< خروج 14 >

و خداوند موسی را خطاب کرده، گفت: ۱ 1
और ख़ुदावन्द ने मूसा से फ़रमाया, कि
«به بنی‌اسرائیل بگو که برگردیده، برابر فم الحیروت در میان مجدل ودریا اردو زنند. و در مقابل بعل صفون، در برابر آن به کنار دریا اردو زنید. ۲ 2
“बनी — इस्राईल को हुक्म दे कि वह लौट कर मिजदाल और समुन्दर के बीच फ़ी हख़ीरोत के सामने बाल — सफ़ोन के आगे ख़ेमे लगाएँ, उसी के आगे समुन्दर के किनारे किनारे ख़ेमें लगाना।
و فرعون درباره بنی‌اسرائیل خواهد گفت: در زمین گرفتارشده‌اند، و صحرا آنها را محصور کرده است. ۳ 3
फ़िर'औन बनी — इस्राईल के हक़ में कहेगा कि वह ज़मीन की उलझनों में आकर वीरान में घिर गए हैं।
ودل فرعون را سخت گردانم تا ایشان را تعاقب کند، و در فرعون و تمامی لشکرش جلال خود راجلوه دهم، تا مصریان بدانند که من یهوه هستم.» پس چنین کردند. ۴ 4
और मैं फ़िर'औन के दिल को सख़्त करूँगा और वह उनका पीछा करेगा, और मैं फ़िर'औन और उसके सारे लश्कर पर मुम्ताज़ हूँगा और मिस्री जान लेंगे कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।” और उन्होंने ऐसा ही किया।
و به پادشاه مصر گفته شد که قوم فرار کردند، و دل فرعون و بندگانش بر قوم متغیر شد، پس گفتند: «این چیست که کردیم که بنی‌اسرائیل را از بندگی خود رهایی دادیم؟» ۵ 5
जब मिस्र के बादशाह को ख़बर मिली कि वह लोग चल दिए, तो फ़िर'औन और उसके खादिमों का दिल उन लोगों की तरफ़ से फिर गया, और वह कहने लगे कि हम ने यह क्या किया, कि इस्राईलियों को अपनी ख़िदमत से छुट्टी देकर उनको जाने दिया?
پس ارابه خود را بیاراست، و قوم خود را با خودبرداشت، ۶ 6
तब उसने अपना रथ तैयार करवाया और अपनी क़ौम के लोगों को साथ लिया,
و ششصد ارابه برگزیده برداشت، وهمه ارابه های مصر را و سرداران را بر جمیع آنها. ۷ 7
और उसने छ: सौ चुने हुए रथ बल्कि मिस्र के सब रथ लिए और उन सभों में सरदारों को बिठाया।
و خداوند دل فرعون، پادشاه مصر را سخت ساخت تا بنی‌اسرائیل را تعاقب کرد، وبنی‌اسرائیل به‌دست بلند بیرون رفتند. ۸ 8
और ख़ुदावन्द ने मिस्र के बादशाह फ़िर'औन के दिल को सख़्त कर दिया और उसने बनी इस्राईल का पीछा किया, क्यूँकि बनी — इस्राईल बड़े फ़ख़्र से निकले थे।
و مصریان با تمامی اسبان و ارابه های فرعون و سوارانش و لشکرش در عقب ایشان تاخته، بدیشان دررسیدند، وقتی که به کنار دریا نزدفم الحیروت، برابر بعل صفون فرود آمده بودند. ۹ 9
और मिस्री फ़ौज ने फ़िर'औन के सब घोड़ों और रथों और सवारों समेत उनका पीछा किया और उनको जब वह समुन्दर के किनारे फ़ी — हख़ीरोत के पास बाल सफ़ोन के सामने ख़ेमा लगा रहे थे जा लिया।
و چون فرعون نزدیک شد، بنی‌اسرائیل چشمان خود را بالا کرده، دیدند که اینک مصریان از عقب ایشان می‌آیند. پس بنی‌اسرائیل سخت بترسیدند، و نزد خداوند فریاد برآوردند. ۱۰ 10
और जब फ़िर'औन नज़दीक आ गया तब बनी — इस्राईल ने आँख उठा कर देखा कि मिस्री उनका पीछा किए चले आते हैं, और वह बहुत ख़ौफ़ज़दा हो गए। तब बनी — इस्राईल ने ख़ुदावन्द से फ़रियाद की,
و به موسی گفتند: «آیا در مصر قبرها نبود که ما رابرداشته‌ای تا در صحرا بمیریم؟ این چیست به ماکردی که ما را از مصر بیرون آوردی؟ ۱۱ 11
और मूसा से कहने लगे, “क्या मिस्र में क़ब्रे न थीं जो तू हम को वहाँ से मरने के लिए वीराने में ले आया है? तूने हम से यह क्या किया कि हम को मिस्र से निकाल लाया?
