< داوران 6 >
بار دیگر قوم اسرائیل نسبت به خداوند گناه ورزیدند و خداوند نیز آنها را مدت هفت سال به دست قوم مدیان گرفتار نمود. | 1 |
और बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द के आगे बुराई की, और ख़ुदावन्द ने उनको सात बरस तक मिदियानियों के हाथ में रख्खा।
مدیانیها چنان بیرحم بودند که اسرائیلیها از ترس آنها به کوهستانها میگریختند و به غارها پناه میبردند. | 2 |
और मिदियानियों का हाथ इस्राईलियों पर ग़ालिब हुआ; और मिदियानियों की वजह से बनी — इस्राईल ने अपने लिए पहाड़ों में खोह और ग़ार और क़िले' बना लिए।
وقتی اسرائیلیها بذر خود را میکاشتند، مدیانیان و عمالیقیها و قبایل همسایه هجوم میآوردند و محصولات آنها را تا شهر غزه نابود و پایمال مینمودند. آنها گوسفندان و گاوان و الاغهای ایشان را غارت میکردند و آذوقهای برای آنها باقی نمیگذاشتند. | 3 |
और ऐसा होता था कि जब बनी — इस्राईल कुछ बोते थे, तो मिदियानी और 'अमालीक़ी और मशरिक़ के लोग उन पर चढ़ आते थे;
और उनके मुक़ाबिल डेरे लगा कर ग़ज़्ज़ा तक खेतों की पैदावार को बर्बाद कर डालते, और बनी — इस्राईल के लिए न तो कुछ ख़ुराक, न भेड़ — बकरी, न गाय बैल, न गधा छोड़ते थे।
دشمنان مهاجم با گلهها، خیمهها و شترانشان آنقدر زیاد بودند که نمیشد آنها را شمرد. آنها مانند مور و ملخ هجوم میآوردند و تمام مزارع را از بین میبردند. | 5 |
क्यूँकि वह अपने चौपायों और डेरों को साथ लेकर आते, और टिड्डियों के दल की तरह आते; और वह और उनके ऊँट बेशुमार होते थे। यह लोग मुल्क को तबाह करने के लिए आ जाते थे।
اسرائیلیها از دست مدیانیها به تنگ آمدند و نزد خداوند فریاد برآوردند تا به ایشان کمک کند. | 6 |
इसलिए इस्राईली मिदियानियों की वजह से निहायत बर्बाद हो गए, और बनी — इस्राईल ख़ुदावन्द से फ़रियाद करने लगे।
और जब बनी — इस्राईल मिदियानियों की वजह से ख़ुदावन्द से फ़रियाद करने लगे,
خداوند، خدای اسرائیل توسط یک نبی که نزد آنها فرستاد چنین فرمود: «من شما را از بردگی در مصر رهانیدم، | 8 |
तो ख़ुदावन्द ने बनी — इस्राईल के पास एक नबी को भेजा। उसने उनसे कहा कि ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: मैं तुम को मिस्र से लाया, और मैंने तुम को ग़ुलामी के घर से बाहर निकाला।
و از دست مصریها و همهٔ کسانی که به شما ظلم میکردند نجات دادم و دشمنانتان را از پیش روی شما رانده، سرزمین ایشان را به شما دادم. | 9 |
मैंने मिस्त्रियों के हाथ से और उन सभों के हाथ से जो तुम को सताते थे तुम को छुड़ाया, और तुम्हारे सामने से उनको दफ़ा' किया और उनका मुल्क तुम को दिया।
به شما گفتم که من خداوند، خدای شما هستم و شما نباید خدایان اموریها را که در اطرافتان سکونت دارند عبادت کنید. ولی شما به من گوش ندادید.» | 10 |
और मैंने तुम से कहा था कि ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा मैं हूँ; इसलिएतुम उन अमोरियों के मा'बूदों से जिनके मुल्क में बसते हो, मत डरना। लेकिन तुम ने मेरी बात न मानी।
روزی فرشتهٔ خداوند آمده، زیر درخت بلوطی که در عفره در مزرعهٔ یوآش ابیعزری بود نشست. جدعون پسر یوآش مخفیانه و دور از چشم مدیانیها در چرخشت انگور، با دست گندم میکوبید | 11 |
फिर ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता आकर उफ़रा में बलूत के एक दरख़्त के नीचे जो यूआस अबी'अज़र का था बैठा, और उसका बेटा जिदाऊन मय के एक कोल्हू में गेहूँ झाड़ रहा था ताकि उसको मिदियानियों से छिपा रख्खे।
که فرشتهٔ خداوند بر او ظاهر شده، گفت: «ای مرد شجاع، خداوند با توست!» | 12 |
