< اَلْقُضَاة 6 >

وَعَمِلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ ٱلشَّرَّ فِي عَيْنَيِ ٱلرَّبِّ، فَدَفَعَهُمُ ٱلرَّبُّ لِيَدِ مِدْيَانَ سَبْعَ سِنِينَ. ١ 1
और बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द के आगे बुराई की, और ख़ुदावन्द ने उनको सात बरस तक मिदियानियों के हाथ में रख्खा।
فَٱعْتَزَّتْ يَدُ مِدْيَانَ عَلَى إِسْرَائِيلَ. بِسَبَبِ ٱلْمِدْيَانِيِّينَ عَمِلَ بَنُو إِسْرَائِيلَ لِأَنْفُسِهِمِ ٱلْكُهُوفَ ٱلَّتِي فِي ٱلْجِبَالِ وَٱلْمَغَايِرَ وَٱلْحُصُونَ. ٢ 2
और मिदियानियों का हाथ इस्राईलियों पर ग़ालिब हुआ; और मिदियानियों की वजह से बनी — इस्राईल ने अपने लिए पहाड़ों में खोह और ग़ार और क़िले' बना लिए।
وَإِذَا زَرَعَ إِسْرَائِيلُ، كَانَ يَصْعَدُ ٱلْمِدْيَانِيُّونَ وَٱلْعَمَالِقَةُ وَبَنُو ٱلْمَشْرِقِ، يَصْعَدُونَ عَلَيْهِمْ، ٣ 3
और ऐसा होता था कि जब बनी — इस्राईल कुछ बोते थे, तो मिदियानी और 'अमालीक़ी और मशरिक़ के लोग उन पर चढ़ आते थे;
وَيَنْزِلُونَ عَلَيْهِمْ وَيُتْلِفُونَ غَلَّةَ ٱلْأَرْضِ إِلَى مَجِيئِكَ إِلَى غَزَّةَ، وَلَا يَتْرُكُونَ لِإِسْرَائِيلَ قُوتَ ٱلْحَيَاةِ، وَلَا غَنَمًا وَلَا بَقَرًا وَلَا حَمِيرًا. ٤ 4
और उनके मुक़ाबिल डेरे लगा कर ग़ज़्ज़ा तक खेतों की पैदावार को बर्बाद कर डालते, और बनी — इस्राईल के लिए न तो कुछ ख़ुराक, न भेड़ — बकरी, न गाय बैल, न गधा छोड़ते थे।
لِأَنَّهُمْ كَانُوا يَصْعَدُونَ بِمَوَاشِيهِمْ وَخِيَامِهِمْ وَيَجِيئُونَ كَٱلْجَرَادِ فِي ٱلْكَثْرَةِ وَلَيْسَ لَهُمْ وَلِجِمَالِهِمْ عَدَدٌ، وَدَخَلُوا ٱلْأَرْضَ لِكَيْ يُخْرِبُوهَا. ٥ 5
क्यूँकि वह अपने चौपायों और डेरों को साथ लेकर आते, और टिड्डियों के दल की तरह आते; और वह और उनके ऊँट बेशुमार होते थे। यह लोग मुल्क को तबाह करने के लिए आ जाते थे।
فَذَلَّ إِسْرَائِيلُ جِدًّا مِنْ قِبَلِ ٱلْمِدْيَانِيِّينَ. وَصَرَخَ بَنُو إِسْرَائِيلَ إِلَى ٱلرَّبِّ. ٦ 6
इसलिए इस्राईली मिदियानियों की वजह से निहायत बर्बाद हो गए, और बनी — इस्राईल ख़ुदावन्द से फ़रियाद करने लगे।
وَكَانَ لَمَّا صَرَخَ بَنُو إِسْرَائِيلَ إِلَى ٱلرَّبِّ بِسَبَبِ ٱلْمِدْيَانِيِّينَ ٧ 7
और जब बनी — इस्राईल मिदियानियों की वजह से ख़ुदावन्द से फ़रियाद करने लगे,
أَنَّ ٱلرَّبَّ أَرْسَلَ رَجُلًا نَبِيًّا إِلَى بَنِي إِسْرَائِيلَ، فَقَالَ لَهُمْ: «هَكَذَا قَالَ ٱلرَّبُّ إِلَهُ إِسْرَائِيلَ: إِنِّي قَدْ أَصْعَدْتُكُمْ مِنْ مِصْرَ وَأَخْرَجْتُكُمْ مِنْ بَيْتِ ٱلْعُبُودِيَّةِ، ٨ 8
तो ख़ुदावन्द ने बनी — इस्राईल के पास एक नबी को भेजा। उसने उनसे कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: मैं तुम को मिस्र से लाया, और मैंने तुम को ग़ुलामी के घर से बाहर निकाला।
