< پیدایش 45 >

یوسف دیگر نتوانست نزد کسانی که در حضورش بودند، خودداری کند، پس فریاد زد: «همه از اینجا خارج شوید!» وقتی همه رفتند و او را با برادرانش تنها گذاشتند او خود را به ایشان شناساند. 1
तब यूसुफ़ उनके आगे जो उसके आस पास खड़े थे, अपने को रोक न कर सका और चिल्ला कर कहा, “हर एक आदमी को मेरे पास से बाहर कर दो।” चुनांचे जब यूसुफ़ ने अपने आप को अपने भाइयों पर ज़ाहिर किया उस वक़्त और कोई उसके साथ न था।
سپس با صدای بلند گریست، به طوری که مصری‌ها شنیدند و این خبر به دربار فرعون رسید. 2
और वह ज़ोर ज़ोर से रोने लगा; और मिस्रियों ने सुना, और फ़िर'औन के महल में भी आवाज़ गई।
او به برادرانش گفت: «من یوسف هستم. آیا پدرم هنوز زنده است؟» اما برادرانش که از ترس، زبانشان بند آمده بود، نتوانستند جواب بدهند. 3
और यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “मैं यूसुफ़ हूँ! क्या मेरा बाप अब तक ज़िन्दा है?” और उसके भाई उसे कुछ जवाब न दे सके, क्यूँकि वह उसके सामने घबरा गए।
یوسف گفت: «جلو بیایید!» پس به او نزدیک شدند و او دوباره گفت: «منم، یوسف، برادر شما که او را به مصر فروختید. 4
और यूसुफ़ ने अपने भाइयों से कहा, “ज़रा नज़दीक आ जाओ।” और वह नज़दीक आए। तब उसने कहा, “मैं तुम्हारा भाई यूसुफ़ हूँ, जिसको तुम ने बेच कर मिस्र पहुँचवाया।
حال از این کار خود ناراحت نشوید و خود را سرزنش نکنید، چون این خواست خدا بود. او مرا پیش از شما به مصر فرستاد تا جان مردم را در این زمان قحطی حفظ کند. 5
और इस बात से कि तुम ने मुझे बेच कर यहाँ पहुँचवाया, न तो ग़मगीन हो और न अपने — अपने दिल में परेशान हो; क्यूँकि ख़ुदा ने जानों को बचाने के लिए मुझे तुम से आगे भेजा।
از هفت سال قحطی، دو سال گذشته است. طی پنج سال آینده کشت و زرعی نخواهد شد. 6
इसलिए कि अब दो साल से मुल्क में काल है, और अभी पाँच साल और ऐसे हैं जिनमें न तो हल चलेगा और न फसल कटेगी।
اما خدا مرا پیش از شما به اینجا فرستاد تا برای شما بر روی زمین نسلی باقی بگذارد و جانهای شما را به طرز شگفت‌انگیزی رهایی بخشد. 7
और ख़ुदा ने मुझ को तुम्हारे आगे भेजा, ताकि तुम्हारा बक़िया ज़मीन पर सलामत रख्खे और तुम को बड़ी रिहाई के वसीले से ज़िन्दा रख्खे।
آری، خدا بود که مرا به مصر فرستاد، نه شما. در اینجا هم خدا مرا مشاور فرعون و سرپرست خانه او و حاکم بر تمامی سرزمین مصر گردانیده است. 8
फिर तुम ने नहीं बल्कि ख़ुदा ने मुझे यहाँ भेजा, और उसने मुझे गोया फ़िर'औन का बाप और उसके सारे घर का ख़ुदावन्द और सारे मुल्क — ए — मिस्र का हाकिम बनाया।
«حال، نزد پدرم بشتابید و به او بگویید که پسر تو، یوسف عرض می‌کند:”خدا مرا حاکم سراسر مصر گردانیده است. بی‌درنگ نزد من بیا 9
इसलिए तुम जल्द मेरे बाप के पास जाकर उससे कहो, 'तेरा बेटा यूसुफ़ यूँ कहता है, कि ख़ुदावन्द ने मुझ को सारे मिस्र का मालिक कर दिया है। तू मेरे पास चला आ, देर न कर।
و در زمین جوشن ساکن شو تا تو با همهٔ فرزندان و نوه‌هایت و تمامی گله و رمه و اموالت نزدیک من باشی. 10
तू जशन के इलाक़े में रहना, और तू और तेरे बेटे और तेरे पोते और तेरी भेड़ बकरियाँ और गायें बैल और तेरा माल ओ — मता'अ, यह सब मेरे नज़दीक होंगे।
من در آنجا از تو نگهداری خواهم کرد، زیرا هنوز پنج سالِ دیگر از این قحطی باقیست. اگر نزد من نیایی تو و همۀ فرزندان و بستگانت از گرسنگی خواهید مُرد.“ 11
और वहीं मैं तेरी परवरिश करूँगा; ऐसा न हो कि तुझ को और तेरे घराने और तेरे माल — ओ — मता'अ को ग़रीबी आ दबाए, क्यूँकि काल के अभी पाँच साल और हैं।
«همهٔ شما و برادرم بنیامین شاهد هستید که این من هستم که با شما صحبت می‌کنم. 12
और देखो, तुम्हारी आँखें और मेरे भाई बिनयमीन की आँखें देखती हैं कि खुद मेरे मुँह से ये बातें तुम से हो रही हैं।
پدرم را از قدرتی که در مصر دارم و از آنچه دیده‌اید آگاه سازید و او را هر چه زودتر نزد من بیاورید.» 13
और तुम मेरे बाप से मेरी सारी शान — ओ — शौकत का जो मुझे मिस्र में हासिल है, और जो कुछ तुम ने देखा है सबका ज़िक्र करना; और तुम बहुत जल्द मेरे बाप को यहाँ ले आना।”
