< मुकाशफ़ा 3 >

1 “और सरदीस की कलीसिया के फ़रिश्ते को ये लिख कि जिसके पास ख़ुदा की सात रूहें और सात सितारे हैं”
ᏌᏗᏏᏃ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᏗᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᏫᏲᏪᎳᏏ, ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏫᏂᏪᏏ ᎠᏗᎭ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎦᎵᏉᎩ ᏗᏓᏅᏙ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏧᏤᎵ ᏧᏪᎯ ᏥᎩ, ᎠᎴ ᎦᎵᏉᎩ ᏃᏈᏏ ᏧᏪᎯ ᏥᎩ; ᏥᎦᏔᎭ ᏄᏍᏛ ᏕᏣᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎢ, ᎬᏃᏛ ᏥᎨᏦᏎᎭ, ᎠᏎᏃ ᏣᏲᎱᏒᎯᏉ ᏥᎩ.
2 “जागता रहता, और उन चीज़ों को जो बाक़ी है और जो मिटने को थीं मज़बूत कर, क्यूँकि मैंने तेरे किसी काम को अपने ख़ुदा के नज़दीक पूरा नहीं पाया।
ᎯᏯᏫᏍᎨᏍᏗ, ᎠᎴ ᏔᎵᏂᎪᎯᏍᏓ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏧᎵᏃᎯᏴᎯ, ᎾᏍᎩ ᏧᎵᏬᏥᏕᎾ ᏥᎩ; ᎥᏝᏰᏃ ᏯᎩᏩᏛᎲ ᎤᎧᎵᏨᎯ ᎣᏍᏛ ᎨᏒ ᏕᏣᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏙᏗᎧᏅᎢ.
3 पस याद कर कि तू ने किस तरह ता'लीम पाई और सुनी थी, और उस पर क़ाईम रह और तौबा कर। और अगर तू जागता न रहेगा तो मैं चोर की तरह आ जाऊँगा, और तुझे हरगिज़ मा'लूम न होगा कि किस वक़्त तुझ पर आ पडूँगा।
ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎭᏅᏓᏓ ᏄᏍᏛ ᏕᏣᏓᏂᎸᏨ ᎠᎴ ᏣᏛᎦᏅᎢ, ᎠᎴ ᎠᏍᏓᏯ ᏘᏂᏴ ᎠᎴ ᎯᏁᏟᏴᎾ ᏣᏓᏅᏛᎢ. ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎢᏳᏃ ᏂᏯᏫᏍᎬᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ ᏓᎬᎷᏤᎵ ᎦᏃᏍᎩᏍᎩ ᏥᎦᎷᎪ ᎾᏍᎩᏯᎢ, ᎥᏝ ᎠᎴ ᏱᎦᏔᎮᏍᏗ ᎢᏳ ᎨᏒ ᏗᎬᎷᏤᎵᏒᎢ.
4 अलबत्ता, सरदीस में तेरे यहाँ थोड़े से ऐसे शख़्स हैं जिन्हूँ ने अपनी पोशाक आलूदा नहीं की। वो सफ़ेद पोशाक पहने हुए मेरे साथ सैर करेंगे, क्यूँकि वो इस लायक़ हैं।
ᎢᎸᏍᎩ ᏂᎦᎥ ᏚᎾᏙᎥ ᏕᏣᏍᏆᏂᎪᏗ ᏌᏗᏏ, ᎾᏍᎩ ᎦᏓᎭ ᎢᏧᏅᏁᎸᎯ ᏂᎨᏒᎾ ᏧᎾᏄᏬ; ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᏓᏲᏤᏙᎵ ᏧᏁᎩᏳ ᎨᏎᏍᏗ ᏚᎾᏄᏩᎥᎢ; ᏰᎵᏉᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏩᎾᏛᏁᏗ.
5 जो ग़ालिब आए उसे इसी तरह सफ़ेद पोशाक पहनाई जाएगी, और मैं उसका नाम किताब — ए — हयात से हरगिज़ न काटूँगा, बल्कि अपने बाप और उसके फ़रिश्तों के सामने उसके नाम का इक़रार करूँगा।
ᎩᎶ ᎠᏓᏎᎪᎩᏍᎨᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᏧᏁᎬ ᏣᏥᏄᏬᏍᏗ ᎨᏎᏍᏗ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏥᏲᏍᏓᏁᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ ᏚᏙᎥ ᎬᏂᏛ ᎠᏓᏁᎯ ᎪᏪᎵᎯ ᎪᏪᎸᎢ; ᎠᎴ ᎬᏂᎨᏒ ᎢᏥᏴᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ ᏕᎤᏙᎥ ᎡᏙᏓ ᎠᎦᏔᎲᎢ, ᎠᎴ ᏧᏤᎵ ᏗᏂᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᎠᏂᎧᏔᎲᎢ.
