< دوم سموئیل 9 >

و داود گفت: «آیا از خاندان شاول کسی تابه حال باقی است تا به‌خاطر یوناتان او رااحسان نمایم؟» ۱ 1
फिर दाऊद ने कहा, “क्या साऊल के घराने में से कोई बाक़ी है, जिस पर मैं यूनतन की ख़ातिर महेरबानी करूँ।”
و از خاندان شاول خادمی مسمی به صیبا بود، پس او را نزد داود خواندند وپادشاه وی را گفت: «آیا تو صیبا هستی؟» گفت: «بنده تو هستم.» ۲ 2
और साऊल के घराने का एक ख़ादिम जिसका नाम ज़ीबा था, उसे दाऊद के पास बुला लाये, बादशाह ने उससे कहा, “क्या तू ज़ीबा है?” उसने कहा, “हाँ तेरा बन्दा वही है।”
پادشاه گفت: «آیا تا به حال ازخاندان شاول کسی هست تا او را احسان خدایی نمایم؟» صیبا در جواب پادشاه گفت: «یوناتان راتا به حال پسری لنگ باقی است.» ۳ 3
तब बादशाह ने उससे कहा, “क्या साऊल के घराने में से कोई नहीं रहता ताकि मैं उसपर ख़ुदा की तरह महेरबानी करूं?” ज़ीबा ने बादशाह से कहा, “यूनतन का एक बेटा रह गया है जो लंगड़ा है।”
پادشاه از وی پرسید که «او کجاست؟» صیبا به پادشاه گفت: «اینک او در خانه ماکیر بن عمیئیل در لودباراست.» ۴ 4
तब बादशाह ने उससे पूछा, “वह कहाँ है?” ज़ीबा ने बादशाह को जवाब दिया, “देख वह लूदबार में अम्मी ऐल के बेटे मकीर के घर में है।”
و داود پادشاه فرستاده، او را از خانه ماکیر بن عمیئیل از لودبار گرفت. ۵ 5
तब दाऊद बादशाह ने लोग भेज कर लूदबार से अम्मी ऐल के बेटे मकीर के घर से उसे बुलवा लिया।
پس مفیبوشت بن یوناتان بن شاول نزد داودآمده، به روی در‌افتاده، تعظیم نمود. و داود گفت: «ای مفیبوشت!» گفت: «اینک بنده تو.» ۶ 6
और साऊल के बेटे यूनतन का बेटा मिफ़ीबोसत दाऊद के पास आया, और उसने मुँह के बल गिरकर सिज्दा किया, तब दाऊद ने कहा, मिफ़ीबोसत! “उसने जवाब दिया, तेरा बन्दा हाज़िर है।”
داود وی را گفت: «مترس! زیرا به‌خاطر پدرت یوناتان برتو البته احسان خواهم نمود و تمامی زمین پدرت شاول را به تو رد خواهم کرد، و تو دائم بر سفره من نان خواهی خورد.» ۷ 7
दाऊद ने उससे कहा, “मत डर क्यूँकि मैं तेरे बाप यूनतन की ख़ातिर ज़रुर तुझ पर महेरबानी करूँगा, और तेरे बाप साऊल की ज़मीन पर तुझे फेर दूँगा, और तू हमेशा मेरे दस्तरख़्वान पर खाना खाया कर।”
پس او تعظیم کرده، گفت که «بنده تو چیست که بر سگ مرده‌ای مثل من التفات نمایی؟» ۸ 8
तब उसने सिज्दा किया और कहा, “कि तेरा बन्दा है क्या चीज़ जो तू मुझ जैसे मरे कुत्ते पर निगाह करे?”
و پادشاه، صیبا، بنده شاول را خوانده، گفت: «آنچه را که مال شاول و تمام خاندانش بود به پسرآقای تو دادم. ۹ 9
तब बादशाह ने साऊल के ख़ादिम ज़ीबा को बुलाया और उससे कहा कि “मैंने सब कुछ जो साऊल और उसके सारे घराने का था तेरे आक़ा के बेटे को बख़्श दिया।
و تو و پسرانت و بندگانت به جهت او زمین را زرع نموده، محصول آن رابیاورید تا برای پسر آقایت به جهت خوردنش نان باشد، اما مفیبوشت، پسر آقایت همیشه بر سفره من نان خواهد خورد.» و صیبا پانزده پسر و بیست خادم داشت. ۱۰ 10
इसलिए तू अपने बेटों और नौकरों समेत ज़मीन को उसकी तरफ़ से जोत कर पैदावार को ले आया कर ताकि तेरे आक़ा के बेटे के खाने को रोटी हो पर मिफ़ीबोसत जो तेरे आक़ा का बेटा है मेरे दस्तरख़्वान पर हमेशा खाना खायेगा।” और ज़ीबा के पन्दरह बेटे और बीस नौकर थे।
و صیبا به پادشاه گفت: «موافق هر‌آنچه آقایم پادشاه به بنده‌اش فرموده است بهمین طور بنده ات عمل خواهد نمود.» و پادشاه گفت که مفیبوشت بر سفره من مثل یکی از پسران پادشاه خواهد خورد. ۱۱ 11
तब ज़ीबा ने बादशाह से कहा, “जो कुछ मेरे मालिक बादशाह ने अपने ख़ादिम को हुक्म दिया है तेरा ख़ादिम वैसा ही करेगा।” लेकिन मिफ़ीबोसत के हक़ में बादशाह ने फ़रमाया कि वह मेरे दस्तरख़्वान पर इस तरह खाना खायेगा कि गोया वह बादशाह जादों मेंसे एक है।
و مفیبوشت را پسری کوچک بود که میکا نام داشت، و تمامی ساکنان خانه صیبا بنده مفیبوشت بودند. ۱۲ 12
और मिफ़ीबोसत का एक छोटा बेटा था जिसका नाम मीका था, और जितने ज़ीबा के घर में रहते थे वह सब मिफ़ीबोसत के ख़ादिम थे।
پس مفیبوشت در اورشلیم ساکن شد زیرا که همیشه بر سفره پادشاه می‌خورد و از هر دو پا لنگ بود. ۱۳ 13
इसलिए मिफ़ीबोसत येरूशलेम में रहने लगा, क्यूँकि वह हमेशा बादशाह के दस्तरख़्वान पर खाना खाता था और वह दोनों पाँव से लंगड़ा था।

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