< دانیال 4 >

از نبوکدنصر پادشاه، به تمامی قومها و امت‌ها و زبانها که بر تمامی زمین ساکنندسلامتی شما افزون باد! ۱ 1
नबूकदनज़र बादशाह की तरफ़ से तमाम लोगों, उम्मतों और अहल — ए — ज़ुबान के लिए जो तमाम इस ज़मीन पर रहते हैं: तुम्हारी सलामती होती रहे।
من مصلحت دانستم که آیات و عجایبی را که خدای تعالی به من نموده است بیان نمایم. ۲ 2
मैने मुनासिब जाना कि उन निशानों और 'अजायब को ज़ाहिर करूँ जो ख़ुदा — त'आला ने मुझ पर ज़ाहिर किए हैं।
آیات او چه قدر بزرگ وعجایب او چه قدر عظیم است. ملکوت اوملکوت جاودانی است و سلطنت او تا ابدالاباد. ۳ 3
उसके निशान कैसे 'अज़ीम, और उसके 'अजायब कैसे पसंदीदा हैं! उसकी ममलुकत हमेशा की ममलुकत है, और उसकी सल्तनत नसल — दर — नसल।
من که نبوکدنصر هستم در خانه خود مطمئن ودر قصر خویش خرم می‌بودم. ۴ 4
मैं, नबूकदनज़र, अपने घर में मुतम'इन और अपने महल में कामयाब था।
خوابی دیدم که مرا ترسانید و فکرهایم در بسترم و رویاهای سرم مرا مضطرب ساخت. ۵ 5
मैने एक ख़्वाब देखा, जिससे मैं परेशान हो गया और उन ख़्यालात से जो मैने पलंग पर किए और उन ख़्यालों से जो मेरे दिमाग़ में आए, मुझे परेशानी हुई।
پس فرمانی از من صادرگردید که جمیع حکیمان بابل را به حضورم بیاورند تا تعبیر خواب را برای من بیان نمایند. ۶ 6
इसलिए मैने फ़रमान जारी किया कि बाबुल के तमाम हकीम मेरे सामने हाज़िर किए जाएँ, ताकि मुझसे उस ख़्वाब की ता'बीर बयान करें।
آنگاه مجوسیان و جادوگران و کلدانیان ومنجمان حاضر شدند و من خواب را برای ایشان بازگفتم لیکن تعبیرش را برای من بیان نتوانستندنمود. ۷ 7
चुनाँचे जादूगर और नजूमी और कसदी और फ़ालगीर हाज़िर हुए, और मैने उनसे अपने ख़्वाब का बयान किया, पर उन्होंने उसकी ता'बीर मुझ से बयान न की।
بالاخره دانیال که موافق اسم خدای من به بلطشصر مسمی است و روح خدایان قدوس دراو می‌باشد، درآمد و خواب را به او باز‌گفتم. ۸ 8
आख़िरकार दानीएल मेरे सामने आया, जिसका नाम बेल्तशज़र है, जो मेरे मा'बूद का भी नाम है, उसमें मुक़द्दस इलाहों की रूह है; इसलिए मैने उसके आमने — सामने ख़्वाब का बयान किया और कहा:
که «ای بلطشصر، رئیس مجوسیان، چون می‌دانم که روح خدایان قدوس در تو می‌باشد و هیچ سری برای تو مشکل نیست، پس خوابی که دیده‌ام وتعبیرش را به من بگو. ۹ 9
ऐ बेल्तशज़र, जादूगरों के सरदार, चूँकि मैं जानता हूँ कि मुक़द्दस इलाहों की रूह तुझमे है, और कि कोई राज़ की बात तेरे लिए मुश्किल नहीं; इसलिए जो ख़्वाब मैने देखा उसकी कैफ़ियत और ता'बीर बयान कर।
