< ଲୂକ 18 >

1 କ୍ଳାନ୍ତ ନ ହୋଇ ସର୍ବଦା ପ୍ରାର୍ଥନା କରିବା ଯେ କର୍ତ୍ତବ୍ୟ, ଏହି ବିଷୟରେ ଯୀଶୁ ଶିଷ୍ୟମାନଙ୍କୁ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ ଦେଇ କହିଲେ,
निराश न होता नेहमी प्रार्थना कशी करावी हे शिष्यांनी शिकावे म्हणून त्याने त्यांना एक दाखला सांगितला.
2 “ଗୋଟିଏ ନଗରରେ ଜଣେ ବିଚାରକର୍ତ୍ତା ଥିଲେ, ସେ ଈଶ୍ବରଙ୍କୁ ଭୟ କରୁ ନ ଥିଲେ କି ମନୁଷ୍ୟକୁ ମାନୁ ନ ଥିଲେ।
तो म्हणाला, “एका नगरात एक न्यायाधीश होता. तो देवाला भीत नसे व लोकांचीही भीड धरीत नसे.
3 ସେହି ନଗରରେ ଜଣେ ବିଧବା ଥିଲା, ତାହା ପ୍ରତି ଅନ୍ୟାୟ କରିଥିବା ଲୋକ ବିରୁଦ୍ଧରେ ବିଚାର ନିଷ୍ପତ୍ତି କରିବା ପାଇଁ ସେ ଥରକୁଥର ବିଚାରକର୍ତ୍ତାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଯାଇ କହୁଥିଲା।
त्या नगरात एक विधवा होती. ती नेहमी येऊन न्यायधिशाला म्हणत असे, ‘माझ्या विरोधकांविरुद्ध माझा न्याय करा!’
4 ଆଉ ସେ କେତେ ସମୟ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସହମତ ହେଉ ନ ଥିଲେ; କିନ୍ତୁ ପରେ ସେ ମନେ ମନେ କହିଲେ, ‘ଯଦିବା ମୁଁ ଈଶ୍ବରଙ୍କୁ ଭୟ କରେ ନାହିଁ କିମ୍ବା ମନୁଷ୍ୟକୁ ମାନେ ନାହିଁ,
त्याची इच्छा काही काळ नव्हती पण शेवटी तो मनात म्हणाला, ‘मी जरी देवाला भीत नाही व लोकांस मान देत नाही,
5 ତଥାପି ଏହି ବିଧବାଟା ମୋତେ କଷ୍ଟ ଦେଉଥିବାରୁ ମୁଁ ତାହା ପ୍ରତି କରାଯାଇଥିବା ଅନ୍ୟାୟର ବିଚାର କରିବି, ନୋହିଲେ ସେ ସବୁବେଳେ ଆସି ମୋତେ ବ୍ୟତିବ୍ୟସ୍ତ କରୁଥିବ।’”
तरीही विधवा मला त्रास देते म्हणून मी तिचा न्याय करीन, नाही तर ती नेहमी येऊन मला अगदी त्रासून सोडेल.”
6 ସେଥିରେ ପ୍ରଭୁ କହିଲେ, “ଏହି ଅଧାର୍ମିକ ବିଚାରକର୍ତ୍ତା କଅଣ କହୁଅଛନ୍ତି, ତାହା ଶୁଣ।
मग प्रभू म्हणाला, “लक्ष्य द्या अन्यायी न्यायाधीश काय म्हणाला.
7 ତେବେ ଈଶ୍ବରଙ୍କର ଯେଉଁ ମନୋନୀତ ଲୋକମାନେ ଦିନରାତି ତାହାଙ୍କୁ ଡାକୁଥାଆନ୍ତି, ସେ କି ସେମାନଙ୍କର ପ୍ରତି କରାଯାଇଥିବା ଅନ୍ୟାୟର ପ୍ରତିକାର କରିବେ ନାହିଁ, ଯଦ୍ୟପି ସେ ସେମାନଙ୍କ ଶତ୍ରୁମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ଦୀର୍ଘସହିଷ୍ଣୁ ଅଟନ୍ତି?
आणि मग जे देवाचे निवडलेले लोक दिवसरात्र त्याचा धावा करतात त्यांचा तो न्याय करणार नाही काय? तो त्यांना मदत करण्यास वेळ लावेल का?
