< ଲୂକଃ 18 >

1 ଅପରଞ୍ଚ ଲୋକୈରକ୍ଲାନ୍ତୈ ର୍ନିରନ୍ତରଂ ପ୍ରାର୍ଥଯିତୱ୍ୟମ୍ ଇତ୍ୟାଶଯେନ ଯୀଶୁନା ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ ଏକଃ କଥିତଃ|
निराश न होता नेहमी प्रार्थना कशी करावी हे शिष्यांनी शिकावे म्हणून त्याने त्यांना एक दाखला सांगितला.
2 କୁତ୍ରଚିନ୍ନଗରେ କଶ୍ଚିତ୍ ପ୍ରାଡ୍ୱିୱାକ ଆସୀତ୍ ସ ଈଶ୍ୱରାନ୍ନାବିଭେତ୍ ମାନୁଷାଂଶ୍ଚ ନାମନ୍ୟତ|
तो म्हणाला, “एका नगरात एक न्यायाधीश होता. तो देवाला भीत नसे व लोकांचीही भीड धरीत नसे.
3 ଅଥ ତତ୍ପୁରୱାସିନୀ କାଚିଦ୍ୱିଧୱା ତତ୍ସମୀପମେତ୍ୟ ୱିୱାଦିନା ସହ ମମ ୱିୱାଦଂ ପରିଷ୍କୁର୍ୱ୍ୱିତି ନିୱେଦଯାମାସ|
त्या नगरात एक विधवा होती. ती नेहमी येऊन न्यायधिशाला म्हणत असे, ‘माझ्या विरोधकांविरुद्ध माझा न्याय करा!’
4 ତତଃ ସ ପ୍ରାଡ୍ୱିୱାକଃ କିଯଦ୍ଦିନାନି ନ ତଦଙ୍ଗୀକୃତୱାନ୍ ପଶ୍ଚାଚ୍ଚିତ୍ତେ ଚିନ୍ତଯାମାସ, ଯଦ୍ୟପୀଶ୍ୱରାନ୍ନ ବିଭେମି ମନୁଷ୍ୟାନପି ନ ମନ୍ୟେ
त्याची इच्छा काही काळ नव्हती पण शेवटी तो मनात म्हणाला, ‘मी जरी देवाला भीत नाही व लोकांस मान देत नाही,
5 ତଥାପ୍ୟେଷା ୱିଧୱା ମାଂ କ୍ଲିଶ୍ନାତି ତସ୍ମାଦସ୍ୟା ୱିୱାଦଂ ପରିଷ୍କରିଷ୍ୟାମି ନୋଚେତ୍ ସା ସଦାଗତ୍ୟ ମାଂ ୱ୍ୟଗ୍ରଂ କରିଷ୍ୟତି|
तरीही विधवा मला त्रास देते म्हणून मी तिचा न्याय करीन, नाही तर ती नेहमी येऊन मला अगदी त्रासून सोडेल.”
6 ପଶ୍ଚାତ୍ ପ୍ରଭୁରୱଦଦ୍ ଅସାୱନ୍ୟାଯପ୍ରାଡ୍ୱିୱାକୋ ଯଦାହ ତତ୍ର ମନୋ ନିଧଧ୍ୱଂ|
मग प्रभू म्हणाला, “लक्ष्य द्या अन्यायी न्यायाधीश काय म्हणाला.
7 ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ଯେ ଽଭିରୁଚିତଲୋକା ଦିୱାନିଶଂ ପ୍ରାର୍ଥଯନ୍ତେ ସ ବହୁଦିନାନି ୱିଲମ୍ବ୍ୟାପି ତେଷାଂ ୱିୱାଦାନ୍ କିଂ ନ ପରିଷ୍କରିଷ୍ୟତି?
आणि मग जे देवाचे निवडलेले लोक दिवसरात्र त्याचा धावा करतात त्यांचा तो न्याय करणार नाही काय? तो त्यांना मदत करण्यास वेळ लावेल का?
8 ଯୁଷ୍ମାନହଂ ୱଦାମି ତ୍ୱରଯା ପରିଷ୍କରିଷ୍ୟତି, କିନ୍ତୁ ଯଦା ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ର ଆଗମିଷ୍ୟତି ତଦା ପୃଥିୱ୍ୟାଂ କିମୀଦୃଶଂ ୱିଶ୍ୱାସଂ ପ୍ରାପ୍ସ୍ୟତି?