और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उसे दिखाई देकर उससे कहने लगा कि ऐ ताक़तवर सूर्मा, ख़ुदावन्द तेरे साथ है।
جدعون جواب داد: «ای سرورم، اگر خداوند با ماست، چرا این همه بر ما ظلم میشود؟ پس آن همه معجزاتی که اجدادمان برای ما تعریف میکردند کجاست؟ مگر خداوند اجداد ما را از مصر بیرون نیاورد؟ پس چرا حالا ما را ترک نموده و در چنگ مدیانیها رها ساخته است؟» | 13 |
जिदा'ऊन ने उससे कहा, “ऐ मेरे मालिक! अगर ख़ुदावन्द ही हमारे साथ है तो हम पर यह सब हादसे क्यूँ गुज़रे? और उसके वह सब 'अजीब काम कहाँ गए, जिनका ज़िक्र हमारे बाप — दादा हम से यूँ करते थे, कि क्या ख़ुदावन्द ही हम को मिस्र से नहीं निकाल लाया? लेकिन अब तो ख़ुदावन्द ने हम को छोड़ दिया, और हम को मिदियानियों के हाथ में कर दिया।”
آنگاه خداوند رو به وی نموده گفت: «با همین قدرتی که داری برو و اسرائیلیها را از دست مدیانیان نجات ده. من هستم که تو را میفرستم!» | 14 |
तब ख़ुदावन्द ने उस पर निगाह की और कहा कि तू अपने इसी ताक़त में जा, और बनी — इस्राईल की मिदियानियों के हाथ से छुड़ा। क्या मैंने तुझे नहीं भेजा?
اما جدعون در جواب گفت: «ای خداوند، من چطور میتوانم اسرائیل را نجات دهم؟ در بین تمام خاندانهای قبیلهٔ منسی، خاندان من از همه حقیرتر است و من هم کوچکترین فرزند پدرم هستم.» | 15 |
उसने उससे कहा, “ऐ मालिक! मैं किस तरह बनी — इस्राईल को बचाऊँ? मेरा घराना मनस्सी में सब से ग़रीब है, और मैं अपने बाप के घर में सब से छोटा हूँ।”
خداوند به او گفت: «ولی بدان که من با تو خواهم بود و مدیانیها را به آسانی شکست خواهی داد!» | 16 |
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “मैं ज़रूर तेरे साथ हूँगा, और तू मिदियानियों को ऐसा मार लेगा जैसे एक आदमी को।”
جدعون پاسخ داد: «اگر تو که با من سخن میگویی واقعاً خود خداوند هستی و با من خواهی بود، پس با نشانهای این را ثابت کن. | 17 |
तब उसने उससे कहा कि अगर अब मुझ पर तेरे करम की नज़र हुई है, तो इसका मुझे कोई निशान दिखा कि मुझ से तू ही बातें करता है।
خواهش میکنم همینجا بمان تا من بروم و هدیهای برایت بیاورم.» او گفت: «من همینجا میمانم تا تو برگردی.» | 18 |
और मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, कि तू यहाँ से न जा जब तक मैं तेरे पास फिर न आऊँ और अपना हदिया निकाल कर तेरे आगे न रखूँ। उसने कहा कि जब तक तू फिर आ न जाए, मैं ठहरा रहूँगा।
جدعون به خانه شتافت و بزغالهای سر برید و گوشت آن را پخت و با ده کیلوگرم آرد، چند نان فطیر درست کرد. سپس گوشت را در سبدی گذاشت و آب گوشت را در کاسهای ریخت و آن را نزد فرشته که زیر درخت بلوط نشسته بود آورده، پیش وی نهاد. | 19 |
तब जिदा'ऊन ने जाकर बकरी का एक बच्चा और एक ऐफ़ा आटे की फ़तीरी रोटियाँ तैयार कीं, और गोश्त को एक टोकरी में और शोरबा एक हॉण्डी में डालकर उसके पास बलूत के दरख़्त के नीचे लाकर पेश किया।
فرشته به او گفت: «گوشت و نان را روی آن صخره بگذار و آب گوشت را روی آن بریز.» وقتی که جدعون دستورهای وی را انجام داد، | 20 |
तब ख़ुदा के फ़रिश्ते ने उससे कहा, “इस गोश्त और फ़तीरी रोटियों कों ले जाकर उस चट्टान पर रख, और शोरबे को उंडेल दे।” उसने वैसा ही किया।
فرشته با نوک عصای خود گوشت و نان را لمس نمود، و آتش از صخره برآمده، گوشت و نان را بلعید! همان وقت فرشته ناپدید شد! | 21 |
