, “ऐका परमेश्वर काय म्हणतो: ते पाहा परमेश्वर स्वर्गात सिंहासनावर बसलेला मी पाहिला. आकाशातले त्याचे सर्व सैन्य त्याच्या शेजारी उभे आहे.
20 ତହିଁରେ ସଦାପ୍ରଭୁ କହିଲେ, ‘ଆହାବ ଯେପରି ରାମୋତ୍‍-ଗିଲୀୟଦକୁ ଯାଇ ପତିତ ହେବ, ଏଥିପାଇଁ କିଏ ତାହାକୁ ଫୁସଲାଇବ?’ ତହିଁରେ ଜଣେ ଏପ୍ରକାର, ଅନ୍ୟ ଜଣେ ସେପ୍ରକାର କହିଲେ।
२०परमेश्वराने म्हटले, ‘अहाब राजाची कोणी फसगत करेल का? त्याने रामोथ-गिलाद वर हल्ला करावा असे मला वाटते. त्यामध्ये त्यास मरण येईल.’ तेव्हा आता काय करावे याबद्दल देवदूतांमध्ये एकमत होईना.
21 ତହିଁ ଉତ୍ତାରେ ଏକ ଆତ୍ମା ବାହାରି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଠିଆ ହୋଇ କହିଲା, ‘ମୁଁ ତାହାକୁ ଫୁସଲାଇବି।’
२१मग त्यापैकी एकजण परमेश्वराकडे गेला आणि म्हणाला, ‘मी हे काम करीन.’
22 ତହୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁ ତାହାକୁ କହିଲେ, ‘କାହିଁରେ?’ ସେ କହିଲା, ‘ମୁଁ ଯାଇ ତାହାର ସମସ୍ତ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତାଙ୍କ ମୁଖରେ ମିଥ୍ୟାବାଦୀ ଆତ୍ମା ହେବି।’ ତେବେ ସେ କହିଲେ, ‘ତୁମ୍ଭେ ତାହାକୁ ଫୁସଲାଇବ, ମଧ୍ୟ କୃତକାର୍ଯ୍ୟ ହେବ; ଯାଅ, ସେପରି କର।’
२२परमेश्वर त्यास म्हणाला, ‘तू अहाबाची फसगत कशी करशील?’ यावर तो देवदूत म्हणाला, ‘मी अहाबाच्या संदेष्ट्यांमध्ये गोंधळ माजवून देईन. त्यांना मी राजाशी खोटे बोलायला प्रवृत्त करीन संदेष्टे राजाला सांगतील ते खोटे असेल.’ यावर परमेश्वर म्हणाला, ‘हे चांगले झाले; जा आणि अहाब राजाला या मोहात पाड, तुला यश येईल.
23 ଏହେତୁ ଦେଖ, ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭର ଏସମସ୍ତ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତାଙ୍କ ମୁଖରେ ମିଥ୍ୟାବାଦୀ ଆତ୍ମା ଦେଇଅଛନ୍ତି; ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭ ବିଷୟରେ ଅମଙ୍ଗଳର କଥା କହିଅଛନ୍ତି।”
२३मीखायाचे सांगून झाले. मग तो म्हणाला, तेव्हा खरी हकिकत अशी आहे. परमेश्वरानेच तुमच्या संदेष्ट्यांना खोटे बोलायला लावले आहे. तुमच्यावर मोठे संकट ओढवावे असे परमेश्वरास वाटते.”
24 ସେତେବେଳେ କନାନାର ପୁତ୍ର ସିଦିକୀୟ ନିକଟକୁ ଆସି ମୀଖାୟର ଗାଲରେ ଚାପୁଡ଼ା ମାରି କହିଲା, “ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଆତ୍ମା ତୋତେ କହିବା ପାଇଁ ମୋʼ ଠାରୁ କେଉଁ ବାଟେ ଗଲେ?”
२४मग कनानाचा पुत्र सिदकीया हा संदेष्टा मीखायाजवळ गेला. मीखायाच्या त्याने तोंडात मारले. सिद्कीया म्हणाला, “माझ्यातली परमेश्वराची शक्ती संपली आहे आणि तो आता तुझ्या मार्फतच बोलतो आहे अशी खरेच तुझी समजूत आहे?”
