< اَلْقُضَاة 14 >

وَنَزَلَ شَمْشُونُ إِلَى تِمْنَةَ، وَرَأَى ٱمْرَأَةً فِي تِمْنَةَ مِنْ بَنَاتِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ. ١ 1
और समसून तिमनत को गया, और तिमनत में उसने फ़िलिस्तियों की बेटियों में से एक 'औरत देखी।
فَصَعِدَ وَأَخْبَرَ أَبَاهُ وَأُمَّهُ وَقَالَ: «قَدْ رَأَيْتُ ٱمْرَأَةً فِي تِمْنَةَ مِنْ بَنَاتِ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ، فَٱلْآنَ خُذَاهَا لِيَ ٱمْرَأَةً». ٢ 2
और उसने आकर अपने माँ बाप से कहा, “मैंने फ़िलिस्तियों की बेटियों में से तिमनत में एक 'औरत देखी है, इसलिए तुम उससे मेरा ब्याह करा दो।”
فَقَالَ لَهُ أَبُوهُ وَأُمُّهُ: «أَلَيْسَ فِي بَنَاتِ إِخْوَتِكَ وَفِي كُلِّ شَعْبِي ٱمْرَأَةٌ حَتَّى أَنَّكَ ذَاهِبٌ لِتَأْخُذَ ٱمْرَأَةً مِنَ ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ ٱلْغُلْفِ؟» فَقَالَ شَمْشُونُ لِأَبِيهِ: «إِيَّاهَا خُذْ لِي لِأَنَّهَا حَسُنَتْ فِي عَيْنَيَّ». ٣ 3
उसके माँ बाप ने उससे कहा, “क्या तेरे भाइयों की बेटियों में, या मेरी सारी क़ौम में कोई 'औरत नहीं है जो तू नामख़्तून फ़िलिस्तियों में ब्याह करने जाता है?” समसून ने अपने बाप से कहा, “उसी से मेरा ब्याह करा दे, क्यूँकि वह मुझे बहुत पसंद आती है।”
وَلَمْ يَعْلَمْ أَبُوهُ وَأُمُّهُ أَنَّ ذَلِكَ مِنَ ٱلرَّبِّ، لِأَنَّهُ كَانَ يَطْلُبُ عِلَّةً عَلَى ٱلْفِلِسْطِينِيِّينَ. وَفِي ذَلِكَ ٱلْوَقْتِ كَانَ ٱلْفِلِسْطِينِيُّونَ مُتَسَلِّطِينَ عَلَى إِسْرَائِيلَ. ٤ 4
लेकिन उसके माँ बाप को मा'लूम न था, यह ख़ुदावन्द की तरफ़ से है; क्यूँकि वह फ़िलिस्तियों के ख़िलाफ़ बहाना ढूंडता था। उस वक़्त फ़िलिस्ती इस्राईलियों पर हुक्मरान थे।
فَنَزَلَ شَمْشُونُ وَأَبُوهُ وَأُمُّهُ إِلَى تِمْنَةَ، وَأَتَوْا إِلَى كُرُومِ تِمْنَةَ. وَإِذَا بِشِبْلِ أَسَدٍ يُزَمْجِرُ لِلِقَائِهِ. ٥ 5
फिर समसून और उसके माँ बाप तिमनत को चले, और तिमनत के ताकिस्तानों में पहुँचे, और देखो, एक जवान शेर समसून के सामने आकर गरजने लगा।
فَحَلَّ عَلَيْهِ رُوحُ ٱلرَّبِّ، فَشَقَّهُ كَشَقِّ ٱلْجَدْيِ، وَلَيْسَ فِي يَدِهِ شَيْءٌ. وَلَمْ يُخْبِرْ أَبَاهُ وَأُمَّهُ بِمَا فَعَلَ. ٦ 6
तब ख़ुदावन्द की रूह उस पर ज़ोर से नाज़िल हुई, और उसने उसे बकरी के बच्चे की तरह चीर डाला, गो उसके हाथ में कुछ न था। लेकिन जो उसने किया उसे अपने बाप या माँ को न बताया।
فَنَزَلَ وَكَلَّمَ ٱلْمَرْأَةَ فَحَسُنَتْ فِي عَيْنَيْ شَمْشُونَ. ٧ 7
और उसने जाकर उस 'औरत से बातें कीं और वह समसून को बहुत पसंद आई।
وَلَمَّا رَجَعَ بَعْدَ أَيَّامٍ لِكَيْ يَأْخُذَهَا، مَالَ لِكَيْ يَرَى رِمَّةَ ٱلْأَسَدِ، وَإِذَا دَبْرٌ مِنَ ٱلنَّحْلِ فِي جَوْفِ ٱلْأَسَدِ مَعَ عَسَلٍ. ٨ 8