मी तुम्हास सांगतो, तो त्यांचा न्याय लवकर करील, तरीही जेव्हा मनुष्याचा पुत्र येईल, तेव्हा त्यास पृथ्वीवर विश्वास आढळेल काय?”
9 ଯେ ସ୍ୱାନ୍ ଧାର୍ମ୍ମିକାନ୍ ଜ୍ଞାତ୍ୱା ପରାନ୍ ତୁଚ୍ଛୀକୁର୍ୱ୍ୱନ୍ତି ଏତାଦୃଗ୍ଭ୍ୟଃ, କିଯଦ୍ଭ୍ୟ ଇମଂ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତଂ କଥଯାମାସ|
आपण नीतिमान आहोत असा जे कित्येक स्वतःविषयी विश्वास धरून इतर सर्वांस तुच्छ मानीत होते त्यांनाही त्याने दाखला सांगितला, तो असा,
10 ଏକଃ ଫିରୂଶ୍ୟପରଃ କରସଞ୍ଚାଯୀ ଦ୍ୱାୱିମୌ ପ୍ରାର୍ଥଯିତୁଂ ମନ୍ଦିରଂ ଗତୌ|
१०“दोन जण प्रार्थना करण्यास वर परमेश्वराच्या भवनात गेले. एक परूशी होता आणि दुसरा जकातदार होता.
11 ତତୋଽସୌ ଫିରୂଶ୍ୟେକପାର୍ଶ୍ୱେ ତିଷ୍ଠନ୍ ହେ ଈଶ୍ୱର ଅହମନ୍ୟଲୋକୱତ୍ ଲୋଠଯିତାନ୍ୟାଯୀ ପାରଦାରିକଶ୍ଚ ନ ଭୱାମି ଅସ୍ୟ କରସଞ୍ଚାଯିନସ୍ତୁଲ୍ୟଶ୍ଚ ନ, ତସ୍ମାତ୍ତ୍ୱାଂ ଧନ୍ୟଂ ୱଦାମି|
११परूशी उभा राहिला आणि त्याने अशी प्रार्थना केली, ‘हे देवा, मी तुझे उपकार मानतो कारण, मी इतर लोकांसारखा म्हणजे चोर, अन्यायी, व्यभिचारी व या जकातदारासारखा नाही.
12 ସପ୍ତସୁ ଦିନେଷୁ ଦିନଦ୍ୱଯମୁପୱସାମି ସର୍ୱ୍ୱସମ୍ପତ୍ତେ ର୍ଦଶମାଂଶଂ ଦଦାମି ଚ, ଏତତ୍କଥାଂ କଥଯନ୍ ପ୍ରାର୍ଥଯାମାସ|
१२उलट मी आठवड्यातून दोनदा उपवास करतो आणि माझ्या सर्व उत्त्पन्नाचा दहावा भाग देतो.’
13 କିନ୍ତୁ ସ କରସଞ୍ଚାଯି ଦୂରେ ତିଷ୍ଠନ୍ ସ୍ୱର୍ଗଂ ଦ୍ରଷ୍ଟୁଂ ନେଚ୍ଛନ୍ ୱକ୍ଷସି କରାଘାତଂ କୁର୍ୱ୍ୱନ୍ ହେ ଈଶ୍ୱର ପାପିଷ୍ଠଂ ମାଂ ଦଯସ୍ୱ, ଇତ୍ଥଂ ପ୍ରାର୍ଥଯାମାସ|
१३परंतु जकातदार दूर अंतरावर उभा राहून वर स्वर्गाकडे दृष्टी लावण्यास देखील न धजता आपला ऊर बडवत म्हणाला, ‘हे देवा मज पाप्यावर दया कर.’
