< होशे 2 >

1 “अपने भाइयों से कहो, ‘मेरे लोग,’ और अपनी बहनों से कहो, ‘मेरे प्रिय लोग.’
इसलिए तुम लोग अपने भाइयों से अम्मी और अपनी बहनों से रुहामा कहो।
2 “अपनी माता को डांटो, उसे डांटो, क्योंकि वह मेरी पत्नी नहीं है, और मैं उसका पति नहीं हूं. वह अपने चेहरे से व्यभिचारी भावना और अपने स्तनों के बीच से विश्वासघात को दूर करे.
“अपनी माता से विवाद करो, विवाद क्योंकि वह मेरी स्त्री नहीं, और न मैं उसका पति हूँ। वह अपने मुँह पर से अपने छिनालपन को और अपनी छातियों के बीच से व्यभिचारों को अलग करे;
3 अन्यथा मैं उसके कपड़े उतारकर उसे ऐसी नंगी कर दूंगा जैसे वह अपने जन्म के समय थी; मैं उसे मरुस्थल के समान बना दूंगा, उसे एक सूखी भूमि में बदल दूंगा, और उसे प्यास से मारूंगा.
नहीं तो मैं उसके वस्त्र उतारकर उसको जन्म के दिन के समान नंगी कर दूँगा, और उसको मरुस्थल के समान और मरूभूमि सरीखी बनाऊँगा, और उसे प्यास से मार डालूँगा।
4 मैं उसके बच्चों के प्रति प्रेम नहीं दिखाऊंगा, क्योंकि वे व्यभिचार से पैदा हुए बच्‍चे हैं.
उसके बच्चों पर भी मैं कुछ दया न करूँगा, क्योंकि वे कुकर्म के बच्चे हैं।
5 उनकी माता ने विश्वासघात किया है और वे कलंक से उसके गर्भ में पड़े. उसने कहा, ‘मैं अपने प्रेमियों के पीछे जाऊंगी, जो मुझे मेरा भोजन-पानी, मेरा ऊनी और सन के कपड़े, मेरा जैतून तेल और मेरा दाखमधु देते हैं.’
उनकी माता ने छिनाला किया है; जिसके गर्भ में वे पड़े, उसने लज्जा के योग्य काम किया है। उसने कहा, ‘मेरे यार जो मुझे रोटी-पानी, ऊन, सन, तेल और मद्य देते हैं, मैं उन्हीं के पीछे चलूँगी।’
6 इसलिये मैं उसके रास्ते को कंटीली झाड़ियों से बंद कर दूंगा; मैं उसके आगे दीवार खड़ी कर दूंगा, जिससे उसे उसका रास्ता नहीं मिलेगा.
इसलिए देखो, मैं उसके मार्ग को काँटों से घेरूँगा, और ऐसा बाड़ा खड़ा करूँगा कि वह राह न पा सकेगी।
7 वह अपने प्रेमियों का पीछा करेगी पर उन्हें पकड़ नहीं सकेगी; वह उन्हें खोजेगी पर वे उसे नहीं मिलेंगे. तब वह कहेगी, ‘मैं पहले के समान अपने पति के पास लौट जाऊंगी, क्योंकि तब मेरी स्थिति अब की अपेक्षा बेहतर थी.’
वह अपने यारों के पीछे चलने से भी उन्हें न पाएगी; और उन्हें ढूँढ़ने से भी न पाएगी। तब वह कहेगी, ‘मैं अपने पहले पति के पास फिर लौट जाऊँगी, क्योंकि मेरी पहली दशा इस समय की दशा से अच्छी थी।’
8 उसने इस बात को नहीं माना है कि वह मैं ही था, जिसने उसे अन्‍न, नई दाखमधु और तेल दिया था, जिसने उस पर खुले हाथों से सोना-चांदी लुटाया था— जिसका उपयोग उन्होंने बाल देवता के लिए किया.
वह यह नहीं जानती थी, कि अन्न, नया दाखमधु और तेल मैं ही उसे देता था, और उसके लिये वह चाँदी सोना जिसको वे बाल देवता के काम में ले आते हैं, मैं ही बढ़ाता था।
9 “इसलिये मैं अपने अन्‍न को ले लूंगा जब वह पक जाएगा, और अपनी नई दाखमधु को ले लूंगा जब वह तैयार हो जाएगा. मैं अपने ऊन और सन के कपड़े वापस ले लूंगा, जिसे मैंने उसे उसके नंगे तन को ढांपने के लिये दिये थे.