آیا این آن سخن نیست که به تو در مصر گفتیم که ما رابگذار تا مصریان را خدمت کنیم؟ زیرا که ما راخدمت مصریان بهتر است از مردن در صحرا!» ۱۲ 12
क्या हम तुझ से मिस्र में यह बात न कहते थे कि हम को रहने दे कि हम मिस्रियों की ख़िदमत करें? क्यूँकि हमारे लिए मिस्रियों की ख़िदमत करना वीराने में मरने से बेहतर होता।”
موسی به قوم گفت: «مترسید. بایستید و نجات خداوند را ببینید، که امروز آن را برای شماخواهد کرد، زیرا مصریان را که امروز دیدید تا به ابد دیگر نخواهید دید. ۱۳ 13
तब मूसा ने लोगों से कहा, “डरो मत, चुपचाप खड़े होकर ख़ुदावन्द की नजात के काम को देखो जो वह आज तुम्हारे लिए करेगा। क्यूँकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो उनको फिर कभी हमेशा तक न देखोगे।
خداوند برای شماجنگ خواهد کرد و شما خاموش باشید.» ۱۴ 14
ख़ुदावन्द तुम्हारी तरफ़ से जंग करेगा और तुम ख़ामोश रहोगे।”
و خداوند به موسی گفت: «چرا نزد من فریاد می‌کنی؟ بنی‌اسرائیل را بگو که کوچ کنند. ۱۵ 15
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, कि तू क्यूँ मुझ से फ़रियाद कर रहा है? बनी — इस्राईल से कह कि वह आगे बढ़ें।
و اما تو عصای خود را برافراز و دست خود رابر دریا دراز کرده، آن را منشق کن، تا بنی‌اسرائیل از میان دریا بر خشکی راه سپر شوند. ۱۶ 16
और तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ा और उसे दो हिस्से कर, और बनी इस्राईल समुन्दर के बीच में से ख़ुश्क ज़मीन पर चल कर निकल जाएँगे।
و اما من اینک، دل مصریان را سخت می‌سازم، تا از عقب ایشان بیایند، و از فرعون و تمامی لشکر او وارابه‌ها و سوارانش جلال خواهم یافت. ۱۷ 17
और देख, मिस्रियों के दिल सख़्त कर दूँगा और वह उनका पीछा करेंगे, और मैं फ़िर'औन और उसकी सिपाह और उसके रथों और सवारों पर मुम्ताज़ हूँगा।
ومصریان خواهند دانست که من یهوه هستم، وقتی که از فرعون و ارابه هایش و سوارانش جلال یافته باشم.» ۱۸ 18
और जब मैं फ़िर'औन और उसके रथों और सवारों पर मुम्ताज़ हो जाउँगा तो मिस्री जान लेंगे कि मैं ही ख़ुदावन्द हूँ।
و فرشته خدا که پیش اردوی اسرائیل می‌رفت، حرکت کرده، از عقب ایشان خرامید، وستون ابر از پیش ایشان نقل کرده، در عقب ایشان بایستاد. ۱۹ 19
और ख़ुदा उसका फ़रिश्ता जो इस्राईली लश्कर के आगे — आगे चला करता था जा कर उनके पीछे हो गया और बादल का वह सुतून उनके सामने से हट कर उनके पीछे जा ठहरा।
و میان اردوی مصریان و اردوی اسرائیل آمده، از برای آنها ابر و تاریکی می‌بود، واینها را در شب روشنایی می‌داد که تمامی شب نزدیک یکدیگر نیامدند. ۲۰ 20
इस तरह वह मिस्रियों के लश्कर और इस्राईली लश्कर के बीच में हो गया, तब वहाँ बादल भी था और अन्धेरा भी तो भी रात को उससे रौशनी रही। तब वह रात भर एक दूसरे के पास नहीं आए।
پس موسی دست خود را بر دریا دراز کرد و خداوند دریا را به بادشرقی شدید، تمامی آن شب برگردانیده، دریا راخشک ساخت و آب منشق گردید. ۲۱ 21
फिर मूसा ने अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ाया और ख़ुदावन्द ने रात भर तुन्द पूरबी आँधी चला कर और समुन्दर को पीछे हटा कर उसे ख़ुश्क ज़मीन बना दिया और पानी दो हिस्से हो गया।
