< مزامیر 78 >

قصیده آساف ای قوم من شریعت مرا بشنوید! گوشهای خود را به سخنان دهانم فراگیرید! ۱ 1
आसफ का मसकील मेरी प्रजा, मेरी शिक्षा पर ध्यान दो; जो शिक्षा मैं दे रहा हूं उसे ध्यान से सुनो.
دهان خود را به مثل باز خواهم کرد به چیزهایی که از بنای عالم مخفی بود تنطق خواهم نمود. ۲ 2
मैं अपनी शिक्षा दृष्टान्तों में दूंगा; मैं पूर्वकाल से गोपनीय रखी गई बातों को प्रकाशित करूंगा—
که آنها را شنیده و دانسته‌ایم و پدران مابرای ما بیان کرده‌اند. ۳ 3
वे बातें जो हम सुन चुके थे, जो हमें मालूम थीं, वे बातें, जो हमने अपने पूर्वजों से प्राप्‍त की थीं.
از فرزندان ایشان آنها راپنهان نخواهیم کرد. تسبیحات خداوند را برای نسل آینده بیان می‌کنیم و قوت او و اعمال عجیبی را که او کرده است. ۴ 4
याहवेह द्वारा किए गए स्तुत्य कार्य, जो उनके सामर्थ्य के अद्भुत कार्य हैं, इन्हें हम इनकी संतानों से गुप्‍त नहीं रखेंगे; उनका लिखा भावी पीढ़ी तक किया जायेगा.
زیرا که شهادتی دریعقوب برپا داشت و شریعتی در اسرائیل قرار دادو پدران ما را امر فرمود که آنها را به فرزندان خودتعلیم دهند؛ ۵ 5
प्रभु ने याकोब के लिए नियम स्थापित किया तथा इस्राएल में व्यवस्था स्थापित कर दिया, इनके संबंध में परमेश्वर का आदेश था कि हमारे पूर्वज अगली पीढ़ी को इनकी शिक्षा दें,
تا نسل آینده آنها را بدانند وفرزندانی که می‌بایست مولود شوند تا ایشان برخیزند و آنها را به فرزندان خود بیان نمایند؛ ۶ 6
कि आगामी पीढ़ी इनसे परिचित हो जाए, यहां तक कि वे बालक भी, जिनका अभी जन्म भी नहीं हुआ है, कि अपने समय में वे भी अपनी अगली पीढ़ी तक इन्हें बताते जाए.
و ایشان به خدا توکل نمایند و اعمال خدا رافراموش نکنند بلکه احکام او را نگاه دارند. ۷ 7
तब वे परमेश्वर में अपना भरोसा स्थापित करेंगे और वे परमेश्वर के महाकार्य भूल न सकेंगे, तथा उनके आदेशों का पालन करेंगे.
ومثل پدران خود نسلی گردن کش و فتنه انگیزنشوند، نسلی که دل خود را راست نساختند وروح ایشان بسوی خدا امین نبود. ۸ 8
तब उनका आचरण उनके पूर्वजों के समान न रहेगा, जो हठी और हठीली पीढ़ी प्रमाणित हुई, जिनका हृदय परमेश्वर को समर्पित न था, उनकी आत्माएं उनके प्रति सच्ची नहीं थीं.
بنی افرایم که مسلح و کمان کش بودند، درروز جنگ رو برتافتند. ۹ 9
एफ्राईम के सैनिक यद्यपि धनुष से सुसज्जित थे, युद्ध के दिन वे फिरकर भाग गए;
عهد خدا را نگاه نداشتند و از سلوک به شریعت او ابا نمودند، ۱۰ 10
उन्होंने परमेश्वर से स्थापित वाचा को भंग कर दिया, उन्होंने उनकी व्यवस्था की अधीनता भी अस्वीकार कर दी.
واعمال و عجایب او را فراموش کردند که آنها رابدیشان ظاهر کرده بود، ۱۱ 11
परमेश्वर द्वारा किए गए महाकार्य, वे समस्त आश्चर्य कार्य, जो उन्हें प्रदर्शित किए गए थे, वे भूल गए.
و در نظر پدران ایشان اعمال عجیب کرده بود، در زمین مصر و در دیارصوعن. ۱۲ 12
ये आश्चर्यकर्म परमेश्वर ने उनके पूर्वजों के देखते उनके सामने किए थे, ये सब मिस्र देश तथा ज़ोअन क्षेत्र में किए गए थे.
دریا را منشق ساخته، ایشان را عبورداد و آبها را مثل توده برپا نمود. ۱۳ 13
परमेश्वर ने समुद्र जल को विभक्त कर दिया और इसमें उनके लिए मार्ग निर्मित किया; इसके लिए परमेश्वर ने समुद्र जल को दीवार समान खड़ा कर दिया.