8 ମୁଁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କହୁଅଛି, ସେ ଶୀଘ୍ର ସେମାନଙ୍କ ପ୍ରତି କରାଯାଇଥିବା ଅନ୍ୟାୟର ପ୍ରତିକାର କରିବେ। ତଥାପି ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ର ଆସି ପୃଥିବୀରେ କଅଣ ବିଶ୍ୱାସ ଦେଖିବେ?”
मी तुम्हास सांगतो, तो त्यांचा न्याय लवकर करील, तरीही जेव्हा मनुष्याचा पुत्र येईल, तेव्हा त्यास पृथ्वीवर विश्वास आढळेल काय?”
9 ନିଜ ନିଜକୁ ଧାର୍ମିକ ମନେ କରି ଅନ୍ୟ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ତୁଚ୍ଛ କରୁଥିବା କେତେକ ଆତ୍ମନିର୍ଭରଶୀଳ ଲୋକଙ୍କୁ ସେ ଏହି ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ ମଧ୍ୟ କହିଲେ,
आपण नीतिमान आहोत असा जे कित्येक स्वतःविषयी विश्वास धरून इतर सर्वांस तुच्छ मानीत होते त्यांनाही त्याने दाखला सांगितला, तो असा,
10 “ଦୁଇ ଜଣ ଲୋକ ପ୍ରାର୍ଥନା କରିବା ନିମନ୍ତେ ମନ୍ଦିରକୁ ଗଲେ, ଜଣେ ଫାରୂଶୀ ଓ ଅନ୍ୟ ଜଣକ କରଗ୍ରାହୀ।
१०“दोन जण प्रार्थना करण्यास वर परमेश्वराच्या भवनात गेले. एक परूशी होता आणि दुसरा जकातदार होता.
11 ଫାରୂଶୀ ଠିଆ ହୋଇ ଆପଣା ନିକଟରେ ଏହି ପ୍ରକାର ପ୍ରାର୍ଥନା କରିବାକୁ ଲାଗିଲେ, ‘ହେ ଈଶ୍ବର, ମୁଁ ତୁମ୍ଭକୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଦେଉଅଛି ଯେ, ମୁଁ ଅନ୍ୟ ସମସ୍ତ ଲୋକଙ୍କ ପରି ଅତ୍ୟାଚାରୀ, ଅଧାର୍ମିକ, ବ୍ୟଭିଚାରୀ କିମ୍ବା ଏହି କରଗ୍ରାହୀ ପରି ସୁଦ୍ଧା ନୁହେଁ;
११परूशी उभा राहिला आणि त्याने अशी प्रार्थना केली, ‘हे देवा, मी तुझे उपकार मानतो कारण, मी इतर लोकांसारखा म्हणजे चोर, अन्यायी, व्यभिचारी व या जकातदारासारखा नाही.
12 ମୁଁ ସପ୍ତାହରେ ଦୁଇ ଥର ଉପବାସ କରିଥାଏ ଓ ମୋହର ସମସ୍ତ ଆଦାୟର ଦଶମାଂଶ ଦେଇଥାଏ।’
१२उलट मी आठवड्यातून दोनदा उपवास करतो आणि माझ्या सर्व उत्त्पन्नाचा दहावा भाग देतो.’
13 କିନ୍ତୁ କରଗ୍ରାହୀ ଦୂରରେ ଠିଆ ହୋଇ ସ୍ୱର୍ଗ ଆଡ଼େ ଅନେଇବାକୁ ସୁଦ୍ଧା ସାହସ କଲା ନାହିଁ, କିନ୍ତୁ ନିଜ ଛାତିରେ ମାରିହୋଇ କହିବାକୁ ଲାଗିଲା, ‘ହେ ଈଶ୍ବର, ମୁଁ ପାପୀ ମୋତେ ଦୟା କରନ୍ତୁ।’
१३परंतु जकातदार दूर अंतरावर उभा राहून वर स्वर्गाकडे दृष्टी लावण्यास देखील न धजता आपला ऊर बडवत म्हणाला, ‘हे देवा मज पाप्यावर दया कर.’
