< आमाल 4 >

1 जब वो लोगों से ये कह रहे थे तो काहिन और हैकल का मालिक और सदूक़ी उन पर चढ़ आए।
ᎠᏏᏉᏃ ᏓᏂᏬᏁᏗᏍᎨ ᏴᏫ, ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᎣᏍᏛ ᎢᏳᏩᎿᎭᏕᎩ ᎤᏛᏅ-ᏗᏚᎳᏫᎢᏍᏗᏱ ᎠᎴ ᎠᏂᏌᏚᏏ ᎬᏩᏂᏃᎴᎢ;
2 वो ग़मगीन हुए क्यूँकि यह लोगों को ता'लीम देते और ईसा की मिसाल देकर मुर्दों के जी उठने का ऐलान करते थे।
ᎤᏥᏐᏅᏤᎮ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᏓᏁᏲᎲᏍᎬ ᏴᏫ, ᎠᎴ ᏥᏌ ᎠᏅᏗᏍᎬ ᎠᎾᎵᏥᏙᎲᏍᎬ ᎠᏲᎱᏒ ᏗᎴᎯᏐᏗ ᎨᏒᎢ.
3 और उन्होंने उन को पकड़ कर दुसरे दिन तक हवालात में रख्खा; क्यूँकि शाम हो गेई थी।
ᎠᎴ ᏕᎬᏩᏂᏂᏴᎨ ᎠᎴ ᏕᎬᏩᏂᏍᏚᏁ ᎤᎩᏨᏛ ᎢᎪᎯᏛ, ᎿᎭᏉᏰᏃ ᎤᏒᎢ ᎨᏎᎢ.
4 मगर कलाम के सुनने वालों में से बहुत से ईमान लाए; यहाँ तक कि मर्दो की ता'दाद पाँच हज़ार के क़रीब हो गेई।
ᎠᏎᏃ ᎤᏂᏣᏖ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᎾᏛᎦᏅᎯ ᎤᏃᎯᏳᏁᎢ, ᎾᏍᎩᏃ ᎠᏂᏍᎦᏯ ᎯᏍᎩᎭ ᎢᏯᎦᏴᎵ ᎾᏂᎡᎢ.
5 दुसरे दिन यूँ हुआ कि उनके सरदार और बुज़ुर्ग और आलिम।
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁ ᎤᎩᏨᏛ, ᎾᏍᎩ ᎤᏂᎬᏫᏳᎯ ᏧᎾᏤᎵ ᎠᎴ ᏗᏂᎳᏫᎩ ᎠᎴ ᏗᏃᏪᎵᏍᎩ,
6 और सरदार काहिन हन्ना और काइफ़ा, यूहन्ना, और इस्कन्दर और जितने सरदार काहिन के घराने के थे, येरूशलेम में जमा हुए।
ᎠᎴ ᎡᎾ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ, ᎠᎴ ᎧᏱᏆ ᎠᎴ ᏣᏂ ᎠᎴ ᎡᎵᎩ ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎨᎶᎯ ᎪᎱᏍᏗ ᏧᏩᏅ ᏚᏂᎳᏫᏤ ᏥᎷᏏᎵᎻ.
7 और उनको बीच में खड़ा करके पूछने लगे कि तुम ने ये काम किस क़ुदरत और किस नाम से किया?
ᎠᏰᎵᏃ ᏚᏂᎧᏅ ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎ ᏚᎾᏛᏛᏁᎢ; ᎦᎪ ᎤᎵᏂᎬᎬᎢ ᎠᎴ ᎦᎪ ᎦᏙᎥ ᎢᏍᏛᏔᏅ, ᎯᎠ ᏂᏍᏓᏛᏁᎸ?
8 उस वक़्त पतरस ने रूह — उल — कुददूस से भरपूर होकर उन से कहा।
ᎿᎭᏉᏃ ᏈᏓ ᎤᎧᎵᏨᎯ ᎨᏎ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ; ᎢᏥᎬᏫᏳᎯ ᏴᏫ ᏧᎾᏤᎵᎦ ᎠᎴ ᎢᏏᎵ ᏗᏥᎳᏫᏤᎯ,
9 ऐ उम्मत के सरदारों और बुज़ुर्गों; अगर आज हम से उस एहसान के बारे में पूछ — ताछ की जाती है, जो एक कमज़ोर आदमी पर हुआ; कि वो क्यूँकर अच्छा हो गया?