و ایشان را درروز به ابر راهنمایی کرد و تمامی شب به نورآتش. ۱۴ 14
परमेश्वर दिन के समय उनकी अगुवाई बादल के द्वारा तथा संपूर्ण रात्रि में अग्निप्रकाश के द्वारा करते रहे.
در صحرا صخره‌ها را بشکافت و ایشان را گویا از لجه های عظیم نوشانید. ۱۵ 15
परमेश्वर ने बंजर भूमि में चट्टानों को फाड़कर उन्हें इतना जल प्रदान किया, जितना जल समुद्र में होता है;
پس سیلها رااز صخره بیرون آورد و آب را مثل نهرها جاری ساخت. ۱۶ 16
उन्होंने चट्टान में से जलधाराएं प्रवाहित कर दीं, कि जल नदी समान प्रवाहित हो चला.
و بار دیگر بر او گناه ورزیدند و برحضرت اعلی در صحرا فتنه انگیختند، ۱۷ 17
यह सब होने पर भी वे परमेश्वर के विरुद्ध पाप करते ही रहे, बंजर भूमि में उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया.
و دردلهای خود خدا را امتحان کردند، چونکه برای شهوات خود غذا خواستند. ۱۸ 18
जिस भोजन के लिए वे लालायित थे, उसके लिए हठ करके उन्होंने मन ही मन परमेश्वर की परीक्षा ली.
و بر‌ضد خداتکلم کرده، گفتند: «آیا خدا می‌تواند در صحراسفره‌ای حاضر کند؟ ۱۹ 19
वे यह कहते हुए परमेश्वर की निंदा करते रहे; “क्या परमेश्वर बंजर भूमि में भी हमें भोजन परोस सकते हैं?
اینک صخره را زد و آبهاروان شد و وادیها جاری گشت. آیا می‌تواند نان رانیز بدهد. و گوشت را برای قوم خود حاضرسازد؟» ۲۰ 20
जब उन्होंने चट्टान पर प्रहार किया तो जल-स्रोत फूट पड़े तथा विपुल जलधाराएं बहने लगीं; किंतु क्या वह हमें भोजन भी दे सकते हैं? क्या वह संपूर्ण प्रजा के लिए मांस भोजन का भी प्रबंध कर सकते हैं?”
پس خدا این را شنیده، غضبناک شد و آتش در یعقوب افروخته گشت و خشم بر اسرائیل مشتعل گردید. ۲۱ 21
यह सुन याहवेह अत्यंत उदास हो गए; याकोब के विरुद्ध उनकी अग्नि भड़क उठी, उनका क्रोध इस्राएल के विरुद्ध भड़क उठा,
زیرا به خدا ایمان نیاوردند و به نجات او اعتماد ننمودند. ۲۲ 22
क्योंकि उन्होंने न तो परमेश्वर में विश्वास किया और न उनके उद्धार पर भरोसा किया.
پس ابرها را از بالاامر فرمود و درهای آسمان را گشود ۲۳ 23
यह होने पर भी उन्होंने आकाश को आदेश दिया और स्वर्ग के झरोखे खोल दिए;
و من را برایشان بارانید تا بخورند و غله آسمان را بدیشان بخشید. ۲۴ 24
उन्होंने उनके भोजन के लिए मन्‍ना वृष्टि की, उन्होंने उन्हें स्वर्गिक अन्‍न प्रदान किया.
مردمان، نان زورآوران را خوردند وآذوقه‌ای برای ایشان فرستاد تا سیر شوند. ۲۵ 25
मनुष्य वह भोजन कर रहे थे, जो स्वर्गदूतों के लिए निर्धारित था; परमेश्वर ने उन्हें भरपेट भोजन प्रदान किया.
بادشرقی را در آسمان وزانید و به قوت خود، بادجنوبی را آورد، ۲۶ 26
स्वर्ग से उन्होंने पूर्वी हवा प्रवाहित की, अपने सामर्थ्य में उन्होंने दक्षिणी हवा भी प्रवाहित की.
و گوشت را برای ایشان مثل غبار بارانید و مرغان بالدار را مثل ریگ دریا. ۲۷ 27
उन्होंने उनके लिए मांस की ऐसी वृष्टि की, मानो वह धूलि मात्र हो, पक्षी ऐसे उड़ रहे थे, जैसे सागर तट पर रेत कण उड़ते हैं.
