< लूका 13 >

1 उस वक़्त कुछ लोग हाज़िर थे, जिन्होंने उसे उन ग़लतियों की ख़बर दी जिनका ख़ून पिलातुस ने उनके ज़बीहों के साथ मिलाया था।
ᎾᏍᎩᏃ ᎠᏁᏙᎮ ᎩᎶ ᎬᏩᏃᏁᎸᎯ ᎬᏩᏁᎢᏍᏓᏁᎸᎯ ᎨᎵᎵ ᎠᏁᎯ, ᎾᏍᎩ ᎤᏂᎩᎬ ᏇᎴᏗ ᏚᏑᏰᏓᏁᎸ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎲᎢ.
2 उसने जवाब में उनसे कहा, “इन ग़लतियों ने ऐसा दुःख पाया, क्या वो इसलिए तुम्हारी समझ में और सब ग़लतियों से ज़्यादा गुनहगार थे?
ᏥᏌᏃ ᏚᏁᏤᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏣᏓᏅᏖᏍᎬᏍᎪ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎨᎵᎵ ᎠᏁᎯ ᏧᏂᎪᎾᏛᏔᏅᎯ ᎨᏎ ᎠᏂᏍᎦᎾᎯᏳ ᎨᏒ ᏂᎦᏛ ᎨᎵᎵ ᎠᏁᎯ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᎭ ᎾᏍᎩ ᏥᏄᎾᎵᏍᏓᏁᎴᎢ?
3 मैं तुम से कहता हूँ कि नहीं; बल्कि अगर तुम तौबा न करोगे, तो सब इसी तरह हलाक होंगे।
ᎥᏝ ᎢᏨᏲᏎᎭ; ᏂᎯᏍᎩᏂ ᏂᏗᏥᏁᏟᏴᏒᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ ᏕᏣᏓᏅᏛᎢ, ᏂᎦᏛ ᎾᏍᎩᏯ ᏓᏣᏗᏒᏂ.
4 या, क्या वो अठारह आदमी जिन पर शिलोख़ का गुम्बद गिरा और दब कर मर गए, तुम्हारी समझ में येरूशलेम के और सब रहनेवालों से ज़्यादा क़ुसूरवार थे?
ᎠᎴ Ꮎ ᏁᎳᏚ ᎢᏯᏂᏛ ᏌᎶᎻ ᎢᏅᎢᎦᏘ ᎠᏓᏁᎸ ᏧᎾᏐᏁᎢ, ᎠᎴ ᏥᏚᏂᎴᎢ, ᏥᎪ ᎢᏣᏓᏅᏖᏍᎬ ᏧᏂᎪᎾᏛᏔᏅᎯ ᎨᏎ ᎠᏂᏍᎦᎾᎯᏳ ᎨᏒ ᏂᎦᏛ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎠᏁᎯ?
5 मैं तुम से कहता हूँ कि नहीं; बल्कि अगर तुम तौबा न करोगे, तो सब इसी तरह हलाक होगे।”
ᎥᏝ ᎢᏨᏲᏎᎭ; ᏂᎯᏍᎩᏂ ᏂᏗᏥᏁᏟᏴᏒᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ ᏕᏣᏓᏅᏛᎢ, ᏂᎦᏛ ᎾᏍᎩᏯ ᏓᏩᏗᏒᏂ.
6 फिर उसने ये मिसाल कही, “किसी ने अपने बाग़ में एक अंजीर का दरख़्त लगाया था। वो उसमें फल ढूँडने आया और न पाया।
ᎯᎠ ᎾᏍᏉ ᏄᏪᏎ ᏚᏟᎶᏍᏓᏁᎴᎢ; ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ, ᎡᎦᏔ-ᎢᏳᏍᏗ ᏡᎬ ᎤᏫᏎ ᏖᎸᎳᏗ ᏚᏫᏒᎢ; ᎤᎷᏤᏃ ᎤᏲᎴ ᎤᏓᏔᏅᎯ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏳᏩᏛᎮᎢ.
7 इस पर उसने बाग़बान से कहा, 'देख तीन बरस से मैं इस अंजीर के दरख़्त में फल ढूँडने आता हूँ और नहीं पाता। इसे काट डाल, ये ज़मीन को भी क्यूँ रोके रहे?
ᎿᎭᏉᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎣᏍᏛ ᎢᏳᏩᎿᎭᏕᎩ ᏖᎸᎳᏗ ᏚᏫᏒᎢ, ᎬᏂᏳᏉ, ᎿᎭᏉ ᏦᎢ ᎾᏕᏘᏴ ᏥᎷᎬᎩ ᎠᎩᏲᎲᎩ ᎤᏓᏔᏅᎯ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎡᎦᏔ-ᎢᏳᏍᏗ ᏡᎬᎢ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏱᏥᏩᏘᎭ; ᎯᎴᏴᏍᏓ; ᎦᏙᏃ ᎢᎤᎨᏗ ᎦᏙᎯ?
8 उसने जवाब में उससे कहा, 'ऐ ख़ुदावन्द, इस साल तू और भी उसे रहने दे, ताकि मैं उसके चारों तरफ़ थाला खोदूँ और खाद डालूँ।
ᎤᏁᏨᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎤᏁᎳᎩ ᎮᎳ ᎪᎯ ᎾᏍᏉ ᏧᏕᏘᏴᏌᏗ, ᎬᏂ ᎦᏍᎪᏏᏙᎸᎭ, ᎠᎴ ᎣᏍᏛ ᎦᏓ ᏥᏅᎭ.
9 अगर आगे फला तो ख़ैर, नहीं तो उसके बाद काट डालना।”
ᎢᏳᏃ ᎢᎠᏓᏔᏅᎭ, ᎤᏁᎳᎩᏉ ᎨᏎᏍᏗ; ᎢᏳᏃ ᏄᏔᏅᎾ ᏱᎩ, ᎩᎳ ᎣᏂ ᎯᎴᏴᏍᏔᏅᎭ.
10 फिर वो सबत के दिन किसी 'इबादतख़ाने में ता'लीम देता था।
ᏓᏕᏲᎲᏍᎨᏃ ᎢᎸᎯᏢ ᎠᏓᏁᎸ ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬᎢ;
11 और देखो, एक 'औरत थी जिसको अठारह बरस से किसी बदरूह की वजह से कमज़ोरी थी; वो झुक गई थी और किसी तरह सीधी न हो सकती थी।
ᎬᏂᏳᏉᏃ ᎾᎿᎭᎡᏙᎮ ᎠᎨᏴ ᎠᏓᏅᏙ ᎥᏳᎩ ᎪᏢᏍᎩ ᎤᏯᎢ ᏁᎳᏚ ᎢᏳᏕᏘᏴᏛ ᎢᎬᏩᎵᏍᏔᏅᎯ ᎨᏎᎢ, ᎠᎴ ᎤᏗᏌᏕᎢ, ᎠᎴ ᎬᏩᏟᏍᏛ ᎤᎵᏥᏃᎯᏍᏙᏗᏱ ᎨᏎᎢ.
12 ईसा ने उसे देखकर पास बुलाया और उससे कहा, “ऐ 'औरत, तू अपनी कमज़ोरी से छूट गई।”
ᏥᏌᏃ ᎤᎪᎲ ᏭᏯᏅᎮᎢ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎯᎨᏴ, ᏣᏢᎬ ᎡᏧᏓᎳᎩ.
13 और उसने उस पर हाथ रख्खे, उसी दम वो सीधी हो गई और ख़ुदा की बड़ाई करने लगी।
ᏚᏏᏔᏕᏃ; ᎠᎴ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᎦᏥᏃᏍᏛ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᎸᏉᏔᏁ ᎤᏁᎳᏅᎯ.
