< لوقا 19 >
پس وارد اریحا شده، از آنجا می گذشت. | ۱ 1 |
ପରେ ଯୀଶୁ ଯିରୀହୋରେ ପ୍ରବେଶ କରି ତାହା ମଧ୍ୟ ଦେଇ ଯାଉଥିଲେ।
که ناگاه شخصی زکی نام که رئیس باجگیران و دولتمند بود، | ۲ 2 |
ଆଉ ଦେଖ, ସେଠାରେ ଜଖୀୟ ନାମରେ ଜଣେ ଲୋକ ଥିଲେ। ସେ ଜଣେ ପ୍ରଧାନ କର ଆଦାୟକାରୀ ଓ ଧନୀ ଲୋକ।
خواست عیسی را ببیند که کیست و از کثرت خلق نتوانست، زیرا کوتاه قد بود. | ۳ 3 |
ଯୀଶୁ କିଏ, ତାହା ଦେଖିବାକୁ ସେ ଚେଷ୍ଟା କରୁଥିଲେ, କିନ୍ତୁ ଲୋକମାନଙ୍କର ଭିଡ଼ ସକାଶୁ ଦେଖି ପାରୁ ନ ଥିଲେ, କାରଣ ସେ ବାଙ୍ଗର ଥିଲେ।
پس پیش دویده بردرخت افراغی برآمد تا او را ببیند. چونکه اومی خواست از آن راه عبور کند. | ۴ 4 |
ଏଣୁ ସେ ଆଗକୁ ଦୌଡ଼ିଯାଇ ଯୀଶୁଙ୍କୁ ଦେଖିବା ନିମନ୍ତେ ଗୋଟିଏ ଡିମ୍ବିରିବୃକ୍ଷରେ ଚଢ଼ିଲେ, କାରଣ ସେହି ବାଟ ଦେଇ ତାହାଙ୍କର ଯିବାର ଥିଲା।
و چون عیسی به آن مکان رسید، بالا نگریسته او را دید و گفت: «ای زکی بشتاب و به زیر بیا زیرا که باید امروز درخانه تو بمانم.» | ۵ 5 |
ଯୀଶୁ ସେ ସ୍ଥାନକୁ ଆସି ଉପରକୁ ଚାହିଁ ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଜଖୀୟ, ଶୀଘ୍ର ଓହ୍ଲାଇଆସ, କାରଣ ଆଜି ମୋତେ ଅବଶ୍ୟ ତୁମ୍ଭ ଘରେ ରହିବାକୁ ହେବ।”
پس به زودی پایین شده او را به خرمی پذیرفت. | ۶ 6 |
ସେଥିରେ ସେ ଶୀଘ୍ର ଓହ୍ଲାଇ ଆସି ଆନନ୍ଦରେ ଯୀଶୁଙ୍କୁ ନିଜ ଘରକୁ ଡାକିଲେ।
و همه چون این را دیدند، همهمهکنان میگفتند که در خانه شخصی گناهکار به میهمانی رفته است. | ۷ 7 |
ତାହା ଦେଖି ସମସ୍ତେ ବଚସା କରି କହିବାକୁ ଲାଗିଲେ, ସେ ଜଣେ ପାପୀ ଲୋକ ଘରେ ରହିବାକୁ ଗଲାଣି।
اما زکی برپا شده به خداوند گفت: «الحالای خداوند نصف مایملک خود را به فقرامی دهم و اگر چیزی ناحق از کسی گرفته باشم، چهار برابر بدو رد میکنم.» | ۸ 8 |
କିନ୍ତୁ ଜଖୀୟ ଠିଆ ହୋଇ ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ କହିଲେ, ହେ ପ୍ରଭୁ, ଦେଖନ୍ତୁ, ମୋହର ସମ୍ପତ୍ତିର ଅଧା ମୁଁ ଗରିବମାନଙ୍କୁ ଦାନ କରୁଅଛି, ଆଉ ଯଦି ଅନ୍ୟାୟରେ କାହାରିଠାରୁ କିଛି ନେଇଥାଏ, ତେବେ ଚାରି ଗୁଣରେ ତାହା ଫେରାଇ ଦେଉଅଛି।
عیسی به وی گفت: «امروز نجات در این خانه پیدا شد. زیرا که این شخص هم پسر ابراهیم است. | ۹ 9 |