وَأَنْقَذْتُكُمْ مِنْ يَدِ ٱلْمِصْرِيِّينَ وَمِنْ يَدِ جَمِيعِ مُضَايِقِيكُمْ، وَطَرَدْتُهُمْ مِنْ أَمَامِكُمْ وَأَعْطَيْتُكُمْ أَرْضَهُمْ. ٩ 9
मैंने मिस्त्रियों के हाथ से और उन सभों के हाथ से जो तुम को सताते थे तुम को छुड़ाया, और तुम्हारे सामने से उनको दफ़ा' किया और उनका मुल्क तुम को दिया।
وَقُلْتُ لَكُمْ: أَنَا ٱلرَّبُّ إِلَهُكُمْ. لَا تَخَافُوا آلِهَةَ ٱلْأَمُورِيِّينَ ٱلَّذِينَ أَنْتُمْ سَاكِنُونَ أَرْضَهُمْ. وَلَمْ تَسْمَعُوا لِصَوْتِي». ١٠ 10
और मैंने तुम से कहा था कि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा मैं हूँ; इसलिएतुम उन अमोरियों के मा'बूदों से जिनके मुल्क में बसते हो, मत डरना। लेकिन तुम ने मेरी बात न मानी।
وَأَتَى مَلَاكُ ٱلرَّبِّ وَجَلَسَ تَحْتَ ٱلْبُطْمَةِ ٱلَّتِي فِي عَفْرَةَ ٱلَّتِي لِيُوآشَ ٱلْأَبِيعَزَرِيِّ. وَٱبْنُهُ جِدْعُونُ كَانَ يَخْبِطُ حِنْطَةً فِي ٱلْمِعْصَرَةِ لِكَيْ يُهَرِّبَهَا مِنَ ٱلْمِدْيَانِيِّينَ. ١١ 11
फिर ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता आकर उफ़रा में बलूत के एक दरख़्त के नीचे जो यूआस अबी'अज़र का था बैठा, और उसका बेटा जिदाऊन मय के एक कोल्हू में गेहूँ झाड़ रहा था ताकि उसको मिदियानियों से छिपा रख्खे।
فَظَهَرَ لَهُ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ وَقَالَ لَهُ: «ٱلرَّبُّ مَعَكَ يَا جَبَّارَ ٱلْبَأْسِ». ١٢ 12
और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उसे दिखाई देकर उससे कहने लगा कि ऐ ताक़तवर सूर्मा, ख़ुदावन्द तेरे साथ है।
فَقَالَ لَهُ جِدْعُونُ: «أَسْأَلُكَ يَا سَيِّدِي، إِذَا كَانَ ٱلرَّبُّ مَعَنَا فَلِمَاذَا أَصَابَتْنَا كُلُّ هَذِهِ؟ وَأَيْنَ كُلُّ عَجَائِبِهِ ٱلَّتِي أَخْبَرَنَا بِهَا آبَاؤُنَا قَائِلِينَ: أَلَمْ يُصْعِدْنَا ٱلرَّبُّ مِنْ مِصْرَ؟ وَٱلْآنَ قَدْ رَفَضَنَا ٱلرَّبُّ وَجَعَلَنَا فِي كَفِّ مِدْيَانَ». ١٣ 13
जिदा'ऊन ने उससे कहा, “ऐ मेरे मालिक! अगर ख़ुदावन्द ही हमारे साथ है तो हम पर यह सब हादसे क्यूँ गुज़रे? और उसके वह सब 'अजीब काम कहाँ गए, जिनका ज़िक्र हमारे बाप — दादा हम से यूँ करते थे, कि क्या ख़ुदावन्द ही हम को मिस्र से नहीं निकाल लाया? लेकिन अब तो ख़ुदावन्द ने हम को छोड़ दिया, और हम को मिदियानियों के हाथ में कर दिया।”
فَٱلْتَفَتَ إِلَيْهِ ٱلرَّبُّ وَقَالَ: «ٱذْهَبْ بِقُوَّتِكَ هَذِهِ وَخَلِّصْ إِسْرَائِيلَ مِنْ كَفِّ مِدْيَانَ. أَمَا أَرْسَلْتُكَ؟» ١٤ 14
तब ख़ुदावन्द ने उस पर निगाह की और कहा कि तू अपने इसी ताक़त में जा, और बनी — इस्राईल की मिदियानियों के हाथ से छुड़ा। क्या मैंने तुझे नहीं भेजा?