6 जिसके कान हों वो सुने कि रूह कलीसियाओं से क्या फ़रमाता है।”
ᎩᎶ ᏕᎦᎵᎨᏍᏗ ᏩᏛᎬᎦ ᎠᏓᏅᏙ ᏂᏕᎦᏪᏎᎲ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᏚᎾᏓᏡᏩᏗᏒᎢ.
7 “और फ़िलदिल्फ़िया की कलीसिया के फ़रिश्ते को ये लिख: जो क़ुद्दूस और बरहक़ है, और दाऊद की कुन्जी रखता है, जिसके खोले हुए को कोई बन्द नहीं करता और बन्द किए हुए को कोई खोलता नहीं, वो ये फ़रमाता है कि
ᏈᎵᏕᎵᏈᏃ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᏗᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᏫᏲᏪᎳᏏ; ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏫᏂᏪᏏ ᎠᏗᎭ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎠᏍᎦᎾ ᏂᎨᏒᎾ, ᎾᏍᎩ ᎦᏰᎪᎩ ᏂᎨᏒᎾ, ᎾᏍᎩ ᎠᏍᏚᎢᏍᏗ ᏕᏫ ᎤᏤᎵᎦ ᎦᏁᎯ, ᎾᏍᎩ ᎠᏍᏚᎢᏍᎩ ᏥᎩ, ᎩᎶᏃ ᎠᏍᏚᎲᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ; ᎠᎴ ᎠᏍᏚᎲᏍᎩ, ᎩᎶᏃ ᎠᏍᏚᎢᏍᎩ ᏂᎨᏒᎾ ᏥᎩ.
8 मैं तेरे कामों को जानता हूँ (देख, मैंने तेरे सामने एक दरवाज़ा खोल रख्खा है, कोई उसे बन्द नहीं कर सकता) कि तुझ में थोड़ा सा ज़ोर है और तू ने मेरे कलाम पर अमल किया और मेरे नाम का इन्कार नहीं किया।
ᏥᎦᏔᎭ ᏄᏍᏛ ᏕᏣᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎢ; ᎬᏂᏳᏉ ᎢᎬᏱᏢ ᏂᎬᏴᏂᏏ ᎠᏍᏚᎢᏛ ᎦᎶᎯᏍᏗᏱ, ᎥᏝᏃ ᎩᎶ ᎬᏩᏍᏚᏗ ᏱᎩ; ᎠᏏᏰᏃ ᎤᏍᏗᎩᏛ ᏣᎵᏂᎬᎦ, ᎠᎴ ᏣᏍᏆᏂᎪᏔᏅ ᎧᏃᎮᏛ ᎠᏆᏤᎵᎦ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏱᏣᏓᏱᎸ ᏓᏆᏙᎥᎢ.
9 देख, मैं शैतान की उन जमा'त वालों को तेरे क़ाबू में कर दूँगा, जो अपने आपको यहूदी कहते हैं और है नहीं, बल्कि झूठ बोलते हैं — देख, मैं ऐसा करूँगा कि वो आकर तेरे पाँव में सिज्दा करेंगे, और जानेगे कि मुझे तुझ से मुहब्बत है।
ᎬᏂᏳᏉ ᏎᏓᏂ ᎤᏤᎵ ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᎠᏁᎳ ᏅᏓᎦᏥᏴᏁᎵ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎣᏥᏧᏏ ᏣᎾᏗᎭ, ᎠᏎᏃ ᎾᏍᎩ ᏄᎾᏍᏛᎾ ᏥᎩ, ᎠᎴ ᏣᎾᏥᎪᎥᏍᎦᏉ, ᎬᏂᏳᏉ ᎤᏂᎷᎯᏍᏗᏱ ᏅᏓᎦᏥᏴᏁᎵ ᎠᎴ ᎤᎾᏓᏙᎵᏍᏔᏂᎯᏍᏗᏱ ᏕᏣᎳᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᎦᏙᎥᏍᏗᏱ ᎬᎨᏳᎢᏳ ᎨᏒᎢ.
10 चूँकि तू ने मेरे सब्र के कलाम पर 'अमल किया है, इसलिए मैं भी आज़माइश के उस वक़्त तेरी हिफ़ाज़त करूँगा जो ज़मीन के रहनेवालों के आज़माने के लिए तमाम दुनियाँ पर आनेवाला है।
ᎾᏍᎩᏯᏃ ᎲᏂᏗᏳ ᎨᏒ ᏥᏣᏍᏆᏂᎪᏔᏅ ᎠᏆᏤᎵ ᎧᏃᎮᏛ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎾᏍᏉ ᎠᏴ ᏓᎬᏍᏆᏂᎪᏔᏂ ᏓᎬᏳᏓᎴᏏ ᎾᎯᏳ ᎤᏓᎪᎵᏰᏗ ᎨᏒ ᎠᏍᏆᎸᎲᎭ, ᎡᎳᏂᎬ ᎤᏂᎷᏤᏗ ᏥᎩ, ᎤᏂᎪᎵᏰᏗᏱ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎡᎶᎯ ᏣᏁᎭ.