ᎢᏳᏃ ᎣᏍᏛ ᏃᏍᏓᏛᏁᎸᎢ ᎯᎠ ᎠᏲᎤᎵ ᎠᏍᎦᏯ, ᎢᏳᏍᏗ ᎬᏔᏅᎯ ᎨᏒ ᎠᏥᏅᏩᏅᎢ ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨᏍᏗ ᎪᎯ ᎢᎦ ᎢᎣᎩᎾᎵᏱᎵᏕᎮᏍᏗ,
10 तो तुम सब और इस्राईल की सारी उम्मत को मा'लूम हो कि ईसा मसीह नासरी जिसको तुम ने मस्लूब किया, उसे ख़ुदा ने मुर्दों में से जिलाया, उसी के नाम से ये शख़्स तुम्हारे सामने तन्दरुस्त खड़ा है।
ᎢᏥᎦᏔᎮᏍᏗ ᏂᎦᏛ, ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎢᏏᎵ ᎠᏁᎯ ᎠᏂᎦᏔᎮᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᏕᎤᏙᎥ ᏥᏌ ᎦᎶᏁᏛ ᎾᏎᎵᏗ ᏤᎲᎩ, ᎾᏍᎩ ᏓᏓᎿᎭᏩᏍᏛ ᏤᏣᏛᏅᎩ, ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏥᏕᎤᎴᏔᏅ ᎤᏲᎱᏒᎢ, ᎾᏍᎩ ᏄᏩᏂᏌᏅ ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏗᏩᏒᎯ ᏥᎦᏙᎦ ᏕᏥᎧᏅᎢ.
11 ये वही पत्थर है जिसे तुमने हक़ीर जाना और वो कोने के सिरे का पत्थर हो गया।
ᎾᏍᎩᏍᎩᏂ ᎯᎠ ᏅᏯ ᏥᏥᏲᎢᏎᎸᎩ ᏗᏣᏁᏍᎨᏍᎩ; ᎾᏍᎩ ᎤᏅᏏᏴ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᎠᏗ ᏥᏄᎵᏍᏔᏅ.
12 और किसी दूसरे के वसीले से नजात नहीं, क्यूँकि आसमान के तले आदमियों को कोई दुसरा नाम नहीं बख़्शा गया, जिसके वसीले से हम नजात पा सकें।
ᎥᏝ ᎠᎴ ᏅᏩᏓᎴ ᎩᎶᎢ ᎠᎵᏍᏕᎸᏙᏗ ᎨᏒ ᏳᎭ, ᎥᏝᏰᏃ ᏅᏩᏓᎴ ᏕᎤᏙᎥ ᎦᎸᎶ ᎭᏫᏂᏗᏢ ᏴᏫ ᎠᏁᎲ ᎠᎵᏍᎪᎸᏔᏅᎯ ᏱᎩ ᎢᎦᎵᏍᏕᎸᏙᏗ.
13 जब उन्होंने पतरस और यूहन्ना की हिम्मत देखी, और मा'लूम किया कि ये अनपढ़ और नावाक़िफ़ आदमी हैं, तो ता'अज्जुब किया; फिर ऊन्हें पहचाना कि ये ईसा के साथ रहे हैं।
ᎤᎾᏙᎴᎰᏒᏃ ᏈᏓ ᎠᎴ ᏣᏂ ᎾᏂᏯᎦᎢᎲᎾ ᎨᏒᎢ, ᎠᎴ ᎤᎾᏓᏅᏖᎸ ᎪᏪᎵ ᏂᏓᏂᏏᎾᏒᎾ ᎠᎴ ᎾᏂᎦᏔᎿᎭᎥᎾ ᎨᏒᎢ, ᎤᏂᏍᏆᏂᎪᏎᎢ, ᎠᎴ ᏚᏃᎵᏤ ᎾᏍᎩ ᏥᏌ ᎤᏁᏙᎸᎯ ᎨᏒᎢ.
