< اول تواریخ 21 >

شیطان خواست اسرائیل را دچار مصیبت نماید، پس داوود را اغوا کرد تا اسرائیل را سرشماری کند. 1
और शैतान ने इस्राईल के ख़िलाफ़ उठकर दाऊद को उभारा कि इस्राईल का शुमार करें
داوود به یوآب و سایر رهبران اسرائیل چنین دستور داد: «به سراسر اسرائیل، از دان تا بئرشبع، بروید و مردان جنگی را سرشماری کنید و نتیجه را به من گزارش دهید.» 2
तब दाऊद ने योआब से और लोगों के सरदारों से कहा कि जाओ बैरसबा से दान तक इस्राईल का शुमार करो, और मुझे ख़बर दो ताकि मुझे उनकी ता'दाद मा'लूम हो।
یوآب جواب داد: «خداوند لشکر خود را صد برابر افزایش دهد. همهٔ این سربازان مال پادشاه هستند، پس چرا آقایم می‌خواهد دست به سرشماری بزند و اسرائیل را گناهکار سازد؟» 3
योआब ने कहा, “ख़ुदावन्द अपने लोगों को जितने हैं, उससे सौ गुना ज़्यादा करे; लेकिन ऐ मेरे मालिक बादशाह, क्या वह सब के सब मेरे मालिक के ख़ादिम नहीं हैं? फिर मेरा ख़ुदावन्द यह बात क्यूँ चाहता है? वह इस्राईल के लिए ख़ता का ज़रिए' क्यूँ बने?”
اما پادشاه نظرش را عوض نکرد. پس یوآب مطابق آن دستور، سراسر خاک اسرائیل را زیر پا گذاشت و پس از سرشماری به اورشلیم بازگشت. 4
तो भी बादशाह का फ़रमान योआब पर ग़ालिब रहा चुनाँचे यूआब रुख़्सत हुआ और तमाम इस्राईल में फिरा और येरूशलेम की लौटा;
او گزارش کار را تقدیم داوود کرد. تعداد مردان جنگی در تمام اسرائیل یک میلیون و صد هزار نفر بود که از این عده چهارصد و هفتاد هزار نفر از یهودا بودند. 5
और योआब ने लोगों के शुमार की मीज़ान दाऊद को बतायी और सब इस्राईली ग्यारह लाख शमशीर ज़न मर्द, और यहूदाह चार लाख सत्तर हज़ार शमशीर ज़न शख़्स थे।
ولی یوآب از قبیله‌های لاوی و بنیامین سرشماری نکرد، زیرا با دستور پادشاه مخالف بود. 6
लेकिन उसने लावी और बिनयमीन का शुमार उनके साथ नहीं किया था, क्यूँकि बादशाह का हुक्म योआब के नज़दीक़ नफ़रतअंगेज़ था।
این کار داوود در نظر خدا گناه محسوب می‌شد، پس او اسرائیل را به سبب آن تنبیه نمود. 7
लेकिन ख़ुदा इस बात से नाराज़ हुआ, इसलिए उसने इस्राईल को मारा।
آنگاه داوود به خدا عرض کرد: «با این کاری که کردم گناه بزرگی مرتکب شدم. التماس می‌کنم این حماقت مرا ببخش.» 8
तब दाऊद ने ख़ुदा से कहा कि मुझसे बड़ा गुनाह हुआ कि मैंने यह काम किया। अब मैं तेरी मिन्नत करता हूँ कि अपने बन्दा क़ुसूर मु'आफ़ कर, क्यूँकि मैंने बेहूदा काम किया है।
خداوند به جاد، نبی داوود فرمود: 9
और ख़ुदावन्द ने दाऊद के गै़बबीन जाद से कहा;
«برو و به داوود بگو که من سه چیز پیش او می‌گذارم و او می‌تواند یکی را انتخاب کند.» 10
कि जाकर दाऊद से कह कि ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि मैं तेरे सामने तीन चीज़ें पेश करता हूँ, उनमें से एक चुन ले, ताकि मैं उसे तुझ पर भेजूँ।
جاد پیش داوود آمد و پیغام خداوند را به او رسانده، گفت: «بین این سه، یکی را انتخاب کن: 11
तब जाद ने दाऊद के पास आकर उससे कहा, ख़ुदावन्द यूँ फ़रमाता है कि तू जिसे चाहे उसे चुन ले:
سه سال قحطی، یا سه ماه فرار از دست دشمن، یا سه روز مرض مهلک و کشتار به‌وسیلۀ فرشتهٔ خداوند. در این باره فکر کن و به من بگو که به خدا چه جوابی بدهم.» 12
