< लूका 14 >

1 एक अवसर पर जब प्रभु येशु शब्बाथ पर फ़रीसियों के नायकों में से एक के घर भोजन करने गए, वे सभी उन्हें उत्सुकतापूर्वक देख रहे थे.
ᎯᎠᏃ ᏄᎵᏍᏔᏁᎢ, ᎾᏍᎩ ᎤᏴᎸ ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᏣᎦᏁᎶᏗ ᎠᏆᎵᏏ ᎦᏁᎸ ᎤᎵᏍᏓᏴᏗᏱ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬ ᎢᎦ, ᎾᏍᎩ ᎬᏩᎦᏌᏯᏍᏕᎢ.
2 वहां जलोदर रोग से पीड़ित एक व्यक्ति था.
ᎬᏂᏳᏉᏃ ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏍᎦᏯ ᎢᎬᏱᏗᏢ ᏄᏛᏁ ᎤᏢᎩ ᎠᎹ ᎤᏓᏁᏁᎯ.
3 प्रभु येशु ने फ़रीसियों और वकीलों से प्रश्न किया, “शब्बाथ पर किसी को स्वस्थ करना व्यवस्था के अनुसार है या नहीं?”
ᏥᏌᏃ ᎤᏁᏤ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴ ᏗᎧᎿᎭᏩᏛᏍᏗ ᏗᏃᏏᏏᏍᎩ ᎠᎴ ᎠᏂᏆᎵᏏ; ᏚᏳᎪᏗᏍᎪ ᏗᏓᏅᏬᏗᏱ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬ ᎢᎦ?
4 किंतु वे मौन रहे. इसलिये प्रभु येशु ने उस रोगी पर हाथ रख उसे स्वस्थ कर दिया तथा उसे विदा किया.
ᎡᎳᏪᏱᏃ ᎤᏅᏁᎢ. ᎤᏂᏴᎲᏃ ᎤᏅᏩᏁᎢ, ᎠᎴ ᏚᏲᏎᎢ;
5 तब प्रभु येशु ने उनसे प्रश्न किया, “यह बताओ, यदि तुममें से किसी का पुत्र या बैल शब्बाथ पर कुएं में गिर जाए तो क्या तुम उसे तुरंत ही बाहर न निकालोगे?”
ᏚᏁᏤᎴᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ, ᎦᎪ ᎯᎠ ᏥᏂᏣᏛᏅ ᏐᏈᎵ-ᏗᎦᎵᎠᏅᎯᏛ ᎠᎴ ᏩᎦ ᏳᎸᏤᎸ ᎠᏔᎴᏒ ᎥᏝ ᎩᎳᏉ ᎢᏴᏛ ᏱᏮᎦᎳᎩ ᎤᎾᏙᏓᏆᏍᎬ ᎢᎦ?
6 उनके पास इस प्रश्न का कोई उत्तर न था.
ᎥᏝᏃ ᏰᎵ ᏅᏓᎬᏩᏬᎯᎵᏴᏍᏓᏁᏗ ᏱᎨᏎ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ.
7 जब प्रभु येशु ने यह देखा कि आमंत्रित व्यक्ति अपने लिए किस प्रकार प्रधान आसन चुन लेते हैं, प्रभु येशु ने उन्हें यह विचार दिया:
ᎠᎴ ᏚᏟᎶᏍᏔᏁᎴ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏫᎨᏥᏯᏅᏛ, ᏚᎪᎲ ᏓᎾᏑᏰᏍᎬ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᏂᏢᏗᏱ, ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ,
8 “जब भी कोई तुम्हें विवाह के उत्सव में आमंत्रित करे, तुम अपने लिए आदरयोग्य आसन न चुनना. यह संभव है कि उसने तुमसे अधिक किसी आदरयोग्य व्यक्ति को भी आमंत्रित किया हो.
ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᏕᎨᎦᏨᏍᏗᏍᎬ ᏤᏅᏍᏗᏱ ᏣᏯᏅᎲᎭ, ᏞᏍᏗ ᏄᎬᏫᏳᏒ ᏗᏂᏢᏗᏱ ᏣᏂᏏᏅᎩ; ᎤᏟᏰᏃ ᎢᏯᏥᎸᏉᏗ ᎡᏍᎦᏉ ᏂᎯ ᏩᏥᏯᏅᏛ ᏱᏂᎦᎩ;
9 तब वह व्यक्ति, जिसने तुम्हें और उसे दोनों ही को आमंत्रित किया है, आकर तुमसे कहे ‘तुम यह आसन इन्हें दे दो,’ तब लज्जित हो तुम्हें वह आसन छोड़कर सबसे पीछे के आसन पर बैठना पड़े.
ᏫᏍᏗᏯᏅᏛᏃ ᏱᎦᎷᎩ ᎯᎠ ᏱᏂᏣᏪᏏ, ᎯᏯᏜᏓᏅᏓᏗᏏ ᎯᎠ; ᎿᎭᏉᏃ ᏣᏕᎰᏒᎯ ᏯᎴᏅ ᎡᎳᏗ ᎨᏒ ᏗᏂᏢᏗᏱ ᏫᏱᎶᎯ.
10 किंतु जब तुम्हें कहीं आमंत्रित किया जाए, जाकर सबसे साधारण आसन पर बैठ जाओ जिससे कि जब जिसने तुम्हें आमंत्रित किया है तुम्हारे पास आए तो यह कहे, ‘मेरे मित्र, उठो और उस ऊंचे आसन पर बैठो.’ इस पर अन्य सभी आमंत्रित अतिथियों के सामने तुम आदरयोग्य साबित होगे.
ᎡᏣᏯᏂᏍᎨᏍᏗᏍᎩᏂ, ᎮᎨᏍᏗ ᎠᎴ ᏣᏂᏏᎲᏍᎨᏍᏗ ᎡᎳᏗ ᎨᏒ ᏗᏂᏢᏗᏱ; ᎾᏍᎩᏃ ᏫᏣᏯᏅᏛ ᎦᎷᎨᏍᏗ, ᎯᎠ ᎢᏳᏣᏪᏎᏗ ᏱᎩ, ᎩᎾᎵᎢ, ᎦᎸᎳᏗᏢᏍᏙᏗ ᏫᎶᎯ; ᎿᎭᏉ ᎡᏣᎸᏉᏗᏳ ᎨᏎᏍᏗ ᎠᏂᎦᏔᎲ ᎢᏧᎳᎭ ᎢᏥᏂᏜᏓᎢ [ ᏗᎵᏍᏓᏴᏗᏱ.]
11 हर एक, जो स्वयं को बड़ा बनाता है, छोटा बना दिया जाएगा तथा जो स्वयं को छोटा बना देता है, बड़ा किया जाएगा.”
ᎩᎶᏰᏃ ᎤᏩᏒ ᎠᏓᏌᎳᏗᏍᎨᏍᏗ ᎡᎳᏗ ᎢᏯᎬᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ; ᎩᎶᏃ ᎤᏩᏒ ᎡᎳᏗ ᎾᏓᏛᏁᎮᏍᏗ ᎾᏍᎩ ᎠᏥᏌᎳᏙᏗ ᎨᏎᏍᏗ.
12 तब फिर प्रभु येशु ने अपने न्योता देनेवाले से कहा, “जब तुम दिन या रात के भोजन पर किसी को आमंत्रित करो तो अपने मित्रों, भाई-बंधुओं, परिजनों या धनवान पड़ोसियों को आमंत्रित मत करो; ऐसा न हो कि वे भी तुम्हें आमंत्रित करें और तुम्हें बदला मिल जाए.
ᎯᎠᏃ ᎾᏍᏉ ᏄᏪᏎᎴ ᏭᏯᏅᏛ, ᎢᏳᏃ ᏕᎭᏕᎳᏍᏗᏍᎨᏍᏗ ᎢᎦ ᎡᎯ ᎠᎴ ᎤᏒ ᎡᎯ, ᏞᏍᏗ ᏱᏫᏘᏯᏂᏍᎨᏍᏗ ᏗᏣᎵᎢ, ᎠᎴ ᎢᏣᎵᏅᏟ, ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᏗᏨᏅ, ᎠᎴ ᏧᏁᎾᎢ ᎾᎥ ᎢᏣᏓᎳ; ᎾᏍᏉᏰᏃ ᏂᎯ ᏱᏮᎨᏣᏯᏅ ᎠᎴ ᏴᎨᏣᎫᏴᏏ.