رویاهای سرم در بسترم این بود که نظرکردم و اینک درختی در وسط زمین که ارتفاعش عظیم بود. ۱۰ 10
पलंग पर मेरे दिमाग़ की रोया ये थी: मैने निगाह की और क्या देखता हूँ कि ज़मीन के तह में एक निहायत ऊँचा दरख़्त है।
این درخت بزرگ و قوی گردید وبلندیش تا به آسمان رسید و منظرش تا اقصای تمامی زمین بود. ۱۱ 11
वह दरख़्त बढ़ा और मज़बूत हुआ और उसकी चोटी आसमान तक पहुँची, और वह ज़मीन की इन्तिहा तक दिखाई देने लगा।
برگهایش جمیل و میوه‌اش بسیار و آذوقه برای همه در آن بود. حیوانات صحرا در زیر آن سایه گرفتند و مرغان هوا برشاخه هایش ماوا گزیدند و تمامی بشر از آن پرورش یافتند. ۱۲ 12
उसके पत्ते खु़शनुमा थे और मेवा फ़िरावान था, और उसमें सबके लिए ख़ुराक थी; मैदान के जानवर उसके साये में और हवा के परिन्दे उसकी शाखों पर बसेरा करते थे, और तमाम बशर ने उस से परवरिश पाई।
در رویاهای سرم در بسترم نظر کردم و اینک پاسبانی و مقدسی از آسمان نازل شد، ۱۳ 13
“मैने अपने पलंग पर अपनी दिमाग़ी रोया पर निगाह की, और क्या देखता हूँ कि एक निगहबान, हाँ एक फ़रिश्ता आसमान से उतरा।
که به آواز بلند ندا درداد و چنین گفت: درخت را ببرید و شاخه هایش را قطع نمایید و برگهایش را بیفشانید و میوه هایش راپراکنده سازید تا حیوانات از زیرش و مرغان ازشاخه هایش آواره گردند. ۱۴ 14
उसने बलन्द आवाज़ से पुकार कर यूँ कहा कि 'दरख़्त को काटो, उसकी शाखें तराशो, और उसके पत्ते झाड़ो, और उसका फल बिखेर दो; जानवर उसके नीचे से चले जाएँ और परिन्दे उसकी शाखों पर से उड़ जाएँ।
لیکن کنده ریشه هایش را با بند آهن و برنج در زمین در میان سبزه های صحرا واگذارید و از شبنم آسمان ترشود و نصیب او از علف زمین با حیوانات باشد. ۱۵ 15
लेकिन उसकी जड़ों का हिस्सा ज़मीन में बाक़ी रहने दो, हाँ, लोहे और ताँम्बे के बन्धन से बन्धा हुआ मैदान की हरी घास में रहने दो, और वह आसमान की शबनम से तर हो, और उसका हिस्सा ज़मीन की घास में हैवानों के साथ हो।
دل او از انسانیت تبدیل شود و دل حیوان را به او بدهند و هفت زمان براو بگذرد. ۱۶ 16
उसका दिल इंसान का दिल न रहे, बल्कि उसको हैवान का दिल दिया जाए; और उस पर सात दौर गुज़र जाएँ।
این امر ازفرمان پاسبانان شده و این حکم از کلام مقدسین گردیده است تا زندگان بدانند که حضرت متعال بر ممالک آدمیان حکمرانی می‌کند و آن را بهرکه می‌خواهد می‌دهد و پست‌ترین مردمان را بر آن نصب می‌نماید. ۱۷ 17
यह हुक्म निगहबानों के फ़ैसले से है, और यह हुक्म फ़रिश्तों के कहने के मुताबिक़ है, ताकि सब जानदार पहचान लें कि हक़ त'आला आदमियों की ममलुकत में हुक्मरानी करता है और जिसको चाहता है उसे देता है, बल्कि आदमियों में से अदना आदमी को उस पर क़ायम करता है।