ସେଥିରେ ଯୀଶୁ ତାହାଙ୍କ ବିଷୟରେ କହିଲେ, “ଆଜି ଏହି ଗୃହରେ ପରିତ୍ରାଣ ଉପସ୍ଥିତ ହୋଇଅଛି, ଯେଣୁ ଜଖୀୟ ମଧ୍ୟ ଅବ୍ରହାମଙ୍କ ଜଣେ ସନ୍ତାନ;
زیرا که پسرانسان آمده است تا گمشده را بجوید و نجاتبخشد.» | ۱۰ 10 |
କାରଣ ଯାହା ହଜିଅଛି, ତାହା ଖୋଜି ରକ୍ଷା କରିବାକୁ ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ର ଆସିଅଛନ୍ତି।”
و چون ایشان این را شنیدند او مثلی زیادکرده آورد چونکه نزدیک به اورشلیم بود و ایشان گمان میبردند که ملکوت خدا میباید در همان زمان ظهور کند. | ۱۱ 11 |
ଲୋକମାନେ ଏହି କଥାସବୁ ଶୁଣିବା ସମୟରେ ସେ ଆହୁରି ଗୋଟିଏ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ କହିଲେ, କାରଣ ସେ ଯିରୂଶାଲମ ସହରର ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ହୋଇଥିଲେ ଓ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ରାଜ୍ୟ ଅତି ଶୀଘ୍ର ପ୍ରକାଶ ପାଇବ ବୋଲି ସେମାନେ ମନେ କରୁଥିଲେ।
پس گفت: «شخصی شریف به دیار بعید سفر کرد تا ملکی برای خود گرفته مراجعت کند. | ۱۲ 12 |
ଏଣୁ ସେ କହିଲେ, “ଜଣେ ଉଚ୍ଚବଂଶର ବ୍ୟକ୍ତି ଆପଣା ନିମନ୍ତେ ରାଜପଦ ଗ୍ରହଣ କରି ଫେରିଆସିବା ନିମନ୍ତେ ଦୂର ଦେଶକୁ ଯାତ୍ରା କଲେ।
پس ده نفر از غلامان خود راطلبیده ده قنطار به ایشان سپرده فرمود، تجارت کنید تا بیایم. | ۱۳ 13 |
ସେ ଆପଣାର ଦଶ ଜଣ ଦାସଙ୍କୁ ଡାକି ସେମାନଙ୍କୁ ଦଶଗୋଟି ମୋହର ଦେଇ କହିଲେ, ମୋହର ଆସିବା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବେପାର କର।
اما اهل ولایت او، چونکه او رادشمن میداشتند ایلچیان در عقب او فرستاده گفتند، نمی خواهیم این شخص بر ما سلطنت کند. | ۱۴ 14 |
କିନ୍ତୁ ତାହାଙ୍କ ଦେଶବାସୀମାନେ ତାହାଙ୍କୁ ଘୃଣା କରୁଥିଲେ, ଆଉ ସେମାନେ ତାହାଙ୍କ ପଛରେ ଦୂତ ପଠାଇ କହିଲେ, ଏ ଲୋକ ଯେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ଉପରେ ଶାସନ କରିବ, ଏହା ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ଇଚ୍ଛା ନାହିଁ।
و چون ملک را گرفته مراجعت کرده بود، فرمود تا آن غلامانی را که به ایشان نقد سپرده بودحاضر کنند تا بفهمد هر یک چه سود نموده است. | ۱۵ 15 |