या तो क़हत के तीन साल; या अपने दुश्मनों के आगे तीन महीने तक हलाक होते रहना, ऐसे हाल में कि तेरे दुश्मनों की तलवार तुझ पर वार करती रहे; या तीन दिन ख़ुदावन्द की तलवार या'नी मुल्क में वबा रहे, और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता इस्राईल की सब सरहदों में मारता रहे। अब सोच ले कि मैं अपने भेजनेवाले को क्या जवाब दूँ।
داوود جواب داد: «در تنگنا هستم. بهتر است به دست خداوند بیفتم تا به دست انسان، زیرا رحمت خداوند بسیار عظیم است.» 13
दाऊद ने जाद से कहा, मैं बड़े शिकंजे में हूँ मैं ख़ुदावन्द के हाथ में पड़ूँ क्यूँकि उसकी रहमतें बहुत ज़्यादा हैं लेकिन इंसान के हाथ में न पड़ूँ।
پس خداوند مرض مهلکی بر اسرائیل فرستاد و هفتاد هزار نفر مردند. 14
तब ख़ुदावन्द ने इस्राईल में वबा भेजी, और इस्राईल में से सत्तर हज़ार आदमी मर गए।
سپس فرشته‌ای فرستاد تا اورشلیم را نابود کند. اما خداوند از این کار متأسف شد و به فرشتهٔ مرگ چنین دستور داد: «کافی است! دست نگه دار!» در این هنگام فرشتهٔ خداوند در زمین خرمنکوبی شخصی به نام ارونهٔ یبوسی ایستاده بود. 15
और ख़ुदा ने एक फ़रिश्ता येरूशलेम को भेजा कि उसे हलाक करे; और जब वह हलाक करने ही को था, तो ख़ुदावन्द देख कर उस बला से मलूल हुआ और उस हलाक करनेवाले फ़रिश्ते से कहा, बस, अब अपना हाथ खींच। और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता यबूसी उरनान के खलिहान के पास खड़ा था।
داوود فرشتهٔ خداوند را دید که بین زمین و آسمان ایستاده و شمشیرش را به طرف اورشلیم دراز کرده است. پس داوود و بزرگان اورشلیم پلاس پوشیدند و در حضور خداوند به خاک افتادند. 16
और दाऊद ने अपनी आँखें उठा कर आसमान — ओ — ज़मीन के बीच ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते को खड़े देखा, और उसके हाथ में नंगी तलवार थी जो येरूशलेम पर बढ़ाई हुई थी; तब दाऊद और बुज़ुर्ग टाट ओढ़े हुए मुँह के गिरे सिज्दा किया।
داوود به خدا گفت: «من مقصر و گناهکار هستم، زیرا من بودم که دستور سرشماری دادم. اما این مردم بیچاره چه کرده‌اند؟ ای خداوند، من و خاندان مرا مجازات کن ولی قوم خود را از بین نبر.» 17
और दाऊद ने ख़ुदा से कहा, क्या मैं ही ने हुक्म नहीं किया था कि लोगों का शुमार किया जाए? गुनाह तो मैंने किया, और बड़ी शरारत मुझ से हुई, लेकिन इन भेड़ों ने क्या किया है? ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, तेरा हाथ मेरे और मेरे बाप के घराने के ख़िलाफ़ हो न किअपने लोगों के ख़िलाफ़ के वह वबा में मुब्तिला हों।
فرشتهٔ خداوند به جاد دستور داد به داوود بگوید که در زمین خرمنکوبی ارونهٔ یبوسی، مذبحی برای خداوند بسازد. 18
तब ख़ुदावन्द के फ़रिश्ते ने जाद को हुक्म किया कि दाऊद से कहे कि दाऊद जाकर यबूसी उरनान के खलिहान में ख़ुदावन्द के लिए एक क़ुर्बानगाह बनाए।
پس داوود رفت تا به دستور خداوند عمل کند. 19
और दाऊद जाद के कलाम के मुताबिक़, जो उसने ख़ुदावन्द के नाम से कहा था गया,
ارونه که مشغول کوبیدن خرمن گندم بود وقتی روی خود را برگرداند فرشتهٔ خداوند را دید. چهار پسر او از ترس دویدند و خود را پنهان کردند. 20
और उरनान ने मुड़ कर उस फ़रिश्ते को देखा, और उसके चारों बेटे जो उसके साथ थे छिप गए। उस वक़्त उरनान गेहूँ दाउता था।