और कुछ 'अरसे के बाद वह उसे लेने को लौटा; और शेर की लाश देखने को कतरा गया, और देखा कि शेर के पिंजर में शहद की मक्खियों का हुजूम और शहद है।
فَٱشْتَارَ مِنْهُ عَلَى كَفَّيْهِ، وَكَانَ يَمْشِي وَيَأْكُلُ، وَذَهَبَ إِلَى أَبِيهِ وَأُمِّهِ وَأَعْطَاهُمَا فَأَكَلَا، وَلَمْ يُخْبِرْهُمَا أَنَّهُ مِنْ جَوْفِ ٱلْأَسَدِ ٱشْتَارَ ٱلْعَسَلَ. ٩ 9
उसने उसे हाथ में ले लिया और खाता हुआ चला, और अपने माँ बाप के पास आकर उनको भी दिया और उन्होंने भी खाया, लेकिन उसने उनको न बताया कि यह शहद उसने शेर के पिंजरे में से निकाला था।
وَنَزَلَ أَبُوهُ إِلَى ٱلْمَرْأَةِ، فَعَمِلَ هُنَاكَ شَمْشُونُ وَلِيمَةً، لِأَنَّهُ هَكَذَا كَانَ يَفْعَلُ ٱلْفِتْيَانُ. ١٠ 10
फिर उसका बाप उस 'औरत के यहाँ गया, वहाँ समसून ने बड़ी ज़ियाफ़त की क्यूँकि जवान ऐसा ही करते थे।
فَلَمَّا رَأُوهُ أَحْضَرُوا ثَلَاثِينَ مِنَ ٱلْأَصْحَابِ، فَكَانُوا مَعَهُ. ١١ 11
वह उसे देखकर उसके लिए तीस साथियों को ले आए कि उसके साथ रहें।
فَقَالَ لَهُمْ شَمْشُونُ: «لَأُحَاجِيَنَّكُمْ أُحْجِيَّةً، فَإِذَا حَلَلْتُمُوهُا لِي فِي سَبْعَةِ أَيَّامِ ٱلْوَلِيمَةِ وَأَصَبْتُمُوهَا، أُعْطِيكُمْ ثَلَاثِينَ قَمِيصًا وَثَلَاثِينَ حُلَّةَ ثِيَابٍ. ١٢ 12
समसून ने उनसे कहा, “मैं तुम से एक पहेली पूछता हूँ; इसलिए अगर तुम ज़ियाफ़त के सात दिन के अन्दर अन्दर उसे बूझकर मुझे उसका मतलब बता दो, तो मैं तीस कतानी कुर्ते और तीस जोड़े कपड़े तुम को दूँगा।
وَإِنْ لَمْ تَقْدِرُوا أَنْ تَحُلُّوهَا لِي، تُعْطُونِي أَنْتُمْ ثَلَاثِينَ قَمِيصًا وَثَلَاثِينَ حُلَّةَ ثِيَابٍ». فَقَالُوا لَهُ: «حَاجِ أُحْجِيَّتَكَ فَنَسْمَعَهَا». ١٣ 13
और अगर तुम न बता सको, तो तुम तीस कतानी कुर्ते और तीस जोड़े कपड़े मुझ को देना।” उन्होंने उससे कहा कि तू अपनी पहेली बयान कर, ताकि हम उसे सुनें।
فَقَالَ لَهُمْ: «مِنَ ٱلْآكِلِ خَرَجَ أُكْلٌ، وَمِنَ ٱلْجَافِي خَرَجَتْ حَلَاوَةٌ». فَلَمْ يَسْتَطِيعُوا أَنْ يَحُلُّوا ٱلأُحْجِيَّةَ فِي ثَلَاثَةِ أَيَّامٍ. ١٤ 14
उसने उनसे कहा, खाने वाले में से तो खाना निकला, और ज़बरदस्त में से मिठास निकली और वह तीन दिन तक उस पहेली को हल न कर सके।
وَكَانَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ أَنَّهُمْ قَالُوا لِٱمْرَأَةِ شَمْشُونَ: «تَمَلَّقِي رَجُلَكِ لِكَيْ يُظْهِرَ لَنَا ٱلأُحْجِيَّةَ، لِئَلَّا نُحْرِقَكِ وَبَيْتَ أَبِيكِ بِنَارٍ. أَلِتَسْلِبُونَا دَعَوْتُمُونَا أَمْ لَا؟» ١٥ 15
और सातवें दिन उन्होंने समसून की बीवी से कहा कि अपने शौहर को फुसला, ताकि इस पहेली का मतलब वह हम को बता दे; नहीं तो हम तुझ को और तेरे बाप के घर को आग से जला देंगे। क्या तुम ने हम को इसीलिए बुलाया है कि हम को फ़क़ीर कर दो? क्या बात भी यूँ ही नहीं?