14 ମୁଁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କହୁଅଛି, ସେ ଲୋକ ନୁହେଁ, ବରଂ କର ଆଦାୟକାରୀ ଧାର୍ମିକ ଗଣିତ ହୋଇ ନିଜ ଘରକୁ ଚାଲିଗଲା; କାରଣ ଯେ କେହି ଆପଣାକୁ ଉନ୍ନତ ବୋଲି ଦେଖାଏ, ତାହାକୁ ନତ କରାଯିବ, କିନ୍ତୁ ଯେ ଆପଣାକୁ ନତ କରେ, ତାହାକୁ ଉନ୍ନତ କରାଯିବ।”
१४मी तुम्हास सांगतो हा मनुष्य त्या दुसऱ्या मनुष्यापेक्षा न्यायी ठरुन घरी गेला कारण जो कोणी स्वतःला उंच करतो त्यास कमी केले जाईल आणि जो कोणी स्वतःला कमी करतो त्यास उंच केले जाईल.”
15 ଯୀଶୁ ଯେପରି ଶିଶୁମାନଙ୍କୁ ସ୍ପର୍ଶ କରନ୍ତି, ଏଥିପାଇଁ ଲୋକେ ସେମାନଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ତାହାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆଣିବାକୁ ଲାଗିଲେ; ମାତ୍ର ଶିଷ୍ୟମାନେ ତାହା ଦେଖି ସେମାନଙ୍କୁ ଧମକ ଦେବାକୁ ଲାଗିଲେ।
१५आणि लोक आपल्या मुलांनाही त्याच्याकडे स्पर्श करण्यास आणत असता हे शिष्यांनी पहिल्यावर त्यांनी लोकांस धमकावले.
16 କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ ଆପଣା ପାଖକୁ ଡାକି କହିଲେ, “ଶିଶୁମାନଙ୍କୁ ମୋ ନିକଟକୁ ଆସିବାକୁ ଦିଅ, ଆଉ ସେମାନଙ୍କୁ ମନା କର ନାହିଁ; କାରଣ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ରାଜ୍ୟ ଏହି ପ୍ରକାର ଲୋକମାନଙ୍କର।
१६पण येशू बालकांना स्वतःकडे बोलवून म्हणाला, “बालकांना माझ्याकडे येऊ द्या. त्यांना अडवू नका कारण देवाचे राज्य त्यांच्यासारख्यांचेच आहे.
17 ମୁଁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ସତ୍ୟ କହୁଅଛି, ଯେ କେହି ଶିଶୁ ପରି ଈଶ୍ବରଙ୍କ ରାଜ୍ୟ ଗ୍ରହଣ ନ କରେ, ସେ କୌଣସି ପ୍ରକାରେ ସେଥିରେ ପ୍ରବେଶ କରିବ ନାହିଁ।”
१७मी तुम्हास खरे सांगतो, जो कोणी बालकाप्रमाणे देवाच्या राज्याचा स्वीकार करणार नाही, त्याचा स्वर्गात प्रवेश होऊ शकणार नाही.”
18 ଜଣେ ଯିହୁଦୀ ଧର୍ମଗୁରୁ ତାହାଙ୍କୁ ପଚାରିଲେ, ହେ ସଦ୍‌ଗୁରୁ, ଅନନ୍ତ ଜୀବନର ଅଧିକାରୀ ହେବା ନିମନ୍ତେ ମୁଁ କଅଣ କରିବି? (aiōnios g166)
१८एका यहूदी अधिकाऱ्याने त्यास विचारले, “उत्तम गुरुजी, सार्वकालिक जीवन मिळविण्यासाठी मी काय करू?” (aiōnios g166)
19 ସେଥିରେ ଯୀଶୁ ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୋତେ ସତ୍ ବୋଲି କାହିଁକି କହୁଅଛ? ଜଣଙ୍କ ବିନା, ଅର୍ଥାତ୍‍ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ବିନା ଅନ୍ୟ କେହି ସତ୍ ନୁହେଁ।
१९येशू त्यास म्हणाला, “मला उत्तम का म्हणतोस? देवाशिवाय कोणीही उत्तम नाही.
20 ଆଜ୍ଞାଗୁଡ଼ିକ ତ ତୁମ୍ଭେ ଜାଣ, ବ୍ୟଭିଚାର କର ନାହିଁ, ନରହତ୍ୟା କର ନାହିଁ, ଚୋରି କର ନାହିଁ, ମିଥ୍ୟା ସାକ୍ଷ୍ୟ ଦିଅ ନାହିଁ, ଆପଣା ପିତାମାତାଙ୍କୁ ସମାଦର କର।”
२०तुला आज्ञा माहीत आहेत ‘व्यभिचार करू नको, खून करू नको, चोरी करू नको, खोटी साक्ष देऊ नको, तुझ्या आई-वडीलांचा मान राख.”
