< مزامیر 52 >
برای رهبر سرایندگان. قصیدۀ داوود دربارۀ زمانی که دوآغ ادومی نزد شائول رفت و او را خبر داد که: «داوود به خانۀ اخیملک رفته است.» ای جنگاور، چرا از ظلم خود فخر میکنی؟ آیا نمیدانی عدالت خدا همیشه پابرجاست؟ | 1 |
ऐ ज़बरदस्त, तू शरारत पर क्यूँ फ़ख़्र करता है? ख़ुदा की शफ़क़त हमेशा की है।
ای حیلهگر، توطئه میچینی که دیگران را نابود کنی؛ زبانت مانند تیغ، تیز و برّنده است. | 2 |
तेरी ज़बान महज़ शरारत ईजाद करती है; ऐ दग़ाबाज़, वह तेज़ उस्तरे की तरह है।
بدی را به نیکی ترجیح میدهی و دروغ را بیشتر از راستی دوست میداری. | 3 |
तू बदी को नेकी से ज़्यादा पसंद करता है, और झूट को सदाक़त की बात से।
ای فریبکار، تو دوست داری با سخنانت تباهی بار بیاوری. | 4 |
ऐ दग़ाबाज़ ज़बान! तू मुहलिक बातों को पसंद करती है।
بنابراین، خدا نیز تو را از خانهات بیرون کشیده تو را به کلی نابود خواهد کرد و ریشهات را از زمین زندگان خواهد کند. | 5 |
ख़ुदा भी तुझे हमेशा के लिए हलाक कर डालेगा; वह तुझे पकड़ कर तेरे ख़ेमे से निकाल फेंकेगा, और ज़िन्दों की ज़मीन से तुझे उखाड़ डालेगा। (सिलाह)
نیکان این را دیده، خواهند ترسید و به تو خندیده، خواهند گفت: | 6 |
सादिक़ भी इस बात को देख कर डर जाएँगे, और उस पर हँसेंगे,
«ببینید، این همان مردی است که به خدا توکل نمیکرد، بلکه به ثروت هنگفت خود تکیه مینمود و برای حفظ و حراست از خود به ظلم متوسل میشد.» | 7 |
कि देखो, यह वही आदमी है जिसने ख़ुदा को अपनी पनाहगाह न बनाया, बल्कि अपने माल की ज़यादती पर भरोसा किया, और शरारत में पक्का हो गया।
اما من مانند درخت زیتونی هستم که در خانهٔ خدا سبز میشود؛ من تا ابد به محبت خدا توکل خواهم کرد. | 8 |
लेकिन मैं तो ख़ुदा के घर में जैतून के हरे दरख़्त की तरह हूँ। मेरा भरोसा हमेशा से हमेशा तक ख़ुदा की शफ़क़त पर है।
خدایا، به خاطر آنچه که کردهای پیوسته از تو تشکر خواهم نمود و در حضور قوم تو اعلام خواهم کرد که تو نیکو هستی. | 9 |
मैं हमेशा तेरी शुक्रगुज़ारी करता रहूँगा, क्यूँकि तू ही ने यह किया है; और मुझे तेरे ही नाम की आस होगी, क्यूँकि वह तेरे पाक लोगों के नज़दीक खू़ब है।