ପରେ ସେ ରାଜପଦ ପ୍ରାପ୍ତ ହୋଇ ଫେରିଆସିଲେ, ଯେଉଁ ଦାସମାନଙ୍କୁ ଧନ ଦେଇଥିଲେ, ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ବେପାର କରି କିଏ କେତେ ଲାଭ କରିଅଛି, ତାହା ଜାଣିବା ନିମନ୍ତେ ସେମାନଙ୍କୁ ଆପଣା ନିକଟକୁ ଡାକି ଆଣିବା ପାଇଁ ଆଦେଶ ଦେଲେ।
پس اولی آمده گفت، ای آقا قنطار تو ده قنطار دیگر نفع آورده است. | ۱۶ 16 |
ସେଥିରେ ପ୍ରଥମ ଜଣକ ଆସି କହିଲା, ପ୍ରଭୁ, ଆପଣଙ୍କ ମୋହର ଆଉ ଦଶଗୋଟି ମୋହର ଲାଭ କରିଅଛି।
بدو گفت آفرینای غلام نیکو. چونکه بر چیز کم امین بودی بر ده شهر حاکم شو. | ۱۷ 17 |
ସେ ତାହାକୁ କହିଲେ, ବେଶ୍, ଉତ୍ତମ ଦାସ, ତୁମ୍ଭେ ଅତି ଅଳ୍ପ ବିଷୟରେ ବିଶ୍ୱସ୍ତ ହୋଇଥିବାରୁ ଦଶ ଗୋଟି ନଗର ଉପରେ ଅଧିକାରପ୍ରାପ୍ତ ହୁଅ।
و دیگری آمده گفت، ای آقاقنطار تو پنج قنطار سود کرده است. | ۱۸ 18 |
ପୁଣି, ଦ୍ୱିତୀୟ ଜଣକ ଆସି କହିଲା, ପ୍ରଭୁ, ଆପଣଙ୍କ ମୋହର ଆଉ ପାଞ୍ଚୋଟି ମୋହର ଲାଭ କରିଅଛି।
او را نیزفرمود بر پنج شهر حکمرانی کن. | ۱۹ 19 |
ସେ ତାହାକୁ ମଧ୍ୟ କହିଲେ, ତୁମ୍ଭେ ସୁଦ୍ଧା ପାଞ୍ଚଗୋଟି ନଗର ଉପରେ ଅଧିକାରପ୍ରାପ୍ତ ହୁଅ।
و سومی آمده گفت، ای آقا اینک قنطار تو موجود است، آن را در پارچهای نگاه داشتهام. | ۲۰ 20 |
ଆଉ ଜଣେ ଆସି କହିଲା, ପ୍ରଭୁ, ଦେଖନ୍ତୁ, ଏହି ଆପଣଙ୍କର ମୋହର, ମୁଁ ଏହା ଗାମୁଛାରେ ବାନ୍ଧି ରଖି ଦେଇଥିଲି;
زیرا که از توترسیدم چونکه مرد تندخویی هستی. آنچه نگذاردهای، برمی داری و از آنچه نکاشتهای درومی کنی. | ۲۱ 21 |
କାରଣ ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଭୟ କଲି, ଯେଣୁ ଆପଣ ଜଣେ କଠୋର ଲୋକ, ଯାହା ରଖି ନ ଥାଆନ୍ତି, ତାହା ଉଠାଇ ନିଅନ୍ତି, ପୁଣି, ଯାହା ବୁଣି ନ ଥାଆନ୍ତି, ତାହା କାଟନ୍ତି।
به وی گفت، از زبان خودت بر توفتوی میدهم، ای غلام شریر. دانستهای که من مرد تندخویی هستم که برمیدارم آنچه رانگذاشتهام و درو میکنم آنچه را نپاشیدهام. | ۲۲ 22 |
ସେ ତାହାକୁ କହିଲେ, ରେ ଦୁଷ୍ଟ ଦାସ, ତୋର ମୁହଁର କଥାରେ ତୋହର ବିଚାର କରିବି। ମୁଁ ଜଣେ କଠୋର ଲୋକ, ଯାହା ରଖି ନ ଥାଏ, ତାହା ଉଠାଇନିଏ, ପୁଣି, ଯାହା ବୁଣି ନ ଥାଏ, ତାହା କାଟେ, ଏହା କଅଣ ଜାଣିଥିଲୁ?