این خواب را من که نبوکدنصرپادشاه هستم دیدم و تو‌ای بلطشصر تعبیرش رابیان کن زیرا که تمامی حکیمان مملکتم نتوانستندمرا از تعبیرش اطلاع دهند، اما تو می‌توانی چونکه روح خدایان قدوس در تو می‌باشد.» ۱۸ 18
मैं नबूकदनज़र बादशाह ने यह ख़्वाब देखा है। ऐ बेल्तशज़र, तू इसकी ता'बीर बयान कर, क्यूँकि मेरी ममलुकत के तमाम हकीम मुझसे उसकी ता'बीर बयान नहीं कर सकते, लेकिन तू कर सकता है; क्यूँकि मुक़द्दस इलाहों की रूह तुझमें मौजूद है।”
آنگاه دانیال که به بلطشصر مسمی می‌باشد، ساعتی متحیر ماند و فکرهایش او رامضطرب ساخت. پس پادشاه متکلم شده، گفت: «ای بلطشصر خواب و تعبیرش تو را مضطرب نسازد.» بلطشصر در جواب گفت: «ای آقای من! خواب از برای دشمنانت و تعبیرش از برای خصمانت باشد. ۱۹ 19
तब दानीएल जिसका नाम बेल्तशज़र है, एक वक़्त तक ख़ामोश रहा, और अपने ख़्यालात में परेशान हुआ। बादशाह ने उससे कहा, ऐ बेल्तशज़र, ख़्वाब और उसकी ता'बीर से तू परेशान न हो। बेल्तशज़र ने जवाब दिया, ऐ मेरे ख़ुदावन्द, ये ख़्वाब तुझसे कीना रखने वालों के लिए और उसकी ता'बीर तेरे दुश्मनों के लिए हो!
درختی که دیدی که بزرگ وقوی گردید و ارتفاعش تا به آسمان رسید ومنظرش به تمامی زمین ۲۰ 20
वह दरख़्त जो तूने देखा कि बढ़ा और मज़बूत हुआ, जिसकी चोटी आसमान तक पहुँची और ज़मीन की इन्तिहा तक दिखाई देता था;
و برگهایش جمیل و میوه‌اش بسیار و آذوقه برای همه در آن بود وحیوانات صحرا زیرش ساکن بودند و مرغان هوادر شاخه هایش ماوا گزیدند، ۲۱ 21
जिसके पत्ते ख़ुशनुमा थे और मेवा फ़रावान था, जिसमें सबके लिए ख़ुराक थी। जिसके साये में मैदान के जानवर और शाखों पर हवा के परिन्दे बसेरा करते थे।
‌ای پادشاه آن درخت تو هستی زیرا که تو بزرگ و قوی گردیده‌ای و عظمت تو چنان افزوده شده است که به آسمان رسیده و سلطنت تو تا به اقصای زمین. ۲۲ 22
ऐ बादशाह, वह तू ही है जो बढ़ा और मज़बूत हुआ, क्यूँकि तेरी बुज़ुर्गी बढ़ी और आसमान तक पहुँची और तेरी सल्तनत ज़मीन की इन्तिहा तक।
و چونکه پادشاه پاسبانی و مقدسی را دید که ازآسمان نزول نموده، گفت: درخت را ببرید و آن راتلف سازید، لیکن کنده ریشه هایش را با بند آهن و برنج در زمین در میان سبزه های صحراواگذارید و از شبنم آسمان تر شود و نصیبش باحیوانات صحرا باشد تا هفت زمان بر آن بگذرد، ۲۳ 23