14 ଯୁଷ୍ମାନହଂ ୱଦାମି, ତଯୋର୍ଦ୍ୱଯୋ ର୍ମଧ୍ୟେ କେୱଲଃ କରସଞ୍ଚାଯୀ ପୁଣ୍ୟୱତ୍ତ୍ୱେନ ଗଣିତୋ ନିଜଗୃହଂ ଜଗାମ, ଯତୋ ଯଃ କଶ୍ଚିତ୍ ସ୍ୱମୁନ୍ନମଯତି ସ ନାମଯିଷ୍ୟତେ କିନ୍ତୁ ଯଃ କଶ୍ଚିତ୍ ସ୍ୱଂ ନମଯତି ସ ଉନ୍ନମଯିଷ୍ୟତେ|
१४मी तुम्हास सांगतो हा मनुष्य त्या दुसऱ्या मनुष्यापेक्षा न्यायी ठरुन घरी गेला कारण जो कोणी स्वतःला उंच करतो त्यास कमी केले जाईल आणि जो कोणी स्वतःला कमी करतो त्यास उंच केले जाईल.”
15 ଅଥ ଶିଶୂନାଂ ଗାତ୍ରସ୍ପର୍ଶାର୍ଥଂ ଲୋକାସ୍ତାନ୍ ତସ୍ୟ ସମୀପମାନିନ୍ୟୁଃ ଶିଷ୍ୟାସ୍ତଦ୍ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱାନେତୃନ୍ ତର୍ଜଯାମାସୁଃ,
१५आणि लोक आपल्या मुलांनाही त्याच्याकडे स्पर्श करण्यास आणत असता हे शिष्यांनी पहिल्यावर त्यांनी लोकांस धमकावले.
16 କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁସ୍ତାନାହୂଯ ଜଗାଦ, ମନ୍ନିକଟମ୍ ଆଗନ୍ତୁଂ ଶିଶୂନ୍ ଅନୁଜାନୀଧ୍ୱଂ ତାଂଶ୍ଚ ମା ୱାରଯତ; ଯତ ଈଶ୍ୱରରାଜ୍ୟାଧିକାରିଣ ଏଷାଂ ସଦୃଶାଃ|
१६पण येशू बालकांना स्वतःकडे बोलवून म्हणाला, “बालकांना माझ्याकडे येऊ द्या. त्यांना अडवू नका कारण देवाचे राज्य त्यांच्यासारख्यांचेच आहे.
17 ଅହଂ ଯୁଷ୍ମାନ୍ ଯଥାର୍ଥଂ ୱଦାମି, ଯୋ ଜନଃ ଶିଶୋଃ ସଦୃଶୋ ଭୂତ୍ୱା ଈଶ୍ୱରରାଜ୍ୟଂ ନ ଗୃହ୍ଲାତି ସ କେନାପି ପ୍ରକାରେଣ ତତ୍ ପ୍ରୱେଷ୍ଟୁଂ ନ ଶକ୍ନୋତି|
१७मी तुम्हास खरे सांगतो, जो कोणी बालकाप्रमाणे देवाच्या राज्याचा स्वीकार करणार नाही, त्याचा स्वर्गात प्रवेश होऊ शकणार नाही.”
18 ଅପରମ୍ ଏକୋଧିପତିସ୍ତଂ ପପ୍ରଚ୍ଛ, ହେ ପରମଗୁରୋ, ଅନନ୍ତାଯୁଷଃ ପ୍ରାପ୍ତଯେ ମଯା କିଂ କର୍ତ୍ତୱ୍ୟଂ? (aiōnios g166)
१८एका यहूदी अधिकाऱ्याने त्यास विचारले, “उत्तम गुरुजी, सार्वकालिक जीवन मिळविण्यासाठी मी काय करू?” (aiōnios g166)
19 ଯୀଶୁରୁୱାଚ, ମାଂ କୁତଃ ପରମଂ ୱଦସି? ଈଶ୍ୱରଂ ୱିନା କୋପି ପରମୋ ନ ଭୱତି|
१९येशू त्यास म्हणाला, “मला उत्तम का म्हणतोस? देवाशिवाय कोणीही उत्तम नाही.
20 ପରଦାରାନ୍ ମା ଗଚ୍ଛ, ନରଂ ମା ଜହି, ମା ଚୋରଯ, ମିଥ୍ୟାସାକ୍ଷ୍ୟଂ ମା ଦେହି, ମାତରଂ ପିତରଞ୍ଚ ସଂମନ୍ୟସ୍ୱ, ଏତା ଯା ଆଜ୍ଞାଃ ସନ୍ତି ତାସ୍ତ୍ୱଂ ଜାନାସି|
२०तुला आज्ञा माहीत आहेत ‘व्यभिचार करू नको, खून करू नको, चोरी करू नको, खोटी साक्ष देऊ नको, तुझ्या आई-वडीलांचा मान राख.”