پس برای چه نقد مرا نزد صرافان نگذاردی تاچون آیم آن را با سود دریافت کنم؟ | ۲۳ 23 |
ତେବେ ବ୍ୟାଙ୍କରେ କାହିଁକି ମୋହର ଧନ ରଖିଲୁ ନାହିଁ? ତାହାହେଲେ ମୁଁ ଆସି ସୁଧ ସହିତ ତାହା ଆଦାୟ କରିଥାଆନ୍ତି।
پس به حاضرین فرمود قنطار را از این شخص بگیرید وبه صاحب ده قنطار بدهید. | ۲۴ 24 |
ପୁଣି, ସେ ପାଖରେ ଠିଆ ହୋଇଥିବା ଲୋକମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, ଏହାଠାରୁ ଏହି ମୋହର ନେଇଯାଇ, ଯାହାର ଦଶ ମୋହର ଅଛି, ତାହାକୁ ଦିଅ।
به او گفتندای خداوند، وی ده قنطار دارد. | ۲۵ 25 |
ସେଥିରେ ସେମାନେ ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ, ପ୍ରଭୁ, ତାହାର ତ ଦଶ ମୋହର ଅଛି।
زیرا به شمامی گویم به هرکه دارد داده شود و هرکه نداردآنچه دارد نیز از او گرفته خواهد شد. | ۲۶ 26 |
‘ମୁଁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କହୁଅଛି, ଯେକୌଣସି ଲୋକର ଅଛି, ତାହାକୁ ଅଧିକ ଦିଆଯିବ। କିନ୍ତୁ ଯାହାର ନାହିଁ, ତାହା ପାଖରେ ଯାହା ଅଛି, ତାହା ହିଁ ତାହାଠାରୁ ନିଆଯିବ।
اما آن دشمنان من که نخواستند من بر ایشان حکمرانی نمایم، در اینجا حاضر ساخته پیش من به قتل رسانید.» | ۲۷ 27 |
କିନ୍ତୁ ମୋହର ଏହି ଯେଉଁ ଶତ୍ରୁମାନେ ମୁଁ ସେମାନଙ୍କ ଉପରେ ଶାସନ କରେ ବୋଲି ଇଚ୍ଛା କରି ନ ଥିଲେ, ସେମାନଙ୍କୁ ଏଠାକୁ ଆଣି ମୋହର ସାକ୍ଷାତରେ ହତ୍ୟା କର।’”
و چون این را گفت، پیش رفته متوجه اورشلیم گردید. | ۲۸ 28 |
ଏହି ସମସ୍ତ କଥା କହି ଯୀଶୁ ଆଗକୁ ଯାଇ ଯିରୂଶାଲମ ଆଡ଼େ ଯାତ୍ରା କରିବାକୁ ଲାଗିଲେ।
و چون نزدیک بیتفاجی وبیت عنیا بر کوه مسمی به زیتون رسید، دو نفر ازشاگردان خود را فرستاده، | ۲۹ 29 |
ଆଉ ଯେତେବେଳେ ସେ ଜୀତ ପର୍ବତ ପାଖରେ ଥିବା ବୈଥ୍ଫାଗୀ ଓ ବେଥନୀୟା ଗ୍ରାମ ନିକଟରେ ଉପସ୍ଥିତ ହେଲେ, ସେତେବେଳେ ସେ ଆପଣା ଶିଷ୍ୟମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଦୁଇ ଜଣଙ୍କୁ ଏହି କଥା କହି ପଠାଇଲେ,
گفت: «به آن قریهای که پیش روی شما است بروید و چون داخل آن شدید، کره الاغی بسته خواهید یافت که هیچکس بر آن هرگز سوار نشده. آن را باز کرده بیاورید. | ۳۰ 30 |
“ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଥିବା ସେହି ଗ୍ରାମକୁ ଯାଅ; ସେଥିରେ ପ୍ରବେଶ କରିବା ସମୟରେ, ଯାହା ଉପରେ କେହି କେବେ ବସି ନାହିଁ; ଏପରି ଗୋଟିଏ ଗଧଛୁଆକୁ ବନ୍ଧା ହୋଇଥିବାର ଦେଖିବ; ତାହାକୁ ଫିଟାଇ ନେଇଆସ।
و اگر کسی به شما گوید، چرا این راباز میکنید، به وی گویید خداوند او را لازم دارد.» | ۳۱ 31 |
ଆଉ ଯଦି କେହି ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ‘କାହିଁକି ଫିଟାଉଅଛ’ ବୋଲି ପଚାରେ, ତେବେ ଏପରି କହିବ, ‘କାରଣ ଏହାଠାରେ ପ୍ରଭୁଙ୍କର ଆବଶ୍ୟକ ଅଛି।’”
پس فرستادگان رفته آن چنانکه بدیشان گفته بود یافتند. | ۳۲ 32 |
ସେଥିରେ ପଠାଯାଇଥିବା ଲୋକେ ଯାଇ, ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ ଯେପରି କହିଥିଲେ, ସେହିପରି ଦେଖିଲେ।
و چون کره را باز میکردند، مالکانش به ایشان گفتند چرا کره را باز میکنید؟ | ۳۳ 33 |
ପୁଣି, ସେମାନେ ଗଧଛୁଆକୁ ଫିଟାଉଥିବା ସମୟରେ ତାହାର ମାଲିକମାନେ ସେମାନଙ୍କୁ ପଚାରିଲେ, କାହିଁକି ଗଧଛୁଆକୁ ଫିଟାଉଅଛ?