ارونه، داوود پادشاه را دید که به طرف او می‌آید. پس فوری دست از کوبیدن خرمن کشید و در حضور پادشاه به خاک افتاد. 21
जब दाऊद उरनान के पास आया, तब उरनान ने निगाह की और दाऊद को देखा, और खलिहान से बाहर निकल कर दाऊद के आगे झुका और ज़मीन पर सिज्दा किया।
داوود به ارونه گفت: «زمین خرمنکوبی خود را به من بفروش؛ قیمت آن هر چه باشد به تو می‌دهم. می‌خواهم در اینجا برای خداوند مذبحی بسازم تا این بلا رفع شود.» 22
तब दाऊद ने उरनान से कहा कि इस खलिहान की यह जगह मुझे दे दे, ताकि मैं इसमें ख़ुदावन्द के लिए एक क़ुर्बानगाह बनाऊँ; तू इसका पूरा दाम लेकर मुझे दे, ताकि वबा लोगों से दूर कर दी जाए।
ارونه به پادشاه گفت: «آن را پیشکش می‌کنم. همه چیز در اختیار شماست گاو برای قربانی، خرمنکوب برای روشن کردن آتش قربانی و گندم برای هدیهٔ آردی. همه را به پادشاه تقدیم می‌کنم.» 23
उरनान ने दाऊद से कहा, “तू इसे ले ले और मेरा मालिक बादशाह जो कुछ उसे भला मा'लूम हो करे। देख, मैं इन बैलों को सोख़्तनी क़ुर्बानियों के लिए और दाउने के सामान ईंधन के लिए, और यह गेहूँ नज़्र की क़ुर्बानी के लिए देता हूँ; मैं यह सब कुछ दिए देता हूँ।”
داوودِ پادشاه جواب داد: «نه، من تمام قیمت آن را می‌پردازم، چون نمی‌توانم مال تو را بگیرم و به خداوند هدیه کنم. نمی‌خواهم چیزی که برای من مفت تمام شده، به حضور خداوند تقدیم کنم.» 24
दाऊद बादशाह ने उरनान से कहा, “नहीं नहीं, बल्कि मैं ज़रूर पूरा दाम देकर तुझ से खरीद लूँगा, क्यूँकि मैं उसे जो तेरा माल है ख़ुदावन्द के लिए नहीं लेने का, और बगै़र ख़र्च किये सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ पेश करूँगा।”
پس داوود ششصد مثقال طلا به ارونه پرداخت، 25
तब दाऊद ने उरनान को उस जगह के लिए छ: सौ मिस्क़ाल सोना तौल कर दिया।
و در آنجا برای خداوند یک مذبح ساخت و روی آن قربانیهای سوختنی و سلامتی تقدیم کرد. سپس نزد خداوند دعا کرد و خداوند هم با فرستادن آتش از آسمان و سوزانیدن قربانیهای روی مذبح، او را مستجاب فرمود. 26
और दाऊद ने वहाँ ख़ुदावन्द के लिए मज़बह बनाया और सोख़्तनी क़ुर्बानियाँ और सलामती की क़ुर्बानियाँ पेश कीं और ख़ुदावन्द से दुआ की; और उसने आसमान पर से सोख़्तनी क़ुर्बानी के मज़बह पर आग भेज कर उसको जवाब दिया।
آنگاه خداوند به فرشته دستور داد که شمشیرش را غلاف کند. 27
और ख़ुदावन्द ने उस फ़रिश्ते को हुक्म दिया, तब उसने अपनी तलवार फिर मियान में कर ली।
داوود چون دید که خداوند جواب دعایش را داده است، در آنجا قربانی به او تقدیم کرد. 28
उस वक़्त जब दाऊद ने देखा के ख़ुदावन्द ने यबूसी उरनान के खलिहान में उसको जवाब दिया था, तो उसने वहीं क़ुर्बानी चढ़ाई।
در آن هنگام خیمهٔ عبادت که موسی در بیابان آن را درست کرده بود، و نیز مذبح، در بالای تپه جبعون قرار داشت، 29
क्यूँकि उस वक़्त ख़ुदावन्द का घर जिसे मूसा ने वीरान में बनाया था, और सोख़्तनी क़ुर्बानी का मज़बह जिबा ऊन की ऊँची जगह में थे।
ولی داوود نمی‌توانست برای دعا به آنجا برود، زیرا از شمشیر فرشتهٔ خداوند می‌ترسید. 30
लेकिन दाऊद ख़ुदा से पूछने के लिए उसके आगे न जा सका, क्यूँकि वह ख़ुदावन्द के फ़रिश्ता की तलवार की वजह से डर गया।

< اول تواریخ 21 >