< اشعیا 24 >

خداوند زمین را ویران و متروک خواهد کرد؛ پوسته‌اش را خراب کرده، ساکنانش را پراکنده خواهد ساخت. 1
देखो ख़ुदावन्द ज़मीन को ख़ाली और सरनगूँ करके वीरान करता है और उसके बाशिन्दों को तितर — बितर कर देता है।
همه به یک سرنوشت دچار خواهند شد: کاهن و غیرکاهن، نوکر و ارباب، کنیز و خاتون، خریدار و فروشنده، قرض دهنده و قرض گیرنده، برنده و بازنده. 2
और यूँ होगा कि जैसा र'इयत का हाल, वैसा ही काहिन का; जैसा नौकर का, वैसा ही उसके साहिब का; जैसा लौंडी का, वैसा ही उसकी बीबी का; जैसा ख़रीदार का, वैसा ही बेचनेवाले का; जैसा क़र्ज़ देनेवाले का, वैसा ही क़र्ज़ लेनेवाले का; जैसा सूद देनेवाले का, वैसा ही सूद लेनेवाले का।
زمین به کلی خالی و غارت خواهد شد. این را خداوند فرموده است. 3
ज़मीन बिल्कुल ख़ाली की जाएगी, और बशिद्दत ग़ारत होगी; क्यूँकि यह कलाम ख़ुदावन्द का है।
زمین خشک و پژمرده می‌شود و بلندیهای آن پست می‌گردد. 4
ज़मीन ग़मगीन होती और मुरझाती है, जहाँ बेताब और पज़मुर्दा होता है, ज़मीन के 'आली क़द्र लोग नातवान होते हैं।
مردم روی زمین از احکام و اوامر خدا سرپیچی کرده، عهد جاودانی او را شکسته‌اند؛ 5
ज़मीन अपने बाशिन्दों से नापाक हुई, क्यूँकि उन्होंने शरी'अत को 'उदूल किया, क़ानून से मुन्हरिफ़ हुए, हमेशा के 'अहद को तोड़ा।
بنابراین جهان دچار لعنت شده است. ساکنان آن تاوان گناهان خود را پس می‌دهند. زمین سوخته و عدۀ کمی از مردم باقی مانده‌اند. 6
इस वजह से ला'नत ने ज़मीन को निगल लिया और उसके बाशिन्दे मुजरिम ठहरे, और इसीलिए ज़मीन के लोग भसम हुए और थोड़े से आदमी बच गए।
محصول انگور کم شده و شراب نایاب گردیده است. آنانی که شاد بودند اکنون غمگینند. 7
मय ग़मज़दा, ताक पज़मुर्दा है; और सब जो दिलशाद थे आह भरते हैं।
دیگر نوای دلنشین دف و چنگ شنیده نمی‌شود. آن روزهای خوش به سر آمده است. 8
ढोलकों की ख़ुशी बन्द हो गई, ख़ुशी मनानेवालों का गु़ल — ओ — शोर तमाम हुआ, बरबत की शादमानी जाती रही।
دیگر بزم می و مطرب وجود ندارد و شراب به کام نوشندگانش تلخ است. 9
वह फिर गीत के साथ मय नहीं पीते, पीनेवालों को शराब तल्ख़ मा'लूम होगी।
در شهر هرج و مرج است و مردم درِ خانهٔ خود را محکم می‌بندند تا کسی وارد نشود. 10
सुनसान शहर वीरान हो गया, हर एक घर बन्द हो गया कि कोई अन्दर न जा सके।
در کوچه‌ها فریاد آنانی به گوش می‌رسد که به دنبال شراب می‌گردند. شادیها از بین رفته و خوشیها از روی زمین رخت بربسته است. 11
मय के लिए बाज़ारों में वावैला हो रहा है; सारी ख़ुशी पर तारीकी छा गई, मुल्क की 'इश्रत जाती रही।
شهر ویران گشته و دروازه‌هایش شکسته شده و از بین رفته‌اند. 12
शहर में वीरानी ही वीरानी है, और फाटक तोड़ फोड़ दिए गए।
در تمام ممالک دنیا این اتفاق خواهد افتاد. دنیا مانند درخت زیتونی خواهد بود که تکانیده شده باشد، و یا خوشهٔ انگوری که میوه‌اش را چیده باشند. 13
क्यूँकि ज़मीन में लोगों के बीच यूँ होगा जैसा जै़तून का दरख़्त झाड़ा जाए, जैसे अंगूर तोड़ने के बाद ख़ोशा — चीनी।