گفتند خداوند او را لازم دارد. | ۳۴ 34 |
ସେମାନେ କହିଲେ, କାରଣ ଏହାଠାରେ ପ୍ରଭୁଙ୍କର ଆବଶ୍ୟକ ଅଛି।
پس او را به نزد عیسی آوردند و رخت خود را بر کره افکنده، عیسی را سوار کردند. | ۳۵ 35 |
ପୁଣି, ସେମାନେ ତାହାକୁ ଯୀଶୁଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆଣି ତାହା ଉପରେ ଆପଣା ଆପଣା ଲୁଗା ପକାଇ ଯୀଶୁଙ୍କୁ ବସାଇଲେ।
و هنگامی که او میرفت جامه های خود را در راه میگستردند. | ۳۶ 36 |
ଆଉ ସେ ଯାତ୍ରା କରୁଥିବା ସମୟରେ ଲୋକେ ବାଟରେ ଆପଣା ଆପଣା ଲୁଗା ବିଛାଇ ଦେବାକୁ ଲାଗିଲେ।
و چون نزدیک بهسرازیری کوه زیتون رسید، تمامی شاگردانش شادی کرده، به آوازبلند خدا را حمد گفتن شروع کردند، بهسبب همه قواتی که از او دیده بودند. | ۳۷ 37 |
ପୁଣି, ସେ ଯେତେବେଳେ ଜୀତ ପର୍ବତର ଗଡ଼ାଣି ସ୍ଥାନର ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ହେଲେ, ସେତେବେଳେ ସମୁଦାୟ ଶିଷ୍ୟଦଳ ଦେଖିଥିବା ସମସ୍ତ ମହତର କାର୍ଯ୍ୟ ନିମନ୍ତେ ଆନନ୍ଦରେ ଉଚ୍ଚସ୍ୱର କରି ଈଶ୍ବରଙ୍କ ପ୍ରଶଂସା କରୁ କରୁ କହିଲେ,
و میگفتند مبارک باد آن پادشاهی که میآید، به نام خداوند سلامتی در آسمان و جلال در اعلی علیین باد. | ۳۸ 38 |
ପ୍ରଭୁଙ୍କ ନାମରେ ଯେଉଁ ରାଜା ଆସୁଅଛନ୍ତି, ସେ ଧନ୍ୟ। ସ୍ୱର୍ଗରେ ଶାନ୍ତି ଓ ଊର୍ଦ୍ଧ୍ୱଲୋକରେ ମହିମା।
آنگاه بعضی از فریسیان از آن میان بدو گفتند: «ای استاد شاگردان خود را نهیب نما.» | ۳۹ 39 |
ସେଥିରେ ଲୋକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ କେତେ ଜଣ ଫାରୂଶୀ ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ, ହେ ଗୁରୁ, ଆପଣଙ୍କ ଶିଷ୍ୟମାନଙ୍କୁ ଧମକ ଦିଅନ୍ତୁ।
او درجواب ایشان گفت: «به شما میگویم اگراینها ساکت شوند، هرآینه سنگها به صداآیند.» | ۴۰ 40 |
ସେ ଉତ୍ତର ଦେଲେ, “ମୁଁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କହୁଅଛି, ଏମାନେ ତୁନି ହୋଇ ରହିଲେ, ପଥରଗୁଡ଼ାକ ପାଟି କରିବେ।”
و چون نزدیک شده، شهر را نظاره کرد برآن گریان گشته، | ۴۱ 41 |
ଆଉ ଯେତେବେଳେ ସେ ନିକଟକୁ ଆସିଲେ, ସେତେବେଳେ ନଗରକୁ ଦେଖି ତାହା ନିମନ୍ତେ ରୋଦନ କରି କହିଲେ,