14 'इबादतख़ाने का सरदार, इसलिए कि ईसा ने सबत के दिन शिफ़ा बख़्शी, ख़फ़ा होकर लोगों से कहने लगा, “छ: दिन हैं जिनमें काम करना चाहिए, पस उन्हीं में आकर शिफ़ा पाओ न कि सबत के दिन।”
ᏗᎦᎳᏫᎢᏍᏗᏱᏃ ᏄᎬᏫᏳᏌᏕᎩ ᎤᎿᎭᎸᎯ ᎤᏁᏤᎢ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᏥᏌ ᎤᏓᏅᏩᏅ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬ ᎢᎦ; ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴ ᏴᏫ, ᏑᏓᎵ ᎢᎦ ᏚᏳᎪᏗ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᏗᏱ ᏴᏫ; ᎾᎯᏳᏍᎩᏂ ᎢᏥᎷᎨᏍᏗ ᎠᎴ ᏕᏥᏅᏫᏍᎨᏍᏗ, ᏞᏍᏗᏃ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬ ᎢᎦ.
15 ख़ुदावन्द ने उसके जवाब में कहा, “'ऐ रियाकारो! क्या हर एक तुम में से सबत के दिन अपने बैल या गधे को खूंटे से खोलकर पानी पिलाने नहीं ले जाता?
ᎤᎬᏫᏳᎯᏃ ᎿᎭᏉ ᎤᏁᏤᎴ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏣᏠᎾᏍᏗ! ᏝᏍᎪ ᏂᎯ ᎢᏥᏏᏴᏫᎭ ᎨᏒ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬ ᏰᏤᎵᏌᏕᏍᎪ ᏗᎨᎳᏍᏗᏱ ᎢᏣᏤᎵ ᏩᎦ ᎠᎴ ᏐᏈᎵᏗᎦᎵᎠᏅᎯᏛ, ᎠᎴ ᏰᏣᏘᏁᎪ ᎠᎹ ᏰᏣᏗᏔᏍᏔᏁᎪᎢ?
16 पस क्या वाजिब न था कि ये जो अब्रहाम की बेटी है जिसको शैतान ने अठारह बरस से बाँध कर रख्खा था, सबत के दिन इस क़ैद से छुड़ाई जाती?”
ᎯᎠᏃ ᎠᎨᏴ ᎡᏆᎭᎻ ᎤᏪᏥ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩ ᏎᏓᏂ ᎿᎭᏉ ᎬᏂᏳ ᏁᎳᏚ ᏧᏕᏗᏴᏛ ᎬᏩᎸᎸᎯ ᏥᎩ, ᏝᏍᎪ ᏱᏚᏳᎪᏕ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬ ᎠᎦᎸᏒᏗᏱ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᎤᏓᎸᏍᏛᎢ?
17 जब उसने ये बातें कहीं तो उसके सब मुख़ालिफ़ शर्मिन्दा हुए, और सारी भीड़ उन 'आलीशान कामों से जो उससे होते थे, ख़ुश हुई।
ᎾᏍᎩᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏒ, ᏂᎦᏛ ᏗᎬᏩᎦᏗᎴᎩ ᎤᎾᏕᎰᏎᎢ; ᏂᎦᏛᏃ ᏴᏫ ᎠᎾᎵᎮᎵᎨ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᏂᎦᏛ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎾᏍᎩ ᏕᎤᎸᏫᏍᏓᏁᎲᎢ.
18 पस वो कहने लगा, “ख़ुदा की बादशाही किसकी तरह है? मैं उसको किससे मिसाल दूँ?”
ᎿᎭᏉᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎦᏙ ᏓᏤᎸ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒᎢ? ᎠᎴ ᎦᏙ ᏙᏓᎦᏟᎶᏍᏔᏂ?
19 वो राई के दाने की तरह है, जिसको एक आदमी ने लेकर अपने बाग़ में डाल दिया: वो उगकर बड़ा दरख़्त हो गया, और हवा के परिन्दों ने उसकी डालियों पर बसेरा किया।“
ᎠᏥᎸ-ᎤᎦᏔ ᏓᏤᎸ, ᎾᏍᎩ ᎠᏍᎦᏯ ᏧᎩᏎ ᎠᎴ ᎤᏫᏒᏗᏱ ᏥᏭᏗᏅᏎᎢ; ᎠᎴ ᎤᏛᏎᎢ, ᎠᎴ ᎡᏉᎯᏳ ᏄᎵᏍᏔᏁ ᏡᎬᎢ; ᎠᎴ ᏥᏍᏆ ᎦᎸᎶ ᎠᏂᏃᎯᎵᏙᎯ ᏚᏩᏂᎦᎸ ᎤᎾᎭᏓᏕᎢ.
