< پیدایش 8 >

اما خدا، نوح و حیوانات درون کشتی را فراموش نکرده بود. او بادی بر سطح آبها وزانید و سیلاب کم‌کم کاهش یافت. 1
फिर ख़ुदा ने नूह को और सब जानदार और सब चौपायों को जो उसके साथ कश्ती में थे याद किया; और ख़ुदा ने ज़मीन पर एक हवा चलाई और पानी रुक गया।
آبهای زیرزمینی از فوران بازایستادند و باران قطع شد. 2
और समुन्दर के सोते और आसमान के दरीचे बन्द किए गए, और आसमान से जो बारिश हो रही थी थम गई;
آب رفته‌رفته از روی زمین کم شد. پس از صد و پنجاه روز، 3
और पानी ज़मीन पर से घटते — घटते एक सौ पचास दिन के बाद कम हुआ।
در روز هفدهم از ماه هفتم، کشتی روی کوههای آرارات قرار گرفت. 4
और सातवें महीने की सत्रहवीं तारीख़ को कश्ती अरारात के पहाड़ों पर टिक गई।
دو ماه و نیم بعد، در حالی که آب همچنان پائین می‌رفت، قلۀ کوهها نمایان شد. 5
और पानी दसवें महीने तक बराबर घटता रहा, और दसवें महीने की पहली तारीख़ को पहाड़ों की चोटियाँ नज़र आई।
پس از گذشت چهل روز، نوح پنجره‌ای را که برای کشتی ساخته بود، گشود 6
और चालीस दिन के बाद ऐसा हुआ, कि नूह ने कश्ती की खिड़की जो उसने बनाई थी खोली,
و کلاغی رها کرد. کلاغ به این سو و آن سو پرواز می‌کرد تا آن که زمین خشک شد. 7
और उसने एक कौवे को उड़ा दिया; इसलिए वह निकला और जब तक कि ज़मीन पर से पानी सूख न गया इधर उधर फिरता रहा।
پس از آن، کبوتری رها کرد تا ببیند آیا کبوتر می‌تواند زمین خشکی برای نشستن پیدا کند. 8
फिर उसने एक कबूतरी अपने पास से उड़ा दी, ताकि देखे, कि ज़मीन पर पानी घटा या नहीं।
اما کبوتر جایی را نیافت، زیرا هنوز آب بر سطح زمین بود. وقتی کبوتر برگشت، نوح دست خود را دراز کرد و کبوتر را گرفت و به داخل کشتی برد. 9
लेकिन कबूतरी ने पंजा टेकने की जगह न पाई और उसके पास कश्ती को लौट आई, क्यूँकि तमाम रू — ए — ज़मीन पर पानी था। तब उसने हाथ बढ़ाकर उसे ले लिया और अपने पास कश्ती में रख्खा।
نوح هفت روز دیگر صبر کرد و بار دیگر همان کبوتر را رها نمود. 10
और सात दिन ठहर कर उसने उस कबूतरी को फिर कश्ती से उड़ा दिया;
این بار، هنگام غروب آفتاب، کبوتر در حالی که برگ زیتون تازه‌ای به منقار داشت، نزد نوح بازگشت. پس نوح فهمید که در بیشتر نقاط، آب فرو نشسته است. 11
और वह कबूतरी शाम के वक़्त उसके पास लौट आई, और देखा तो जैतून की एक ताज़ा पत्ती उसकी चोंच में थी। तब नूह ने मा'लूम किया कि पानी ज़मीन पर से कम हो गया।
یک هفته بعد، نوح باز همان کبوتر را رها کرد، ولی این بار کبوتر باز نگشت. 12
तब वह सात दिन और ठहरा, इसके बाद फिर उस कबूतरी को उड़ाया, लेकिन वह उसके पास फिर कभी न लौटी।
در ششصد و یکمین سال از زندگی نوح، در اولین روز ماه اول، آب از روی زمین خشک شد. آنگاه نوح پوشش کشتی را برداشت و به بیرون نگریست و دید که سطح زمین خشک شده است. 13
और छ: सौ पहले साल के पहले महीने की पहली तारीख़ को ऐसा हुआ, कि ज़मीन पर से पानी सूख गया; और नूह ने कश्ती की छत खोली और देखा कि ज़मीन की सतह सूख गई है।
در روز بیست و هفتم از ماه دوم، سرانجام همه جا خشک شد. 14
और दूसरे महीने की सताईस्वीं तारीख़ को ज़मीन बिल्कुल सूख गई।
در این هنگام خدا به نوح فرمود: 15
तब ख़ुदा ने नूह से कहा कि
«اینک زمان آن رسیده که همه از کشتی خارج شوید. 16
कश्ती से बाहर निकल आ; तू और तेरे साथ तेरी बीवी और तेरे बेटे और तेरे बेटों की बीवियाँ।
تمام حیوانات، پرندگان و خزندگان را رها کن تا تولید مثل کنند و بر روی زمین زیاد شوند.» 17
और उन जानदारों को भी बाहर निकाल ला जो तेरे साथ हैं: क्या परिन्दे, क्या चौपाये, क्या ज़मीन के रेंगनेवाले जानदार; ताकि वह ज़मीन पर कसरत से बच्चे दें और फल दायक हों और ज़मीन पर बढ़ जाएँ।
پس نوح با همسر و پسران و عروسانش از کشتی بیرون آمد. 18
तब नूह अपनी बीवी और अपने बेटों और अपने बेटों की बीवियों के साथ बाहर निकला।
و تمام حیوانات و خزندگان و پرندگان نیز دسته‌دسته از کشتی خارج شدند. 19
और सब जानवर, सब रेंगनेवाले जानदार, सब परिन्दे और सब जो ज़मीन पर चलते हैं, अपनी अपनी क़िस्म के साथ कश्ती से निकल गए।
آنگاه نوح مذبحی برای خداوند ساخت و از هر حیوان و پرندهٔ حلال گوشت بر آن قربانی کرد. 20
तब नूह ने ख़ुदावन्द के लिए एक मज़बह बनाया; और सब पाक चौपायों और पाक परिन्दों में से थोड़े से लेकर उस मज़बह पर सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश कीं।
خداوند از این عمل نوح خشنود گردید و با خود گفت: «من بار دیگر زمین را به خاطر انسان که دلش از کودکی به طرف گناه متمایل است، لعنت نخواهم کرد و اینچنین تمام موجودات زنده را از بین نخواهم برد. 21
और ख़ुदावन्द ने उसकी राहत अंगेज़ ख़ुशबू ली, और ख़ुदावन्द ने अपने दिल में कहा कि इंसान की वजह से मैं फिर कभी ज़मीन पर ला'नत नहीं भेजूँगा, क्यूँकि इंसान के दिल का ख़्याल लड़कपन से बुरा है; और न फिर सब जानदारों को जैसा अब किया है, मारूँगा।
تا زمانی که جهان باقی است، کشت و زرع، سرما و گرما، زمستان و تابستان، و روز و شب همچنان برقرار خواهد بود.» 22
बल्कि जब तक ज़मीन क़ाईम है बीज बोना और फ़सल कटना, सर्दी और तपिश, गर्मी और जाड़ा और रात ख़त्म न होंगे।

< پیدایش 8 >

A Dove is Sent Forth from the Ark
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