< مزامیر 139 >
برای سالار مغنیان. مزمور داود ای خداوند مرا آزموده وشناختهای. | ۱ 1 |
ऐ ख़ुदावन्द! तूने मुझे जाँच लिया और पहचान लिया।
تو نشستن و برخاستن مرا میدانی و فکرهای مرا از دور فهمیدهای. | ۲ 2 |
तू मेरा उठना बैठना जानता है; तू मेरे ख़याल को दूर से समझ लेता है।
راه و خوابگاه مرا تفتیش کردهای و همه طریق های مرا دانستهای. | ۳ 3 |
तू मेरे रास्ते की और मेरी ख़्वाबगाह की छान बीन करता है, और मेरे सब चाल चलन से वाक़िफ़ है।
زیرا که سخنی بر زبان من نیست، جز اینکه توای خداوند آن را تمام دانستهای. | ۴ 4 |
देख! मेरी ज़बान पर कोई ऐसी बात नहीं, जिसे तू ऐ ख़ुदावन्द पूरे तौर पर न जानता हो।
از عقب و از پیش مرا احاطه کردهای و دست خویش را بر من نهادهای. | ۵ 5 |
तूने मुझे आगे पीछे से घेर रखा है, और तेरा हाथ मुझ पर है।
اینگونه معرفت برایم زیاده عجیب است. و بلند است که بدان نمی توانم رسید. | ۶ 6 |
यह इरफ़ान मेरे लिए बहुत 'अजीब है; यह बुलन्द है, मैं इस तक पहुँच नहीं सकता।
از روح تو کجا بروم؟ و از حضور تو کجابگریزم؟ | ۷ 7 |
मैं तेरी रूह से बचकर कहाँ जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ?
اگر به آسمان صعود کنم، تو آنجاهستی! و اگر در هاویه بستر بگسترانم اینک توآنجا هستی! (Sheol ) | ۸ 8 |
अगर आसमान पर चढ़ जाऊँ, तो तू वहाँ है। अगर मैं पाताल में बिस्तर बिछाऊँ, तो देख तू वहाँ भी है! (Sheol )
اگر بالهای سحر را بگیرم و دراقصای دریا ساکن شوم، | ۹ 9 |
अगर मैं सुबह के पर लगाकर, समन्दर की इन्तिहा में जा बसूँ,
در آنجا نیز دست تومرا رهبری خواهد نمود و دست راست تو مراخواهد گرفت. | ۱۰ 10 |
तो वहाँ भी तेरा हाथ मेरी राहनुमाई करेगा, और तेरा दहना हाथ मुझे संभालेगा।
و گفتم: «یقین تاریکی مرا خواهدپوشانید.» که در حال شب گرداگرد من روشنایی گردید. | ۱۱ 11 |
अगर मैं कहूँ कि यक़ीनन तारीकी मुझे छिपा लेगी, और मेरी चारों तरफ़ का उजाला रात बन जाएगा।
تاریکی نیز نزد تو تاریک نیست و شب مثل روز روشن است و تاریکی و روشنایی یکی است. | ۱۲ 12 |
तो अँधेरा भी तुझ से छिपा नहीं सकता, बल्कि रात भी दिन की तरह रोशन है; अँधेरा और उजाला दोनों एक जैसे हैं।
زیرا که تو بر دل من مالک هستی؛ مرا دررحم مادرم نقش بستی. | ۱۳ 13 |
क्यूँकि मेरे दिल को तू ही ने बनाया; मेरी माँ के पेट में तू ही ने मुझे सूरत बख़्शी।
تو را حمد خواهم گفت زیرا که به طور مهیب و عجیب ساخته شدهام. کارهای تو عجیب است و جان من این رانیکو میداند. | ۱۴ 14 |
मैं तेरा शुक्र करूँगा, क्यूँकि मैं 'अजीबओ — ग़रीब तौर से बना हूँ। तेरे काम हैरत अंगेज़ हैं मेरा दिल इसे खू़ब जानता है।
استخوانهایم از تو پنهان نبودوقتی که در نهان ساخته میشدم و در اسفل زمین نقشبندی میگشتم. | ۱۵ 15 |
जब मैं पोशीदगी में बन रहा था, और ज़मीन के तह में 'अजीब तौर से मुरतब हो रहा था, तो मेरा क़ालिब तुझ से छिपा न था।
چشمان تو جنین مرا دیده است و در دفتر تو همه اعضای من نوشته شده، درروزهایی که ساخته میشد، وقتی که یکی از آنهاوجود نداشت. | ۱۶ 16 |
तेरी आँखों ने मेरे बेतरतीब माद्दे को देखा, और जो दिन मेरे लिए मुक़र्रर थे, वह सब तेरी किताब में लिखे थे; जब कि एक भी वुजूद में न आया था।
ای خدا، فکرهای تو نزد من چه قدر گرامی است و جمله آنها چه عظیم است! | ۱۷ 17 |
ऐ ख़ुदा! तेरे ख़याल मेरे लिए कैसे बेशबहा हैं। उनका मजमूआ कैसा बड़ा है!
اگر آنها رابشمارم، از ریگ زیاده است. وقتی که بیدارمی شوم هنوز نزد تو حاضر هستم. | ۱۸ 18 |
अगर मैं उनको गिनूँ तो वह शुमार में रेत से भी ज़्यादा हैं। जाग उठते ही तुझे अपने साथ पाता हूँ।
یقینای خدا شریران را خواهی کشت. پسای مردمان خون ریز از من دور شوید. | ۱۹ 19 |
ऐ ख़ुदा! काश के तू शरीर को क़त्ल करे। इसलिए ऐ ख़ूनख़्वारो! मेरे पास से दूर हो जाओ।
زیرا سخنان مکرآمیز درباره تو میگویند و دشمنانت نام تو رابه باطل میبرند. | ۲۰ 20 |
क्यूँकि वह शरारत से तेरे ख़िलाफ़ बातें करते हैं: और तेरे दुश्मन तेरा नाम बेफ़ायदा लेते हैं।
ای خداوند آیا نفرت نمی دارم از آنانی که تو را نفرت میدارند، و آیامخالفان تو را مکروه نمی شمارم؟ | ۲۱ 21 |
ऐ ख़ुदावन्द! क्या मैं तुझ से 'अदावत रखने वालों से 'अदावत नहीं रखता, और क्या मैं तेरे मुख़ालिफ़ों से बेज़ार नहीं हूँ?
ایشان را به نفرت تام نفرت میدارم. ایشان را دشمنان خویشتن میشمارم. | ۲۲ 22 |
मुझे उनसे पूरी 'अदावत है, मैं उनको अपने दुश्मन समझता हूँ।
ای خدا مرا تفتیش کن و دل مرا بشناس. مرابیازما و فکرهای مرا بدان، | ۲۳ 23 |
ऐ ख़ुदा, तू मुझे जाँच और मेरे दिल को पहचान। मुझे आज़मा और मेरे ख़यालों को जान ले!
و ببین که آیا در من راه فساد است! و مرا به طریق جاودانی هدایت فرما. | ۲۴ 24 |
और देख कि मुझ में कोई बुरा चाल चलन तो नहीं, और मुझ को हमेशा की राह में ले चल!