گفت: «اگر تو نیز میدانستی هم در این زمان خود آنچه باعث سلامتی تومیشد، لاکن الحال از چشمان تو پنهان گشته است. | ۴۲ 42 |
“ତୁ, ହଁ, ତୁ ହିଁ ଯଦି ଆଜି ଶାନ୍ତିର ବିଷୟଗୁଡ଼ିକ ଜାଣିଥାଆନ୍ତୁ! ମାତ୍ର ଏବେ ସେଗୁଡ଼ିକ ତୋʼ ଦୃଷ୍ଟିରୁ ଗୁପ୍ତ ହୋଇ ରହିଅଛି।
زیرا ایامی بر تو میآید که دشمنانت گرد تو سنگرها سازند و تو را احاطه کرده از هرجانب محاصره خواهند نمود. | ۴۳ 43 |
ଯେତେବେଳେ ଈଶ୍ବର ତୋତେ ଉଦ୍ଧାର କରିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରୁଥିଲେ ତାହା ତୁ ନ ଜାଣିବା ହେତୁରୁ, ଯେଉଁ ସମୟରେ ତୋʼ ଶତ୍ରୁମାନେ ତୋର ଚାରିଆଡ଼େ ବନ୍ଧ ବାନ୍ଧି ତୋତେ ଘେରି ଅବରୋଧ କରିବେ,
و تو را وفرزندانت را در اندرون تو بر خاک خواهند افکندو در تو سنگی بر سنگی نخواهند گذاشت زیرا که ایام تفقد خود را ندانستی.» | ۴۴ 44 |
ପୁଣି, ତୋତେ ଓ ତୋʼ ମଧ୍ୟରେ ଥିବା ତୋʼ ସନ୍ତାନମାନଙ୍କୁ ଭୂମିରେ କଚାଡ଼ି ଚୂର୍ଣ୍ଣ କରିବେ, ଆଉ ତୋʼ ମଧ୍ୟରେ ଗୋଟିଏ ପଥରକୁ ଅନ୍ୟ ଗୋଟିଏ ପଥର ଉପରେ, ରହିବାକୁ ଦେବେ ନାହିଁ, ଏପରି ସମୟ ତୋʼ ଉପରେ ଆସିବ।”
و چون داخل هیکل شد، کسانی را که درآنجا خرید و فروش میکردند، به بیرون نمودن آغاز کرد. | ۴۵ 45 |
ଆଉ, ସେ ମନ୍ଦିରରେ ପ୍ରବେଶ କରି ବେପାରୀମାନଙ୍କୁ ବାହାର କରିବାକୁ ଲାଗିଲେ,
و به ایشان گفت: «مکتوب است که خانه من خانه عبادت است لیکن شما آن را مغاره دزدان ساختهاید.» | ۴۶ 46 |
“ଲେଖାଅଛି, ‘ଆମ୍ଭର ଗୃହ ପ୍ରାର୍ଥନାଗୃହ ହେବ,’ କିନ୍ତୁ ତୁମ୍ଭେମାନେ ତାହାକୁ ଦୁଷ୍କର୍ମକାରୀମାନଙ୍କର ବାସସ୍ଥାନ କରିଅଛ।”
و هر روز در هیکل تعلیم میداد، اما روسای کهنه و کاتبان و اکابر قوم قصدهلاک نمودن او میکردند. | ۴۷ 47 |
ଆଉ ସେ ପ୍ରତିଦିନ ମନ୍ଦିରରେ ଶିକ୍ଷା ଦେଉଥିଲେ, ମାତ୍ର ପ୍ରଧାନ ଯାଜକ ଓ ଶାସ୍ତ୍ରୀମାନେ ଲୋକଙ୍କର ନେତାମାନଙ୍କ ସହିତ ତାହାଙ୍କୁ ବିନାଶ କରିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କରୁଥିଲେ,
و نیافتند چه کنندزیرا که تمامی مردم بر او آویخته بودند که از اوبشنوند. | ۴۸ 48 |
କିନ୍ତୁ ଲୋକ ସମସ୍ତେ ଆଗ୍ରହରେ ତାହାଙ୍କ ଶିକ୍ଷା ଶୁଣୁଥିବାରୁ ସେମାନେ କଅଣ କରିବେ ବୋଲି ସ୍ଥିର କରିପାରୁ ନ ଥିଲେ।