فَقَالَ لَهُ: «أَسْأَلُكَ يَا سَيِّدِي، بِمَاذَا أُخَلِّصُ إِسْرَائِيلَ؟ هَا عَشِيرَتِي هِيَ ٱلذُّلَّى فِي مَنَسَّى، وَأَنَا ٱلْأَصْغَرُ فِي بَيْتِ أَبِي». ١٥ 15
उसने उससे कहा, “ऐ मालिक! मैं किस तरह बनी — इस्राईल को बचाऊँ? मेरा घराना मनस्सी में सब से ग़रीब है, और मैं अपने बाप के घर में सब से छोटा हूँ।”
فَقَالَ لَهُ ٱلرَّبُّ: «إِنِّي أَكُونُ مَعَكَ، وَسَتَضْرِبُ ٱلْمِدْيَانِيِّينَ كَرَجُلٍ وَاحِدٍ». ١٦ 16
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “मैं ज़रूर तेरे साथ हूँगा, और तू मिदियानियों को ऐसा मार लेगा जैसे एक आदमी को।”
فَقَالَ لَهُ: «إِنْ كُنْتُ قَدْ وَجَدْتُ نِعْمَةً فِي عَيْنَيْكَ فَٱصْنَعْ لِي عَلَامَةً أَنَّكَ أَنْتَ تُكَلِّمُنِي. ١٧ 17
तब उसने उससे कहा कि अगर अब मुझ पर तेरे करम की नज़र हुई है, तो इसका मुझे कोई निशान दिखा कि मुझ से तू ही बातें करता है।
لَا تَبْرَحْ مِنْ هَهُنَا حَتَّى آتِيَ إِلَيْكَ وَأُخْرِجَ تَقْدِمَتِي وَأَضَعَهَا أَمَامَكَ». فَقَالَ: «إِنِّي أَبْقَى حَتَّى تَرْجِعَ». ١٨ 18
और मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, कि तू यहाँ से न जा जब तक मैं तेरे पास फिर न आऊँ और अपना हदिया निकाल कर तेरे आगे न रखूँ। उसने कहा कि जब तक तू फिर आ न जाए, मैं ठहरा रहूँगा।
فَدَخَلَ جِدْعُونُ وَعَمِلَ جَدْيَ مِعْزًى وَإِيفَةَ دَقِيقٍ فَطِيرًا. أَمَّا ٱللَّحْمُ فَوَضَعَهُ فِي سَلٍّ، وَأَمَّا ٱلْمَرَقُ فَوَضَعَهُ فِي قِدْرٍ، وَخَرَجَ بِهَا إِلَيْهِ إِلَى تَحْتِ ٱلْبُطْمَةِ وَقَدَّمَهَا. ١٩ 19
तब जिदा'ऊन ने जाकर बकरी का एक बच्चा और एक ऐफ़ा आटे की फ़तीरी रोटियाँ तैयार कीं, और गोश्त को एक टोकरी में और शोरबा एक हॉण्डी में डालकर उसके पास बलूत के दरख़्त के नीचे लाकर पेश किया।
فَقَالَ لَهُ مَلَاكُ ٱللهِ: «خُذِ ٱللَّحْمَ وَٱلْفَطِيرَ وَضَعْهُمَا عَلَى تِلْكَ ٱلصَّخْرَةِ وَٱسْكُبِ ٱلْمَرَقَ». فَفَعَلَ كَذَلِكَ. ٢٠ 20
तब ख़ुदा के फ़रिश्ते ने उससे कहा, “इस गोश्त और फ़तीरी रोटियों कों ले जाकर उस चट्टान पर रख, और शोरबे को उंडेल दे।” उसने वैसा ही किया।
فَمَدَّ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ طَرَفَ ٱلْعُكَّازِ ٱلَّذِي بِيَدِهِ وَمَسَّ ٱللَّحْمَ وَٱلْفَطِيرَ، فَصَعِدَتْ نَارٌ مِنَ ٱلصَّخْرَةِ وَأَكَلَتِ ٱللَّحْمَ وَٱلْفَطِيرَ. وَذَهَبَ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ عَنْ عَيْنَيْهِ. ٢١ 21
