< ایوب 22 >
آنگاه الیفاز تیمانی پاسخ داد: | 1 |
तब इलिफ़ज़ तेमानी ने जवाब दिया,
آیا از انسان فایدهای به خدا میرسد؟ حتی از خردمندترین انسانها نیز فایدهای به او نمیرسد! | 2 |
क्या कोई इंसान ख़ुदा के काम आ सकता है? यक़ीनन 'अक़्लमन्द अपने ही काम का है।
اگر تو عادل و درستکار باشی آیا نفع آن به خدای قادرمطلق میرسد؟ | 3 |
क्या तेरे सादिक़ होने से क़ादिर — ए — मुतलक को कोई ख़ुशी है? या इस बात से कि तू अपनी राहों को कामिल करता है उसे कुछ फ़ायदा है?
اگر تو خداترس باشی آیا او تو را مجازات میکند؟ | 4 |
क्या इसलिए कि तुझे उसका ख़ौफ़ है, वह तुझे झिड़कता और तुझे 'अदालत में लाता है?
هرگز! مجازات تو برای شرارت و گناهان بیشماری است که در زندگی مرتکب شدهای! | 5 |
क्या तेरी शरारत बड़ी नहीं? क्या तेरी बदकारियों की कोई हद है?
از دوستانت که به تو مقروض بودند تمام لباسهایشان را گرو گرفتی و تمام دارایی آنها را تصاحب کردی. | 6 |
क्यूँकि तू ने अपने भाई की चीज़ें बे वजह गिरवी रख्खी, नंगों का लिबास उतार लिया।
به تشنگان آب ندادهای و شکم گرسنگان را سیر نکردهای، | 7 |
तूने थके माँदों को पानी न पिलाया, और भूखों से रोटी को रोक रखा।
هر چند تو آدم توانگر و ثروتمندی بودی و املاک زیادی داشتی. | 8 |
लेकिन ज़बरदस्त आदमी ज़मीन का मालिक बना, और 'इज़्ज़तदार आदमी उसमें बसा।
بیوهزنان را دست خالی از پیش خود راندی و بازوی یتیمان را شکستی. | 9 |
तू ने बेवाओं को ख़ाली चलता किया, और यतीमों के बाज़ू तोड़े गए।
برای همین است که اکنون دچار دامها و ترسهای غیرمنتظره شدهای و ظلمت و امواج وحشت، تو را فرا گرفتهاند. | 10 |
इसलिए फंदे तेरी चारों तरफ़ हैं, और नागहानी ख़ौफ़ तुझे सताता है।
या ऐसी तारीकी कि तू देख नहीं सकता, और पानी की बाढ़ तुझे छिपाए लेती है।
خدا بالاتر از آسمانها و بالاتر از بلندترین ستارگان است. | 12 |
क्या आसमान की बुलन्दी में ख़ुदा नहीं? और तारों की बुलन्दी को देख वह कैसे ऊँचे हैं।
ولی تو میگویی: «خدا چگونه میتواند از پس ابرهای تیره، اعمال مرا مشاهده و داوری کند؟ | 13 |
फिर तू कहता है, कि 'ख़ुदा क्या जानता है? क्या वह गहरी तारीकी में से 'अदालत करेगा?
ابرها او را احاطه کردهاند و او نمیتواند ما را ببیند. او در آن بالا، بر گنبد آسمان حرکت میکند.» | 14 |
पानी से भरे हुए बादल उसके लिए पर्दा हैं कि वह देख नहीं सकता; वह आसमान के दाइरे में सैर करता फिरता है।
آیا میخواهی به راهی بروی که گناهکاران در گذشته از آن پیروی کردهاند؟ | 15 |
क्या तू उसी पुरानी राह पर चलता रहेगा, जिस पर शरीर लोग चले हैं?
