< پیدایش 43 >

قحطی در کنعان همچنان ادامه داشت. 1
और काल मुल्क में और भी सख़्त हो गया।
پس یعقوب از پسرانش خواست تا دوباره به مصر بروند و مقداری غله بخرند، زیرا غله‌ای که از مصر خریده بودند، تمام شده بود. 2
और यूँ हुआ कि जब उस ग़ल्ले को जिसे मिस्र से लाए थे, खा चुके तो उनके बाप ने उनसे कहा कि जाकर हमारे लिए फिर कुछ अनाज मोल ले आओ।
ولی یهودا به او گفت: «آن مرد سخت به ما هشدار داده، گفت:”اگر برادرتان همراه شما نباشد، روی مرا نخواهید دید.“اگر بنیامین را با ما بفرستی ما به مصر می‌رویم تا برای تو غله بخریم.» 3
तब यहूदाह ने उसे कहा कि उस शख़्स ने हम को निहायत ताकीद से कह दिया था कि तुम मेरा मुँह न देखोगे, जब तक तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ न हो।
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इसलिए अगर तू हमारे भाई को हमारे साथ भेज दे, तो हम जाएँगे और तेरे लिए अनाज मोल लाएँगे।
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और अगर तू उसे न भेजे तो हम नहीं जाएँगे; क्यूँकि उस शख़्स ने कह दिया है कि तुम मेरा मुँह न देखोगे जब तक तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ न हो'।
یعقوب به آنها گفت: «چرا به او گفتید که برادر دیگری هم دارید؟ چرا با من چنین کردید؟» 6
तब इस्राईल ने कहा कि तुम ने मुझ से क्यूँ यह बदसुलूकी की, कि उस शख़्स को बता दिया कि हमारा एक भाई और भी है?
گفتند: «آن مرد تمام جزئیات زندگی ما و خانوادهٔ ما را به دقت از ما پرسید و گفت:”آیا پدر شما هنوز زنده است؟ آیا برادر دیگری هم دارید؟“ما مجبور بودیم به سؤالات او پاسخ بدهیم. ما از کجا می‌دانستیم به ما می‌گوید:”برادرتان را نزد من بیاورید؟“» 7
उन्होंने कहा, “उस शख़्स ने बजिद्द हो कर हमारा और हमारे ख़ान्दान का हाल पूछा कि 'क्या तुम्हारा बाप अब तक ज़िन्दा है? और क्या तुम्हारा कोई और भाई है?' तो हम ने इन सवालों के मुताबिक़ उसे बता दिया। हम क्या जानते थे कि वह कहेगा, 'अपने भाई को ले आओ'।”
یهودا به پدرش گفت: «پسر را به من بسپار تا روانه شویم. در غیر این صورت ما و فرزندانمان از گرسنگی خواهیم مُرد. 8
तब यहूदाह ने अपने बाप इस्राईल से कहा कि उस लड़के को मेरे साथ कर दे तो हम चले जाएँगे; ताकि हम और तू और हमारे बाल बच्चे ज़िन्दा रहें और हलाक न हों।
من تضمین می‌کنم که او را سالم برگردانم. اگر او را نزد تو باز نیاوردم و در حضورت حاضر نساختم، گناهش تا ابد به گردن من باشد. 9
और मैं उसका ज़िम्मेदार होता हूँ, तू उसको मेरे हाथ से वापस माँगना। अगर मैं उसे तेरे पास पहुँचा कर सामने खड़ा न कर दूँ, तो मैं हमेशा के लिए गुनहगार ठहरूंगा।
اگر موافقت کرده، او را همراه ما فرستاده بودی تا به حال به آنجا رفته و برگشته بودیم.» 10
अगर हम देर न लगाते तो अब तक दूसरी दफ़ा' लौट कर आ भी जाते।
سرانجام یعقوب به ایشان گفت: «حال که اینچنین است از بهترین محصولاتی که در این سرزمین داریم، برای حاکم مصر به ارمغان ببرید. مقداری بلسان و عسل، کتیرا و مُر، پسته و بادام بار الاغهایتان نموده، به مصر بروید. 11
तब उनके बाप इस्राईल ने उनसे कहा, “अगर यही बात है तो ऐसा करो कि अपने बर्तनों में इस मुल्क की मशहूर पैदावार में से कुछ उस शख़्स के लिए नज़राना लेते जाओ; जैसे थोड़ा सा रौग़ान — ए — बलसान, थोड़ा सा शहद, कुछ गर्म मसाले, और मुर्र और पिस्ता और बादाम,
دو برابر پولی را هم که دفعه پیش در کیسه‌هایتان گذاشته بودند با خودتان ببرید، شاید اشتباهی شده باشد. 12