وبنی‌اسرائیل در میان دریا بر خشکی می‌رفتند وآبها برای ایشان بر راست و چپ، دیوار بود. ۲۲ 22
और बनी — इस्राईल समुन्दर के बीच में से ख़ुश्क ज़मीन पर चल कर निकल गए और उनके दाहने और बाएँ हाथ पानी दीवार की तरह था।
ومصریان با تمامی اسبان و ارابه‌ها و سواران فرعون از عقب ایشان تاخته، به میان دریا درآمدند. ۲۳ 23
और मिस्रियों ने पीछा किया और फ़िर'औन सब घोडे़ और रथ और सवार उनके पीछे — पीछे समुन्दर के बीच में चले गए।
ودر پاس سحری واقع شد که خداوند بر اردوی مصریان از ستون آتش و ابر نظر انداخت، واردوی مصریان را آشفته کرد. ۲۴ 24
और रात के पिछले पहर ख़ुदावन्द ने आग और बादल के सुतून में से मिस्रियों के लश्कर पर नज़र कीऔर उनके लश्कर को घबरा दिया।
و چرخهای ارابه های ایشان را بیرون کرد، تا آنها را به سنگینی برانند و مصریان گفتند: «از حضور بنی‌اسرائیل بگریزیم! زیرا خداوند برای ایشان با مصریان جنگ می‌کند.» ۲۵ 25
और उसने उनके रथों के पहियों को निकाल डाला इसलिए उनका चलना मुश्किल हो गया तब मिस्री कहने लगे, “आओ, हम इस्राईलियों के सामने से भागें, क्यूँकि ख़ुदावन्द उनकी तरफ़ से मिस्रियों के साथ जंग करता है।”
و خداوند به موسی گفت: «دست خود را بردریا دراز کن، تا آبها بر مصریان برگردد، و برارابه‌ها و سواران ایشان.» ۲۶ 26
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, कि अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ा, ताकि पानी मिस्रियों और उनके रथों और सवारों पर फिर बहने लगे।
پس موسی دست خود را بر دریا دراز کرد، و به وقت طلوع صبح، دریا به جریان خود برگشت، و مصریان به مقابلش گریختند، و خداوند مصریان را در میان دریا به زیر انداخت. ۲۷ 27
और मूसा ने अपना हाथ समुन्दर के ऊपर बढ़ाया, और सुबह होते होते समुन्दर फिर अपनी असली ताक़त पर आ गया; और मिस्री उल्टे भागने लगे और ख़ुदावन्द ने समुन्दर के बीच ही में मिस्रियों को हलाक कर दिया।
و آبها برگشته، عرابه‌ها و سواران و تمام لشکر فرعون را که از عقب ایشان به دریادرآمده بودند، پوشانید، که یکی از ایشان هم باقی نماند. ۲۸ 28
और पानी पलट कर आया और उसने रथों और सवारों और फ़िर'औन सारे लश्कर जो इस्राईलियों का पीछा करता हुआ समुन्दर में गया था डुबो दिया और उसमे से एक भी बाक़ी न छोड़ा।
اما بنی‌اسرائیل در میان دریا به خشکی رفتند، و آبها برای ایشان دیواری بود به طرف راست و به طرف چپ. ۲۹ 29
लेकिन बनी — इस्राईल समुन्दर के बीच में ख़ुश्क ज़मीन पर चलकर निकल गए और पानी उनके दहने और बाएँ हाथ दीवार की तरह रहा।
و در آن روز خداونداسرائیل را از دست مصریان خلاصی داد واسرائیل مصریان را به کنار دریا مرده دیدند. ۳۰ 30
फिर ख़ुदावन्द ने उस दिन इस्राईलियों को मिस्रियों को हाथ से इस तरह बचाया, और इस्राईलियों ने मिस्रियों को समुन्दर के किनारे मरे हुए पड़े देखा।
واسرائیل آن کار عظیمی را که خداوند به مصریان کرده بود دیدند، و قوم از خداوند ترسیدند، و به خداوند و به بنده او موسی ایمان آوردند. ۳۱ 31
और इस्राईलियों ने बड़ी क़ुदरत जो ख़ुदावन्द ने मिस्रियों पर ज़ाहिर की देखी, और वह लोग ख़ुदावन्द से डर गये और ख़ुदावन्द पर और उसके बन्दे मूसा पर ईमान लाए।

< خروج 14 >