तब ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने उस लाठी की नोक से जो उसके हाथ में थी, गोश्त और फ़तीरी रोटियों को छुआ; और उस पत्थर से आग निकली और उसने गोश्त और फ़तीरी रोटियों को भसम कर दिया। तब ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उसकी नज़र से ग़ायब हो गया।
وقتی جدعون فهمید که او در حقیقت فرشتهٔ خداوند بود، از ترس فریاد زده، گفت: «آه ای خداوند! من فرشتهٔ تو را روبرو دیدم!» | 22 |
और जिदा'ऊन ने जान लिया के वह ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता था; इसलिए जिदा'ऊन कहने लगा, “अफ़सोस है ऐ मालिक, ख़ुदावन्द, कि मैंने ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते को आमने — सामने देखा।”
خداوند به وی فرمود: «آرام باش! نترس، تو نخواهی مرد!» | 23 |
ख़ुदावन्द ने उससे कहा, “तेरी सलामती हो, ख़ौफ़ न कर, तू मरेगा नहीं।”
جدعون در آنجا مذبحی برای خداوند ساخت و آن را یهوه شالوم (یعنی «خداوند آرامش است») نامید. (این مذبح هنوز در ملک عفره که متعلق به خاندان ابیعزر است، باقیست.) | 24 |
तब जिदाऊन ने वहाँ ख़ुदावन्द के लिए मज़बह बनाया, और उसका नाम यहोवा सलोम रख्खा; वह अबी'अज़रियों के 'उफ़रा में आज तक मौजूद है।
همان شب خداوند به جدعون گفت: «یکی از گاوهای قوی پدر خود را بگیر و مذبح بت بعل را که در خانهٔ پدرت هست به آن ببند و آن را واژگون کن و بت چوبی اشیره را هم که کنار مذبح است بشکن. | 25 |
और उसी रात ख़ुदावन्द ने उसे कहा कि अपने बाप का जवान बैल, या'नी वह दूसरा बैल जो सात बरस का है ले, और बा'ल के मज़बह को जो तेरे बाप का है ढा दे, और उसके पास की यसीरत को काट डाल;
به جای آن مذبحی برای یهوه خدایت روی این تپه بساز و سنگهای آن را به دقت کار بگذار. آنگاه گاو را به عنوان قربانی سوختنی به خداوند تقدیم کن و چوب بت اشیره را برای آتش مذبح به کار ببر.» | 26 |
और ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा के लिए इस गढ़ी की चोटी पर क़ा'इदे के मुताबिक़ एक मज़बह बना; और उस दूसरे बैल को लेकर, उस यसीरत की लकड़ी से जिसे तू काट डालेगा, सोख़्तनी क़ुर्बानी गुज़ार।
پس جدعون ده نفر از نوکران خود را برداشت و آنچه را که خداوند به او دستور داده بود، انجام داد. اما او از ترس خاندان پدرش و سایر مردم شهر، این کار را در شب انجام داد. | 27 |
तब जिदा'ऊन ने अपने नौकरों में से दस आदमियों को साथ लेकर जैसा ख़ुदावन्द ने उसे फ़रमाया था किया; और चूँकि वह यह काम अपने बाप के ख़ान्दान और उस शहर के बाशिंदों के डर से दिन को न कर सका, इसलिए उसे रात को किया।
صبح روز بعد، وقتی مردم از خواب بیدار شدند، دیدند مذبح بت بعل خراب شده و اثری از اشیره نیست. آنها مذبح دیگری که آثار قربانی روی آن بود، دیدند. | 28 |
जब उस शहर के लोग सुबह सवेरे उठे तो क्या देखते हैं, कि बा'ल का मज़बह ढाया हुआ, और उसके पास की यसीरत कटी हुई, और उस मज़बह पर जो बनाया गया था वह दूसरा बैल चढ़ाया हुआ है।
مردم از یکدیگر میپرسیدند: «چه کسی این کار را کرده است؟» وقتی خوب تحقیق کردند، فهمیدند که کار جدعون پسر یوآش است. | 29 |
और वह आपस में कहने लगे, “किसने यह काम किया?” और जब उन्होंने तहक़ीक़ात और पूछ — ताछ की तो लोगों ने कहा, “यूआस के बेटे जिदा'ऊन ने यह काम किया है।”
پس با عصبانیت به یوآش گفتند: «پسر خود را بیرون بیاور! او باید به خاطر خراب کردن مذبح بعل و قطع کردن ستون اشیره کشته شود.» | 30 |
तब उस शहर के लोगों ने यूआस से कहा, “अपने बेटे को निकाल ला ताकि क़त्ल किया जाए, इसलिए कि उसने बा'ल का मज़बह ढा दिया, और उसके पास की यसीरत काट डाली है।”
