< اشعیا 25 >
ای یهوه تو خدای من هستی پس تو راتسبیح میخوانم و نام تو را حمدمی گویم، زیرا کارهای عجیب کردهای وتقدیرهای قدیم تو امانت و راستی است. | ۱ 1 |
ऐ ख़ुदावन्द तू मेरा ख़ुदा है; मैं तेरी तम्जीद करूँगा; तेरे नाम की इबादत करूँगा क्यूँकि तूने 'अजीब काम किए हैं, तेरी मसलहत क़दीम से वफ़ादारी और सच्चाई हैं।
چونکه شهری را توده و قریه حصین را خرابه گردانیدهای و قصر غریبان را که شهر نباشد و هرگز بنا نگردد. | ۲ 2 |
क्यूँकि तूने शहर को ख़ाक का ढेर किया; हाँ, फ़सीलदार शहर को खण्डर बना दिया और परदेसियों के महल को भी, यहाँ तक कि शहर न रहा; वह फिर ता'मीर न किया जाएगा।
بنابراین قوم عظیم، تو را تمجید مینمایند وقریه امت های ستم پیشه از تو خواهند ترسید. | ۳ 3 |
इसलिए ज़बरदस्त लोग तेरी इबादत करेंगे और हैबतनाक क़ौमों का शहर तुझ से डरेगा।
چونکه برای فقیران قلعه و به جهت مسکینان درحین تنگی ایشان قلعه بودی و ملجا از طوفان وسایه از گرمی، هنگامی که نفخه ستمکاران مثل طوفان بر دیوار میبود. | ۴ 4 |
क्यूँकि तू ग़रीब के लिए क़िला' और मोहताज के लिए परेशानी के वक़्त मल्जा और ऑधी से पनाहगाह और गर्मी से बचाने को साया हुआ, जिस वक़्त ज़ालिमों की साँस दिवारकन तूफ़ान की तरह हो।
و غوغای غریبان را مثل گرمی در جای خشک فرود خواهی آورد و سرودستمکاران مثل گرمی از سایه ابر پست خواهدشد. | ۵ 5 |
तू परदेसियों के शोर को ख़ुश्क मकान की गर्मी की तरह दूर करेगा और जिस तरह अब्र के साये से गरमी हलाक होती है उसी तरह ज़ालिमों का शादियाना बजाना ख़त्म होगा।
و یهوه صبایوت در این کوه برای همه قوم هاضیافتی از لذایذ برپا خواهد نمود. یعنی ضیافتی از شرابهای کهنه از لذایذ پر مغز و از شرابهای کهنه مصفا. | ۶ 6 |
और रब्ब — उल — अफ़वाज इस पहाड़ पर सब क़ौमों के लिए फ़रबा चीज़ों से एक ज़ियाफ़त तैयार करेगा बल्कि एक ज़ियाफ़त तलछट पर से निथरी हुई मय से; हाँ फ़रबा चीज़ों से जो पुरमग़्ज़ हों और मय से जो तलछट पर से ख़ूब निथरी हुई हो।
و در این کوه روپوشی را که برتمامی قومها گسترده است و ستری را که جمیع امتها را میپوشاند تلف خواهد کرد. | ۷ 7 |
और वह इस पहाड़ पर उस पर्दे को, जो तमाम लोगों पर पड़ा है और उस नक़ाब को, जो सब क़ौमों पर लटक रहा है, दूर कर देगा।
و موت را تا ابدالاباد نابود خواهد ساخت و خداوند یهوه اشکها را از هرچهره پاک خواهد نمود و عار قوم خویش را از روی تمامی زمین رفع خواهد کردزیرا خداوند گفته است. | ۸ 8 |
वह मौत को हमेशा के लिए हलाक करेगा और ख़ुदावन्द खुदा सब के चहरों से आँसू पोंछ डालेगा, और अपने लोगों की रुस्वाई तमाम सरज़मीन पर से मिटा देगा; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने यह फ़रमाया है।
و در آن روز خواهند گفت: «اینک این خدای ما است که منتظر او بودهایم و ما را نجات خواهدداد. این خداوند است که منتظر او بودهایم پس از نجات او مسرور و شادمان خواهیم شد.» | ۹ 9 |
और उस वक़्त यूँ कहा जाएगा, लो, यह हमारा ख़ुदा है; हम उसकी राह तकते थे और वही हम को बचाएगा। यह ख़ुदावन्द है, हम उसके इन्तिज़ार में थे। हम उसकी नजात से ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम होंगे।
زیراکه دست خداوند بر این کوه قرار خواهد گرفت وموآب در مکان خود پایمال خواهد شد چنانکه کاه در آب مزبله پایمال میشود. | ۱۰ 10 |
क्यूँकि इस पहाड़ पर ख़ुदावन्द का हाथ बरक़रार रहेगा और मोआब अपनी ही जगह में ऐसा कुचला जाएगा जैसे मज़बले के पानी में घास कुचली जाती है।
و او دستهای خود را در میان آن خواهد گشاد مثل شناوری که به جهت شنا کردن دستهای خود را میگشاید وغرور او را با حیله های دستهایش پست خواهدگردانید. | ۱۱ 11 |
और वह उसमें उसकी तरह जो तैरते हुए हाथ फैलाता है, अपने हाथ फैलाएगा; लेकिन वह उसके ग़ुरूर को उसके हाथों के फ़न — धोखे के साथ पस्त करेगा।
و قلعه بلند حصارهایت را خم کرده، بزیر خواهد افکند و بر زمین با غبار یکسان خواهد ساخت. | ۱۲ 12 |
और वह तेरी फ़सील के ऊँचे बुर्जों को तोड़कर पस्त करेगा, और ज़मीन के बल्कि ख़ाक के बराबर कर देगा।