فَبَكَتِ ٱمْرَأَةُ شَمْشُونَ لَدَيْهِ وَقَالَتْ: «إِنَّمَا كَرِهْتَنِي وَلَا تُحِبُّنِي. قَدْ حَاجَيْتَ بَنِي شَعْبِي أُحْجِيَّةً وَإِيَّايَ لَمْ تُخْبِرْ». فَقَالَ لَهَا: «هُوَذَا أَبِي وَأُمِّي لَمْ أُخْبِرْهُمَا، فَهَلْ إِيَّاكِ أُخْبِرُ؟». ١٦ 16
और समसून की बीवी उसके आगे रो कर कहने लगी, “तुझे तो मुझ से नफ़रत है, तू मुझ को प्यार नहीं करता। तूने मेरी क़ौम के लोगों से पहेली पूछी, लेकिन वह मुझे न बताई।” उसने उससे कहा, “ख़ूब! मैंने उसे अपने माँ बाप को तो बताया नहीं और तुझे बता दूँ?”
فَبَكَتْ لَدَيْهِ ٱلسَّبْعَةَ ٱلْأَيَّامِ ٱلَّتِي فِيهَا كَانَتْ لَهُمُ ٱلْوَلِيمَةُ. وَكَانَ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ أَنَّهُ أَخْبَرَهَا لِأَنَّهَا ضَايَقَتْهُ، فَأَظْهَرَتِ ٱلأُحْجِيَّةَ لِبَنِي شَعْبِهَا. ١٧ 17
इसलिए वह उसके आगे जब तक ज़ियाफ़त रही सातों दिन रोती रही; और सातवें दिन ऐसा हुआ कि उसने उसे बता ही दिया, क्यूँकि उसने उसे निहायत परेशान किया था। और उस 'औरत ने वह पहेली अपनी क़ौम के लोगों को बता दी।
فَقَالَ لَهُ رِجَالُ ٱلْمَدِينَةِ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ قَبْلَ غُرُوبِ ٱلشَّمْسِ: «أَيُّ شَيْءٍ أَحْلَى مِنَ ٱلْعَسَلِ، وَمَا أَجْفَى مِنَ ٱلْأَسَدِ؟» فَقَالَ لَهُمْ: «لَوْ لَمْ تَحْرُثُوا عَلَى عِجْلَتِي، لَمَا وَجَدْتُمْ أُحْجِيَّتِي». ١٨ 18
और उस शहर के लोगों ने सातवें दिन सूरज के डूबने से पहले उससे कहा, “शहद से मीठा और क्या होता है? और शेर से ताक़तवर और कौन है?” उसने उनसे कहा, “अगर तुम मेरी बछिया को हल में न जोतते, तो मेरी पहेली कभी न बूझते।”
وَحَلَّ عَلَيْهِ رُوحُ ٱلرَّبِّ فَنَزَلَ إِلَى أَشْقَلُونَ وَقَتَلَ مِنْهُمْ ثَلَاثِينَ رَجُلًا، وَأَخَذَ سَلَبَهُمْ وَأَعْطَى ٱلْحُلَلَ لِمُظْهِرِي ٱلأُحْجِيَّةِ. وَحَمِيَ غَضَبُهُ وَصَعِدَ إِلَى بَيْتِ أَبِيهِ. ١٩ 19
फिर ख़ुदावन्द की रूह उस पर जोर से नाज़िल हुई, और वह अस्क़लोन को गया। वहाँ उसने उनके तीस आदमी मारे, और उनको लूट कर कपड़ों के जोड़े पहेली बूझने वालों को दिए। और उसका क़हर भड़क उठा, और वह अपने माँ बाप के घर चला गया।
فَصَارَتِ ٱمْرَأَةُ شَمْشُونَ لِصَاحِبِهِ ٱلَّذِي كَانَ يُصَاحِبُهُ. ٢٠ 20
लेकिन समसून की बीवी उसके एक साथी को, जिसे समसून ने दोस्त बनाया था दे दी गई।

< اَلْقُضَاة 14 >