وآن را در میان اردوی ایشان فرود آورد، گرداگردمسکن های ایشان. ۲۸ 28
परमेश्वर ने पक्षियों को उनके मण्डपों में घुस जाने के लिए बाध्य कर दिया, वे मंडप के चारों ओर छाए हुए थे.
پس خوردند و نیکو سیرشدند و موافق شهوات ایشان بدیشان داد. ۲۹ 29
उन्होंने तृप्‍त होने के बाद भी इन्हें खाया. परमेश्वर ने उन्हें वही प्रदान कर दिया था, जिसकी उन्होंने कामना की थी.
ایشان از شهوت خود دست نکشیدند. و غذاهنوز در دهان ایشان بود ۳۰ 30
किंतु इसके पूर्व कि वे अपने कामना किए भोजन से तृप्‍त होते, जब भोजन उनके मुख में ही था,
که غضب خدا برایشان افروخته شده؛ تنومندان ایشان را بکشت وجوانان اسرائیل را هلاک ساخت. ۳۱ 31
परमेश्वर का रोष उन पर भड़क उठा; परमेश्वर ने उनके सबसे सशक्तों को मिटा डाला, उन्होंने इस्राएल के युवाओं को मिटा डाला.
با وجود این همه، باز گناه ورزیدند و به اعمال عجیب او ایمان نیاوردند. ۳۲ 32
इतना सब होने पर भी वे पाप से दूर न हुए; समस्त आश्चर्य कार्यों को देखने के बाद भी उन्होंने विश्वास नहीं किया.
بنابراین، روزهای ایشان را در بطالت تمام کرد و سالهای ایشان را درترس. ۳۳ 33
तब परमेश्वर ने उनके दिन व्यर्थता में तथा उनके वर्ष आतंक में समाप्‍त कर दिए.
هنگامی که ایشان را کشت اورا طلبیدند و بازگشت کرده، درباره خدا تفحص نمودند، ۳۴ 34
जब कभी परमेश्वर ने उनमें से किसी को मारा, वे बाकी परमेश्वर को खोजने लगे; वे दौड़कर परमेश्वर की ओर लौट गये.
و به یاد آوردند که خدا صخره ایشان، و خدای تعالی ولی ایشان است. ۳۵ 35
उन्हें यह स्मरण आया कि परमेश्वर उनके लिए चट्टान हैं, उन्हें यह स्मरण आया कि सर्वोच्च परमेश्वर उनके उद्धारक हैं.
اما به دهان خود او را تملق نمودند و به زبان خویش به اودروغ گفتند. ۳۶ 36
किंतु उन्होंने अपने मुख से परमेश्वर की चापलूसी की, अपनी जीभ से उन्होंने उनसे झूठाचार किया;
زیرا که دل ایشان با او راست نبودو به عهد وی موتمن نبودند. ۳۷ 37
उनके हृदय में सच्चाई नहीं थी, वे उनके साथ बांधी गई वाचा के प्रतिनिष्ठ न रहे.
اما او به حسب رحمانیتش گناه ایشان راعفو نموده، ایشان را هلاک نساخت بلکه بارهاغضب خود را برگردانیده، تمامی خشم خویش را برنینگیخت. ۳۸ 38
फिर भी परमेश्वर उनके प्रति कृपालु बने रहे; परमेश्वर ही ने उनके अपराधों को क्षमा कर दिया और उनका विनाश न होने दिया. बार-बार वह अपने कोप पर नियंत्रण करते रहे और उन्होंने अपने समग्र प्रकोप को प्रगट न होने दिया.
و به یاد آورد که ایشان بشرند، بادی که می‌رود و بر نمی گردد. ۳۹ 39
परमेश्वर को यह स्मरण रहा कि वे मात्र मनुष्य ही हैं—पवन के समान, जो बहने के बाद लौटकर नहीं आता.
چند مرتبه درصحرا بدو فتنه انگیختند و او را در بادیه رنجانیدند. ۴۰ 40
बंजर भूमि में कितनी ही बार उन्होंने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया, कितनी ही बार उन्होंने उजाड़ भूमि में उन्हें उदास किया!
و برگشته، خدا را امتحان کردند وقدوس اسرائیل را اهانت نمودند، ۴۱ 41
बार-बार वे परीक्षा लेकर परमेश्वर को उकसाते रहे; वे इस्राएल के पवित्र परमेश्वर को क्रोधित करते रहे.
و قوت او رابه‌خاطر نداشتند، روزی که ایشان را از دشمن رهانیده بود. ۴۲ 42
वे परमेश्वर की सामर्थ्य को भूल गए, जब परमेश्वर ने उन्हें अत्याचारी की अधीनता से छुड़ा लिया था.