20 उसने फिर कहा, “मैं ख़ुदा की बादशाही को किससे मिसाल दूँ?”
ᎠᎴᏬ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎦᏙ ᏙᏓᎦᏟᎶᏍᏔᏂ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒᎢ?
21 वो ख़मीर की तरह है, जिसे एक 'औरत ने तीन पैमाने आटे में मिलाया, और होते होते सब ख़मीर हो गया।“
ᎠᎪᏙᏗ ᎾᏍᎩᏯᎢ, ᎾᏍᎩ ᎠᎨᏴ ᏧᎩᏎ ᎠᎴ ᏧᏑᏴᏁ ᏦᎢ ᎢᏳᏟᎶᏛ ᎢᏒ ᎦᎸᎢ, ᎬᏂ ᏂᎦᏛ ᎤᏬᏘᏐᏅ.
22 वो शहर — शहर और गाँव — गाँव ता'लीम देता हुआ येरूशलेम का सफ़र कर रहा था।
ᎤᎦᏛᎴᏏᏙᎴᏃ ᎤᏪᏙᎴ ᏧᏛᎾ ᏕᎦᏚᎲ ᎠᎴ ᏧᏍᏗ ᏕᎦᏚᎲᎢ, ᏓᏕᏲᎲᏍᎨᎢ, ᎠᎴ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᏩᎦᏖᎢ.
23 किसी शख़्स ने उससे पुछा, “ऐ ख़ुदावन्द! क्या नजात पाने वाले थोड़े हैं?”
ᎠᏏᏴᏫᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎠᏂᎦᏲᎵᏉᏍᎪ ᎨᏥᏍᏕᎸᏗ ᎨᏎᏍᏗ? ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ,
24 उसने उनसे कहा, “मेहनत करो कि तंग दरवाज़े से दाख़िल हो, क्यूँकि मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत से दाख़िल होने की कोशिश करेंगे और न हो सकेंगे।
ᎢᏣᏟᏂᎬᏁᎮᏍᏗ ᎢᏥᏴᏍᏗᏱ ᎠᏯᏙᎵ ᎦᎶᎯᏍᏗᏱ; ᎤᏂᏣᏘᏰᏃ, ᎢᏨᏲᏎᎭ, ᏓᏳᏂᏲᎵ ᎤᏂᏴᏍᏗᏱ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏰᎵ ᏫᎬᏩᏂᏴᏍᏗ ᏱᎨᏎᏍᏗ.
25 जब घर का मालिक उठ कर दरवाज़ा बन्द कर चुका हो, और तुम बाहर खड़े दरवाज़ा खटखटाकर ये कहना शुरू' करो, 'ऐ ख़ुदावन्द! हमारे लिए खोल दे, और वो जवाब दे, 'मैं तुम को नहीं जानता कि कहाँ के हो।'
ᎢᏳᏃ ᎿᎭᏉ ᎠᏍᎦᏯ ᎦᏁᎳ ᏓᎴᏅᎭ ᎠᎴ ᎠᏍᏚᏅᎭ ᎦᎶᎯᏍᏗᏱ, ᏂᎯᏃ ᎢᏣᎴᏅᎲ ᏙᏱᏗᏢ ᎢᏥᏙᎾᎥᎢ, ᎠᎴ ᎢᏨᏂᎮᏍᏗ ᎦᎶᎯᏍᏗᏱ ᎯᎠ ᏂᏤᏪᏍᎨᏍᏗ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎡᏍᎩᏍᏚᎢᏏ; ᎠᎴ ᏗᎧᏁᏨ ᎯᎠ ᏅᏗᏥᏪᏎᎸᎭ, ᎥᏝ ᏱᏥᎦᏔᎭ ᏗᏣᏓᎴᏅᎢ;
26 उस वक़्त तुम कहना शुरू करोगे, 'हम ने तो तेरे रु — ब — रु खाया — पिया और तू ने हमारे बाज़ारों में ता'लीम दी।'
ᎿᎭᏉ ᏓᏣᎴᏅᎯ ᎯᎠ ᏅᏓᏥᏪᏏ, ᎣᎦᎵᏍᏓᏴᏅᎩ ᎠᎴ ᎣᎦᏗᏔᎲᎩ ᎯᎦᏔᎲᎢ, ᎠᎴ ᏕᏣᏕᏲᏅᎩ ᎣᎩᏚᎲ ᎡᏓᏍᏗᏱ ᏕᎦᎳᏅᏛᎢ.