21 ତଦା ସ ଉୱାଚ, ବାଲ୍ୟକାଲାତ୍ ସର୍ୱ୍ୱା ଏତା ଆଚରାମି|
२१तो अधिकारी म्हणाला, “या सर्व आज्ञा मी माझ्या तरुणपणासून पाळल्या आहेत.”
22 ଇତି କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ଯୀଶୁସ୍ତମୱଦତ୍, ତଥାପି ତୱୈକଂ କର୍ମ୍ମ ନ୍ୟୂନମାସ୍ତେ, ନିଜଂ ସର୍ୱ୍ୱସ୍ୱଂ ୱିକ୍ରୀଯ ଦରିଦ୍ରେଭ୍ୟୋ ୱିତର, ତସ୍ମାତ୍ ସ୍ୱର୍ଗେ ଧନଂ ପ୍ରାପ୍ସ୍ୟସି; ତତ ଆଗତ୍ୟ ମମାନୁଗାମୀ ଭୱ|
२२जेव्हा येशूने हे ऐकले, तेव्हा तो त्यास म्हणाला, “तुझ्यामध्ये अजून एका गोष्टीची कमी आहे. तुझ्याजवळचे सर्वकाही विकून ते गरिबांना वाट, म्हणजे स्वर्गात तुला धन मिळेल. मग ये. माझ्यामागे चल.”
23 କିନ୍ତ୍ୱେତାଂ କଥାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ସୋଧିପତିଃ ଶୁଶୋଚ, ଯତସ୍ତସ୍ୟ ବହୁଧନମାସୀତ୍|
२३पण जेव्हा त्या अधिकाऱ्याने हे ऐकले तेव्हा तो फार दुःखी झाला, कारण तो फार श्रीमंत होता.
24 ତଦା ଯୀଶୁସ୍ତମତିଶୋକାନ୍ୱିତଂ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ଜଗାଦ, ଧନୱତାମ୍ ଈଶ୍ୱରରାଜ୍ୟପ୍ରୱେଶଃ କୀଦୃଗ୍ ଦୁଷ୍କରଃ|
२४तो दुःखी झाला आहे हे जेव्हा येशूने पाहिले तेव्हा तो लोकांस म्हणाला, “ज्यांच्याजवळ धन आहे, त्या लोकांचा देवाच्या राज्यात प्रवेश होणे किती कठीण आहे!
25 ଈଶ୍ୱରରାଜ୍ୟେ ଧନିନଃ ପ୍ରୱେଶାତ୍ ସୂଚେଶ୍ଛିଦ୍ରେଣ ମହାଙ୍ଗସ୍ୟ ଗମନାଗମନେ ସୁକରେ|
२५होय, श्रीमंत मनुष्याचे देवाच्या राज्यात प्रवेश करणे यापेक्षा उंटाने सुईच्या नाकातून जाणे सोपे आहे.”
26 ଶ୍ରୋତାରଃ ପପ୍ରଚ୍ଛୁସ୍ତର୍ହି କେନ ପରିତ୍ରାଣଂ ପ୍ରାପ୍ସ୍ୟତେ?
२६नंतर ज्या लोकांनी हे ऐकले, ते म्हणाले, “तर मग कोणाचे तारण होईल?”
27 ସ ଉକ୍ତୱାନ୍, ଯନ୍ ମାନୁଷେଣାଶକ୍ୟଂ ତଦ୍ ଈଶ୍ୱରେଣ ଶକ୍ୟଂ|
२७तो म्हणाला, “ज्या गोष्टी मनुष्यांना अशक्य आहेत त्या देवाला शक्य आहेत.”
28 ତଦା ପିତର ଉୱାଚ, ପଶ୍ୟ ୱଯଂ ସର୍ୱ୍ୱସ୍ୱଂ ପରିତ୍ୟଜ୍ୟ ତୱ ପଶ୍ଚାଦ୍ଗାମିନୋଽଭୱାମ|
२८मग पेत्र म्हणाला, “बघा, आमच्याकडे जे होते, ते सर्व टाकून आम्ही तुमच्यामागे आलो आहोत.”