21 ସେ କହିଲେ, ଏହି ସମସ୍ତ ମୁଁ ଯୌବନକାଳରୁ ପାଳନ କରି ଆସିଅଛି।
२१तो अधिकारी म्हणाला, “या सर्व आज्ञा मी माझ्या तरुणपणासून पाळल्या आहेत.”
22 ଯୀଶୁ ଏହା ଶୁଣି ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭର ଆଉ ଗୋଟିଏ ବିଷୟ ଉଣା ଅଛି; ତୁମ୍ଭେ ନିଜର ସବୁ ବିକି ଦେଇ ଗରିବମାନଙ୍କୁ ବାଣ୍ଟିଦିଅ, ଆଉ ତୁମ୍ଭେ ସ୍ୱର୍ଗରେ ଧନ ପାଇବ; ପୁଣି, ଆସି ମୋହର ଅନୁଗମନ କର।”
२२जेव्हा येशूने हे ऐकले, तेव्हा तो त्यास म्हणाला, “तुझ्यामध्ये अजून एका गोष्टीची कमी आहे. तुझ्याजवळचे सर्वकाही विकून ते गरिबांना वाट, म्हणजे स्वर्गात तुला धन मिळेल. मग ये. माझ्यामागे चल.”
23 କିନ୍ତୁ ସେ ଏହି ସମସ୍ତ କଥା ଶୁଣି ଅତ୍ୟନ୍ତ ଦୁଃଖିତ ହେଲେ, କାରଣ ସେ ଅତିଶୟ ଧନୀ ଥିଲେ।
२३पण जेव्हा त्या अधिकाऱ्याने हे ऐकले तेव्हा तो फार दुःखी झाला, कारण तो फार श्रीमंत होता.
24 ସେଥିରେ ଯୀଶୁ ତାହାଙ୍କୁ ଦେଖି କହିଲେ, “ଯେଉଁମାନଙ୍କର ଧନ ଅଛି, ସେମାନେ କେଡ଼େ କଷ୍ଟରେ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ରାଜ୍ୟରେ ପ୍ରବେଶ କରନ୍ତି!
२४तो दुःखी झाला आहे हे जेव्हा येशूने पाहिले तेव्हा तो लोकांस म्हणाला, “ज्यांच्याजवळ धन आहे, त्या लोकांचा देवाच्या राज्यात प्रवेश होणे किती कठीण आहे!
25 କାରଣ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ରାଜ୍ୟରେ ଧନୀ ଲୋକର ପ୍ରବେଶ କରିବା ଅପେକ୍ଷା ବରଂ ଛୁଞ୍ଚିର ଛିଦ୍ର ଦେଇ ଓଟର ପ୍ରବେଶ କରିବା ସହଜ।”
२५होय, श्रीमंत मनुष्याचे देवाच्या राज्यात प्रवेश करणे यापेक्षा उंटाने सुईच्या नाकातून जाणे सोपे आहे.”
26 ଯେଉଁମାନେ ଏହା ଶୁଣିଲେ, ସେମାନେ କହିଲେ, ତେବେ କିଏ ପରିତ୍ରାଣ ପାଇ ପାରେ?
२६नंतर ज्या लोकांनी हे ऐकले, ते म्हणाले, “तर मग कोणाचे तारण होईल?”
27 କିନ୍ତୁ ସେ କହିଲେ, “ଯାହା ମଣିଷର ଅସମ୍ଭବ, ତାହା ଈଶ୍ବରଙ୍କର ସମ୍ଭବ।”
२७तो म्हणाला, “ज्या गोष्टी मनुष्यांना अशक्य आहेत त्या देवाला शक्य आहेत.”
28 ସେଥିରେ ପିତର କହିଲେ, ଦେଖନ୍ତୁ, ଆମ୍ଭେମାନେ ନିଜ ନିଜର ସବୁ କିଛି ଛାଡ଼ି ଆପଣଙ୍କ ଅନୁଗାମୀ ହୋଇଅଛୁ।
२८मग पेत्र म्हणाला, “बघा, आमच्याकडे जे होते, ते सर्व टाकून आम्ही तुमच्यामागे आलो आहोत.”