27 मगर वो कहेगा, 'मैं तुम से कहता हूँ, कि मैं नहीं जानता तुम कहाँ के हो। ऐ बदकारो, तुम सब मुझ से दूर हो।
ᎠᏎᏃ ᎯᎠ ᏅᏓᎦᏪᏏ, ᎢᏨᏲᏎᎭ, ᎥᏝ ᏱᏥᎦᏔᎭ ᏗᏣᏓᎴᏅᎢ; ᏍᎩᏯᏓᏅᏏ, ᏂᏥᎥ ᎤᏲ ᏗᏥᎸᏫᏍᏓᏁᎯ.
28 वहाँ रोना और दाँत पीसना होगा; तुम अब्रहाम और इज़्हाक़ और याक़ूब और सब नबियों को ख़ुदा की बादशाही में शामिल, और अपने आपको बाहर निकाला हुआ देखोगे;
ᎾᎿᎭᏓᏂᏴᎨᏍᏗ ᎠᎴ ᏓᏂᎸᏓᎩᏍᎨᏍᏗ ᏓᏂᏄᏙᎬᎢ, ᎾᎯᏳ ᏕᏥᎪᎲᎭ ᎡᏆᎭᎻ ᎠᎴ ᎡᏏᎩ ᎠᎴ ᏤᎦᏈ ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ, ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎾᎿᎭᎠᏂᏯᎡᏍᏗ, ᎢᏨᏒᏃ ᎡᏥᏄᎪᏫᏒᎯ ᎨᏎᏍᏗ.
29 और पूरब, पश्चिम, उत्तर, दक्खिन से लोग आकर ख़ुदा की बादशाही की ज़ियाफ़त में शरीक होंगे।
ᏗᎧᎸᎬᏃ ᎢᏗᏢ ᏗᏂᎶᏍᎨᏍᏗ, ᎠᎴ ᏭᏕᎵᎬᎢ, ᎠᎴ ᏧᏴᏢᎢ, ᎠᎴ ᏧᎦᎾᏮᎢ, ᎠᎴ ᎠᎾᏅᎥᏍᎨᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎾᎿᎭᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒᎢ.
30 और देखो, कुछ आख़िर ऐसे हैं जो अव्वल होंगे और कुछ अव्वल हैं जो आख़िर होंगे।“
ᎠᎴ ᎬᏂᏳᏉ ᎠᏁᎭ ᎣᏂ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏱ ᎨᏎᏍᏗ, ᎠᎴ ᎠᏁᎭ ᎢᎬᏱ ᏥᎩ, ᎾᏍᎩ ᎣᏂ ᎨᏎᏏᏗ.
31 उसी वक़्त कुछ फ़रीसियों ने आकर उससे कहा, “निकल कर यहाँ से चल दे, क्यूँकि हेरोदेस तुझे क़त्ल करना चाहता है।”
ᎾᎯᏳᏉᏃ ᎢᎦ ᎩᎶ ᎢᏳᎾᏍᏗ ᎠᏂᏆᎵᏏ ᎤᏂᎷᏤ ᎯᎠ ᏂᎬᏩᏪᏎᎴᎢ, ᎯᏄᎪᎢ, ᎠᎴ ᎭᏓᏅᎾ ᎠᏂ; ᎡᎶᏛ ᎾᏏ ᎤᏚᎵ ᏣᎯᏍᏗᏱ.