همچون کسانی که اساس زندگیشان فرو ریخت و نابهنگام مردند؟ | 16 |
जो अपने वक़्त से पहले उठा लिए गए, और सैलाब उनकी बुनियाद को बहा ले गया।
زیرا به خدای قادر مطلق گفتند: «ای خدا از ما دور شو! تو چه کاری میتوانی برای ما انجام دهی؟» | 17 |
जो ख़ुदा से कहते थे, 'हमारे पास से चला जा, 'और यह कि, 'क़ादिर — ए — मुतलक़ हमारे लिए कर क्या सकता है?'
در حالی که خدا خانههایشان را سرشار از برکت ساخته بود. بنابراین من خود را از راههای شریران دور نگه خواهم داشت. | 18 |
तोभी उसने उनके घरों को अच्छी अच्छी चीज़ों से भर दिया — लेकिन शरीरों की मशवरत मुझ से दूर है।
درستکاران و بیگناهان هلاکت شریران را میبینند و شاد شده، میخندند و میگویند: «دشمنان ما از بین رفتند و اموالشان در آتش سوخت.» | 19 |
सादिक़ यह देख कर ख़ुश होते हैं, और बे गुनाह उनकी हँसी उड़ाते हैं।
और कहते हैं, कि यक़ीनन वह जो हमारे ख़िलाफ़ उठे थे कट गए, और जो उनमें से बाक़ी रह गए थे, उनको आग ने भस्म कर दिया है।
ای ایوب، از مخالفت با خدا دست بردار و با او صلح کن تا لطف او شامل حال تو شود. | 21 |
“उससे मिला रह, तो सलामत रहेगा; और इससे तेरा भला होगा।
دستورهای او را بشنو و آنها را در دل خود جای بده. | 22 |
मैं तेरी मिन्नत करता हूँ, कि शरी'अत को उसी की ज़बानी क़ुबूल कर और उसकी बातों को अपने दिल में रख ले।
اگر به سوی خدای قادرمطلق بازگشت نموده، تمام بدیها را از خانهٔ خود دور کنی، آنگاه زندگی تو همچون گذشته سروسامان خواهد گرفت. | 23 |
अगर तू क़ादिर — ए — मुतलक़ की तरफ़ फिरे तो बहाल किया जाएगा। बशर्ते कि तू नारास्ती को अपने ख़ेमों से दूर कर दे।
اگر طمع را از خود دور کنی و طلای خود را دور بریزی، | 24 |
तू अपने ख़ज़ाने' को मिट्टी में, और ओफ़ीर के सोने को नदियों के पत्थरों में डाल दे,
آنگاه خدای قادر مطلق خودش طلا و نقرهٔ خالص برای تو خواهد بود! | 25 |
तब क़ादिर — ए — मुतलक़ तेरा ख़ज़ाना, और तेरे लिए बेश क़ीमत चाँदी होगा।
به او اعتماد خواهی کرد و از وجود او لذت خواهی برد. | 26 |
क्यूँकि तब ही तू क़ादिर — ए — मुतलक़ में मसरूर रहेगा, और ख़ुदा की तरफ़ अपना मुँह उठाएगा।
نزد او دعا خواهی نمود و او دعای تو را اجابت خواهد کرد و تو تمام نذرهایت را به جا خواهی آورد. | 27 |
तू उससे दुआ करेगा, वह तेरी सुनेगा; और तू अपनी मिन्नतें पूरी करेगा।
دست به هر کاری بزنی موفق خواهی شد و بر راههایت همیشه نور خواهد تابید. | 28 |
जिस बात को तू कहेगा, वह तेरे लिए हो जाएगी और नूर तेरी राहों को रोशन करेगा।
وقتی کسی به زیر کشیده میشود، تو میگویی: «بلندش کن!» و او افتاده را نجات میبخشد. | 29 |
जब वह पस्त करेंगे, तू कहेगा, 'बुलन्दी होगी। और वह हलीम आदमी को बचाएगा।
پس اگر فروتن شده، خود را از گناه پاکسازی او تو را خواهد رهانید. | 30 |
वह उसको भी छुड़ा लेगा, जो बेगुनाह नहीं है; हाँ वह तेरे हाथों की पाकीज़गी की वजह से छुड़ाया जाएगा।”