< نحمیا 4 >
و هنگامی که سنبلط شنید که ما به بنای حصار مشغول هستیم، خشمش افروخته شده، بسیار غضبناک گردید و یهودیان را استهزانمود. | ۱ 1 |
लेकिन ऐसा हुआ जब सनबल्लत ने सुना के हम शहरपनाह बना रहे हैं, तो वह जल गया और बहुत ग़ुस्सा हुआ और यहूदियों को ठट्ठों में उड़ाने लगा।
و در حضور برادرانش و لشکر سامره متکلم شده، گفت: «این یهودیان ضعیف چه میکنند؟ آیا (شهر را) برای خود مستحکم خواهند ساخت و قربانی خواهند گذرانید و دریک روز کار را به انجام خواهند رسانید؟ و سنگهااز توده های خاکروبه، زنده خواهند ساخت؟ وحال آنکه سوخته شده است.» | ۲ 2 |
और वह अपने भाइयों और सामरिया के लश्कर के आगे यूँ कहने लगा, “ये कमज़ोर यहूदी क्या कर रहे हैं? क्या ये अपने गिर्द मोर्चाबन्दी करेंगे? क्या वह क़ुर्बानी चढ़ाएँगे? क्या वह एक ही दिन में सब कुछ कर चुकेंगे? क्या वह जले हुए पत्थरों को कूड़े के ढेरों में से निकाल कर फिर नये कर देंगे?”
و طوبیای عمونی که نزد او بود گفت: «اگر شغالی نیز بر آنچه ایشان بنا میکنند بالا رود، حصار سنگی ایشان رامنهدم خواهد ساخت!» | ۳ 3 |
और तूबियाह 'अम्मोनी उसके पास खड़ा था, तब वह कहने लगा, “जो कुछ वह बना रहे हैं, अगर उसपर लोमड़ी चढ़ जाए तो वह उनके पत्थर की शहरपनाह को गिरा देगी।”
ای خدای ما بشنو، زیرا که خوار شدهایم وملامت ایشان را بسر ایشان برگردان و ایشان را درزمین اسیری، به تاراج تسلیم کن. | ۴ 4 |
सुन ले, ऐ हमारे ख़ुदा क्यूँकि हमारी हिक़ारत होती है और उनकी मलामत उन ही के सिर पर डाल: और ग़ुलामी के मुल्क में उनको ग़ारतगरों के हवाले कर दे।
و عصیان ایشان را مستور منما و گناه ایشان را از حضورخود محو مساز زیرا که خشم تو را پیش روی بنایان به هیجان آوردهاند. | ۵ 5 |
और उनकी बुराई को न ढाँक, और उनकी ख़ता तेरे सामने से मिटाई न जाए; क्यूँकि उन्होंने मे'मारों के सामने तुझे ग़ुस्सा दिलाया है।
پس حصار را بنا نمودیم و تمامی حصار تانصف بلندیاش بهم پیوست، زیرا که دل قوم درکار بود. | ۶ 6 |
ग़रज़ हम दीवार बनाते रहे, और सारी दीवार आधी बलन्दी तक जोड़ी गई; क्यूँकि लोग दिल लगा कर काम करते थे।
و چون سنبلط و طوبیا و اعراب وعمونیان و اشدودیان شنیدند که مرمت حصاراورشلیم پیش رفته است و شکافهایش بسته میشود، آنگاه خشم ایشان به شدت افروخته شد. | ۷ 7 |
लेकिन जब सनबल्लत और तूबियाह और अरबों और 'अम्मोनियों और अशदूदियों ने सुना कि येरूशलेम की फ़सील मरम्मत होती जाती है, और दराड़े बन्द होने लगीं, तो वह जल गए।
و جمیع ایشان توطئه نمودند که بیایند و بااورشلیم جنگ نمایند و به آن ضرر برسانند. | ۸ 8 |
और सभों ने मिल कर बन्दिश बाँधी कि आकर येरूशलेम से लड़ें, और वहाँ परेशानी पैदा कर दें।
پس نزد خدای خود دعا نمودیم و از ترس ایشان روز و شب پاسبانان در مقابل ایشان قراردادیم. | ۹ 9 |
लेकिन हम ने अपने ख़ुदा से दुआ की, और उनकी वजह से दिन और रात उनके मुक़ाबले में पहरा बिठाए रखा
و یهودیان گفتند که «قوت حمالان تلف شده است و هوار بسیار است که نمی توانیم حصار را بنا نماییم.» | ۱۰ 10 |
और यहूदाह कहने लगा कि बोझ उठाने वालों की ताक़त घट गयी और मलबा बहुत है, इसलिए हम दीवार नहीं बना सकते हैं।
و دشمنان ما میگفتند: «آگاه نخواهند شد و نخواهند فهمید، تا ما درمیان ایشان داخل شده، ایشان را بکشیم و کار راتمام نماییم.» | ۱۱ 11 |
और हमारे दुश्मन कहने लगे, “जब तक हम उनके बीच पहुँच कर उनको क़त्ल न कर डालें और काम ख़त्म न कर दें, तब तक उनको न मा'लूम होगा न वह देखेंगे।”
و واقع شد که یهودیانی که نزدایشان ساکن بودند آمده، ده مرتبه به ما گفتند: «چون شما برگردید ایشان از هر طرف بر ما(حمله خواهندآورد).» | ۱۲ 12 |