29 ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ମୁଁ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ସତ୍ୟ କହୁଅଛି, ଯେଉଁ ଲୋକମାନେ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ରାଜ୍ୟ ନିମନ୍ତେ ଗୃହ କିମ୍ବା ସ୍ତ୍ରୀ କିମ୍ବା ଭାଇ କିମ୍ବା ପିତାମାତା କିମ୍ବା ସନ୍ତାନସନ୍ତତି ପରିତ୍ୟାଗ କରିଅଛନ୍ତି
२९येशूने त्यांना म्हटले, “मी तुम्हास खरे सांगतो, देवाच्या राज्याकरता ज्याने आपले घर, पत्नी, भाऊ, आई-वडील किंवा मुलेबाळ सोडली
30 ସେମାନେ ଇହକାଳରେ ବହୁଗୁଣରେ ଓ ପରକାଳରେ ଅନନ୍ତ ଜୀବନ ପାଇବେ।” (aiōn g165, aiōnios g166)
३०त्यांना या काळी पुष्कळ पटीने व येणाऱ्या युगात सार्वकालिक जीवन मिळणार नाही असा कोणी नाही.” (aiōn g165, aiōnios g166)
31 ପରେ ଯୀଶୁ ବାର ଜଣ ଶିଷ୍ୟଙ୍କୁ ଏକତ୍ର କରି ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଦେଖ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଯିରୂଶାଲମ ସହରକୁ ଯାଉଅଛୁ, ଆଉ ଭାବବାଦୀମାନଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ଯେଉଁ ସମସ୍ତ ବିଷୟ ଲେଖାଯାଇଅଛି, ସେ ସମସ୍ତ ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ରଙ୍କଠାରେ ସଫଳ ହେବ;
३१येशूने निवडलेल्या बाराजणांना बाजूला घेतले आणि त्यांना म्हणाला, “ऐका! आपण वर यरूशलेम शहरात जात आहोत आणि संदेष्टयांनी मनुष्याच्या पुत्राविषयी जे काही लिहिले होते ते सर्व पूर्ण होईल.
32 କାରଣ ସେ ଅଣଯିହୁଦୀମାନଙ୍କ ହସ୍ତରେ ସମର୍ପିତ ହେବେ, ପୁଣି, ସେମାନେ ତାହାଙ୍କୁ ପରିହାସ କରିବେ, ତାହାଙ୍କ ପ୍ରତି ଅତ୍ୟାଚାର କରି ତାହାଙ୍କ ଉପରେ ଛେପ ପକାଇବେ,
३२म्हणजे त्यास परराष्ट्रीयांच्या स्वाधीन करतील, त्याची थट्टा होईल, त्याची निंदा करतील, त्याच्यावर थुंकतील
33 ତାହାଙ୍କୁ କୋରଡ଼ା ମାରି ବଧ କରିବେ, ଆଉ ତୃତୀୟ ଦିନରେ ସେ ପୁନର୍ବାର ଉଠିବେ।”
३३त्यास फटके मारतील, त्याचा जीव घेतील आणि तो तिसऱ्या दिवशी पुन्हा उठेल.”
34 କିନ୍ତୁ ଶିଷ୍ୟମାନେ ଏହିସବୁ ବିଷୟ କିଛି ବୁଝିଲେ ନାହିଁ; ଏହି ବାକ୍ୟ ସେମାନଙ୍କଠାରୁ ଗୁପ୍ତ ହୋଇ ରହିଲା, ପୁଣି, ଯାହା କୁହାଯାଉଥିଲା, ସେ ସବୁ ବୁଝୁ ନ ଥିଲେ।
३४त्याने म्हटलेले काहीच शिष्यांना समजले नाही कारण हे वचन त्यांच्यापासून लपवून ठेवण्यात आले होते आणि तो कोणत्या गोष्टीविषयी बोलत आहे हे त्यांना माहीत नव्हते.
35 ସେ ଯିରୀହୋର ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ହେଉଥିବା ସମୟରେ ଜଣେ ଅନ୍ଧ ବାଟ ପାଖରେ ବସି ଭିକ ମାଗୁଥିଲା।
३५येशू यरीहोजवळ येत असतांना एक आंधळा रस्त्यावर बसून भीक मागत होता.