14 और उस आदमी को जो अच्छा हुआ था, उनके साथ खड़ा देखकर कुछ ख़िलाफ़ न कह सके।
ᎠᏂᎪᏩᏘᏍᎨᏃ ᎠᏍᎦᏯ ᎠᏥᏅᏩᏅᎯ ᎢᏧᎳᎭ ᎠᏂᏙᎾᎡᎢ, ᎥᏝᏃ ᎪᎱᏍᏗ ᏫᎬᏩᎾᏛᏗ ᏱᎨᏎᎢ.
15 मगर उन्हें सद्रे — ए — अदालत से बाहर जाने का हुक्म देकर आपस में मशवरा करने लगे।
ᎠᏎᏃ ᏚᏂᏁᏥᎸ ᎤᏂᏄᎪᎢᏍᏗᏱ ᏓᏂᎳᏫᎥᎢ ᎤᏅᏒ ᎨᏒ ᎤᎾᎵᏃᎮᎴᎢ,
16 “कि हम इन आदमियों के साथ क्या करें? क्यूँकि येरूशलेम के सब रहने वालों पर यह रोशन है। कि उन से एक खुला मोजिज़ा ज़ाहिर हुआ और हम इस का इन्कार नहीं कर सकते।
ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ; ᎦᏙ ᏙᏓᏛᏁᎵ ᎯᎠ ᎠᏂᏍᎦᏯ, ᏄᏜᏓᏏᏛᏒᎾᏰᏃ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏚᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎸ ᎬᏂᎨᏒ ᏄᎾᎵᏍᏓᏁᎸ ᏂᎦᏛ ᏥᎷᏏᎵᎻ ᎠᏁᎯ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏰᎵ ᏴᎨᏓᏓᏱᎦ.
17 लेकिन इसलिए कि ये लोगों में ज़्यादा मशहूर न हो, हम उन्हें धमकाएं कि फिर ये नाम लेकर किसी से बात न करें।”
ᎠᏎᏃ ᎤᏟ ᎢᎦᎢ ᏧᏃᏣᎶᎢᏍᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ ᏴᏫ ᎠᏁᎲᎢ, ᎤᎵᏂᎩᏛᏯ ᏗᏗᏍᎦᎩ ᏗᏗᏁᏥ, ᎪᎯ ᎢᏳᏓᎴᏅᏛ ᎯᎠ ᎾᏍᎩ ᏚᏙᎥ ᎠᏂᏁᎢᏍᏗᏍᎬ ᎩᎶ ᎤᏂᏬᏁᏙᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ.
18 पस उन्हें बुला कर ताकीद की कि ईसा का नाम लेकर हरगिज़ बात न करना और न तालीम देना।
ᏫᏚᏂᏯᏅᎲᏃ ᏚᏂᏁᏤᎴ ᏥᏌ ᏚᏙᎥ ᎤᏅᏙᏗᏱ ᎤᏂᏁᎢᏍᏗᏱ ᎠᎴ ᏧᎾᏕᏲᏗᏱ ᏂᎨᏒᎾ.
19 मगर पतरस और यूहन्ना ने जवाब में उनसे कहा, कि तुम ही इन्साफ़ करो, आया ख़ुदा के नज़दीक ये वाजिब है कि हम ख़ुदा की बात से तुम्हारी बात ज़्यादा सुनें?
ᎠᏎᏃ ᏈᏓ ᎠᎴ ᏣᏂ ᎤᏂᏁᏨ ᎯᎠ ᏂᏚᏂᏪᏎᎴᎢ; ᎢᏳᏃ ᏚᏳᎪᏕᏍᏗ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᏙᏗᎧᏂᏍᎬᎢ ᏂᎯ ᎤᏟ ᎢᎦᎢ ᎢᏨᏯᏛᏓᏍᏓᏁᏗᏱ ᎡᏍᎦᏉ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᏗᏧᎪᏓ ᏂᎯ.