11 मैं जल्द आनेवाला हूँ। जो कुछ तेरे पास है थामे रह, ताकि कोई तेरा ताज न छीन ले।
ᎬᏂᏳᏉ ᏞᎩᏳ ᏓᏥᎷᏥ; ᎠᏍᏓᏱᏳ ᏕᏣᏂᏴᏎᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᏣᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᎩᎶ ᎨᏣᎾᎡᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ ᎠᎵᏍᏚᎶ ᏣᏤᎵᎦ.
12 जो ग़ालिब आए, मैं उसे अपने ख़ुदा के मक़्दिस में एक सुतून बनाऊँगा। वो फिर कभी बाहर न निकलेगा, और मैं अपने ख़ुदा का नाम और अपने ख़ुदा के शहर, या'नी उस नए येरूशलेम का नाम जो मेरे ख़ुदा के पास से आसमान से उतरने वाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा।
ᎩᎶ ᎠᏓᏎᎪᎩᏍᎨᏍᏗ ᎦᎫᏍᏛᏗ ᏅᏓᏥᏴᏁᎵ ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᎠᏆᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ, ᎥᏝᏃ ᎿᎭᏉ ᎢᎸᎯᏳ ᎤᏄᎪᎢᏍᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ; ᎠᎴ ᏓᏥᏲᏪᎶᏔᏂ ᏚᏙᎥ ᎠᏆᏁᎳᏅᎯ, ᎠᎴ ᏚᏙᎥ ᎦᏚᎲ ᎠᏆᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ, ᎾᏍᎩ ᎢᏤ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩ ᎦᎸᎶᎢ ᎤᏁᎳᏅᎯᏱ ᏣᏗᏓᎴᎲᏍᎦ; ᎠᎴ ᏓᏥᏲᏪᎶᏔᏂ ᎢᏤ ᏓᏆᏙᎥᎢ.
13 जिसके कान हों वो सुने कि रूह कलीसियाओं से क्या फ़रमाता है।”
ᎩᎶ ᎦᎵᎷᎨᏍᏗ ᏩᏛᎬᎦ ᎠᏓᏅᏙ ᏂᏕᎦᏪᏎᎲ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᏚᎾᏓᏡᏩᏗᏒᎢ.
14 “और लौदीकिया की कलीसिया के फ़रिश्ते को ये लिख: जो आमीन और सच्चा और बरहक़ गवाह और ख़ुदा की कायनात की शुरुआत है, वो ये फ़रमाता है कि
ᎴᎣᏗᏏᏰᏃ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᎤᎾᏓᏡᎬ ᏗᎧᎿᎭᏩᏗᏙᎯ ᏫᏲᏪᎳᏏ; ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏫᏂᏪᏏ ᎠᏗᎭ ᎾᏍᎩ ᎡᎺᏅ ᏥᏚᏙᎥ, ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏄᏓᎵᏓᏍᏛᎾ ᎠᎴ ᎤᏙᎯᏳᎯᏯ ᎧᏃᎮᏍᎩ ᏥᎩ, ᏗᏓᎴᏅᏗᏍᎩ ᎤᏬᏢᏅᏅ ᎤᏁᎳᏅᎯ.
15 मैं तेरे कामों को जानता हूँ कि न तू सर्द है न गर्म। क़ाश कि तू सर्द या गर्म होता!
ᏥᎦᏔᎭ ᏄᏍᏛ ᏕᏣᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎢ, ᎾᏍᎩ ᏂᏣᏴᏢᎾ ᎠᎴ ᏂᏣᏗᎴᎬᎾ ᎨᏒᎢ; ᎤᏟ ᏱᏥᏰᎸᎾ ᏱᏣᏴᏜᏓᎠᎴ ᏱᏣᏗᎴᎦᏉ.
16 पस चूँकि तू न तो गर्म है न सर्द बल्कि नीम गर्म है, इसलिए मैं तुझे अपने मुँह से निकाल फेंकने को हूँ।
ᎾᏍᎩᏃ ᏥᏣᎦᎾᏩᏉ, ᏂᏣᏴᏢᎾ ᎠᎴ ᏂᏣᏗᎴᎬᎾ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᏓᎬᏯᎵᎦᏍᏔᏂ ᏥᎣᎵ ᏓᎬᏄᎪᏫᏏ.