آنگاه یوسف، بنیامین را در آغوش گرفته و با هم گریستند. 14
और वह अपने भाई बिनयमीन के गले लग कर रोया और बिनयमीन भी उसके गले लगकर रोया।
بعد سایر برادرانش را بوسید و گریست. آنگاه جرأت یافتند با او صحبت کنند. 15
और उसने सब भाइयों को चूमा और उनसे मिल कर रोया, इसके बाद उसके भाई उससे बातें करने लगे।
طولی نکشید که خبر آمدن برادران یوسف به گوش فرعون رسید. فرعون و تمامی درباریانش از شنیدن این خبر خوشحال شدند. 16
और फ़िर'औन के महल में इस बात का ज़िक्र हुआ कि यूसुफ़ के भाई आए हैं और इस से फ़िर'औन के नौकर चाकर बहुत खुश हुए।
پس فرعون به یوسف گفت: «به برادران خود بگو که الاغهای خود را بار کنند و به کنعان بروند. 17
और फ़िर'औन ने यूसुफ़ से कहा कि अपने भाइयों से कह, “तुम यह काम करो कि अपने जानवरों को लाद कर मुल्क — ए — कना'न को चले जाओ।
و پدر و همهٔ خانواده‌های خود را برداشته به مصر بیایند. من حاصلخیزترین زمینِ مصر را به ایشان خواهم داد تا از محصولاتِ فراوانِ آن بهره‌مند شوند. 18
और अपने बाप को और अपने — अपने घराने को लेकर मेरे पास आ जाओ, और जो कुछ मुल्क — ए — मिस्र में अच्छे से अच्छा है वह मैं तुम को दूँगा और तुम इस मुल्क की उम्दा उम्दा चीज़ें खाना।
برای آوردن پدرت و زنان و کودکان، چند ارابه به آنها بده که با خود ببرند. 19
तुझे हुक्म मिल गया है, कि उनसे कहे, 'तुम यह करो कि अपने बाल बच्चों और अपनी बीवियों के लिए मुल्क — ए — मिस्र से अपने साथ गाड़ियाँ ले जाओ, और अपने बाप को भी साथ लेकर चले आओ।
به ایشان بگو که دربارهٔ اموال خود نگران نباشند، زیرا حاصلخیزترین زمین مصر به آنها داده خواهد شد.» 20
और अपने अस्बाब का कुछ अफ़सोस न करना, क्यूँकि मुल्क — ए — मिस्र की सब अच्छी चीज़ें तुम्हारे लिए हैं।”
یوسف چنانکه فرعون گفته بود، ارابه‌ها و آذوقه برای سفر به ایشان داد. 21
और इस्राईल के बेटों ने ऐसा ही किया; और यूसुफ़ ने फ़िर'औन के हुक्म के मुताबिक़ उनको गाड़ियाँ दीं और सफ़र का सामान भी दिया।
او همچنین به هر یک از آنها یک دست لباس نو هدیه نمود، اما به بنیامین پنج دست لباس و سیصد مثقال نقره بخشید. 22
और उसने उनमें से हर एक को एक — एक जोड़ा कपड़ा दिया, लेकिन बिनयमीन को चाँदी के तीन सौ सिक्के और पाँच जोड़े कपड़े दिए।
برای پدرش ده بارِ الاغ از بهترین کالاهای مصر و ده بارِ الاغ غله و خوراکی‌های دیگر به جهت سفرش فرستاد. 23
और अपने बाप के लिए उसने यह चीज़ें भेजीं, या'नी दस गधे जो मिस्र की अच्छी चीज़ों से लदे हुए थे, और दस गधियाँ जो उसके बाप के रास्ते के लिए ग़ल्ला और रोटी और सफ़र के सामान से लदी हुई थीं।
به این طریق برادران خود را مرخص نمود و به ایشان تأکید کرد که در بین راه با هم دعوا نکنند. 24
चुनांचे उसने अपने भाइयों को रवाना किया और वह चल पड़े; और उसने उनसे कहा, “देखना, कहीं रास्ते में तुम झगड़ा न करना।”
آنها مصر را به قصد کنعان ترک گفته، نزد پدر خویش بازگشتند. 25
और वह मिस्र से रवाना हुए और मुल्क — ए — कना'न में अपने बाप या'क़ूब के पास पहुँचे,
آنگاه نزد یعقوب شتافته، به او گفتند: «یوسف زنده است! او حاکم تمام سرزمین مصر می‌باشد.» اما یعقوب چنان حیرت‌زده شد که نتوانست سخنان ایشان را قبول کند. 26
और उससे कहा, “यूसुफ़ अब तक ज़िन्दा है और वही सारे मुल्क — ए — मिस्र का हाकिम है।” और या'क़ूब का दिल धक से रह गया, क्यूँकि उसने उनका यक़ीन न किया।
ولی وقتی چشمانش به ارابه‌ها افتاد و پیغام یوسف را به او دادند، روحش تازه شد 27
तब उन्होंने उसे वह सब बातें जो यूसुफ़ ने उनसे कही थीं बताई, और जब उनके बाप या'क़ूब ने वह गाड़ियाँ देख लीं जो यूसुफ़ ने उसके लाने को भेजीं थीं, तब उसकी जान में जान आई।
و گفت: «باور می‌کنم! پسرم یوسف زنده است! می‌روم تا پیش از مردنم او را ببینم.» 28
और इस्राईल कहने लगा, “यह बस है कि मेरा बेटा यूसुफ़ अब तक ज़िन्दा है। मैं अपने मरने से पहले जाकर उसे देख तो लूँगा।”

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