20 क्यूँकि मुम्किन नहीं कि जो हम ने देखा और सुना है वो न कहें।
ᎥᏝᏰᏃ ᎤᏁᎳᎩ ᎦᏲᎩᏂᏰᎸᏗ ᏱᎩ, ᎣᎩᏂᏁᎢᏍᏙᏗᏱ ᏄᏍᏛ ᎣᎩᏂᎪᎲᎢ, ᎠᎴ ᎣᎩᎾᏛᎦᏅᎢ.
21 उन्होंने उनको और धमकाकर छोड़ दिया; क्यूँकि लोगों कि वजह से उनको सज़ा देने का कोई मौक़ा; न मिला इसलिए कि सब लोग उस माजरे कि वजह से ख़ुदा की बड़ाई करते थे।
ᎠᏏᏃ ᏙᎤᏂᏍᎦᏨ, ᏚᏂᎧᏁᎢ, ᎤᎾᏠᏤ ᎪᎱᏍᏗ ᎬᏩᏂᏍᏛᏗᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᎤᏂᏣᏘ ᏴᏫ, ᏂᎦᏛᏰᏃ ᎠᏂᎸᏉᏗᏍᎨ ᎤᏁᎳᏅᎯ, ᏅᏗᎦᎵᏍᏙᏗᏍᎨ ᎾᏍᎩ ᏄᎵᏍᏔᏅᎢ.
22 क्यूँकि वो शख़्स जिस पर ये शिफ़ा देने का मोजिज़ा हुआ था, चालीस बरस से ज़्यादा का था।
ᎠᏍᎦᏯᏰᏃ ᎾᏍᎩ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᎢᏯᎬᏁᎸᎯ ᎠᏥᏅᏩᏅᎯ ᎤᎶᏒᏍᏗ ᏅᎦᏍᎪᎯ ᎢᏳᏕᏘᏴᏛ ᏱᎰᏎᎢ.
23 वो छूटकर अपने लोगों के पास गए, और जो कुछ सरदार काहिनों और बुज़ुर्गों ने उन से कहा था बयान किया।
ᏕᎨᏥᎧᏅᏃ ᎤᎾᎵᎪᏅᎯ ᏗᏂᏅ ᏭᏂᎶᏎᎢ, ᎠᎴ ᏭᏂᏃᎮᎴ ᏂᎦᎥ ᏂᎬᏩᏂᏪᏎᎸ ᏄᏂᎬᏫᏳᏒ ᎠᏥᎸ-ᎠᏁᎶᎯ ᎠᎴ ᏗᏂᎳᏫᎩ.
24 जब उन्होंने ये सुना तो एक दिल होकर बुलन्द आवाज़ से ख़ुदा से गुज़ारिश की, 'ऐ' मालिक तू वो है जिसने आसमान और ज़मीन और समुन्दर और जो कुछ उन में है पैदा किया।
ᎾᏍᎩᏃ ᎤᎾᏛᎦᏅ ᏌᏉ ᎢᎦᎦᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏂᏌᎳᏓᏁᎴ ᎠᏂᏁᎬᎢ, ᎯᎠ ᏄᏂᏪᏎᎢ; ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᏂᎯ ᏣᏁᎳᏅᎯ, ᏗᏦᏢᏅᎯ ᎦᎸᎶᎢ ᎠᎴ ᎡᎶᎯ ᎠᎴ ᎠᎺᏉᎯ ᎠᎴ ᏂᎦᏛ ᎾᎿᎭᎠᏁᎯ;
25 तूने रूह — उल — क़ुद्दूस के वसीले से हमारे बाप अपने ख़ादिम दाऊद की ज़बानी फ़रमाया कि, क़ौमों ने क्यूँ धूम मचाई? और उम्मतों ने क्यूँ बातिल ख़याल किए?
ᎯᏅᏏᏓᏍᏗ ᏕᏫ ᎠᎰᎵ ᏨᏔᏅᎯ ᎯᎠ ᎢᏣᏪᏛ ᏥᎩ; “ᎦᏙᏃ ᏧᎾᏓᎴᏅᏛ ᏴᏫ ᎤᏂᏔᎳᏬᏎᎢ, ᎠᎴ ᏴᏫ ᎤᎾᏓᏅᏖᎴ ᎢᏳᎾᏛᏁᏗᏱ ᎾᏍᎩ ᎢᎬᏩᎵᏍᏙᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᎨᏒᎢ.