32 उसने उनसे कहा, “जाकर उस लोमड़ी से कह दो कि देख, मैं आज और कल बदरूहों को निकालता और शिफ़ा का काम अन्जाम देता रहूँगा, और तीसरे दिन पूरा करूँगा।
ᎯᎠᏃ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎢᏤᎾ, ᎠᎴ ᎯᎠ ᏫᏁᏥᏪᏏ Ꮎ ᎫᎳ, ᎬᏂᏳᏉ ᎠᏂᏍᎩᎾ ᏕᏥᏄᎪᏫᏍᎦ, ᎠᎴ ᏕᎦᏓᏅᏫᎭ ᎪᎯ ᎢᎦ ᎠᎴ ᎤᎩᏨᏅᎢ, ᏦᎢᏁᏃ ᎢᎦ ᎠᎩᏍᏆᏛᎯ ᎨᏎᏍᏗ.
33 मगर मुझे आज और कल और परसों अपनी राह पर चलना ज़रूर है, क्यूँकि मुम्किन नहीं कि नबी येरूशलेम से बाहर हलाक हो।“
ᎠᏎᏍᎩᏂᏃᏅ ᎠᏇᏓᏍᏗ ᏂᎦᎵᏍᏗᎭ ᎪᎯ ᎢᎦ, ᎠᎴ ᎤᎩᏨᏅᎢ, ᎠᎴ ᎤᎩᏨᏛ; ᎥᏝᏰᏃ ᎠᏙᎴᎰᏍᎩ ᏰᎵ ᎢᎸᎯᏢ ᎦᏰᏥᎢᏍᏗ ᏱᎩ, ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎤᏩᏒ.
34 “ऐ येरूशलेम! ऐ येरूशलेम! तू जो नबियों को क़त्ल करती है, और जो तेरे पास भेजे गए उन पर पथराव करती है। कितनी ही बार मैंने चाहा कि जिस तरह मुर्ग़ी अपने बच्चों को परों तले जमा कर लेती है, उसी तरह मैं भी तेरे बच्चों को जमा कर लूँ, मगर तुम ने न चाहा।
ᏥᎷᏏᎵᎻ! ᏥᎷᏏᎵᎻ! ᎠᎾᏙᎴᎰᏍᎩ ᏘᎯᎯ, ᎠᎴ ᏅᏯ ᏛᏂᏍᏗᏍᎩ ᎨᏣᎷᏤᏗᏱ ᎨᏥᏅᏒᎯ; ᏯᏃᎩᏳ ᎠᏆᏚᎵᏍᎬ ᎦᏥᏯᏟᏐᏗᏱ ᏗᏤᏥ, ᎾᏍᎩᏯ ᏣᏔᎦ ᏥᏕᎦᏟᏏᏍᎪ ᏧᏪᏥ ᎠᏂᏛ ᎠᏫᏂᏗᏢ ᏗᎧᏃᎨᏂ, ᎠᏎᏃ ᎥᏝ ᏱᏣᏚᎵᏍᎨᎢ!
35 देखो, तुम्हारा घर तुम्हारे ही लिए छोड़ा जाता है, और मैं तुम से कहता हूँ, कि मुझ को उस वक़्त तक हरगिज़ न देखोगे जब तक न कहोगे, 'मुबारिक़ है वो, जो ख़ुदावन्द के नाम से आता है'।“
ᎬᏂᏳᏉ ᎢᏥᏁᎸ ᏅᏔ ᏁᏨᏁᎸ; ᎠᎴ ᎯᎠ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎥᏝ ᏴᎨᏍᎩᎪᏩᏛ ᎪᎯ ᎢᏳᏓᎴᏅᏛ ᎬᏂ ᎯᎠ ᎢᏥᏪᏍᏗᏱ ᎠᏍᏆᎸᎲᎭ, ᎠᏥᎸᏉᏗᏳ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏱᎰᏩ ᏕᏅᏙᎥ ᏥᎦᎷᎯᏍᏗᎭ.

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