< اشعیا 17 >
وحی درباره دمشق: اینک دمشق از میان شهرها برداشته میشود و توده خراب خواهد گردید. | ۱ 1 |
दमिश्क़ के बारे में बार — ए — नबुव्वत, “देखो दमिश्क़ अब तो शहर न रहेगा, बल्कि खण्डर का ढेर होगा।
شهرهای عروعیر متروک میشود و به جهت خوابیدن گلهها خواهد بود و کسی آنها را نخواهد ترسانید. | ۲ 2 |
'अरो'ईर की बस्तियाँ वीरान हैं और ग़ल्लों की चरागाहें होंगी; वह वहाँ बैठेगे, और कोई उनके डराने को भी वहाँ न होगा।
و حصار از افرایم تلف خواهد شد و سلطنت ازدمشق و از بقیه ارام. و مثل جلال بنیاسرائیل خواهند بود زیرا که یهوه صبایوت چنین میگوید. | ۳ 3 |
और इफ़्राईम में कोई क़िला' न रहेगा, दमिश्क़ और अराम के बक़िए से सल्तनत जाती रहेगी; रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है, जो हाल बनी — इस्राईल की शौकत का हुआ वही उनका होगा।
و در آن روز جلال یعقوب ضعیف میشود و فربهی جسدش به لاغری تبدیل میگردد. | ۴ 4 |
और उस वक़्त यूँ होगा कि या'क़ूब की हश्मत घट जाएगी, और उसका चर्बीदार बदन दुबला हो जाएगा।
و چنان خواهد بود که دروگران زرع راجمع کنند و دستهای ایشان سنبلهها را درو کند. و خواهد بود مثل وقتی که در وادی رفایم سنبلهها را بچینند. | ۵ 5 |
यह ऐसा होगा जैसा कोई खड़े खेत काटकर ग़ल्ला जमा' करे और अपने हाथ से बालें तोड़े; बल्कि ऐसा होगा जैसा कोई रिफ़ाईम की वादी में ख़ोशाचीनी करे।
و خوشه های چند در آن باقی ماند و مثل وقتی که زیتون را بتکانند که دو یاسه دانه بر سر شاخه بلند و چهار یا پنج دانه برشاخچه های بارور آن باقی ماند. یهوه خدای اسرائیل چنین میگوید. | ۶ 6 |
ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा फ़रमाता है कि तब उसका बक़िया बहुत ही थोड़ा होगा, जैसे ज़ैतून के दरख़्त का जब वह हिलाया जाए, या'नी दो तीन दाने चोटी की शाख़ पर, चार पाँच फलवाले दरख़्त की बैरूनी शाख़ों पर।
در آن روز انسان بسوی آفریننده خود نظرخواهد کرد و چشمانش بسوی قدوس اسرائیل خواهد نگریست. | ۷ 7 |
उस रोज़ इंसान अपने ख़ालिक़ की तरफ़ नज़र करेगा और उसकी आँखें इस्राईल के क़ुद्दूस की तरफ़ देखेंगी;
و بسوی مذبح هایی که بهدستهای خود ساخته است نظر نخواهد کرد و به آنچه با انگشتهای خویش بنا نموده یعنی اشیریم و بتهای آفتاب نخواهد نگریست. | ۸ 8 |
और वह मज़बहों या'नी अपने हाथ के काम पर नज़र न करेगा, और अपनी दस्तकारी या'नी यसीरतों और बुतों की परवा न करेगा।
در آن روز شهرهای حصینش مثل خرابه هایی که در جنگل یا بر کوه بلند است خواهد شد که آنها را از حضور بنیاسرائیل واگذاشتند و ویران خواهد شد. | ۹ 9 |
उस वक़्त उसके फ़सीलदार शहर उजड़े जंगल और पहाड़ की चोटी पर के मक़ामात की तरह होंगे; जो बनी — इस्राईल के सामने उजड़ गए, और वहाँ वीरानी होगी।
چونکه خدای نجات خود را فراموش کردی و صخره قوت خویش را به یاد نیاوردی بنابراین نهالهای دلپذیرغرس خواهی نمود و قلمه های غریب را خواهی کاشت. | ۱۰ 10 |
चूँकि तूने अपने नजात देनेवाले ख़ुदा को फ़रामोश किया, और अपनी तवानाई की चट्टान को याद न किया; इसलिए तू ख़ूबसूरत पौधे लगाता और 'अजीब कलमें उसमें जमाता है।
در روزی که غرس مینمایی آن را نموخواهی داد و در صبح مزروع خود را به شکوفه خواهی آورد اما محصولش در روز آفت مهلک وحزن علاج ناپذیر بر باد خواهد رفت. | ۱۱ 11 |
लगाते वक़्त उसके चारों तरफ़ अहाता बनाता है, और सुबह को उसमें फूल खिलते हैं; लेकिन उसका हासिल दुख और सख़्त मुसीबत के वक़्त बेकार है।
وای بر شورش قوم های بسیار که مثل شورش دریا شورش مینمایند و خروش طوایفی که مثل خروش آبهای زورآور خروش میکنند. | ۱۲ 12 |
आह! बहुत से लोगों का हंगामा है! जो समन्दर के शोर की तरह शोर मचाते हैं, और उम्मतों का धावा बड़े सैलाब के रेले की तरह है।
طوایف مثل خروش آبهای بسیارمی خروشند اما ایشان را عتاب خواهد کرد و بهجای دور خواهند گریخت و مثل کاه کوهها دربرابر باد رانده خواهند شد و مثل غبار در برابرگردباد. | ۱۳ 13 |
उम्मतें सैलाब — ए — 'अज़ीम की तरह आ पड़ेंगी; लेकिन वह उनको डॉंटेगा, और वह दूर भाग जाएँगी, और उस भूसे की तरह जो टीलों के ऊपर आँधी से उड़ता फिरे और उस गर्द की तरह जो बगोले में चक्कर खाए रगेदी जाएँगी।
در وقت شام اینک خوف است و قبل از صبح نابود میشوند. نصیب تاراج کنندگان ما و حصه غارت نمایندگان ما همین است. | ۱۴ 14 |
शाम के वक़्त तो हैबत है! सुबह होने से पहले वह हलाक हैं! ये हमारे ग़ारतगरों का हिस्सा और हम को लूटनेवालों का हिस्सा है।