< لوقا 21 >
و نظر کرده دولتمندانی را دید که هدایای خود را در بیتالمال میاندازند. | ۱ 1 |
१फिर उसने आँख उठाकर धनवानों को अपना-अपना दान भण्डार में डालते हुए देखा।
و بیوهزنی فقیر را دید که دو فلس در آنجا انداخت. | ۲ 2 |
२और उसने एक कंगाल विधवा को भी उसमें दो दमड़ियाँ डालते हुए देखा।
پس گفت: «هرآینه به شمامی گویم این بیوه فقیر از جمیع آنها بیشترانداخت. | ۳ 3 |
३तब उसने कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ कि इस कंगाल विधवा ने सबसे बढ़कर डाला है।
زیرا که همه ایشان از زیادتی خود درهدایای خدا انداختند، لیکن این زن از احتیاج خود تمامی معیشت خویش را انداخت. | ۴ 4 |
४क्योंकि उन सब ने अपनी-अपनी बढ़ती में से दान में कुछ डाला है, परन्तु इसने अपनी घटी में से अपनी सारी जीविका डाल दी है।”
و چون بعضی ذکر هیکل میکردند که به سنگهای خوب و هدایا آراسته شده است گفت: | ۵ 5 |
५जब कितने लोग मन्दिर के विषय में कह रहे थे, कि वह कैसे सुन्दर पत्थरों और भेंट की वस्तुओं से संवारा गया है, तो उसने कहा,
«ایامی میآید که از این چیزهایی که میبینید، سنگی بر سنگی گذارده نشود، مگر اینکه به زیرافکنده خواهد شد. | ۶ 6 |
६“वे दिन आएँगे, जिनमें यह सब जो तुम देखते हो, उनमें से यहाँ किसी पत्थर पर पत्थर भी न छूटेगा, जो ढाया न जाएगा।”
و از او سوال نموده، گفتند: «ای استاد پس این امور کی واقع میشود وعلامت نزدیک شدن این وقایع چیست؟» | ۷ 7 |
७उन्होंने उससे पूछा, “हे गुरु, यह सब कब होगा? और ये बातें जब पूरी होने पर होंगी, तो उस समय का क्या चिन्ह होगा?”
گفت: «احتیاط کنید که گمراه نشوید. زیرا که بسا به نام من آمده خواهند گفت که من هستم و وقت نزدیک است. پس از عقب ایشان مروید. | ۸ 8 |
८उसने कहा, “सावधान रहो, कि भरमाए न जाओ, क्योंकि बहुत से मेरे नाम से आकर कहेंगे, कि मैं वही हूँ; और यह भी कि समय निकट आ पहुँचा है: तुम उनके पीछे न चले जाना।
و چون اخبارجنگها و فسادها را بشنوید، مضطرب مشویدزیرا که وقوع این امور اول ضرور است لیکن انتهادر ساعت نیست.» | ۹ 9 |
९और जब तुम लड़ाइयों और बलवों की चर्चा सुनो, तो घबरा न जाना; क्योंकि इनका पहले होना अवश्य है; परन्तु उस समय तुरन्त अन्त न होगा।”
پس به ایشان گفت: «قومی با قومی ومملکتی با مملکتی مقاومت خواهند کرد. | ۱۰ 10 |
१०तब उसने उनसे कहा, “जाति पर जाति और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा।
وزلزله های عظیم در جایها و قحطیها و وباها پدیدو چیزهای هولناک و علامات بزرگ از آسمان ظاهر خواهد شد. | ۱۱ 11 |
११और बड़े-बड़े भूकम्प होंगे, और जगह-जगह अकाल और महामारियाँ पड़ेंगी, और आकाश में भयंकर बातें और बड़े-बड़े चिन्ह प्रगट होंगे।
و قبل از این همه، بر شمادست اندازی خواهند کرد و جفا نموده شما را به کنایس و زندانها خواهند سپرد و در حضورسلاطین و حکام بجهت نام من خواهند برد. | ۱۲ 12 |