26 ख़ुदावन्द और उसके मसीह की मुख़ालिफ़त को ज़मीन के बादशाह उठ खड़े हुए, और सरदार जमा हो गए।’
ᎤᏂᎬᏫᏳᎯ ᎡᎶᎯ ᎠᏁᎯ ᏚᎾᎴᏅᎩ, ᎠᎴ ᎠᏰᎵ ᏧᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎯ ᏚᏂᎳᏫᏨᎩ ᎠᎾᏡᏗᏍᎬ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎠᎴ ᎠᎾᏡᏗᏍᎬ ᎤᏤᎵ ᎦᎶᏁᏛ.”
27 क्यूँकि वाक़'ई तेरे पाक ख़ादिम ईसा के बरख़िलाफ़ जिसे तूने मसह किया। हेरोदेस, और, पुनित्युस पीलातुस, ग़ैर क़ौमों और इस्राईलियों के साथ इस शहर में जमा हुए।
ᎤᏙᎯᏳᎯᏯᏰᏃ ᎠᎾᏡᏗᏍᎬ ᎾᏍᎦᏅᎾ ᏤᏥ ᏥᏌ ᎾᏍᎩ ᎯᎶᏁᏛ ᎢᏧᎳ ᎡᎶᏛ ᎠᎴ ᏆᏂᏗ ᏆᎴᏗ ᎠᎴ ᏴᏫ ᏧᎾᏓᎴᏅᏛ ᎠᎴ ᎢᏏᎵ ᏴᏫ ᏚᏂᎳᏫᏨᎩ,
28 ताकि जो कुछ पहले से तेरी क़ुदरत और तेरी मसलेहत से ठहर गया था, वही 'अमल में लाएँ।
ᎢᏳᎾᏛᏁᏗᏱ ᏂᎦᎥ ᏦᏰᏂ ᎠᎴ ᎭᏓᏅᏖᏍᎬ ᎦᏳᎳ ᏗᏧᎪᏔᏅᎯ ᏥᎨᏎ ᎾᏍᎩ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ.
29 अब, ऐ ख़ुदावन्द “उनकी धमकियों को देख, और अपने बन्दों को ये तौफ़ीक़ दे, कि वो तेरा कलाम कमाल दिलेरी से सुनाएँ।
Ꭷ ᏣᎬᏫᏳᎯ, ᎿᎭᏉ, ᏔᎧᏅᎦ ᎪᎩᏍᎦᎬ ᏣᏂᏁᎦ, ᎠᎴ ᏔᎵᏍᎪᎸᏓᏏ ᏘᏅᏏᏓᏍᏗ ᎤᏍᏗᎤᏅ ᎾᏂᏍᎦᎢᎲᎾ ᎢᏳᎵᏍᏙᏗᏱ ᏣᏁᏨ ᎠᏂᏃᎮᏍᎬᎢ,
30 और तू अपना हाथ शिफ़ा देने को बढ़ा और तेरे पाक ख़ादिम ईसा के नाम से मोजिज़े और अजीब काम ज़हूर में आएँ।”
ᎭᏙᏯᎯᏗᏍᎬ ᏕᎯᏅᏫᏍᎬᎢ ᎠᎴ ᎤᏰᎸᏛᎢ ᎠᎴ ᎤᏍᏆᏂᎪᏗ ᏚᏂᎸᏫᏍᏓᏁᎲ ᎠᏅᏗᏍᎬ ᏕᎤᏙᎥ ᏥᏌ ᎾᏍᎦᏅᎾ ᏤᏥ.
31 जब वो दुआ कर चुके, तो जिस मकान में जमा थे, वो हिल गया और वो सब रूह — उल — क़ुद्दूस से भर गए, और ख़ुदा का कलाम दिलेरी से सुनाते रहे।
ᎤᎾᏓᏙᎵᏍᏔᏅᏃ ᎤᎵᏖᎸᏁ ᎾᎿᎭᏓᏂᎳᏫᎥᎢ, ᏂᎦᏛᏃ ᏚᏂᎧᎵᏤ ᎦᎸᏉᏗᏳ ᎠᏓᏅᏙ, ᎠᎴ ᎾᏂᏍᎦᎢᎲᎾ ᎤᏂᏃᎮᎴ ᎧᏃᎮᏛ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᏤᎵᎦ.