25 ତହିଁରେ ମୀଖାୟ କହିଲା, “ଦେଖ, ଯେଉଁ ଦିନ ତୁମ୍ଭେ ଆପଣାକୁ ଲୁଚାଇବା ପାଇଁ ଗୋଟିଏ ଭିତର କୋଠରିକି ଯିବ, ସେହି ଦିନ ତାହା ଜାଣିବ।”
२५मीखाया म्हणाला, “लवकरच आपत्ती येणार आहे. तेव्हा तू एका लहानशा खोलीत दडून बसशील तेव्हा माझे म्हणणे खरे असल्याचे तुझ्या लक्षात येईल.”
26 ପୁଣି, ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା କହିଲେ, “ମୀଖାୟକୁ ଧରି ନଗରାଧ୍ୟକ୍ଷ ଆମୋନ୍‍ର ଓ ରାଜପୁତ୍ର ଯୋୟାଶ୍‍ର ନିକଟକୁ ଫେରାଇ ନେଇଯାଅ;
२६तेव्हा इस्राएलच्या राजाने आपल्या एका सेवकाला मीखायाला पकडायचा हुकूम केला. राजा म्हणाला, “याला धरा आणि नगराधिकारी आमोन व राजपुत्र योवाश यांच्याकडे घेऊन जा.
27 ପୁଣି, କୁହ, ‘ରାଜା ଏହି କଥା କହନ୍ତି, ଏଇଟାକୁ କାରାଗାରରେ ରଖ ଓ ମୁଁ କୁଶଳରେ ଫେରି ଆସିବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତାକୁ କେବଳ ଅଳ୍ପ ଅନ୍ନ ଓ ଅଳ୍ପ ଜଳ ଖୁଆଅ।’”
२७आणि त्यांना जाऊन सांगा, राजा म्हणतो, या मनुष्यांस बंदीत टाका व मी सुखरूप परत येईपर्यंत त्यास फक्त भाकर आणि पाणी द्या. युध्दावरुन मी परत सुखरूप येईपर्यंत त्यास तिथेच राहू द्या.”
28 ତହିଁରେ ମୀଖାୟ କହିଲା, “ଯଦି ତୁମ୍ଭେ କୁଶଳରେ ଫେରି ଆସ, ତେବେ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋʼ ଦ୍ୱାରା କହି ନାହାନ୍ତି।” ଆହୁରି ସେ କହିଲା, “ହେ ଲୋକମାନେ, ତୁମ୍ଭେ ସମସ୍ତେ ଶୁଣ।”
२८मीखाया मोठ्याने म्हणाला, “मी काय म्हणतो ते सर्व लोकहो ऐका. राजा, तू युध्दावरुन जिवंत परत आलास तर परमेश्वर माझ्या मार्फत बोलला नाही असे खुशाल समजा.”
29 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଓ ଯିହୁଦାର ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ରାଜା ରାମୋତ୍‍-ଗିଲୀୟଦକୁ ଗଲେ।
२९नंतर इस्राएल राजा अहाब आणि यहूदाचा राजा यहोशाफाट रामोथ येथे अरामाच्या सैन्याशी लढायला गेले. रामोथ-गिलाद प्रांतात हे युध्द झाले.
30 ପୁଣି, ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୁଁ ଛଦ୍ମବେଶ ଧରି ଯୁଦ୍ଧକୁ ଯିବି; ମାତ୍ର ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ରାଜବସ୍ତ୍ର ପିନ୍ଧ। ଆଉ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଛଦ୍ମବେଶ ଧରି ଯୁଦ୍ଧକୁ ଗଲେ।”
३०अहाब यहोशाफाटाला म्हणाला, “आपण आता युध्दाचा व्यूह रचू. मला राजा म्हणून कोणी ओळखणार नाही असे कपडे मी घालीन. पण तू मात्र राजाला शोभेल असाच पोषाख कर.” अशाप्रकारे इस्राएलाच्या राजाने अगदी चारचौघांसारखे कपडे करून युध्दाला सुरुवात केली.