17 और चूँकि तू कहता है कि मैं दौलतमन्द हूँ और मालदार बन गया हूँ और किसी चीज़ का मोहताज नहीं; और ये नहीं जानता कि तू कमबख़्त और आवारा और ग़रीब और अन्धा और नंगा है।
ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎯᎠ ᏥᏂᏪᎭ, ᎠᏇᎿᎭᎠ, ᎠᎴ ᎠᏇᏅᏨ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᎪᎱᏍᏗ ᏯᎩᏂᎬᏎᎭ; ᏂᎦᏔᎲᎾᏃ ᎢᎩ ᎤᏲ ᏂᏣᏛᎿᎭᏕᎬᎢ, ᎠᎴ ᎤᏪᏙᎵᏍᏗ ᏂᏣᏛᎿᎭᏕᎬᎢ, ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᏂᏣᎲᎾ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏘᎨᏫ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᏣᏰᎸᎭ ᎨᏒᎢ,
18 इसलिए मैं तुझे सलाह देता हूँ कि मुझ से आग में तपाया हुआ सोना ख़रीद ले, ताकि तू उसे पहन कर नंगे पन के ज़ाहिर होने की शर्मिन्दगी न उठाए; और आँखों में लगाने के लिए सुर्मा ले, ताकि तू बीना हो जाए।
ᎬᏂᏤᎭ ᏍᎩᏩᎯᏎᏗᏱ ᎠᏕᎸ ᏓᎶᏂᎨ ᎠᏥᎸᏱ ᎬᏔᏅᎯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏙᎯᏳᎯ ᏤᏅᎢᏍᏗᏱ; ᎠᎴ ᎤᏁᎬ ᎠᏄᏬ ᏣᏄᏬᏍᏗ, ᎾᏍᎩ ᎤᏕᎰᎯᏍᏗ ᏣᏲᏓᎦ ᎨᏒ ᎬᏂᎨᏒ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ; ᎠᎴ ᏘᎦᏙᎵ ᏗᏣᎶᏁᏙᏗᏱ ᏗᎦᏔ-ᏗᎦᎶᏁᏗ, ᎾᏍᎩ ᎨᏣᎪᏩᏛᏗ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ.
19 मैं जिन जिन को 'अज़ीज़ रखता हूँ, उन सब को मलामत और हिदायत करता हूँ; पस सरगर्म हो और तौबा कर।
ᎾᏂᎥ ᎦᏥᎨᏳᎢ ᎨᏒ ᏕᏥᎬᏍᎪᎸᎥᏍᎪ ᎠᎴ ᏕᏥᎩᎵᏲᎢᏍᏗᏍᎪᎢ; ᎾᏍᎩ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᎵᏂᎩᏛ ᎭᏓᏅᏓᏓ ᎯᏁᏟᏴᎾ ᏣᏓᏅᏛᎢ.
20 देख, मैं दरवाज़े पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; अगर कोई मेरी आवाज़ सुनकर दरवाज़ा खोलेगा, तो मैं उसके पास अन्दर जाकर उसके साथ खाना खाऊँगा और वो मेरे साथ।
ᎬᏂᏳᏉ ᏥᏙᎦ ᎦᎶᎯᏍᏗᏱ ᎠᎴ ᎬᏂᎭ; ᎩᎶ ᎠᏛᎩᏍᎨᏍᏗ ᏥᏁᎬ ᎠᎴ ᎠᏍᏚᎢᏍᎨᏍᏗ ᎦᎶᎯᏍᏗᏱ, ᏓᏥᏴᎵ ᎠᏯᎥᎢ, ᎠᎴ ᏓᎦᎵᏍᏓᏴᏂ ᎠᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏛᎵᏍᏓᏴᏂ ᎦᎵᏍᏓᏴᎲᏍᎬᎢ.
21 जो ग़ालिब आए मैं उसे अपने साथ तख़्त पर बिठाऊँगा, जिस तरह मैं ग़ालिब आकर अपने बाप के साथ उसके तख़्त पर बैठ गया।
ᎩᎶ ᎠᏓᏎᎪᎩᏍᎨᏍᏗ ᏓᏥᏯᎵᎪᎸᏓᏁᎵ ᎤᏪᏗᏱ ᎠᏉᎸᎢ ᎠᏆᏤᎵ ᎦᏍᎩᎸᎢ, ᎾᏍᎩᏯ ᏣᏆᏓᏎᎪᎩᏒ ᎠᎴ ᏣᎩᏅ ᎡᏙᏓ ᎤᏬᎸ ᎾᏍᎩ ᎤᏪᏍᎩᎸᎢ.
22 जिसके कान हों वो सुने कि रूह कलीसियाओं से क्या फ़रमाता है।”
ᎩᎶ ᎦᎵᎷᎨᏍᏗ ᏩᏛᎬᎦ ᎠᏓᏅᏙ ᏂᏕᎦᏪᏎᎲ ᏧᎾᏁᎶᏗ ᏚᎾᏓᏡᏩᏗᏒᎢ.

< मुकाशफ़ा 3 >