36 ସେ ଲୋକମାନଙ୍କ ଯାଉଥିବାର ଶବ୍ଦ ଶୁଣି କଥା କଅଣ ବୋଲି ପଚାରିବାକୁ ଲାଗିଲା।
३६जेव्हा त्या आंधळ्या मनुष्याने जवळून जाणाऱ्या लोकांचा आवाज ऐकला तेव्हा त्याने विचारले, ही कशाची गडबड चालली आहे.
37 ସେମାନେ ତାହାକୁ କହିଲେ, ନାଜରିତୀୟ ଯୀଶୁ ଏହି ବାଟ ଦେଇ ଯାଉଅଛନ୍ତି।
३७लोकांनी त्यास सांगितले, “नासरेथकर येशू जवळून जात आहे.”
38 ସେଥିରେ ସେ ଉଚ୍ଚସ୍ୱରରେ କହିଲେ, ହେ ଯୀଶୁ, ଦାଉଦଙ୍କ ସନ୍ତାନ, ମୋତେ ଦୟା କରନ୍ତୁ।
३८तो ओरडून म्हणाला, “अहो येशू, दाविदाचे पुत्र माझ्यावर दया करा.”
39 ମାତ୍ର ଆଗରେ ଯାଉଥିବା ଲୋକମାନେ ତାହାଙ୍କୁ ତୁନି ହେବା ପାଇଁ ଧମକ ଦେବାକୁ ଲାଗିଲେ, କିନ୍ତୁ ସେ ଆହୁରି ଅଧିକ ଉଚ୍ଚସ୍ୱରରେ କହିବାକୁ ଲାଗିଲା, ହେ ଦାଉଦଙ୍କ ସନ୍ତାନ ମୋତେ ଦୟା କରନ୍ତୁ।
३९जे पुढे चालले होते त्यांनी त्यास शांत राहण्यास सांगितले. पण तो अजून मोठ्याने ओरडून म्हणाला, “दाविदाचे पुत्र माझ्यावर दया करा!”
40 ସେଥିରେ ଯୀଶୁ ଠିଆ ହୋଇ ଅନ୍ଧକୁ ଆପଣା ନିକଟକୁ ଆଣିବା ପାଇଁ ଆଦେଶ ଦେଲେ; ଯେତେବେଳେ ଅନ୍ଧଟି ପାଖକୁ ଆସିଲା, ଯୀଶୁ ତାହାକୁ ପଚାରିଲେ,
४०येशू थांबला आणि त्याने आंधळ्याला स्वतःकडे आणण्याची आज्ञा केली, तो आंधळा जवळ आल्यावर येशूने त्यास विचारले,
41 “ମୁଁ ତୁମ୍ଭ ପାଇଁ କଅଣ କରିବି ବୋଲି ତୁମ୍ଭେ ଇଚ୍ଛା କରୁଅଛ?” ଅନ୍ଧ କହିଲା, ହେ ପ୍ରଭୁ, ମୁଁ ଯେପରି ଦେଖି ପାରିବି।
४१“मी तुझ्यासाठी काय करावे म्हणून तुझी इच्छा आहे?” तो म्हणाला, “प्रभू मला पुन्हा दृष्टी यावी.”
42 ଯୀଶୁ ତାହାକୁ କହିଲେ, “ଦୃଷ୍ଟି ପାଅ; ତୁମ୍ଭର ବିଶ୍ୱାସ ତୁମ୍ଭକୁ ସୁସ୍ଥ କରିଅଛି।”
४२येशू त्यास म्हणाला, “तुला दृष्टी येवो, तुझ्या विश्वासाने तुला चांगले केले आहे.”
43 ସେହିକ୍ଷଣି ସେ ଦେଖି ପାରିଲେ ଏବଂ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ମହିମା କୀର୍ତ୍ତନ କରୁ କରୁ ତାହାଙ୍କ ପଛେ ପଛେ ଚାଲିବାକୁ ଲାଗିଲେ ଏବଂ ଲୋକ ସମସ୍ତେ ତାହା ଦେଖି ଈଶ୍ବରଙ୍କ ପ୍ରଶଂସା କଲେ।
४३ताबडतोब त्यास दिसू लागले आणि तो देवाचे गौरव करीत येशूच्या मागे गेला. सर्व लोकांनी हे पाहिले आणि देवाची स्तुती केली.

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