१२परन्तु इन सब बातों से पहले वे मेरे नाम के कारण तुम्हें पकड़ेंगे, और सताएँगे, और आराधनालयों में सौंपेंगे, और बन्दीगृह में डलवाएँगे, और राजाओं और राज्यपालों के सामने ले जाएँगे।
واین برای شما به شهادت خواهد انجامید. | ۱۳ 13 |
१३पर यह तुम्हारे लिये गवाही देने का अवसर हो जाएगा।
پس در دلهای خود قرار دهید که برای حجت آوردن، پیشتر اندیشه نکنید، | ۱۴ 14 |
१४इसलिए अपने-अपने मन में ठान रखो कि हम पहले से उत्तर देने की चिन्ता न करेंगे।
زیرا که من به شما زبانی وحکمتی خواهم داد که همه دشمنان شما با آن مقاومت و مباحثه نتوانند نمود. | ۱۵ 15 |
१५क्योंकि मैं तुम्हें ऐसा बोल और बुद्धि दूँगा, कि तुम्हारे सब विरोधी सामना या खण्डन न कर सकेंगे।
و شما راوالدین و برادران و خویشان و دوستان تسلیم خواهند کرد و بعضی از شما را به قتل خواهندرسانید. | ۱۶ 16 |
१६और तुम्हारे माता-पिता और भाई और कुटुम्ब, और मित्र भी तुम्हें पकड़वाएँगे; यहाँ तक कि तुम में से कितनों को मरवा डालेंगे।
و جمیع مردم به جهت نام من شما رانفرت خواهند کرد. | ۱۷ 17 |
१७और मेरे नाम के कारण सब लोग तुम से बैर करेंगे।
ولکن مویی از سر شما گم نخواهد شد. | ۱۸ 18 |
१८परन्तुतुम्हारे सिर का एक बाल भी बाँका न होगा।
جانهای خود را به صبر دریابید. | ۱۹ 19 |
१९अपने धीरज से तुम अपने प्राणों को बचाए रखोगे।
«و چون بینید که اورشلیم به لشکرهامحاصره شده است آنگاه بدانید که خرابی آن رسیده است. | ۲۰ 20 |
२०“जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है।
آنگاه هرکه در یهودیه باشد، به کوهستان فرار کند و هرکه در شهر باشد، بیرون رود و هرکه در صحرا بود، داخل شهر نشود. | ۲۱ 21 |
२१तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएँ, और जो यरूशलेम के भीतर हों वे बाहर निकल जाएँ; और जो गाँवों में हो वे उसमें न जाएँ।
زیرا که همان است ایام انتقام، تا آنچه مکتوب است تمام شود. | ۲۲ 22 |
२२क्योंकि यह पलटा लेने के ऐसे दिन होंगे, जिनमें लिखी हुई सब बातें पूरी हो जाएँगी।
لیکن وای بر آبستنان وشیردهندگان در آن ایام، زیرا تنگی سخت برروی زمین و غضب بر این قوم حادث خواهد شد. | ۲۳ 23 |
२३उन दिनों में जो गर्भवती और दूध पिलाती होंगी, उनके लिये हाय, हाय! क्योंकि देश में बड़ा क्लेश और इन लोगों पर बड़ी आपत्ति होगी।
و به دم شمشیر خواهند افتاد و در میان جمیع امتها به اسیری خواهند رفت و اورشلیم پایمال امتها خواهد شد تا زمانهای امتها به انجام رسد. | ۲۴ 24 |
२४वे तलवार के कौर हो जाएँगे, और सब देशों के लोगों में बन्धुए होकर पहुँचाए जाएँगे, और जब तक अन्यजातियों का समय पूरा न हो, तब तक यरूशलेम अन्यजातियों से रौंदा जाएगा।
و در آفتاب و ماه و ستارگان علامات خواهد بود و بر زمین تنگی و حیرت از برای امتها روی خواهد نمود بهسبب شوریدن دریا وامواجش. | ۲۵ 25 |
२५“और सूरज और चाँद और तारों में चिन्ह दिखाई देंगे, और पृथ्वी पर, देश-देश के लोगों को संकट होगा; क्योंकि वे समुद्र के गरजने और लहरों के कोलाहल से घबरा जाएँगे।