که چگونه آیات خود را در مصرظاهر ساخت و معجزات خود را در دیار صوعن. ۴۳ 43
जब परमेश्वर ने मिस्र देश में चमत्कार चिन्ह प्रदर्शित किए, जब ज़ोअन प्रदेश में आश्चर्य कार्य किए थे.
و نهرهای ایشان را به خون مبدل نمود ورودهای ایشان را تا نتوانستند نوشید. ۴۴ 44
परमेश्वर ने नदी को रक्त में बदल दिया; वे जलधाराओं से जल पीने में असमर्थ हो गए.
انواع پشه‌ها در میان ایشان فرستاد که ایشان را گزیدند وغوکهایی که ایشان را تباه نمودند؛ ۴۵ 45
परमेश्वर ने उन पर कुटकी के समूह भेजे, जो उन्हें निगल गए. मेंढकों ने वहां विध्वंस कर डाला.
و محصول ایشان را به کرم صد پا سپرد و عمل ایشان را به ملخ داد. ۴۶ 46
परमेश्वर ने उनकी उपज हासिल टिड्डों को, तथा उनके उत्पाद अरबेह टिड्डियों को सौंप दिए.
تاکستان ایشان را به تگرگ خراب کردو درختان جمیز ایشان را به تگرگهای درشت. ۴۷ 47
उनकी द्राक्षा उपज ओलों से नष्ट कर दी गई, तथा उनके गूलर-अंजीर पाले में नष्ट हो गए.
بهایم ایشان را به تگرگ سپرد و مواشی ایشان را به شعله های برق. ۴۸ 48
उनका पशु धन भी ओलों द्वारा नष्ट कर दिया गया, तथा उनकी भेड़-बकरियों को बिजलियों द्वारा.
و آتش خشم خود را برایشان فرستاد، غضب و غیظ و ضیق را، به فرستادن فرشتگان شریر. ۴۹ 49
परमेश्वर का उत्तप्‍त क्रोध, प्रकोप तथा आक्रोश उन पर टूट पड़ा, ये सभी उनके विनाशक दूत थे.
و راهی برای غضب خود مهیا ساخته، جان ایشان را از موت نگاه نداشت، بلکه جان ایشان را به وبا تسلیم نمود. ۵۰ 50
परमेश्वर ने अपने प्रकोप का पथ तैयार किया था; उन्होंने उन्हें मृत्यु से सुरक्षा प्रदान नहीं की परंतु उन्हें महामारी को सौंप दिया.
و همه نخست زادگان مصر را کشت، اوایل قوت ایشان را در خیمه های حام. ۵۱ 51
मिस्र के सभी पहलौठों को परमेश्वर ने हत्या कर दी, हाम के मण्डपों में पौरुष के प्रथम फलों का.
و قوم خود را مثل گوسفندان کوچانید وایشان را در صحرا مثل گله راهنمایی نمود. ۵۲ 52
किंतु उन्होंने भेड़ के झुंड के समान अपनी प्रजा को बचाया; बंजर भूमि में वह भेड़ का झुंड के समान उनकी अगुवाई करते रहे.
وایشان را در امنیت رهبری کرد تا نترسند و دریادشمنان ایشان را پوشانید. ۵۳ 53
उनकी अगुवाई ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की, फलस्वरूप वे अभय आगे बढ़ते गए; जबकि उनके शत्रुओं को समुद्र ने समेट लिया.
و ایشان را به حدودمقدس خود آورد، بدین کوهی که به‌دست راست خود تحصیل کرده بود. ۵۴ 54
यह सब करते हुए परमेश्वर उन्हें अपनी पवित्र भूमि की सीमा तक, उस पर्वतीय भूमि तक ले आए जिस पर उनके दायें हाथ ने अपने अधीन किया था.
و امت‌ها را از حضورایشان راند و میراث را برای ایشان به ریسمان تقسیم کرد و اسباط اسرائیل را در خیمه های ایشان ساکن گردانید. ۵۵ 55
तब उन्होंने जनताओं को वहां से काटकर अलग कर दिया और उनकी भूमि अपनी प्रजा में भाग स्वरूप बाट दिया; इस्राएल के समस्त गोत्रों को उनके आवास प्रदान करके उन्हें वहां बसा दिया.
لیکن خدای تعالی را امتحان کرده، بدو فتنه انگیختند و شهادات او را نگاه نداشتند. ۵۶ 56
इतना सब होने के बाद भी उन्होंने परमेश्वर की परीक्षा ली, उन्होंने सर्वोच्च परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया; उन्होंने परमेश्वर की आज्ञाओं को भंग कर दिया.