13 किंतु जब तुम भोज का आयोजन करो तो निर्धनों, अपंगों, लंगड़ों तथा अंधों को आमंत्रित करो.
ᎢᏳᏍᎩᏂ ᏕᎭᏕᎳᏍᏗᏍᎨᏍᏗ, ᏫᏘᏯᏂᏍᎨᏍᏗ ᎤᏲ ᎢᏳᎾᏛᎿᎭᏕᎩ, ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏍᏛ ᏗᏂᏰᎸ ᎤᏂᏲᎱᏎᎸᎯ, ᏗᏂᏲᏅᎵ, ᎠᎴ ᏗᏂᎨᏫ;
14 तब तुम परमेश्वर की कृपा के भागी बनोगे. वे लोग तुम्हारा बदला नहीं चुका सकते. बदला तुम्हें धर्मियों के दोबारा जी उठने (पुनरुत्थान) के अवसर पर प्राप्‍त होगा.”
ᎣᏏᏳᏃ ᎢᏣᎵᏍᏓᏁᏗ ᎨᏎᏍᏗ; ᎥᏝᏰᏃ ᏴᎦᎨᏣᎫᏴᏏ; ᎡᏣᎫᏴᎡᏗᏰᏃ ᎨᏎᏍᏗ ᏓᎾᎴᎯᏌᏅ ᎤᎾᏓᏅᏘ.
15 यह सुन वहां आमंत्रित लोगों में से एक ने प्रभु येशु से कहा, “धन्य है वह, जो परमेश्वर के राज्य के भोज में सम्मिलित होगा.”
ᎠᏏᏴᏫᏃ ᎾᏍᎩ ᎢᏧᎳᎭ ᎤᎾᎵᏍᏓᏴᏅᎯ ᎾᏍᎩ ᎤᏛᎦᏅ, ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎣᏏᏳ ᎢᏳᎵᏍᏓᏁᏗ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᎤᏁᎳᏅᎯ ᎤᎬᏫᏳᎯ ᎨᏒ ᎾᎿᎭᎬᏩᎵᏍᏓᏴᏗ ᏂᎦᎵᏍᏓᏅᎭ.
16 यह सुन प्रभु येशु ने कहा, “किसी व्यक्ति ने एक बड़ा भोज का आयोजन किया और अनेकों को आमंत्रित किया.
ᎠᎴ [ ᏥᏌ ] ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᎩᎶ ᎢᏳᏍᏗ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᏣᏘ ᏚᏕᎳᏍᏔᏁᎢ, ᎠᎴ ᎤᏂᏣᏘ ᏫᏚᏯᏅᎮᎢ;
17 भोज तैयार होने पर उसने अपने सेवकों को इस सूचना के साथ आमंत्रितों के पास भेजा, ‘आ जाइए, सब कुछ तैयार है.’
ᎠᎵᏍᏓᏴᏗᏱᏃ ᎨᏒ ᎤᏍᏆᎸᎲᎤᏅᏎ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ ᎯᎠ ᏫᏂᏚᏪᏎᏗᏱ ᏫᎨᏥᏯᏅᏛ; ᎡᏤᎾ, ᏂᎦᏗᏳᏰᏃ ᎿᎭᏉ ᎠᏛᏅᎢᏍᏗ.
18 “किंतु वे सभी बहाने बनाने लगे. एक ने कहा, ‘मैंने भूमि मोल ली है और आवश्यक है कि मैं जाकर उसका निरीक्षण करूं. कृपया मुझे क्षमा करें.’
ᏂᎦᏛᏃ ᎤᏠᏱ ᏧᎾᏢᏫᏍᏙᏗ ᎤᎾᎴᏅᎮ ᎤᏂᏲᎴᎢ. ᎢᎬᏱᏱ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴᎢ, ᏠᎨᏏ ᎠᎩᏩᏒ, ᎠᎴ ᎠᏎ ᎠᏇᏅᏍᏗ ᎠᎴ ᎠᏆᎦᏔᏅᏍᏗ ᏂᎦᎵᏍᏗᎭ; ᎬᏔᏲᏎ ᎤᏁᎳᎩ ᏍᏇᎵᏎᏗᏱ.