तब ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने उस लाठी की नोक से जो उसके हाथ में थी, गोश्त और फ़तीरी रोटियों को छुआ; और उस पत्थर से आग निकली और उसने गोश्त और फ़तीरी रोटियों को भसम कर दिया। तब ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उसकी नज़र से ग़ायब हो गया।
فَرَأَى جِدْعُونُ أَنَّهُ مَلَاكُ ٱلرَّبِّ، فَقَالَ جِدْعُونُ: «آهِ يَا سَيِّدِي ٱلرَّبَّ! لِأَنِّي قَدْ رَأَيْتُ مَلَاكَ ٱلرَّبِّ وَجْهًا لِوَجْهٍ.» ٢٢ 22
और जिदा'ऊन ने जान लिया के वह ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता था; इसलिए जिदा'ऊन कहने लगा, “अफ़सोस है ऐ मालिक, ख़ुदावन्द, कि मैंने ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते को आमने — सामने देखा।”
فَقَالَ لَهُ ٱلرَّبُّ: «ٱلسَّلَامُ لَكَ. لَا تَخَفْ. لَا تَمُوتُ». ٢٣ 23
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “तेरी सलामती हो, ख़ौफ़ न कर, तू मरेगा नहीं।”
فَبَنَى جِدْعُونُ هُنَاكَ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ وَدَعَاهُ «يَهْوَهَ شَلُومَ». إِلَى هَذَا ٱلْيَوْمِ لَمْ يَزَلْ فِي عَفْرَةِ ٱلْأَبِيعَزَرِيِّينَ. ٢٤ 24
तब जिदाऊन ने वहाँ ख़ुदावन्द के लिए मज़बह बनाया, और उसका नाम यहोवा सलोम रख्खा; वह अबी'अज़रियों के 'उफ़रा में आज तक मौजूद है।
وَكَانَ فِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ أَنَّ ٱلرَّبَّ قَالَ لَهُ: «خُذْ ثَوْرَ ٱلْبَقَرِ ٱلَّذِي لِأَبِيكَ، وَثَوْرًا ثَانِيًا ٱبْنَ سَبْعِ سِنِينَ، وَٱهْدِمْ مَذْبَحَ ٱلْبَعْلِ ٱلَّذِي لِأَبِيكَ، وَٱقْطَعِ ٱلسَّارِيَةَ ٱلَّتِي عِنْدَهُ، ٢٥ 25
और उसी रात ख़ुदावन्द ने उसे कहा कि अपने बाप का जवान बैल, या'नी वह दूसरा बैल जो सात बरस का है ले, और बा'ल के मज़बह को जो तेरे बाप का है ढा दे, और उसके पास की यसीरत को काट डाल;
وَٱبْنِ مَذْبَحًا لِلرَّبِّ إِلَهِكَ عَلَى رَأْسِ هَذَا ٱلْحِصْنِ بِتَرْتِيبٍ، وَخُذِ ٱلثَّوْرَ ٱلثَّانِي وَأَصْعِدْ مُحْرَقَةً عَلَى حَطَبِ ٱلسَّارِيَةِ ٱلَّتِي تَقْطَعُهَا. ٢٦ 26
और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए इस गढ़ी की चोटी पर क़ा'इदे के मुताबिक़ एक मज़बह बना; और उस दूसरे बैल को लेकर, उस यसीरत की लकड़ी से जिसे तू काट डालेगा, सोख़्तनी क़ुर्बानी गुज़ार।
فَأَخَذَ جِدْعُونُ عَشْرَةَ رِجَالٍ مِنْ عَبِيدِهِ وَعَمِلَ كَمَا كَلَّمَهُ ٱلرَّبُّ. وَإِذْ كَانَ يَخَافُ مِنْ بَيْتِ أَبِيهِ وَأَهْلِ ٱلْمَدِينَةِ أَنْ يَعْمَلَ ذَلِكَ نَهَارًا، فَعَمِلَهُ لَيْلًا. ٢٧ 27