31 ମାତ୍ର ଅରାମର ରାଜା ଆପଣାର ବତିଶ ରଥାଧ୍ୟକ୍ଷଙ୍କୁ ଆଜ୍ଞା ଦେଇ କହିଥିଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ କେବଳ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଛଡ଼ା ସାନ କି ବଡ଼ କାହା ସଙ୍ଗେ ଯୁଦ୍ଧ ନ କର।”
३१अरामाच्या राजाकडे बत्तीस रथाधिपती होते. त्या राजाने या बत्तीस जणांना इस्राएलाच्या राजाचा शोध घ्यायला सांगितले. राजाला ठार करण्याबद्दल त्याने त्यांना बजावले.
32 ଏହେତୁ ରଥାଧ୍ୟକ୍ଷମାନେ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କୁ ଦେଖି କହିଲେ, “ଏ ଅବଶ୍ୟ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା; ଆଉ ସେମାନେ ତାଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଯୁଦ୍ଧ କରିବା ପାଇଁ ତାଙ୍କ ଆଡ଼କୁ ଫେରିଲେ; ତହିଁରେ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଡାକ ପକାଇଲେ।”
३२तेव्हा युध्द चालू असताना या रथाधिपतींनी राजा यहोशाफाटाला पाहिले. “तोच इस्राएलचा राजा असे त्यांना वाटले.” त्यामुळे त्याचा ते वध करायला निघाले. यहोशाफाट आरडाओरडा करु लागला.
33 ତହୁଁ ସେ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ନୁହନ୍ତି ବୋଲି ରଥାଧ୍ୟକ୍ଷମାନେ ଦେଖି ତାଙ୍କୁ ଗୋଡ଼ାଇବାରୁ ଫେରିଗଲେ।
३३हा इस्राएलचा अहाब राजा नव्हे हे त्या रथाधिपतीच्या लक्षात आल्यावर त्यांनी त्यास मारले नाही.
34 ଏପରି ସମୟରେ ଜଣେ ସନ୍ଧାନ ବିନା ଧନୁର୍ଗୁଣ ଟାଣି ଇସ୍ରାଏଲ ରାଜାଙ୍କ ସାଞ୍ଜୁଆର ଯୋଡ଼ ମଧ୍ୟରେ ଆଘାତ କଲା; ତେଣୁ ସେ ଆପଣା ସାରଥିକୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ହାତ ଫେରାଇ ସୈନ୍ୟ ମଧ୍ୟରୁ ମୋତେ ନେଇଯାଅ; କାରଣ ମୁଁ ଅତିଶୟ ଆଘାତ ପାଇଲି।”
३४तेव्हा एका सैनिकाने, कोणावर नेम धरुन नव्हे असा हवेतच एक बाण सोडला. हा बाण नक्की इस्राएलाचा राजा अहाब याला लागला. शरीराचा जो छोटा भाग चिलखताने झाकलेला नव्हता तिथे बाण लागला. तेव्हा राजा अहाब आपल्या सारथ्याला म्हणाला, “मला बाण लागला आहे. रथ येथून हलव. आपण या लढाईपासून दूर जाऊ.”
35 ସେଦିନ ଯୁଦ୍ଧ ପ୍ରବଳ ହେଲା; ପୁଣି, ଲୋକମାନେ ଅରାମୀୟମାନଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ରାଜାଙ୍କୁ ତାଙ୍କର ରଥରେ ଠିଆ କରି ରଖିଲେ, ଆଉ ସେ ସନ୍ଧ୍ୟା ବେଳେ ମଲେ; ପୁଣି, ତାଙ୍କର କ୍ଷତର ରକ୍ତ ରଥ ଗର୍ଭରେ ବହି ପଡ଼ିଲା।
३५युध्द मात्र चालूच राहिले. राजा अहाब आपल्या रथात बसून राहिला. रथात टेकून बसून तो अरामाच्या सैन्याकडे पाहत होता. त्यास एवढा रक्तस्राव झाला की रथाच्या बैठकीच्या भागात रक्ताचे थारोळे झाले. संध्याकाळच्या सुमारास राजाला मृत्यू आला.