और दूना दाम अपने हाथ में ले लो, और वह नक़दी जो फेर दी गई और तुम्हारे बोरों के मुँह में रख्खी मिली अपने साथ वापस ले जाओ; क्यूँकि शायद भूल हो गई होगी।
در ضمن، برادرتان بنیامین نیز همراه شما خواهد آمد. 13
और अपने भाई को भी साथ लो, और उठ कर फिर उस शख़्स के पास जाओ।
امیدوارم که خدای قادر مطلق شما را مورد لطف آن مرد قرار دهد تا شمعون و بنیامین را برگرداند. اگر خواستِ خدا چنین است که بی‌اولاد شوم، بگذار بی‌اولاد شوم.» 14
और ख़ुदा — ए — क़ादिर उस शख़्स को तुम पर मेहरबानी करे, ताकि वह तुम्हारे दूसरे भाई को और बिनयमीन को तुम्हारे साथ भेज दे। मैं अगर बे — औलाद हुआ तो हुआ।”
پس ایشان هدایا و پولِ دو برابر برداشته، همراه بنیامین عازم مصر شدند و نزد یوسف رفتند. 15
तब उन्होंने नज़राना लिया और दूना दाम भी हाथ में ले लिया, और बिनयमीन को लेकर चल पड़े; और मिस्र पहुँच कर यूसुफ़ के सामने जा खड़े हुए।
چون یوسف بنیامین را همراه آنها دید، به پیشکار خانهٔ خود گفت: «امروز ظهر این مردان با من نهار خواهند خورد. آنها را به خانه ببر و برای خوراک تدارک ببین.» 16
जब यूसुफ़ ने बिनयमीन को उनके साथ देखा तो उसने अपने घर के मुन्तज़िम से कहा, “इन आदमियों को घर में ले जा, और कोई जानवर ज़बह करके खाना तैयार करवा; क्यूँकि यह आदमी दोपहर को मेरे साथ खाना खाएँगे।”
پس آن مرد طبق دستور یوسف عمل کرده، ایشان را به قصر یوسف برد. 17
उस शख़्स ने जैसा यूसुफ़ ने फ़रमाया था किया, और इन आदमियों को यूसुफ़ के घर में ले गया।
پسران یعقوب وقتی فهمیدند آنها را به کجا می‌برند، بی‌نهایت ترسان شدند و به یکدیگر گفتند: «شاید به خاطر آن پولی که در خورجینهای ما گذاشته شده بود، می‌خواهند ما را بگیرند و به اسارت خود درآورند و الاغهای ما را نیز تصاحب نمایند.» 18
जब इनको यूसुफ़ के घर में पहुँचा दिया तो डर के मारे कहने लगे, “वह नक़दी जो पहली दफ़ा' हमारे बोरों में रख कर वापस कर दी गई थी, उसी की वजह से हम को अन्दर करवा दिया है; ताकि उसे हमारे ख़िलाफ़ बहाना मिल जाए और वह हम पर हमला करके हम को ग़ुलाम बना ले और हमारे गधों को छीन ले।”
برادران نزد پیشکار خانۀ یوسف رفتند و در درگاه خانه با او سخن گفتند: 19
और वह यूसुफ़ के घर के मुन्तज़िम के पास गए और दरवाज़े पर खड़े होकर उससे कहने लगे,
«ای آقا، دفعۀ اول که برای خرید غله به مصر آمدیم، 20
“जनाब, हम पहले भी यहाँ अनाज मोल लेने आए थे;
هنگام مراجعت چون خورجینهای خود را گشودیم، پولهایی را که برای خرید غله پرداخته بودیم در آنها یافتیم. حال، آن پولها را آورده‌ایم. 21
और यूँ हुआ कि जब हम ने मंज़िल पर उतर कर अपने बोरों को खोला, तो अपनी अपनी पूरी तौली हुई नक़दी अपने अपने बोरे के मुँह में रख्खी देखी, इसलिए हम उसे अपने साथ वापस लेते आए हैं।
مقداری هم پول برای خرید این دفعه همراه خود آورده‌ایم. ما نمی‌دانیم آن پولها را چه کسی در خورجینهای ما گذاشته بود.» 22
और हम अनाज मोल लेने को और भी नक़दी साथ लाए हैं, ये हम नहीं जानते के हमारी नक़दी किसने हमारे बोरों में रख दी।”
پیشکار به آنها گفت: «نگران نباشید. خدای شما و خدای اجدادتان این ثروت را در خورجینهایتان گذاشته است، چون من پول غله‌ها را از شما گرفتم.» پس آن مرد شمعون را از زندان آزاد ساخته، نزد برادرانش آورد. 23
उसने कहा कि तुम्हारी सलामती हो, मत डरो! तुम्हारे ख़ुदा और तुम्हारे बाप के ख़ुदा ने तुम्हारे बोरों में तुम को ख़ज़ाना दिया होगा, मुझे तो तुम्हारी नक़दी मिल चुकी। फिर वह शमौन को निकाल कर उनके पास ले आया।