तब जिदा'ऊन ने अपने नौकरों में से दस आदमियों को साथ लेकर जैसा ख़ुदावन्द ने उसे फ़रमाया था किया; और चूँकि वह यह काम अपने बाप के ख़ान्दान और उस शहर के बाशिंदों के डर से दिन को न कर सका, इसलिए उसे रात को किया।
فَبَكَّرَ أَهْلُ ٱلْمَدِينَةِ فِي ٱلْغَدِ وَإِذَا بِمَذْبَحِ ٱلْبَعْلِ قَدْ هُدِمَ وَٱلسَّارِيَةُ ٱلَّتِي عِنْدَهُ قَدْ قُطِعَتْ، وَٱلثَّوْرُ ٱلثَّانِي قَدْ أُصْعِدَ عَلَى ٱلْمَذْبَحِ ٱلَّذِي بُنِيَ. ٢٨ 28
जब उस शहर के लोग सुबह सवेरे उठे तो क्या देखते हैं, कि बा'ल का मज़बह ढाया हुआ, और उसके पास की यसीरत कटी हुई, और उस मज़बह पर जो बनाया गया था वह दूसरा बैल चढ़ाया हुआ है।
فَقَالُوا ٱلْوَاحِدُ لِصَاحِبِهِ: «مَنْ عَمِلَ هَذَا ٱلْأَمْرَ؟» فَسَأَلُوا وَبَحَثُوا فَقَالُوا: «إِنَّ جِدْعُونَ بْنَ يُوآشَ قَدْ فَعَلَ هَذَا ٱلْأَمْرَ». ٢٩ 29
और वह आपस में कहने लगे, “किसने यह काम किया?” और जब उन्होंने तहक़ीक़ात और पूछ — ताछ की तो लोगों ने कहा, “यूआस के बेटे जिदा'ऊन ने यह काम किया है।”
فَقَالَ أَهْلُ ٱلْمَدِينَةِ لِيُوآشَ: «أَخْرِجِ ٱبْنَكَ لِكَيْ يَمُوتَ، لِأَنَّهُ هَدَمَ مَذْبَحَ ٱلْبَعْلِ وَقَطَعَ ٱلسَّارِيَةَ ٱلَّتِي عِنْدَهُ». ٣٠ 30
तब उस शहर के लोगों ने यूआस से कहा, “अपने बेटे को निकाल ला ताकि क़त्ल किया जाए, इसलिए कि उसने बा'ल का मज़बह ढा दिया, और उसके पास की यसीरत काट डाली है।”
فَقَالَ يُوآشُ لِجَمِيعِ ٱلْقَائِمِينَ عَلَيْهِ: «أَنْتُمْ تُقَاتِلُونَ لِلْبَعْلِ، أَمْ أَنْتُمْ تُخَلِّصُونَهُ؟ مَنْ يُقَاتِلْ لَهُ يُقْتَلْ فِي هَذَا ٱلصَّبَاحِ. إِنْ كَانَ إِلَهًا فَلْيُقَاتِلْ لِنَفْسِهِ لِأَنَّ مَذْبَحَهُ قَدْ هُدِمَ». ٣١ 31
यूआस ने उन सभों को जो उसके सामने खड़े थे कहा, “क्या तुम बा'ल के वास्ते झगड़ा करोगे? या तुम उसे बचा लोगे? जो कोई उसकी तरफ़ से झगड़ा करे वह इसी सुबह मारा जाए। अगर वह ख़ुदा है तो आप ही अपने लिए झगड़े, क्यूँकि किसी ने उसका मज़बह ढा दिया है।”
فَدَعَاهُ فِي ذَلِكَ ٱلْيَوْمِ «يَرُبَّعْلَ» قَائِلًا: «لِيُقَاتِلْهُ ٱلْبَعْلُ لِأَنَّهُ قَدْ هَدَمَ مَذْبَحَهُ». ٣٢ 32
इसलिए उसने उस दिन जिदा'ऊन का नाम यह कहकर यरुब्बा'ल रख्खा, कि बा'ल आप इससे झगड़ ले, इसलिए कि इसने उसका मज़बह ढा दिया है।
وَٱجْتَمَعَ جَمِيعُ ٱلْمِدْيَانِيِّينَ وَٱلْعَمَالِقَةِ وَبَنِي ٱلْمَشْرِقِ مَعًا وَعَبَرُوا وَنَزَلُوا فِي وَادِي يِزْرَعِيلَ. ٣٣ 33
तब सब मिदियानी और 'अमालीकी और मशरिक़ के लोग इकट्ठे हुए, और पार होकर यज़र'एल की वादी में उन्होंने डेरा किया।
