< इफिसियों 2 >

1 और उसने तुम्हें भी ज़िन्दा किया जब अपने क़ुसूरों और गुनाहों की वजह से मुर्दा थे। 2 जिनमें तुम पहले दुनियाँ की रविश पर चलते थे, और हवा की 'अमलदारी के हाकिम या'नी उस रूह की पैरवी करते थे जो अब नाफ़रमानी के फ़रज़न्दों में तासीर करती है। (aiōn g165) 3 इनमें हम भी सबके सब पहले अपने जिस्म की ख़्वाहिशों में ज़िन्दगी गुज़ारते और जिस्म और 'अक़्ल के इरादे पुरे करते थे, और दूसरों की तरह फ़ितरत ग़ज़ब के फ़र्ज़न्द थे। 4 मगर ख़ुदा ने अपने रहम की दौलत से, उस बड़ी मुहब्बत की वजह से जो उसने हम से की, 5 कि अगर्चे हम अपने गुनाहों में मुर्दा थे तो भी उसने हमें मसीह के साथ ज़िन्दा कर दिया आपको ख़ुदा के फ़ज़ल ही से नजात मिली है 6 और मसीह ईसा में शामिल करके उसके साथ जिलाया, और आसमानी मुक़ामों पर उसके साथ बिठाया। 7 ताकि वो अपनी उस महरबानी से जो मसीह ईसा में हम पर है, आनेवाले ज़मानो में अपने फ़ज़ल की अज़ीम दौलत दिखाए। (aiōn g165) 8 क्यूँकि तुम को ईमान के वसीले फ़ज़ल ही से नजात मिली है; और ये तुम्हारी तरफ़ से नहीं, ख़ुदा की बाख़्शिश है, 9 और न आ'माल की वजह से है, ताकि कोई फ़ख़्र न करे। 10 क्यूँकि हम उसकी कारीगरी हैं, और ईसा मसीह में उन नेक आ'माल के वास्ते पैदा हुए जिनको ख़ुदा ने पहले से हमारे करने के लिए तैयार किया था। 11 पस याद करो कि तुम जो जिस्मानी तौर से ग़ैर — क़ौम वाले हो (और वो लोग जो जिस्म में हाथ से किए हुए ख़तने की वजह से कहलाते हैं, तुम को नामख़्तून कहते है) 12 अगले ज़माने में मसीह से जुदा, और इस्राईल की सल्तनत से अलग, और वा'दे के 'अहदों से नावाक़िफ़, और नाउम्मीद और दुनियाँ में ख़ुदा से जुदा थे। 13 मगर तुम जो पहले दूर थे, अब ईसा मसीह' में मसीह के ख़ून की वजह से नज़दीक हो गए हो। 14 क्यूँकि वही हमारी सुलह है, जिसने दोनों को एक कर लिया और जुदाई की दीवार को जो बीच में थी ढा दिया, 15 चुनाँचे उसने अपने जिस्म के ज़रिए से दुश्मनी, या'नी वो शरी'अत जिसके हुक्म ज़ाबितों के तौर पर थे, मौक़ूफ़ कर दी ताकि दोनों से अपने आप में एक नया इंसान पैदा करके सुलह करा दे; 16 और सलीब पर दुश्मनी को मिटा कर और उसकी वजह से दोनों को एक तन बना कर ख़ुदा से मिलाए। 17 और उसने आ कर तुम यहूदी जो ख़ुदा के नज़दीक थे, और ग़ैर यहूदी जो ख़ुदा से दूर थे दोनों को सुलह की ख़ुशख़बरी दी। 18 क्यूँकि उसी के वसीले से हम दोनों की, एक ही रूह में बाप के पास रसाई होती है। 19 पस अब तुम परदेसी और मुसाफ़िर नहीं रहे, बल्कि मुक़द्दसों के हमवतन और ख़ुदा के घराने के हो गए। 20 और रसूलों और नबियों की नींव पर, जिसके कोने के सिरे का पत्थर ख़ुद ईसा मसीह है, तामीर किए गए हो। 21 उसी में हर एक 'इमारत मिल — मिलाकर ख़ुदावन्द में एक पाक मक़्दिस बनता जाता है। 22 और तुम भी उसमें बाहम ता'मीर किए जाते हो, ताकि रूह में ख़ुदा का मस्कन बनो।

< इफिसियों 2 >