32 और ईमानदारों की जमा'अत एक दिल और एक जान थी; और किसी ने भी अपने माल को अपना न कहा, बल्कि उनकी सब चीज़ें मुश्तरका थीं।
ᏂᎦᏛᏃ ᎤᏂᏣᏘ ᎨᏒ ᎤᏃᎯᏳᏅᎯ ᏌᏉᏉ ᏄᏅᏁ ᏧᏂᎾᏫ ᎠᎴ ᏧᎾᏓᏅᏙ; ᎥᏝ ᎠᎴ ᎩᎶ ᎠᏋᏒ ᎠᏆᏤᎵ ᏯᏗᏍᎨ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᎲᎢ, ᎠᏰᎵᏉᏰᏃ ᏄᏅᏁᎢ ᏂᎦᎥ ᎪᎱᏍᏗ.
33 और रसूल बड़ी क़ुदरत से ख़ुदावन्द ईसा के जी उठने की गवाही देते रहे, और उन सब पर बड़ा फ़ज़ल था।
ᎤᎵᏂᎩᏗᏳᏃ ᎾᏂᏪᏍᎨ ᎨᏥᏪᏍᎨ ᎨᏥᏅᏏᏛ ᎬᏂᎨᏒ ᎾᏅᏁᎲ ᏕᏅᎴᎯᏌᏅ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᏥᏌ; ᏂᎦᏛᏃ ᎤᏣᏘ ᎣᏏᏳ ᎨᎦᏓᏅᏖᏍᎨᎢ.
34 क्यूँकि उन में कोई भी मुहताज न था, इसलिए कि जो लोग ज़मीनों और घरों के मालिक थे, उनको बेच बेच कर बिकी हुई चीज़ों की क़ीमत लाते।
ᎥᏝ ᎠᎴ ᎩᎶ ᏳᏓᏑᏰ ᏳᏂᎬᎨᎢ, ᎾᏂᎥᏰᏃ ᎦᏓ ᎠᎴ ᏓᏓᏁᎸ ᏧᏂᎯ ᏚᏂᎾᏗᏅᏎᎢ, ᎾᏍᎩᏃ ᎤᏂᎾᏗᏅᏛ ᏧᎬᏩᎳᏅᎯ ᎤᏂᏲᎴᎢ,
35 और रसूलों के पाँव में रख देते थे, फिर हर एक को उसकी ज़रुरत के मुवाफ़िक़ बाँट दिया जाता था।
ᎠᎴ ᎤᏂᏁ ᎨᏥᏅᏏᏛ ᏧᎾᎳᏏᏕᏄᎶᏗ, ᎾᏂᎥᏃ ᎾᏍᎩᏯ ᎤᏂᏂᎬᏎᎲ ᎨᏥᏯᏙᎮᎮᎢ.
36 और यूसुफ़ नाम एक लावी था, जिसका लक़ब रसूलों ने बरनबास: या'नी नसीहत का बेटा रख्खा था, और जिसकी पैदाइश कुप्रुस टापू की थी।
ᏦᏏᏃ ᎨᏥᏅᏏᏛ ᏆᏂᏆ ᏥᏚᏃᎡᎢ, ᎾᏍᎩ ᎦᏛᎬ ᎣᏍᏛ ᎠᏓᏅᏓᏗᏍᏗ ᎤᏪᏥ, ᎠᎵᏫ ᏌᏈ ᎤᏕᏅᎯ,
37 उसका एक खेत था, जिसको उसने बेचा और क़ीमत लाकर रसूलों के पाँव में रख दी।
ᎦᏓ ᎤᎮᎢ, ᎤᎾᏗᏅᏎᎢ, ᎠᎴ ᎠᏕᎸ ᏚᏲᎴᎢ, ᎠᎴ ᎾᏍᎩ ᏕᎤᏁ ᎨᏥᏅᏏᏛ ᏧᎾᎳᏏᏕᏄᎶᏗ.

< आमाल 4 >