وبرگشته، مثل پدران خود خیانت ورزیدند و مثل کمان خطا کننده منحرف شدند. ۵۷ 57
अपने पूर्वजों के जैसे वे भी अकृतज्ञ तथा विश्वासघाती हो गए; वैसे ही अयोग्य, जैसा एक दोषपूर्ण धनुष होता है.
و به مقامهای بلند خود خشم او را به هیجان آوردند و به بتهای خویش غیرت او را جنبش دادند. ۵۸ 58
उन्होंने देवताओं के लिए निर्मित वेदियों के द्वारा परमेश्वर के क्रोध को भड़काया है; उन प्रतिमाओं ने परमेश्वर में डाह भाव उत्तेजित किया.
چون خدااین را بشنید غضبناک گردید و اسرائیل را به شدت مکروه داشت. ۵۹ 59
उन्हें सुन परमेश्वर को अत्यंत झुंझलाहट सी हो गई; उन्होंने इस्राएल को पूर्णतः छोड़ दिया.
پس مسکن شیلو را ترک نمود، آن خیمه‌ای را که در میان آدمیان برپاساخته بود، ۶۰ 60
उन्होंने शीलो के निवास-मंडप का परित्याग कर दिया, जिसे उन्होंने मनुष्य के मध्य बसा दिया था.
و (تابوت ) قوت خود را به اسیری داد و جمال خویش را به‌دست دشمن سپرد، ۶۱ 61
परमेश्वर ने अपने सामर्थ्य के संदूक को बन्दीत्व में भेज दिया, उनका वैभव शत्रुओं के वश में हो गया.
وقوم خود را به شمشیر تسلیم نمود و با میراث خود غضبناک گردید. ۶۲ 62
उन्होंने अपनी प्रजा तलवार को भेंट कर दी; अपने ही निज भाग पर वह अत्यंत उदास थे.
جوانان ایشان را آتش سوزانید و برای دوشیزگان ایشان سرود نکاح نشد. ۶۳ 63
अग्नि उनके युवाओं को निगल कर गई, उनकी कन्याओं के लिए कोई भी वैवाहिक गीत-संगीत शेष न रह गया.
کاهنان ایشان به دم شمشیر افتادند وبیوه های ایشان نوحه گری ننمودند. ۶۴ 64
उनके पुरोहितों का तलवार से वध कर दिया गया, उनकी विधवाएं आंसुओं के लिए असमर्थ हो गईं.
آنگاه خداوند مثل کسی‌که خوابیده بودبیدار شد، مثل جباری که از شراب می‌خروشد، ۶۵ 65
तब मानो प्रभु की नींद भंग हो गई, कुछ वैसे ही, जैसे कोई वीर दाखमधु की होश से बाहर आ गया हो.
و دشمنان خود را به عقب زد و ایشان را عارابدی گردانید. ۶۶ 66
परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को ऐसे मार भगाया; कि उनकी लज्जा चिरस्थाई हो गई.
و خیمه یوسف را رد نموده، سبط افرایم را برنگزید. ۶۷ 67
तब परमेश्वर ने योसेफ़ के मण्डपों को अस्वीकार कर दिया, उन्होंने एफ्राईम के गोत्र को नहीं चुना;
لیکن سبط یهودا رابرگزید و این کوه صهیون را که دوست می‌داشت. ۶۸ 68
किंतु उन्होंने यहूदाह गोत्र को चुन लिया, अपने प्रिय ज़ियोन पर्वत को.
و قدس خود را مثل کوههای بلند بنا کرد، مثل جهان که آن را تا ابدالاباد بنیاد نهاد. ۶۹ 69
परमेश्वर ने अपना पवित्र आवास उच्च पर्वत जैसा निर्मित किया, पृथ्वी-सा चिरस्थाई.
و بنده خود داود را برگزید و او را از آغلهای گوسفندان گرفت. ۷۰ 70
उन्होंने अपने सेवक दावीद को चुन लिया, इसके लिए उन्होंने उन्हें भेड़शाला से बाहर निकाल लाया;
از عقب میشهای شیرده او را آورد تاقوم او یعقوب و میراث او اسرائیل را رعایت کند. ۷۱ 71
भेड़ों के चरवाहे से उन्हें लेकर परमेश्वर ने उन्हें अपनी प्रजा याकोब का रखवाला बना दिया, इस्राएल का, जो उनके निज भाग हैं.
پس ایشان را به حسب کمال دل خود رعایت نمود و ایشان را به مهارت دستهای خویش هدایت کرد. ۷۲ 72
दावीद उनकी देखभाल हृदय की सच्चाई में करते रहे; उनके कुशल हाथों ने उनकी अगुवाई की.

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