سپس آنها را به داخل قصر برده، آب به ایشان داد تا پاهای خود را بشویند و برای الاغهایشان نیز علوفه فراهم نمود. 24
और उस शख़्स ने उनको यूसुफ़ के घर में लाकर पानी दिया, और उन्होंने अपने पाँव धोए; और उनके गधों को चारा दिया।
آنگاه آنها هدایای خود را آماده کردند تا ظهر که یوسف وارد می‌شود به او بدهند، زیرا به آنها گفته بودند که در آنجا نهار خواهند خورد. 25
फिर उन्होंने यूसुफ़ के इन्तिज़ार में कि वह दोपहर को आएगा, नज़राना तैयार करके रख्खा; क्यूँकि उन्होंने सुना था कि उनको वहीं रोटी खानी है।
وقتی که یوسف به خانه آمد هدایای خود را به او تقدیم نموده، در حضور او تعظیم کردند. 26
जब यूसुफ़ घर आया, तो वह उस नज़राने को जो उनके पास था उसके सामने ले गए, और ज़मीन पर झुक कर उसके सामने आदाब बजा लाए।
یوسف از احوال ایشان پرسید و گفت: «پدر پیرتان که دربارهٔ او با من صحبت کردید چطور است؟ آیا هنوز زنده است؟» 27
उसने उनसे ख़ैर — ओ — 'आफियत पूछी और कहा कि तुम्हारा बूढ़ा बाप जिसका तुम ने ज़िक्र किया था अच्छा तो है? क्या वह अब तक ज़िन्दा है?
عرض کردند: «بله، او هنوز زنده و سالم است.» و بار دیگر در مقابل او تعظیم کردند. 28
उन्होंने जवाब दिया, “तेरा ख़ादिम हमारा बाप ख़ैरियत से है; और अब तक ज़िन्दा है।” फिर वह सिर झुका — झुका कर उसके सामने आदाब बजा लाए।
یوسف چون برادر تنی خود بنیامین را دید پرسید: «آیا این همان برادر کوچک شماست که درباره‌اش با من صحبت کردید؟» سپس به او گفت: «پسرم، خدا تو را برکت دهد.» 29
फिर उसने आँख उठा कर अपने भाई बिनयमीन को जो उसकी माँ का बेटा था, देखा और कहा कि तुम्हारा सबसे छोटा भाई जिसका ज़िक्र तुम ने मुझ से किया था यही है? फिर कहा कि ऐ मेरे बेटे! ख़ुदा तुझ पर मेहरबान रहे।
یوسف با دیدن برادرش آنچنان تحت تأثیر قرار گرفت که نتوانست از گریستن خودداری نماید؛ پس به جایی خلوت شتافت و در آنجا گریست. 30
तब यूसुफ़ ने जल्दी की क्यूँकि भाई को देख कर उसका जी भर आया, और वह चाहता था कि कहीं जाकर रोए। तब वह अपनी कोठरी में जा कर वहाँ रोने लगा।
سپس صورت خود را شسته نزد برادرانش بازگشت و در حالی که بر خود مسلط شده بود، دستور داد غذا را بیاورند. 31
फिर वह अपना मुँह धोकर बाहर निकला और अपने को बर्दाश्त करके हुक्म दिया कि खाना लगाओ।
برای یوسف جداگانه سفره چیدند و برای برادرانش جداگانه. مصری‌هایی هم که در آنجا بودند از سفرهٔ دیگری غذا می‌خوردند، زیرا مصری‌ها عبرانی‌ها را نجس می‌دانستند. 32
और उन्होंने उसके लिए अलग और उनके लिए जुदा, और मिस्रियों के लिए, जो उसके साथ खाते थे, जुदा खाना लगाया; क्यूँकि मिस्र के लोग इब्रानियों के साथ खाना नहीं खा सकते थे, क्यूँकि मिस्रियों को इससे कराहियत है।
یوسف برادرانش را برحسب سن ایشان بر سر سفره نشانید و آنها از این عمل او متعجب شدند. 33
और यूसुफ़ के भाई उसके सामने तरतीबवार अपनी उम्र की बड़ाई और छोटाई के मुताबिक़ बैठे और आपस में हैरान थे।
او از سفرهٔ خود به ایشان غذا داد و برای بنیامین پنج برابر سایرین غذا کشید. پس آن روز ایشان با یوسف خوردند و نوشیدند و شادی نمودند. 34
फिर वह अपने सामने से खाना उठा कर हिस्से कर — कर के उनको देने लगा, और बिनयमीन का हिस्सा उनके हिस्सों से पाँच गुना ज़्यादा था। और उन्होंने मय पी और उसके साथ खु़शी मनाई।

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