و دلهای مردم ضعف خواهد کرد از خوف و انتظار آن وقایعی که برربع مسکون ظاهرمی شود، زیرا قوات آسمان متزلزل خواهد شد. | ۲۶ 26 |
२६और भय के कारण और संसार पर आनेवाली घटनाओं की बाँट देखते-देखतेलोगों के जी में जी न रहेगाक्योंकि आकाश की शक्तियाँ हिलाई जाएँगी।
و آنگاه پسر انسان را خواهند دید که بر ابری سوار شده با قوت و جلال عظیم میآید. | ۲۷ 27 |
२७तब वे मनुष्य के पुत्र को सामर्थ्य और बड़ी महिमा के साथ बादल पर आते देखेंगे।
«و چون ابتدای این چیزها بشود راست شده، سرهای خود را بلند کنید از آن جهت که خلاصی شما نزدیک است.» | ۲۸ 28 |
२८जब ये बातें होने लगें, तो सीधे होकर अपने सिर ऊपर उठाना; क्योंकि तुम्हारा छुटकारा निकट होगा।”
و برای ایشان مثلی گفت که «درخت انجیر و سایر درختان راملاحظه نمایید، | ۲۹ 29 |
२९उसने उनसे एक दृष्टान्त भी कहा, “अंजीर के पेड़ और सब पेड़ों को देखो।
که چون میبینید شکوفه میکند خود میدانید که تابستان نزدیک است. | ۳۰ 30 |
३०ज्यों ही उनकी कोंपलें निकलती हैं, तो तुम देखकर आप ही जान लेते हो, कि ग्रीष्मकाल निकट है।
و همچنین شما نیز چون بینید که این امور واقع میشود، بدانید که ملکوت خدا نزدیک شده است. | ۳۱ 31 |
३१इसी रीति से जब तुम ये बातें होते देखो, तब जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट है।
هرآینه به شما میگویم که تا جمیع این امور واقع نشود، این فرقه نخواهد گذشت. | ۳۲ 32 |
३२मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जब तक ये सब बातें न हो लें, तब तक इस पीढ़ी का कदापि अन्त न होगा।
آسمان و زمین زایل میشود لیکن سخنان من زایل نخواهد شد. | ۳۳ 33 |
३३आकाश और पृथ्वी टल जाएँगे, परन्तु मेरी बातें कभी न टलेंगी।
پس خود را حفظ کنید مبادا دلهای شما ازپرخوری و مستی و اندیشه های دنیوی، سنگین گردد و آن روز ناگهان بر شما آید. | ۳۴ 34 |
३४“इसलिए सावधान रहो, ऐसा न हो कि तुम्हारे मन खुमार और मतवालेपन, और इस जीवन की चिन्ताओं से सुस्त हो जाएँ, और वह दिन तुम पर फंदे के समान अचानक आ पड़े।
زیرا که مثل دامی بر جمیع سکنه تمام روی زمین خواهد آمد. | ۳۵ 35 |
३५क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा।
پس در هر وقت دعا کرده، بیدار باشید تاشایسته آن شوید که از جمیع این چیزهایی که به وقوع خواهد پیوست نجات یابید و در حضورپسر انسان بایستید.» | ۳۶ 36 |
३६इसलिए जागते रहो और हर समय प्रार्थना करते रहो कि तुम इन सब आनेवाली घटनाओं से बचने, औरमनुष्य के पुत्र के सामने खड़ेहोने के योग्य बनो।”
و روزها را در هیکل تعلیم میداد و شبها بیرون رفته، در کوه معروف به زیتون بهسر میبرد. | ۳۷ 37 |
३७और वह दिन को मन्दिर में उपदेश करता था; और रात को बाहर जाकर जैतून नाम पहाड़ पर रहा करता था।
و هر بامداد قوم نزد وی در هیکل میشتافتند تا کلام او را بشنوند. | ۳۸ 38 |
३८और भोर को तड़के सब लोग उसकी सुनने के लिये मन्दिर में उसके पास आया करते थे।