36 “ଆଉ ପ୍ରତ୍ୟେକେ ଆପଣା ନଗରକୁ ଓ ଆପଣା ଦେଶକୁ ଯାଅ,” ଏହି ଡାକ ପ୍ରାୟ ସୂର୍ଯ୍ୟାସ୍ତ ସମୟରେ ସୈନ୍ୟମାନଙ୍କର ସର୍ବତ୍ର ବ୍ୟାପିଗଲା।
३६सूर्यास्ताच्या वेळी “इस्राएलाच्या सर्वसैन्याला आपापल्या प्रांतात घरोघरी जायचा आदेश मिळाला.”
37 ଏହିରୂପେ ରାଜା ମଲେ ଓ ଶମରୀୟାକୁ ଅଣାଗଲେ; ପୁଣି, ଲୋକମାନେ ରାଜାଙ୍କୁ ଶମରୀୟାରେ କବର ଦେଲେ।
३७राजा अहाबाला अशा तऱ्हेने मरण आले. काही जणांनी त्याचा देह शोमरोनाला आणला. त्यास त्यांनी तिथे पुरले.
38 ଆଉ ସେମାନେ ଶମରୀୟାର ପୁଷ୍କରିଣୀ ନିକଟରେ ରଥ ଧୋଇଲେ; ତହିଁରେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉକ୍ତ ବାକ୍ୟାନୁସାରେ କୁକ୍କୁରମାନେ ତାଙ୍କର ରକ୍ତ ଚାଟି ଖାଇଲେ। ଏହି ସ୍ଥାନରେ ବେଶ୍ୟାମାନେ ସ୍ନାନ କରନ୍ତି।
३८शोमरोनमधल्या तळ्यावर या लोकांनी अहाबाच्या रथ धुतला. रथातील रक्त कुत्र्यांनी चाटले आणि त्या तळ्यातील पाण्याने वेश्या स्नान करीत असत. परमेश्वराने जे जे होईल असे सांगितले होते तसेच नक्की घडले.
39 ଏହି ଆହାବଙ୍କର ଅବଶିଷ୍ଟ ବୃତ୍ତାନ୍ତ ଓ ତାଙ୍କର ସମସ୍ତ କ୍ରିୟା ଓ ତାଙ୍କର ନିର୍ମିତ ହସ୍ତୀଦନ୍ତମୟ ଗୃହ ଓ ଯେ ଯେ ନଗର ସେ ନିର୍ମାଣ କରିଥିଲେ, ତାହାସବୁ କʼଣ ଇସ୍ରାଏଲ ରାଜାଗଣଙ୍କର ଇତିହାସ ପୁସ୍ତକରେ ଲେଖା ନାହିଁ?
३९इस्राएलाच्या राजांचा इतिहास या ग्रंथात राजा अहाबाच्या सर्व गोष्टींची नोंद केलेली आहे. आपला महाल सुशोभित करण्यासाठी त्याने हस्तिदंत कसे वापरले, त्याने नगरे उभारली याबद्दलही या ग्रंथात सांगितलेले आहे.
40 ଏହିରୂପେ ଆହାବଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁ ପରେ ଓ ତାହାଙ୍କ ପୁତ୍ର ଅହସୀୟ ତାହାଙ୍କ ପଦରେ ରାଜ୍ୟ କଲେ।
४०अहाब मरण पावला व त्यास त्याच्या पूर्वजांशेजारी दफन करण्यात आले. त्याचा पुत्र अहज्या त्याच्या जागी राजा झाला.
41 ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜା ଆହାବଙ୍କ ରାଜତ୍ଵର ଚତୁର୍ଥ ବର୍ଷରେ ଆସାଙ୍କର ପୁତ୍ର ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଯିହୁଦା ଉପରେ ରାଜତ୍ୱ କରିବାକୁ ଆରମ୍ଭ କଲେ।
४१अहाब इस्राएलाचा राजा झाल्यावर चौथे वर्ष चालू असताना यहोशाफाट यहूदाचा राजा झाला. यहोशाफाट हा आसाचा पुत्र.