کسانی که باقی بمانند از شادی فریاد خواهند زد و آواز خواهند خواند. آنان که در غرب هستند بزرگی خداوند را خواهند ستود. 14
वह अपनी आवाज़ बलन्द करेंगे, वह गीत गाएँगे; ख़ुदावन्द के जलाल की वजह से समन्दर से ललकारेंगे।
و آنانی که در شرق هستند او را سپاس خواهند گفت. ساکنان جزایر نیز یهوه خدای اسرائیل را پرستش خواهند کرد 15
तुम पूरब में ख़ुदावन्द की और समन्दर के जज़ीरों में ख़ुदावन्द के नाम की, जो इस्राईल का ख़ुदा है, तम्जीद करो।
و از سرزمینهای دور دست صدای مردم را خواهیم شنید که در وصف خدای عادل سرود می‌خوانند. اما افسوس! افسوس که بدکاران و خیانت‌پیشگان به شرارت خود ادامه می‌دهند. این مرا غمگین و ناامید می‌کند. 16
इन्तिहा — ए — ज़मीन से नग़मों की आवाज़ हम को सुनाई देती है, जलाल — ओ — 'अज़मत सादिक़ के लिए। लेकिन मैंने कहा, मैं गुदाज़ हो गया, मैं हलाक हुआ; मुझ पर अफ़सोस! दग़ाबाज़ों ने दग़ा की; हाँ, दग़ाबाज़ों ने बड़ी दग़ा की।
ای مردم دنیا بدانید که ترس و گودال و دام در انتظار شماست. 17
ऐ ज़मीन के बाशिन्दे, ख़ौफ़ और गढ़ा और दाम तुझ पर मुसल्लित हैं।
اگر از ترس فرار کنید در گودال خواهید افتاد، و اگر از گودال بیرون بیایید در دام گرفتار خواهید شد. از آسمان به شدت باران خواهد بارید و اساس زمین تکان خواهد خورد. 18
और यूँ होगा कि जो ख़ौफ़नाक आवाज़ सुन कर भागे, गढ़े में गिरेगा; और जो गढ़े से निकल आए, दाम में फँसेगा; क्यूँकि आसमान की खिड़कियाँ खुल गईं, और ज़मीन की बुनियादें हिल रही हैं।
زمین در هم خواهد شکست و خرد شده، از هم خواهد پاشید. 19
ज़मीन बिल्कुल उजड़ गई, ज़मीन यकसर शिकस्ता हुई, और शिद्दत से हिलाई गई।
زمین مانند مستی است که افتان و خیزان راه می‌رود و مثل خیمه‌ای است که در برابر طوفان تکان می‌خورد. دنیا زیر بار گناهش خم شده و یک روز خواهد افتاد و دیگر برنخواهد خاست. 20
वह मतवाले की तरह डगमगाएगी और झोपड़ी की तरह आगे पीछे सरकाई जाएगी; क्यूँकि उसके गुनाह का बोझ उस पर भारी हुआ, वह गिरेगी और फिर न उठेगी।
در آن روز، خداوند نیروهایی را که در آسمان هستند و قدرتمندانی را که بر زمین حکومت می‌کنند مجازات خواهد کرد. 21
और उस वक़्त यूँ होगा कि ख़ुदावन्द आसमानी लश्कर को आसमान पर और ज़मीन के बादशाहों को ज़मीन पर सज़ा देगा।
آنان مانند اسیرانی که در سیاهچال زندانی هستند نگه داری خواهند شد تا روز محاکمه فرا رسد. 22
और वह उन कै़दियों की तरह जो गढ़े में डाले जाएँ, जमा' किए जाएँगे और वह कै़दख़ाने में कै़द किए जाएँगे, और बहुत दिनों के बाद उनकी ख़बर ली जाएगी।
ماه تاریک خواهد شد و خورشید دیگر نور نخواهد داد، زیرا خداوند لشکرهای آسمان سلطنت خواهد کرد. او بر کوه صهیون جلوس فرموده، در اورشلیم حکومت خواهد کرد و رهبران دنیا شکوه و جلال او را خواهند دید. 23
और जब रब्ब — उल — अफ़वाज सिय्यून पहाड़ पर और येरूशलेम में अपने बुज़ुर्ग बन्दों के सामने हश्मत के साथ सल्तनत करेगा, तो चाँद मुज़्तरिब' सूरज शर्मिन्दा होगा।

< اشعیا 24 >