और जब वह यहूदी जो उनके आस — पास रहते थे आए, तो उन्होंने सब जगहों से दस बार आकर हम से कहा कि तुम को हमारे पास लौट आना ज़रूर है।
پس قوم را در جایهای پست، در عقب حصار و بر مکانهای خالی تعیین نمودم و ایشان رابرحسب قبایل ایشان، با شمشیرها و نیزهها وکمانهای ایشان قرار دادم. | ۱۳ 13 |
इसलिए मैंने शहरपनाह के पीछे की जगह के सबसे नीचे हिस्सों में जहाँ जहाँ खुला था, लोगों को अपनी अपनी तलवार और बर्छी और कमान लिए हुए उनके घरानों के मुताबिक़ बिठा दिया।
پس نظر کرده، برخاستم و به بزرگان و سروران و بقیه قوم گفتم: «از ایشان مترسید، بلکه خداوند عظیم و مهیب رابیاد آورید و به جهت برادران و پسران و دختران وزنان و خانه های خود جنگ نمایید.» | ۱۴ 14 |
तब मैं देख कर उठा, और अमीरों और हाकिमों और बाक़ी लोगों से कहा कि तुम उनसे मत डरो; ख़ुदावन्द को जो बुज़ुर्ग और बड़ा है याद करो, और अपने भाइयों और बेटे बेटियों और अपनी बीवियों और घरों के लिए लड़ो।
و چون دشمنان ما شنیدند که ما آگاه شدهایم و خدا مشورت ایشان را باطل کرده است، آنگاه جمیع ما هر کس بهکار خود به حصاربرگشتیم. | ۱۵ 15 |
और जब हमारे दुश्मनों ने सुना कि ये बात हम को मा'लूम हो गई और ख़ुदा ने उनका मन्सूबा बेकार कर दिया, तो हम सबके सब शहरपनाह को अपने अपने काम पर लौटे।
و از آن روز به بعد، نصف بندگان من بهکار مشغول میبودند و نصف دیگر ایشان، نیزهها و سپرها و کمانها و زرهها را میگرفتند وسروران در عقب تمام خاندان یهودا میبودند. | ۱۶ 16 |
और ऐसा हुआ कि उस दिन से मेरे आधे नौकर काम में लग जाते, और आधे बर्छियाँ और और ढालें और कमाने लिए और बख़्तर पहने रहते थे; और वह जो हाकिम थे यहूदाह के सारे ख़ान्दान के पीछे मौजूद रहते थे।
و آنانی که حصار را بنا میکردند و آنانی که بارمی بردند و عملهها هر کدام به یک دست کارمی کردند و بهدست دیگر اسلحه میگرفتند. | ۱۷ 17 |
इसलिए जो लोग दीवार बनाते थे और जो बोझ उठाते और ढोते थे, हर एक अपने एक हाथ से काम करता था और दूसरे में अपना हथियार लिए रहता था।
وبنایان هر کدام شمشیر بر کمر خود بسته، بنایی میکردند و کرنانواز نزد من ایستاده بود. | ۱۸ 18 |
और मे'मारों में से हर एक आदमी अपनी तलवार अपनी कमर से बाँधे हुए काम करता था, और वह जो नरसिंगा फूँकता था मेरे पास रहता था।
و به بزرگان و سروران و بقیه قوم گفتم: «کار، بسیار وسیع است و ما بر حصار متفرق و ازیکدیگر دور میباشیم. | ۱۹ 19 |
और मैंने अमीरों और हाकिमों और बाक़ी लोगों से कहा कि काम तो बड़ा और फैला हुआ है, और हम दीवार पर अलग अलग एक दूसरे से दूर रहते हैं।
پس هر جا که آواز کرنارا بشنوید در آنجا نزد ما جمع شوید و خدای مابرای ما جنگ خواهد نمود.» | ۲۰ 20 |
इसलिए जिधर से नरसिंगा तुम को सुनाई दे, उधर ही तुम हमारे पास चले आना। हमारा ख़ुदा हमारे लिए लड़ेगा।
پس بهکارمشغول شدیم و نصف ایشان از طلوع فجر تابیرون آمدن ستارگان، نیزهها را میگرفتند. | ۲۱ 21 |
यूँ हम काम करते रहे, और उनमें से आधे लोग पौ फटने के वक़्त से तारों के दिखाई देने तक बर्छियाँ लिए रहते थे।
وهم در آن وقت به قوم گفتم: «هر کس با بندگانش در اورشلیم منزل کند تا در شب برای ما پاسبانی نماید و در روز بهکار بپردازد.» | ۲۲ 22 |
और मैंने उसी मौक़े' पर लोगों से ये भी कह दिया था कि हर शख़्स अपने नौकर को लेकर येरूशलेम में रात काटा करे, ताकि रात को वह हमारे लिए पहरा दिया करें और दिन को काम करें।
و من و برادران و خادمان من و پاسبانی که در عقب من میبودند، هیچکدام رخت خود را نکندیم و هر کس بااسلحه خود به آب میرفت. | ۲۳ 23 |
इसलिए न तो मैं न मेरे भाई न मेरे नौकर और न पहरे के लोग जो मेरे पैरौ थे, कभी अपने कपड़े उतारते थे; बल्कि हर शख़्स अपना हथियार लिए हुए पानी के पास जाता था।