19 “दूसरे ने कहा, ‘मैंने अभी-अभी पांच जोड़े बैल मोल लिए हैं और मैं उन्हें परखने के लिए बस निकल ही रहा हूं. कृपया मुझे क्षमा करें.’
ᏅᏩᏓᎴᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎯᏍᎩ ᎢᏳᎾᎩᎳᎾᎳ ᏩᎦ ᏓᎩᏩᏒ, ᎠᎴ ᏕᎦᏁᎶᏔᏂ; ᎬᏔᏲᏎ ᎤᏁᎳᎩ ᏍᏇᎵᏎᏗᏱ.
20 “एक और अन्य ने कहा, ‘अभी, इसी समय मेरा विवाह हुआ है इसलिये मेरा आना संभव नहीं.’
ᏅᏩᏓᎴᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᎠᏆᏕᏒᏅ, ᎾᏍᎩᏃ ᎢᏳᏍᏗ ᎥᏝ ᏰᎵ ᏫᎬᎩᎷᎯᏍᏗ ᏱᎩ.
21 “सेवक ने लौटकर अपने स्वामी को यह सूचना दे दी. अत्यंत गुस्से में घर के स्वामी ने सेवक को आज्ञा दी, ‘तुरंत नगर की गलियों-चौराहों में जाओ और निर्धनों, अपंगों, लंगड़ों और अंधों को ले आओ.’
ᎾᏍᎩᏃ Ꮎ ᎠᏥᏅᏏᏓᏍᏗ ᎢᎤᎷᏨ ᎤᎾᏄᎪᏫᏎᎴ ᎤᏅᏏᏙᎯ ᎾᏍᎩ ᎯᎠ ᏄᎵᏍᏔᏂᏙᎸᎢ. ᎦᏁᎳᏃ ᎤᎾᎸᎯᏳ ᎨᏒ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ, ᎮᎾ ᏄᎳ ᏫᏴᎲ ᎡᎾᎢᏓᏍᏗᏱ ᎠᎴ ᏧᏍᏗ ᏕᎦᎳᏅᏛᎢ ᎦᏚᎲᎢ, ᎠᎴ ᏕᎭᏘᏃᎸᎭ ᎤᏲ ᎢᏳᎾᏛᎿᎭᏕᎩ, ᎠᎴ ᎪᎱᏍᏗ ᎤᏍᏛ ᏗᏂᏰᎸ ᎤᏂᏲᎱᏎᎸᎯ, ᎠᎴ ᏗᏂᏲᎤᎵ, ᎠᎴ ᏗᏂᎨᏫ.
22 “सेवक ने लौटकर सूचना दी, ‘स्वामी, आपके आदेशानुसार काम पूरा हो चुका है किंतु अब भी कुछ जगह भरने बाकी है.’
ᎠᏥᏅᏏᏓᏍᏗᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎢ, ᏍᎩᏅᏏᏙᎯ, ᏂᏣᏪᏒ ᎾᏍᎩᏯ ᏂᎦᏛᎦ, ᎠᏏᏉᏃ ᎤᏜᏓᏅᏛ.
23 “तब घर के स्वामी ने उसे आज्ञा दी, ‘अब नगर के बाहर के मार्गों से लोगों को यहां आने के लिए विवश करो कि मेरा भवन भर जाए.
ᎤᏅᏏᏙᎯᏃ ᎯᎠ ᏄᏪᏎᎴ ᎤᏅᏏᏓᏍᏗ, ᎯᏄᎪᎢ ᏕᎦᏅᎿᎭᏩᏗᏒ ᎠᎴ ᏓᏐᏴᎢ ᏫᎶᎯ, ᎠᎴ ᎠᏎ ᎤᏂᏴᏍᏗᏱ ᏂᎩᏴᏁᎸᎭ ᎾᏍᎩ ᎤᎧᎵᎢᏍᏗᏱ ᏥᏁᎸᎢ.