29 ତତଃ ସ ଉୱାଚ, ଯୁଷ୍ମାନହଂ ଯଥାର୍ଥଂ ୱଦାମି, ଈଶ୍ୱରରାଜ୍ୟାର୍ଥଂ ଗୃହଂ ପିତରୌ ଭ୍ରାତୃଗଣଂ ଜାଯାଂ ସନ୍ତାନାଂଶ୍ଚ ତ୍ୟକ୍ତୱା
२९येशूने त्यांना म्हटले, “मी तुम्हास खरे सांगतो, देवाच्या राज्याकरता ज्याने आपले घर, पत्नी, भाऊ, आई-वडील किंवा मुलेबाळ सोडली
30 ଇହ କାଲେ ତତୋଽଧିକଂ ପରକାଲେ ଽନନ୍ତାଯୁଶ୍ଚ ନ ପ୍ରାପ୍ସ୍ୟତି ଲୋକ ଈଦୃଶଃ କୋପି ନାସ୍ତି| (aiōn g165, aiōnios g166)
३०त्यांना या काळी पुष्कळ पटीने व येणाऱ्या युगात सार्वकालिक जीवन मिळणार नाही असा कोणी नाही.” (aiōn g165, aiōnios g166)
31 ଅନନ୍ତରଂ ସ ଦ୍ୱାଦଶଶିଷ୍ୟାନାହୂଯ ବଭାଷେ, ପଶ୍ୟତ ୱଯଂ ଯିରୂଶାଲମ୍ନଗରଂ ଯାମଃ, ତସ୍ମାତ୍ ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ରେ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦିଭିରୁକ୍ତଂ ଯଦସ୍ତି ତଦନୁରୂପଂ ତଂ ପ୍ରତି ଘଟିଷ୍ୟତେ;
३१येशूने निवडलेल्या बाराजणांना बाजूला घेतले आणि त्यांना म्हणाला, “ऐका! आपण वर यरूशलेम शहरात जात आहोत आणि संदेष्टयांनी मनुष्याच्या पुत्राविषयी जे काही लिहिले होते ते सर्व पूर्ण होईल.
32 ୱସ୍ତୁତସ୍ତୁ ସୋଽନ୍ୟଦେଶୀଯାନାଂ ହସ୍ତେଷୁ ସମର୍ପଯିଷ୍ୟତେ, ତେ ତମୁପହସିଷ୍ୟନ୍ତି, ଅନ୍ୟାଯମାଚରିଷ୍ୟନ୍ତି ତଦ୍ୱପୁଷି ନିଷ୍ଠୀୱଂ ନିକ୍ଷେପ୍ସ୍ୟନ୍ତି, କଶାଭିଃ ପ୍ରହୃତ୍ୟ ତଂ ହନିଷ୍ୟନ୍ତି ଚ,
३२म्हणजे त्यास परराष्ट्रीयांच्या स्वाधीन करतील, त्याची थट्टा होईल, त्याची निंदा करतील, त्याच्यावर थुंकतील
33 କିନ୍ତୁ ତୃତୀଯଦିନେ ସ ଶ୍ମଶାନାଦ୍ ଉତ୍ଥାସ୍ୟତି|
३३त्यास फटके मारतील, त्याचा जीव घेतील आणि तो तिसऱ्या दिवशी पुन्हा उठेल.”
34 ଏତସ୍ୟାଃ କଥାଯା ଅଭିପ୍ରାଯଂ କିଞ୍ଚିଦପି ତେ ବୋଦ୍ଧୁଂ ନ ଶେକୁଃ ତେଷାଂ ନିକଟେଽସ୍ପଷ୍ଟତୱାତ୍ ତସ୍ୟୈତାସାଂ କଥାନାମ୍ ଆଶଯଂ ତେ ଜ୍ଞାତୁଂ ନ ଶେକୁଶ୍ଚ|
३४त्याने म्हटलेले काहीच शिष्यांना समजले नाही कारण हे वचन त्यांच्यापासून लपवून ठेवण्यात आले होते आणि तो कोणत्या गोष्टीविषयी बोलत आहे हे त्यांना माहीत नव्हते.
35 ଅଥ ତସ୍ମିନ୍ ଯିରୀହୋଃ ପୁରସ୍ୟାନ୍ତିକଂ ପ୍ରାପ୍ତେ କଶ୍ଚିଦନ୍ଧଃ ପଥଃ ପାର୍ଶ୍ୱ ଉପୱିଶ୍ୟ ଭିକ୍ଷାମ୍ ଅକରୋତ୍
३५येशू यरीहोजवळ येत असतांना एक आंधळा रस्त्यावर बसून भीक मागत होता.
