< مزامیر 143 >

مزمور داود ای خداوند دعای مرا بشنو و به تضرع من گوش بده! در امانت وعدالت خویش مرا اجابت فرما! ۱ 1
ऐ ख़ुदावन्द, मेरी दू'आ सुन, मेरी इल्तिजा पर कान लगा। अपनी वफ़ादारी और सदाक़त में मुझे जवाब दे,
و بر بنده خودبه محاکمه برمیا. زیرا زنده‌ای نیست که به حضورتو عادل شمرده شود. ۲ 2
और अपने बन्दे को 'अदालत में न ला, क्यूँकि तेरी नज़र में कोई आदमी रास्तबाज़ नहीं ठहर सकता।
زیرا که دشمن بر جان من جفا کرده، حیات مرا به زمین کوبیده است و مرا درظلمت ساکن گردانیده، مثل آنانی که مدتی مرده باشند. ۳ 3
इसलिए कि दुश्मन ने मेरी जान को सताया है; उसने मेरी ज़िन्दगी को ख़ाक में मिला दिया, और मुझे अँधेरी जगहों में उनकी तरह बसाया है जिनको मरे मुद्दत हो गई हो।
پس روح من در من مدهوش شده، و دلم در اندرونم متحیر گردیده است. ۴ 4
इसी वजह से मुझ में मेरी जान निढाल है; और मेरा दिल मुझ में बेकल है।
ایام قدیم را به یاد می‌آورم. در همه اعمال توتفکر نموده، در کارهای دست تو تامل می‌کنم. ۵ 5
मैं पिछले ज़मानों को याद करता हूँ, मैं तेरे सब कामों पर ग़ौर करता हूँ, और तेरी दस्तकारी पर ध्यान करता हूँ।
دستهای خود را بسوی تو دراز می‌کنم. جان من مثل زمین خشک، تشنه تو است، سلاه. ۶ 6
मैं अपने हाथ तेरी तरफ़ फैलाता हूँ मेरी जान खु़श्क ज़मीन की तरह तेरी प्यासी है।
‌ای خداوند، بزودی مرا اجابت فرما زیرا روح من کاهیده شده است. روی خود را از من مپوشان، مبادا مثل فروروندگان به هاویه بشوم. ۷ 7
ऐ ख़ुदावन्द, जल्द मुझे जवाब दे: मेरी रूह गुदाज़ हो चली! अपना चेहरा मुझ से न छिपा, ऐसा न हो कि मैं क़ब्र में उतरने वालों की तरह हो जाऊँ।
بامدادان رحمت خود را به من بشنوان زیرا که بر تو توکل دارم. طریقی را که برآن بروم، مرا بیاموز زیرا نزدتو جان خود را برمی افرازم. ۸ 8
सुबह को मुझे अपनी शफ़क़त की ख़बर दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तुझ पर है। मुझे वह राह बता जिस पर मैं चलूं, क्यूँकि मैं अपना दिल तेरी ही तरफ़ लगाता हूँ।
‌ای خداوند مرا از دشمنانم برهان زیرا که نزدتو پناه برده‌ام. ۹ 9
ऐ ख़ुदावन्द, मुझे मेरे दुश्मनों से रिहाई बख्श; क्यूँकि मैं पनाह के लिए तेरे पास भाग आया हूँ।
مرا تعلیم ده تا اراده تو را بجاآورم زیرا خدای من تو هستی. روح مهربان تو مرادر زمین هموار هدایت بنماید. ۱۰ 10
मुझे सिखा के तेरी मर्ज़ी पर चलूँ, इसलिए कि तू मेरा ख़ुदा है! तेरी नेक रूह मुझे रास्ती के मुल्क में ले चले!
به‌خاطر نام خود‌ای خداوند مرا زنده ساز. به‌خاطر عدالت خویش جان مرا از تنگی برهان. ۱۱ 11
ऐ ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मुझे ज़िन्दा कर! अपनी सदाक़त में मेरी जान को मुसीबत से निकाल!
و به‌خاطر رحمت خود، دشمنانم را منقطع ساز. و همه مخالفان جان مرا هلاک کن زیرا که من بنده توهستم. ۱۲ 12
अपनी शफ़क़त से मेरे दुश्मनों को काट डाल, और मेरी जान के सब दुख देने वालों को हलाक कर दे, क्यूँकि मैं तेरा बन्दा हूँ।

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