24 यह निश्चित है कि वे, जिन्हें पहले आमंत्रित किया गया था, उनमें से एक भी मेरे भोज को चख न सकेगा.’”
ᎯᎠᏰᏃ ᏂᏨᏪᏎᎭ, ᎥᏝ ᎩᎶ ᎾᏍᎩ Ꮎ ᏫᎨᏥᏯᏅᏛ ᎨᏒ ᏴᏛᎾᎵᏍᏓᏴᏔᏂ ᏓᏆᏕᎳᏍᏔᏅᎢ.
25 एक बड़ी भीड़ प्रभु येशु के साथ साथ चल रही थी. प्रभु येशु ने मुड़कर उनसे कहा,
ᎤᏂᏣᏘᏃ ᏴᏫ ᎬᏩᏍᏓᏩᏛᏎᎢ; ᎤᎦᏔᎲᏒᏃ ᎯᎠ ᏂᏚᏪᏎᎴᎢ,
26 “यदि कोई मेरे पास आता है और अपने माता-पिता, पत्नी, संतान तथा भाई बहनों को, यहां तक कि स्वयं अपने जीवन को, मुझसे अधिक महत्व देता है, मेरा चेला नहीं हो सकता.
ᎩᎶ ᎠᏴ ᎠᎩᎷᏤᎮᏍᏗ ᏂᏗᎦᏂᏆᏘᎲᎾᏃ ᎢᎨᏎᏍᏗ ᎤᏙᏓ, ᎠᎴ ᎤᏥ, ᎠᎴ ᎤᏓᎵᎢ, ᎠᎴ ᏧᏪᏥ, ᎠᎴ ᎠᎾᎵᏅᏟ, ᎠᎴ ᏧᏙ, ᎥᎥ, ᎠᎴ ᎤᏩᏒ ᎾᏍᏉ ᎬᏅᎢ, ᎥᏝ ᏰᎵ ᎠᎩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᏱᏅᎦᎵᏍᏓ.
27 वह, जो अपना क्रूस स्वयं उठाए हुए मेरा अनुसरण नहीं करता, वह मेरा चेला हो ही नहीं सकता.
ᎠᎴ ᎩᎶ ᎤᏤᎵ ᏧᏓᎿᎭᏩᏛ ᎾᏱᏍᎬᎾ ᎠᎴ ᎾᎩᏍᏓᏩᏕᎬᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ, ᎥᏝ ᏰᎵ ᎠᎩᏍᏓᏩᏗᏙᎯ ᏱᏅᎦᎵᏍᏓ.
28 “तुममें ऐसा कौन है, जो भवन निर्माण करना चाहे और पहले बैठकर खर्च का अनुमान न करे कि उसके पास निर्माण काम पूरा करने के लिए पर्याप्‍त राशि है भी या नहीं?
ᎦᎪᏰᏃ ᎯᎠ ᏥᏂᏣᏛᏅ, ᏯᏓᏅᏖ ᎢᏅ ᎢᎦᏘ ᎤᏁᏍᎨᏗᏱ, ᎥᏝ ᎢᎬᏱ ᏱᎦᎲᏍᎪ ᏯᏎᎯᎰ ᎢᎦᎢ ᏧᎬᏩᏔᏂᎯᏍᏗ ᎨᏒᎢ, ᎤᏙᎴᎰᎯᏍᏗᏱ ᏰᎵ ᎬᏩᏍᏆᏗᏍᏙᏗ ᎢᎦᎢ ᎤᎲᎢ.
29 अन्यथा यदि वह नींव डाल ले और काम पूरा न कर पाए तो देखनेवालों के ठट्ठों का कारण बन जाएगा:
ᎢᏳᏰᏃ ᎦᎫᏍᏛᏗ ᏧᏛᎯ ᏱᎩ, ᎠᎴ ᎬᏩᏍᏆᏗᏍᏗ ᏂᎨᏒᎾ ᏱᎩ, ᏂᎦᏛ ᎠᏂᎪᏩᏘᏍᎩ ᏯᎾᎴᏅ ᏱᎬᏩᏕᎰᏛ,
30 ‘देखो, देखो! इसने काम प्रारंभ तो कर दिया किंतु अब समाप्‍त नहीं कर पा रहा!’