وَلَبِسَ رُوحُ ٱلرَّبِّ جِدْعُونَ فَضَرَبَ بِٱلْبُوقِ، فَٱجْتَمَعَ أَبِيعَزَرُ وَرَاءَهُ. ٣٤ 34
तब ख़ुदावन्द की रूह जिदा'ऊन पर नाज़िल हुई, इसलिए उसने नरसिंगा फूंका और अबी'अएज़र के लोग उसकी पैरवी में इकट्ठे हुए।
وَأَرْسَلَ رُسُلًا إِلَى جَمِيعِ مَنَسَّى، فَٱجْتَمَعَ هُوَ أَيْضًا وَرَاءَهُ، وَأَرْسَلَ رُسُلًا إِلَى أَشِيرَ وَزَبُولُونَ وَنَفْتَالِي فَصَعِدُوا لِلِقَائِهِمْ. ٣٥ 35
फिर उसने सारे मनस्सी के पास क़ासिद भेजे, तब वह भी उसकी पैरवी में इकट्ठे हुए। और उसने आशर और ज़बूलून और नफ़्ताली के पास भी क़ासिद रवाना किए, इसलिए वह उनके इस्तक़बाल को आए।
وَقَالَ جِدْعُونُ لِلهِ: «إِنْ كُنْتَ تُخَلِّصُ بِيَدِي إِسْرَائِيلَ كَمَا تَكَلَّمْتَ، ٣٦ 36
तब जिदा'ऊन ने खुदा से कहा, “अगर तू अपने क़ौल के मुताबिक़ मेरे हाथ के वसीले से बनी — इस्राईल को रिहाई देना चाहता है,
فَهَا إِنِّي وَاضِعٌ جَزَّةَ ٱلصُّوفِ فِي ٱلْبَيْدَرِ، فَإِنْ كَانَ طَلٌّ عَلَى ٱلْجَزَّةِ وَحْدَهَا، وَجَفَافٌ عَلَى ٱلْأَرْضِ كُلِّهَا، عَلِمْتُ أَنَّكَ تُخَلِّصُ بِيَدِي إِسْرَائِيلَ كَمَا تَكَلَّمْتَ». ٣٧ 37
तो देख, मैं भेड़ की ऊन खलिहान में रख दूँगा; इसलिए अगर ओस सिर्फ़ ऊन ही पर पड़े और आस — पास की ज़मीन सब सूखी रहे, तो मैं जान लूंगा कि तू अपने क़ौल के मुताबिक़ बनी — इस्राईल को मेरे हाथों के वसीले से रिहाई बख़्शेगा।”
وَكَانَ كَذَلِكَ. فَبَكَّرَ فِي ٱلْغَدِ وَضَغَطَ ٱلْجَزَّةَ وَعَصَرَ طَّلًا مِنَ ٱلْجَزَّةِ، مِلْءَ قَصْعَةٍ مَاءً. ٣٨ 38
और ऐसा ही हुआ। क्यूँकि वह सुबह को जूँ ही सवेरे उठा, और उस ऊन को दबाया और ऊन में से ओस निचोड़ी तो प्याला भर पानी निकला।
فَقَالَ جِدْعُونُ لِلهِ: «لَا يَحْمَ غَضَبُكَ عَلَيَّ فَأَتَكَلَّمَ هَذِهِ ٱلْمَرَّةَ فَقَطْ. أَمْتَحِنُ هَذِهِ ٱلْمَرَّةَ فَقَطْ بِٱلْجَزَّةِ. فَلْيَكُنْ جَفَافٌ فِي ٱلْجَزَّةِ وَحْدَهَا وَعَلَى كُلِّ ٱلْأَرْضِ لِيَكُنْ طَلٌّ». ٣٩ 39
तब जिदा'ऊन ने ख़ुदा से कहा कि तेरा ग़ुस्सा मुझ पर न भड़के, मैं सिर्फ़ एक बार और 'अर्ज़ करता हूँ, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि सिर्फ़ एक बार और इस ऊन से आज़माइश कर लूँ, अब सिर्फ़ ऊन ही ऊन ख़ुश्क रहे और आस पास की सब ज़मीन पर ओस पड़े।
فَفَعَلَ ٱللهُ كَذَلِكَ فِي تِلْكَ ٱللَّيْلَةِ. فَكَانَ جَفَافٌ فِي ٱلْجَزَّةِ وَحْدَهَا وَعَلَى ٱلْأَرْضِ كُلِّهَا كَانَ طَلٌّ. ٤٠ 40
तब ख़ुदा ने उस रात ऐसा ही किया क्यूँकि ऊन ही ख़ुश्क रही और सारी ज़मीन पर ओस पड़ी।

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