42 ରାଜ୍ୟ କରିବାର ଆରମ୍ଭରେ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କର ବୟସ ପଞ୍ଚତିରିଶ ବର୍ଷ ହୋଇଥିଲା ଓ ସେ ଯିରୂଶାଲମରେ ପଚିଶ ବର୍ଷ ରାଜ୍ୟ କଲେ। ତାଙ୍କର ମାତାର ନାମ ଅସୂବା, ସେ ଶିଲ୍‍ହିର କନ୍ୟା।
४२यहोशाफाट वयाच्या पस्तीसाव्या वर्षी राजा झाला आणि यरूशलेमामध्ये त्याने पंचवीस वर्षे राज्य केले. त्याच्या आईचे नाव अजूबा. ती शिल्हीची कन्या.
43 ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଆପଣା ପିତା ଆସାଙ୍କର ସମସ୍ତ ପଥରେ ଚାଲିଲେ; ସେ ତହିଁରୁ ବିମୁଖ ନ ହୋଇ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଯାହା ଯଥାର୍ଥ, ତାହା କଲେ; ତଥାପି ଉଚ୍ଚସ୍ଥଳୀମାନ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ ନୋହିଲା; ଲୋକମାନେ ସେସମୟରେ ହେଁ ଉଚ୍ଚସ୍ଥଳୀମାନରେ ବଳିଦାନ କଲେ ଓ ଧୂପ ଜ୍ୱଳାଇଲେ।
४३यहोशाफाट चांगला राजा होता. हा आपले वडिल आसा ह्यांच्याप्रमाणेच वागला. परमेश्वराच्या दृष्टीने जे योग्य ते त्याने केले. पण यहोशाफाटाने उंचावरील पूजास्थळे काढली नाहीत. लोक त्याठिकाणी होम करणे, धूप जाळणे वगैरे करत राहिले.
44 ପୁଣି, ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଇସ୍ରାଏଲର ରାଜାଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ସନ୍ଧି ସ୍ଥାପନ କଲେ।
४४यहोशाफाट राजाने इस्राएलाच्या राजाशी शांततेचा करार केला.
45 ଏହି ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କ ଅବଶିଷ୍ଟ ବୃତ୍ତାନ୍ତ ଓ ତାଙ୍କର ପ୍ରକାଶିତ ପରାକ୍ରମ ଓ ସେ କି ପ୍ରକାର ଯୁଦ୍ଧ କଲେ, ତାହାସବୁ କʼଣ ଯିହୁଦାର ରାଜାମାନଙ୍କର ଇତିହାସ ପୁସ୍ତକରେ ଲେଖା ନାହିଁ?
४५राजा यहोशाफाट शूर होता. त्याने बऱ्याच लढाया केल्या. त्याने जे केले त्याची हकिकत यहूदाच्या राजांचा इतिहास या ग्रंथात आहे.
46 ତାଙ୍କର ପିତା ଆସାଙ୍କର ସମୟରେ ଯେଉଁ ସଦୋମୀମାନେ ଅବଶିଷ୍ଟ ରହିଥିଲେ, ସେମାନଙ୍କୁ ସେ ଦେଶରୁ ଦୂର କରିଦେଲେ।
४६त्याचे वडिल आसा राज्य करीत असताना जे पुरुषगमन करणारे राहून गेले होते त्यांना यहोशाफाटाने त्यांना हाकलून लावले.
47 ସେହି ସମୟରେ ଇଦୋମରେ କେହି ରାଜା ନ ଥିଲା; ଜଣେ ପ୍ରତିନିଧି ରାଜ୍ୟ କଲା।
४७याच काळात अदोम प्रदेशाला राजा नव्हता. एक कारभारीच इथला कारभार पाहत असे. त्याची नेमणूक यहूदाचा राजा करी.
48 ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ସୁନା ପାଇଁ ଓଫୀରକୁ ଯିବା ସକାଶେ ତର୍ଶୀଶର ଜାହାଜମାନ ନିର୍ମାଣ କଲେ; ମାତ୍ର ତାହାସବୁ ଗଲା ନାହିଁ; କାରଣ ଇତ୍‍ସିୟୋନ-ଗେବରରେ ଜାହାଜମାନ ଭାଙ୍ଗିଗଲା।
४८राजा यहोशाफाटाने तार्शीशी काही मालवाहू गलबते बांधली. त्यामध्ये त्याचा हेतू ओफिरहून सोने आणण्याचा होता. पण ती तेथपर्यंत कधी पोहोंचू शकली नाहीत कारण एसयोन-गेबेरच्या बंदरात त्यांची नासधूस करण्यात आली.