और जो बादशाह ने देखा कि एक निगहबान, यहाँ, एक फ़रिश्ता आसमान से उतरा और कहने लगा, 'दरख़्त को काट डालों और उसे बर्बाद करो, लेकिन उसकी जड़ों का हिस्सा ज़मीन में बाक़ी रहने दो; बल्कि उसे लोहे और ताँम्बे के बन्धन से बन्धा हुआ, मैदान की हरी घास में रहने दो कि वह आसमान की शबनम से तर हो, और जब तक उस पर सात दौर न गुज़र जाएँ उसका हिस्सा ज़मीन के हैवानों के साथ हो।
‌ای پادشاه تعبیر این است و فرمان حضرت متعال که بر آقایم پادشاه وارد شده است همین است، ۲۴ 24
ऐ बादशाह, इसकी ता'बीर और हक़ — त'आला का वह हुक्म, जो बदशाह मेरे ख़ुदावन्द के हक़ में हुआ है यही है,
که تو را از میان مردمان خواهند راند ومسکن تو با حیوانات صحرا خواهد بود و تو رامثل گاوان علف خواهند خورانید و تو را از شبنم آسمان تر خواهند ساخت و هفت زمان بر توخواهد گذشت تا بدانی که حضرت متعال برممالک آدمیان حکمرانی می‌کند و آن را بهر‌که می‌خواهد عطا می‌فرماید. ۲۵ 25
कि तुझे आदमियों में से हाँक कर निकाल देंगे, और तू मैदान के हैवानों के साथ रहेगा, और तू बैल की तरह घास खाएगा और आसमान की शबनम से तर होगा, और तुझ पर सात दौर गुज़र जाएँगे, तब तुझको मा'लूम होगा कि हक़ त'आला इंसान की ममलुकत में हुक्मरानी करता है और उसे जिसको चाहता है देता है।
و چون گفتند که کنده ریشه های درخت را واگذارید، پس سلطنت تو برایت برقرار خواهد ماند بعد از آنکه دانسته باشی که آسمانها حکمرانی می‌کنند. ۲۶ 26
और यह जो उन्होंने हुक्म किया कि दरख़्त की जड़ों के हिस्से को बाक़ी रहने दो, उसका मतलब ये है कि जब तू मा'लूम कर चुकेगा कि बादशाही का इख़्तियार आसमान की तरफ़ से है, तो तू अपनी सल्तनत पर फिर क़ायम हो जाएगा।
لهذا‌ای پادشاه نصیحت من تو را پسند آید و گناهان خودرا به عدالت و خطایای خویش را به احسان نمودن بر فقیران فدیه بده که شاید باعث طول اطمینان تو باشد.» ۲۷ 27
इसलिए ऐ बादशाह, तेरे सामने मेरी सलाह क़ुबूल हो और तू अपनी ख़ताओं को सदाक़त से और अपनी बदकिरदारी को मिस्कीनों पर रहम करने से दूर कर, मुम्किन है इससे तेरा इत्मिनान ज़्यादा हो।
این همه بر نبوکدنصرپادشاه واقع شد. ۲۸ 28
यह सब कुछ नबूकदनज़र बादशाह पर गुज़रा।
بعد از انقضای دوازده ماه او بالای قصرخسروی در بابل می‌خرامید. ۲۹ 29
एक साल बाद वह बाबुल के शाही महल में टहल रहा था।
و پادشاه متکلم شده، گفت: «آیا این بابل عظیم نیست که من آن را برای خانه سلطنت به توانایی قوت و حشمت جلال خود بنا نموده‌ام؟» ۳۰ 30
बादशाह ने फ़रमाया, “क्या यह बाबुल — ए — आज़म नहीं, जिसको मैने अपनी तवानाई की कु़दरत से ता'मीर किया है कि दार — उस — सल्तनत और मेरे जाह — ओ — जलाल का नमूना हो?”