36 ସ ଲୋକସମୂହସ୍ୟ ଗମନଶବ୍ଦଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ତତ୍କାରଣଂ ପୃଷ୍ଟୱାନ୍|
३६जेव्हा त्या आंधळ्या मनुष्याने जवळून जाणाऱ्या लोकांचा आवाज ऐकला तेव्हा त्याने विचारले, ही कशाची गडबड चालली आहे.
37 ନାସରତୀଯଯୀଶୁର୍ୟାତୀତି ଲୋକୈରୁକ୍ତେ ସ ଉଚ୍ଚୈର୍ୱକ୍ତୁମାରେଭେ,
३७लोकांनी त्यास सांगितले, “नासरेथकर येशू जवळून जात आहे.”
38 ହେ ଦାଯୂଦଃ ସନ୍ତାନ ଯୀଶୋ ମାଂ ଦଯସ୍ୱ|
३८तो ओरडून म्हणाला, “अहो येशू, दाविदाचे पुत्र माझ्यावर दया करा.”
39 ତତୋଗ୍ରଗାମିନସ୍ତଂ ମୌନୀ ତିଷ୍ଠେତି ତର୍ଜଯାମାସୁଃ କିନ୍ତୁ ସ ପୁନାରୁୱନ୍ ଉୱାଚ, ହେ ଦାଯୂଦଃ ସନ୍ତାନ ମାଂ ଦଯସ୍ୱ|
३९जे पुढे चालले होते त्यांनी त्यास शांत राहण्यास सांगितले. पण तो अजून मोठ्याने ओरडून म्हणाला, “दाविदाचे पुत्र माझ्यावर दया करा!”
40 ତଦା ଯୀଶୁଃ ସ୍ଥଗିତୋ ଭୂତ୍ୱା ସ୍ୱାନ୍ତିକେ ତମାନେତୁମ୍ ଆଦିଦେଶ|
४०येशू थांबला आणि त्याने आंधळ्याला स्वतःकडे आणण्याची आज्ञा केली, तो आंधळा जवळ आल्यावर येशूने त्यास विचारले,
41 ତତଃ ସ ତସ୍ୟାନ୍ତିକମ୍ ଆଗମତ୍, ତଦା ସ ତଂ ପପ୍ରଚ୍ଛ, ତ୍ୱଂ କିମିଚ୍ଛସି? ତ୍ୱଦର୍ଥମହଂ କିଂ କରିଷ୍ୟାମି? ସ ଉକ୍ତୱାନ୍, ହେ ପ୍ରଭୋଽହଂ ଦ୍ରଷ୍ଟୁଂ ଲଭୈ|
४१“मी तुझ्यासाठी काय करावे म्हणून तुझी इच्छा आहे?” तो म्हणाला, “प्रभू मला पुन्हा दृष्टी यावी.”
42 ତଦା ଯୀଶୁରୁୱାଚ, ଦୃଷ୍ଟିଶକ୍ତିଂ ଗୃହାଣ ତୱ ପ୍ରତ୍ୟଯସ୍ତ୍ୱାଂ ସ୍ୱସ୍ଥଂ କୃତୱାନ୍|
४२येशू त्यास म्हणाला, “तुला दृष्टी येवो, तुझ्या विश्वासाने तुला चांगले केले आहे.”
43 ତତସ୍ତତ୍କ୍ଷଣାତ୍ ତସ୍ୟ ଚକ୍ଷୁଷୀ ପ୍ରସନ୍ନେ; ତସ୍ମାତ୍ ସ ଈଶ୍ୱରଂ ଧନ୍ୟଂ ୱଦନ୍ ତତ୍ପଶ୍ଚାଦ୍ ଯଯୌ, ତଦାଲୋକ୍ୟ ସର୍ୱ୍ୱେ ଲୋକା ଈଶ୍ୱରଂ ପ୍ରଶଂସିତୁମ୍ ଆରେଭିରେ|
४३ताबडतोब त्यास दिसू लागले आणि तो देवाचे गौरव करीत येशूच्या मागे गेला. सर्व लोकांनी हे पाहिले आणि देवाची स्तुती केली.

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