ᎯᎠ ᏱᎾᏂᏫ, ᎯᎠ ᎠᏍᎦᏯ ᎤᎴᏅᎲᎩ ᎠᏁᏍᎨᏍᎬᎢ, ᎠᎴ ᎥᏝ ᏰᎵ ᎬᏩᏍᏆᏗᏍᏗ ᏱᎨᏎᎢ.
31 “या ऐसा कौन राजा होगा, जो दूसरे पर आक्रमण करने के पहले यह विचार न करेगा कि वह अपने दस हज़ार सैनिकों के साथ अपने विरुद्ध बीस हज़ार की सेना से टक्कर लेने में समर्थ है भी या नहीं?
ᎠᎴ ᎦᎪ ᎢᏳᏍᏗ ᎤᎬᏫᏳᎯ, ᏓᎿᎭᏩ ᏱᏅᏛᏅᏁᎵ ᏅᏩᏓᎴ ᎤᎬᏫᏳᎯ, ᎥᏝ ᎢᎬᏱ ᏱᎦᎲᏍᎪ ᎠᎴ ᏯᏓᏅᏖᏍᎪ ᏰᎵᏉ ᎠᏍᎪᎯ ᎢᏯᎦᏴᎵ ᏓᏘᏁᎲ ᏗᎬᏩᎾᏟᏴᏗ ᎨᏒ ᏧᎦᏘᎴᎩ ᏔᎳᏍᎪᎯ ᎢᏯᎦᏴᎵ ᏓᏘᏁᎲᎢ.
32 यदि नहीं, तो जब शत्रु की सेना दूर ही है, वह अपने दूतों को भेजकर उसके सामने शांति का प्रस्ताव रखेगा.
ᎢᏳᏃ ᏰᎵ ᏂᎨᏒᎾ ᏱᎩ, ᎠᏏ ᏐᎢ ᎢᏅᎯᏳ ᏨᏣᎢᏐᎢ, ᏕᎦᏅᏍᎪ ᏧᏅᏏᏛ ᎠᏔᏲᎯᎰ ᏙᎯᏱ ᎢᏳᏅᏁᏗᏱ.
33 इसी प्रकार तुममें से कोई भी मेरा चेला नहीं हो सकता यदि वह अपना सब कुछ त्याग न कर दे.
ᎾᏍᎩᏯ ᎾᏍᏉ ᏂᎯ, ᎢᏳᏃ ᎩᎶ ᏂᏚᏲᏐᎲᏍᎬᎾ ᎢᎨᏎᏍᏗ ᏂᎦᏛ ᎤᏤᎵ ᎨᏒᎢ, ᎥᏝ ᏰᎵ ᎠᎩᏍᏓᏩᏕᎩ ᏱᏅᎦᎵᏍᏓ.
34 “नमक उत्तम है किंतु यदि नमक ही स्वादहीन हो जाए तो किस वस्तु से उसका स्वाद लौटाया जा सकेगा?
¯ ᎠᎹ ᎣᏏᏳ; ᎢᏳᏍᎩᏂ ¯ ᎠᎹ ᏳᏥᏍᎪᎸ, ᎦᏙ ᏘᎦᎵᏍᏙᏓ ¯ ᎠᎹ ᏯᏙᏢᎾ.
35 तब वह न तो भूमि के लिए किसी उपयोग का रह जाता है और न खाद के रूप में किसी उपयोग का. उसे फेंक दिया जाता है. “जिसके सुनने के कान हों, वह सुन ले.”
ᎥᏝ ᎿᎭᏉ ᏠᎨᏏ ᎦᎳᎨᏯᏛᏗ ᎠᎴ ᎣᏍᏛ ᎦᏓ ᎦᏡᎬ ᎬᏗ ᏱᎨᏐᎢ; ᏭᎾᏕᎪᏉ. ᎩᎶ ᏕᎦᎵᎷᎨᏍᏗ ᎤᏛᎪᏗᏱ ᏩᏛᎬᎦ.

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