این سخن هنوز برزبان پادشاه بود که آوازی از آسمان نازل شده، گفت: «ای پادشاه نبوکدنصر به تو گفته می‌شود که سلطنت از تو گذشته است. ۳۱ 31
बादशाह यह बात कह ही रहा था कि आसमान से आवाज़ आई, ऐ नबूकदनज़र बादशाह, तेरे हक़ में यह फ़तवा है कि सल्तनत तुझ से जाती रही।
و تو را از میان مردم خواهند راند و مسکن تو با حیوانات صحراخواهد بود و تو را مثل گاوان علف خواهندخورانید و هفت زمان بر تو خواهد گذشت تابدانی که حضرت متعال بر ممالک آدمیان حکمرانی می‌کند و آن را بهر‌که می‌خواهدمی دهد.» ۳۲ 32
और तुझे आदमियों में से हाँक कर निकाल देंगे, और तू मैदान के हैवानों के साथ रहेगा और बैल की तरह घास खाएगा, और सात दौर तुझ पर गुज़ेरेंगे, तब तुझको मा'लूम होगा कि हक़ त'आला आदमियों की ममलुकत में हुक्मरानी करता है, और उसे जिसको चाहता है, देता है।
در همان ساعت این امر بر نبوکدنصر واقع شد و از میان مردمان رانده شده، مثل گاوان علف می‌خورد و بدنش از شبنم آسمان تر می‌شد تامویهایش مثل پرهای عقاب بلند شد وناخنهایش مثل چنگالهای مرغان گردید. ۳۳ 33
उसी वक़्त नबूकदनज़र बादशाह पर यह बात पूरी हुई, और वह आदमियों में से निकाला गया और बैलों की तरह घास खाता रहा और उसका बदन आसमान की शबनम से तर हुआ, यहाँ तक कि उसके बाल उक़ाब के परों की तरह और उसके नाख़ून परिन्दों के चँगुल की तरह बढ़ गए।
و بعد از انقضای آن ایام من که نبوکدنصرهستم، چشمان خود را بسوی آسمان برافراشتم و عقل من به من برگشت و حضرت متعال رامتبارک خواندم و حی سرمدی را تسبیح و حمدگفتم زیرا که سلطنت او سلطنت جاودانی وملکوت او تا ابدالاباد است. ۳۴ 34
और इन दिनों के गुज़रने के बा'द, मैं नबूकदनज़र ने आसमान की तरफ़ आँखें उठाई और मेरी 'अक़्ल मुझमे फिर आई और मैने हक़ — त'आला का शुक्र किया, और उस हय्युल — क़य्यूम की बड़ाई — ओ — सना की, जिसकी सल्तनत हमेशा और जिसकी ममलुकत नसल — दर — नसल है।
و جمیع ساکنان جهان هیچ شمرده می‌شوند و با جنود آسمان وسکنه جهان بر وفق اراده خود عمل می‌نماید وکسی نیست که دست او را باز‌دارد یا او را بگویدکه چه می‌کنی. ۳۵ 35
और ज़मीन के तमाम बाशिन्दे नाचीज़ गिने जाते हैं और वह आसमानी लश्कर और ज़मीन के रहने वालों के साथ जो कुछ चाहता है करता है; और कोई नहीं जो उसका हाथ रोक सके। या उससे कहे कि “तू क्या करता है?”
در همان زمان عقل من به من برگشت و به جهت جلال سلطنت من حشمت وزینتم به من باز داده شد و مشیرانم و امرایم مراطلبیدند و بر سلطنت خود استوار گردیدم وعظمت عظیمی بر من افزوده شد. ۳۶ 36
उसी वक़्त मेरी 'अक़्ल मुझ में फिर आई, और मेरी सल्तनत की शौकत के लिए मेरा रौ'ब और दबदबा फिर मुझमे बहाल हो गया, और मेरे सलाहकारों और अमीरों ने मुझे फिर ढूँडा और मैं अपनी ममलुकत में क़ाईम हुआ और मेरी 'अज़मत में अफ़ज़ूनी हुई।
الان من که نبوکدنصر هستم پادشاه آسمانها را تسبیح وتکبیر و حمد می‌گویم که تمام کارهای او حق و طریق های وی عدل است و کسانی که با تکبر راه می‌روند، او قادر است که ایشان را پست نماید. ۳۷ 37
अब मैं नबूकदनज़र, आसमान के बादशाह की बड़ाई और 'इज़्ज़त — ओ — ता'ज़ीम करता हूँ, क्यूँकि वह अपने सब कामों में रास्त और अपनी सब राहों में 'इन्साफ़ करता है; और जो मग़रूरी में चलते हैं उनको ज़लील कर सकता है।

< دانیال 4 >