اما یوآش به همهٔ کسانی که بر ضد او برخاسته بودند گفت: «آیا بعل محتاج کمک شماست؟ این توهین به اوست! شما هستید که باید به خاطر توهین به بعل کشته شوید! اگر بعل واقعاً خداست بگذارید خودش از کسی که مذبحش را خراب کرده است انتقام بگیرد.» | 31 |
यूआस ने उन सभों को जो उसके सामने खड़े थे कहा, “क्या तुम बा'ल के वास्ते झगड़ा करोगे? या तुम उसे बचा लोगे? जो कोई उसकी तरफ़ से झगड़ा करे वह इसी सुबह मारा जाए। अगर वह ख़ुदा है तो आप ही अपने लिए झगड़े, क्यूँकि किसी ने उसका मज़बह ढा दिया है।”
از آن پس جدعون، یَرُبعل (یعنی «بگذارید بعل از خودش دفاع کند») نامیده شد، زیرا یوآش گفت: «بگذارید بعل از خودش دفاع کند، زیرا مذبحی که خراب شده متعلق به بعل است.» | 32 |
इसलिए उसने उस दिन जिदा'ऊन का नाम यह कहकर यरुब्बा'ल रख्खा, कि बा'ल आप इससे झगड़ ले, इसलिए कि इसने उसका मज़बह ढा दिया है।
بعد از این واقعه، تمام مدیانیها، عمالیقیها و سایر قبایل همسایه با هم متحد شدند تا با اسرائیلیها بجنگند. آنها از رود اردن گذشته، در درهٔ یزرعیل اردو زدند. | 33 |
तब सब मिदियानी और 'अमालीकी और मशरिक़ के लोग इकट्ठे हुए, और पार होकर यज़र'एल की वादी में उन्होंने डेरा किया।
در این موقع روح خداوند بر جدعون قرار گرفت و او شیپور را نواخت و مردان خاندان ابیعزر نزد او جمع شدند. | 34 |
तब ख़ुदावन्द की रूह जिदा'ऊन पर नाज़िल हुई, इसलिए उसने नरसिंगा फूंका और अबी'अएज़र के लोग उसकी पैरवी में इकट्ठे हुए।
همچنین قاصدانی نزد قبایل منسی، اشیر، زبولون و نفتالی فرستاد و آنها نیز آمدند و به او ملحق شدند. | 35 |
फिर उसने सारे मनस्सी के पास क़ासिद भेजे, तब वह भी उसकी पैरवी में इकट्ठे हुए। और उसने आशर और ज़बूलून और नफ़्ताली के पास भी क़ासिद रवाना किए, इसलिए वह उनके इस्तक़बाल को आए।
آنگاه جدعون به خدا چنین گفت: «اگر همانطور که وعده فرمودی، واقعاً قوم اسرائیل را بهوسیلهٔ من نجات خواهی داد، | 36 |
तब जिदा'ऊन ने खुदा से कहा, “अगर तू अपने क़ौल के मुताबिक़ मेरे हाथ के वसीले से बनी — इस्राईल को रिहाई देना चाहता है,
به این طریق آن را به من ثابت کن: من مقداری پشم در خرمنگاه میگذارم. اگر فردا صبح فقط روی پشم شبنم نشسته باشد ولی زمین، خشک باشد، آنگاه مطمئن میشوم که قوم اسرائیل را بهوسیلۀ من نجات خواهی داد.» | 37 |
तो देख, मैं भेड़ की ऊन खलिहान में रख दूँगा; इसलिए अगर ओस सिर्फ़ ऊन ही पर पड़े और आस — पास की ज़मीन सब सूखी रहे, तो मैं जान लूंगा कि तू अपने क़ौल के मुताबिक़ बनी — इस्राईल को मेरे हाथों के वसीले से रिहाई बख़्शेगा।”
و چنین شد. صبح زود که جدعون از خواب برخاست و پشم را فشرد به مقدار یک کاسه آب از آن خارج شد! | 38 |
और ऐसा ही हुआ। क्यूँकि वह सुबह को जूँ ही सवेरे उठा, और उस ऊन को दबाया और ऊन में से ओस निचोड़ी तो प्याला भर पानी निकला।
آنگاه جدعون به خدا گفت: «غضب تو بر من افروخته نشود. اجازه بده فقط یک بار دیگر امتحان کنم. این دفعه بگذار پشم خشک بماند و زمین اطراف آن از شبنم تر شود!» | 39 |
तब जिदा'ऊन ने ख़ुदा से कहा कि तेरा ग़ुस्सा मुझ पर न भड़के, मैं सिर्फ़ एक बार और 'अर्ज़ करता हूँ, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि सिर्फ़ एक बार और इस ऊन से आज़माइश कर लूँ, अब सिर्फ़ ऊन ही ऊन ख़ुश्क रहे और आस पास की सब ज़मीन पर ओस पड़े।
خداوند چنین کرد. آن شب زمین اطراف را شبنم پوشانید اما پشم خشک بود! | 40 |
तब ख़ुदा ने उस रात ऐसा ही किया क्यूँकि ऊन ही ख़ुश्क रही और सारी ज़मीन पर ओस पड़ी।