49 ତେବେ ଆହାବଙ୍କର ପୁତ୍ର ଅହସୀୟ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୋʼ ଦାସମାନେ ତୁମ୍ଭ ଦାସମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଜାହାଜରେ ଯାଉନ୍ତୁ।” ମାତ୍ର ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ସମ୍ମତ ହେଲେ ନାହିଁ।
४९इस्राएलाचा राजा अहाबाचा पुत्र अहज्या याने यहोशाफाटाला मदतीचा हात दिला. “त्याच्या मनुष्यांबरोबर आपले खलाशी देण्याची तयारी दर्शवली.” पण अहज्याची कुमक स्विकारण्यास यहोशाफाटाने नकार दिला.
50 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ ଆପଣା ପିତୃଗଣ ସହିତ ଶୟନ କରି ଆପଣା ପୂର୍ବପୁରୁଷ ଦାଉଦଙ୍କର ନଗରରେ ଆପଣା ପିତୃଲୋକଙ୍କ ସହିତ କବରପ୍ରାପ୍ତ ହେଲେ; ତହୁଁ ତାଙ୍କର ପୁତ୍ର ଯିହୋରାମ୍‍ ତାଙ୍କର ପଦରେ ରାଜ୍ୟ କଲେ।
५०यहोशाफाट मरण पावला त्यानंतर दावीद नगरात आपल्या पूर्वजांबरोबर त्याचे दफन करण्यात आले. त्याच्या जागी त्याचा पुत्र यहोराम राज्य करु लागला.
51 ଯିହୁଦାର ରାଜା ଯିହୋଶାଫଟ୍‍ଙ୍କ ରାଜତ୍ଵର ସତର ବର୍ଷରେ ଆହାବଙ୍କର ପୁତ୍ର ଅହସୀୟ ଶମରୀୟାରେ ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ରାଜତ୍ୱ କରିବାକୁ ଆରମ୍ଭ କଲେ ଓ ସେ ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ଦୁଇ ବର୍ଷ ରାଜ୍ୟ କଲେ।
५१अहज्या अहाबाचा पुत्र होता. यहोशाफाटाच्या यहूदावरील सत्तेच्या सतराव्या वर्षी अहज्या इस्राएलाचा राजा झाला. शोमरोन मध्ये त्याने दोन वर्षे राज्य केले.
52 ଆଉ ସେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ କୁକର୍ମ କଲେ ଓ ସେ ଆପଣା ପିତାଙ୍କର ପଥରେ ଓ ଆପଣା ମାତାର ପଥରେ ଓ ନବାଟର ପୁତ୍ର ଯାରବୀୟାମ ଯଦ୍ଦ୍ୱାରା ଇସ୍ରାଏଲକୁ ପାପ କରାଇଥିଲେ, ତାଙ୍କର ସେହି ପଥରେ ଚାଲିଲେ।
५२अहज्याने परमेश्वराचे अनेक अपराध केले. आपले वडिल अहाब, आई ईजबेल आणि नबाटाचा पुत्र यराबाम या सगळ्यांनी जे केले तेच याने केले. या सर्व राज्यकर्त्यांनी इस्राएली लोकांस आणखी पापात लोटले.
53 ପୁଣି, ସେ ଆପଣା ପିତାଙ୍କର ସମସ୍ତ କ୍ରିୟାନୁସାରେ ବାଲ୍‍ର ସେବା ଓ ପୂଜା କଲେ ଓ ସଦାପ୍ରଭୁ ଇସ୍ରାଏଲର ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କୁ ବିରକ୍ତ କଲେ।
५३आपल्या वडिलांप्रमाणेच अहज्यानेही बआल या अमंगळ दैवताची पूजा केली. त्यामुळे इस्राएलचा देव परमेश्वर याचा कोप ओढवला. परमेश्वर अहाबावर संतापला होता तसाच अहज्यावर संतापला.

< ପ୍ରଥମ ରାଜାବଳୀ 22 >