< حِزِقیال 12 >
بار دیگر پیغامی از طرف خداوند به من رسید. خداوند فرمود: | 1 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
«ای پسر انسان، تو در میان قومی عصیانگر زندگی میکنی که چشم دارند و نمیبینند، گوش دارند و نمیشنوند، چون یاغی هستند. | 2 |
कि ऐ आदमज़ाद, तू एक बाग़ी घराने के बीच रहता है, जिनकी आँखें हैं कि देखें पर वह नहीं देखते, और उनके कान हैं कि सुनें पर वह नहीं सुनते; क्यूँकि वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
حال، برای آنکه بدانند که چه واقعهای بهزودی رخ خواهد داد، بار و بنهات را در روز روشن جمع کن و مانند کسی که به تبعید برده میشود، در مقابل انظار ایشان کوچ کن. شاید این یاغیان ببینند و معنی کار تو را بفهمند. | 3 |
इसलिए ऐ आदमज़ाद, सफ़र का सामान तैयार कर और दिन को उनके देखते हुए अपने मकान से रवाना हो, तू उनके सामने अपने मकान से दूसरे मकान को जा; मुम्किन है कि वह सोचें, अगरचे वह बाग़ी ख़ान्दान हैं।
بار و بنهات را به هنگام روز از خانه بیرون بیاور تا بتوانند ببینند. سپس مانند اسیرانی که سفر دور و درازی در پیش دارند، شبانگاه حرکت کن و | 4 |
और तू दिन को उनकी आँखों के सामने अपना सामान बाहर निकाल, जिस तरह नक़्ल — ए — मकान के लिए सामान निकालते हैं और शाम को उनके सामने उनकी तरह जो ग़ुलाम होकर निकल जाते हैं निकल जा।
در مقابل چشمان ایشان، شکافی در دیوار ایجاد کن و وسایل خود را از آن بیرون ببر. | 5 |
उनकी आँखों के सामने दीवार में सूराख़ कर और उस रास्ते से सामान निकाल।
در همان حال که نگاه میکنند، بار و بنهٔ خود را بر دوش بگذار و شبانه از آنجا دور شو. صورتت را نیز بپوشان تا سرزمینی را که ترک میکنی نتوانی ببینی. این کار تو نمایشی است از واقعهای که بهزودی در اورشلیم روی خواهد داد.» | 6 |
उनकी आँखों के सामने तू उसे अपने कान्धे पर उठा, और अन्धेरे में उसे निकाल ले जा, तू अपना चेहरा छिपा ताकि ज़मीन को न देख सके; क्यूँकि मैंने तुझे बनी — इस्राईल के लिए एक निशान मुक़र्रर किया है।
پس همانطور که خدا به من فرمود، عمل کردم. بار و بنهام را مثل یک تبعیدی جمع کردم و در روز روشن بیرون آوردم و به هنگام شب، شکافی در دیوار ایجاد کردم و در حالی که مردم نگاه میکردند، بار و بنهام را بر دوش گرفتم و در تاریکی بیرون رفتم. | 7 |
चुनाँचे जैसा मुझे हुक्म हुआ था वैसा ही मैंने किया। मैंने दिन को अपना सामान निकाला, जैसे नक़्ल — ए — मकान के लिए निकालते हैं; और शाम को मैंने अपने हाथ से दीवार में सूराख किया, मैंने अन्धेरे में उसे निकाला और उनके देखते हुए काँधे पर उठा लिया।
صبح روز بعد، خداوند به من چنین فرمود: | 8 |
और सुबह को ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«ای پسر انسان، حال که قوم عصیانگر اسرائیل میپرسند که معنی این کارها چیست، | 9 |
कि ऐ आदमज़ाद, क्या बनी इस्राईल ने जो बाग़ी ख़ान्दान हैं, तुझ से नहीं पूछा, 'तू क्या करता है?
به ایشان بگو که این پیغامی است از جانب خداوند یهوه به پادشاه و تمام قوم اسرائیل که در اورشلیم هستند. | 10 |
उनको जवाब दे, कि 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि येरूशलेम के हाकिम और तमाम बनी — इस्राईल के लिए जो उसमें हैं, यह बार — ए — नबुव्वत है।
بگو که آنچه کردی، نمایشگر چیزهایی است که بر سرشان خواهد آمد، چون از خانه و کاشانهشان بیرون رانده، به اسارت برده خواهند شد. | 11 |
उनसे कह दे, कि 'मैं तुम्हारे लिए निशान हूँ: जैसा मैंने किया, वैसा ही उनसे सुलूक किया जाएगा। वह जिलावतन होंगे और ग़ुलामी में जाएँगे।
حتی پادشاه، شبانه اسباب خود را بر دوش گذاشته، از شکافی که در دیوار شهر برایش ایجاد خواهند کرد، خواهد گریخت و صورتش را خواهد پوشاند و او سرزمینی را که ترک میکند نخواهد دید. | 12 |
और जो उनमें हाकिम हैं, वह शाम को अन्धेरे में उठ कर अपने काँधे पर सामान उठाए हुए निकल जाएगा। वह दीवार में सूराख़ करेंगे कि उस रास्ते से निकाल ले जाएँ। वह अपना चेहरा छिपाएगा, क्यूँकि अपनी आँखों से ज़मीन को न देखेगा।
اما من دام خود را بر او خواهم انداخت و او را گرفتار خواهم نمود و به شهر بابِل خواهم آورد و با این که در بابِل خواهد مرد، ولی آنجا را نخواهد دید. | 13 |
और मैं अपना जाल उस पर बिछाऊँगा और वह मेरे फन्दे में फंस जाएगा। और मैं उसे कसदियों के मुल्क में बाबुल में पहुचाऊँगा, लेकिन वह उसे न देखेगा, अगरचे वहीं मरेगा।
اطرافیان، مشاورین و محافظین او را به هر سو پراکنده خواهم ساخت و مردم در جستجویشان خواهند بود تا ایشان را بکشند. | 14 |
और मैं उसके आस पास के सब हिमायत करने वालों और उसके सब ग़ोलों की तमाम अतराफ़ में तितर बितर करूँगा, और मैं तलवार खींच कर उनका पीछा करूँगा।
هنگامی که آنها را در سرزمینهای مختلف پراکنده سازم، آنگاه خواهند دانست که من یهوه هستم. | 15 |
और जब मैं उनकी क़ौम में तितर बितर और मुल्कों में तितर — बितर करूँगा, तब वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
اما تعداد کمی از ایشان را زنده نگاه خواهم داشت و نخواهم گذشت که در اثر جنگ و قحطی و بیماری هلاک شوند، تا در حضور مردم سرزمینهایی که به آنجا تبعید میشوند، اقرار کنند که چقدر شرور بودهاند و بدانند که من یهوه هستم.» | 16 |
लेकिन मैं उनमें से कुछ को तलवार और काल से और वबा से बचा रख्खूँगा, ताकि वह क़ौमों के बीच जहाँ कहीं जाएँ अपने तमाम नफ़रती कामों को बयान करें, और वह मा'लूम करेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।
سپس این پیغام از طرف خداوند به من رسید: | 17 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«ای پسر انسان، خوراک را با ترس بخور و آب را با لرز بنوش، | 18 |
कि 'ऐआदमज़ाद! तू थरथराते हुए रोटी खा, और काँपते हुए फ़िक्रमन्दी से पानी पी।
و از جانب من به مردم اسرائیل و اورشلیم بگو که به سبب همهٔ گناهانشان، دچار قحطی شده، آب و خوراکشان را جیرهبندی خواهند کرد و آن را با دلهره و هراس خواهند خورد. | 19 |
और इस मुल्क के लोगों से कह कि ख़ुदावन्द ख़ुदा येरूशलेम और मुल्क — ए — इस्राईल के बाशिन्दों के हक़ में यूँ फ़रमाता है: कि वह फ़िक्रमन्दी से रोटी खाएँगे और परेशानी से पानी पिएँगे, ताकि उसके बाशिन्दों की सितमगरी की वजह से मुल्क अपनी मा'मूरी से ख़ाली हो जाए।
شهرهای آبادشان ویران و مزرعههایشان خشک خواهد شد تا بدانند که من یهوه هستم.» | 20 |
और वह बस्तियाँ जो आबाद हैं उजाड़ हो जायेंगी और मुल्क वीरान होगा और तुम जानोगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
फिर ख़ुदा वन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«ای پسر انسان، این مَثَل چیست که مردم اسرائیل میگویند:”عمر ما تمام شد، پیشگوییها عملی نشد!“ | 22 |
कि ऐ आदमज़ाद! मुल्क — ए — इस्राईल में यह क्या मिसाल जारी है, कि 'वक़्त गुज़रता जाता है, और किसी ख़्वाब का कुछ अन्जाम नहीं होता'?
به ایشان بگو که من این مثل را باطل میکنم. اینک وقت آن رسیده که همهٔ این پیشگوییها عملی شوند. | 23 |
इसलिए उनसे कह दे, कि 'ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मैं इस मिसाल को ख़त्म करूँगा और फिर इसे इस्राईल में इस्ते'माल न करेंगे। बल्कि तू उनसे कह, वक़्त आ गया है और हर ख़्वाब का अन्जाम क़रीब है।
از این پس، هیچ رؤیا و پیشگویی کاذبی در میان مردم اسرائیل وجود نخواهد داشت. | 24 |
क्यूँकि आगे को बनी इस्राईल के बीच बेमतलब के ख़्वाब और ख़ुशामद की ग़ैबदानी न होगी।
زیرا من که یهوه هستم، سخن خواهم گفت و هر آنچه گفته باشم بدون تأخیر عملی خواهم ساخت. این سخن را از جانب من به ایشان بگو:”ای قوم عصیانگر اسرائیل، من دیگر تأخیر نخواهم نمود! در دوران زندگی خودتان هر آنچه گفتهام، به انجام خواهم رساند!“» این را خداوند یهوه میگوید. | 25 |
क्यूँकि मैं ख़ुदावन्द हूँ मैं कलाम करूँगा और मेरा कलाम ज़रूर पूरा होगा उसके पूरा होने में देर न होगी बल्कि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है कि ऐ बाग़ी ख़ान्दान मैं तुम्हारे दिनों में कलाम करके उसे पूरा करूँगा।
سپس این پیغام از طرف خداوند نازل شد: | 26 |
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
«ای پسر انسان، قوم اسرائیل تصور میکنند که رؤیاها و نبوّتهای تو در آیندهٔ بسیار دور عملی خواهند شد. | 27 |
कि 'ऐ आदमज़ाद देख बनी इस्राईल कहते हैं कि जो ख़्वाब उसने देखा है बहुत ज़मानों में ज़ाहिर होगा और वह उन दिनों की ख़बर देता है जो बहुत दूर हैं।
پس به ایشان بگو که یهوه چنین میفرماید:”از این پس، دیگر تأخیر رخ نخواهد داد. هر سخنی که گفته باشم، واقع خواهد شد!“» این را خداوند یهوه میگوید. | 28 |
इसलिए उनसे कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँफ़रमाता है: कि आगे की मेरी किसी बात को पूरा होने में देर न होगी, बल्कि ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, कि जो बात मैं कहूँगा पूरी हो जाएगी।