इस कारण मैं अन्न की ऋतु में अपने अन्न को, और नये दाखमधु के होने के समय में अपने नये दाखमधु को हर लूँगा; और अपना ऊन और सन भी जिनसे वह अपना तन ढाँपती है, मैं छीन लूँगा।
10 इसलिये अब मैं उसकी अश्लीलता को उसके प्रेमियों के सामने प्रकट करूंगा; कोई भी उसे मेरे हाथ से छुड़ा न सकेगा.
१०अब मैं उसके यारों के सामने उसके तन को उघाड़ूँगा, और मेरे हाथ से कोई उसे छुड़ा न सकेगा।
11 मैं उसके सब उत्सवों को बंद कर दूंगा: उसके वार्षिक त्योहार, उसके नये चांद का उत्सव, उसके शब्बाथ का उत्सव—उसके सब निर्धारित त्योहारों को बंद कर दूंगा.
११और मैं उसके पर्व, नये चाँद और विश्रामदिन आदि सब नियत समयों के उत्सवों का अन्त कर दूँगा।
12 मैं उसके अंगूर की लताओं और अंजीर के पेड़ों को नष्ट कर दूंगा, जिनके बारे में वह कहती है कि यह मेरी मजदूरी है जिसे मेरे प्रेमियों ने दिया था; मैं उनको एक झाड़ी बना दूंगा, और जंगली जानवर उन्हें खा जाएंगे.
१२मैं उसकी दाखलताओं और अंजीर के वृक्षों को, जिनके विषय वह कहती है कि यह मेरे छिनाले की प्राप्ति है जिसे मेरे यारों ने मुझे दी है, उन्हें ऐसा उजाड़ूँगा कि वे जंगल से हो जाएँगे, और वन-पशु उन्हें चर डालेंगे।
13 मैं उसे उस बात के लिये दंड दूंगा कि उसने बाल देवताओं के लिये धूप जलाया; वह अपने आपको नथनी और गहनों से सजाती, और अपने प्रेमियों के पीछे जाती थी, पर मुझको वह भूल गई,” याहवेह की घोषणा है.
१३वे दिन जिनमें वह बाल देवताओं के लिये धूप जलाती, और नत्थ और हार पहने अपने यारों के पीछे जाती और मुझ को भूले रहती थी, उन दिनों का दण्ड मैं उसे दूँगा, यहोवा की यही वाणी है।
14 “इसलिये मैं उसे ललचाऊंगा; मैं उसे निर्जन जगह में ले जाऊंगा और उससे कोमलता से बात करूंगा.
१४“इसलिए देखो, मैं उसे मोहित करके जंगल में ले जाऊँगा, और वहाँ उससे शान्ति की बातें कहूँगा।
15 वहां मैं उसे उसकी अंगूर की बारियां लौटा दूंगा, और आकोर घाटी को आशा का द्वार बना दूंगा. वहां वह ऐसे जवाब देगी जैसे वह अपने जवानी के दिनों में दिया करती थी, अर्थात् जैसे वह मिस्र देश से निकलकर आने के समय दिया करती थी.”
१५वहीं मैं उसको दाख की बारियाँ दूँगा, और आकोर की तराई को आशा का द्वार कर दूँगा और वहाँ वह मुझसे ऐसी बातें कहेगी जैसी अपनी जवानी के दिनों में अर्थात् मिस्र देश से चले आने के समय कहती थी।
16 याहवेह घोषणा करते हैं, “उस दिन, तुम मुझे ‘मेरा पति’ कहोगी; तुम मुझे फिर कभी अपना मालिक नहीं कहोगी.
१६और यहोवा की यह वाणी है कि उस समय तू मुझे पति कहेगी और फिर बाली न कहेगी।
17 मैं उसके मुंह से बाल देवताओं का नाम मिटा दूंगा; उनका नाम फिर कभी न लिया जाएगा.
१७क्योंकि भविष्य में मैं उसे बाल देवताओं के नाम न लेने दूँगा; और न उनके नाम फिर स्मरण में रहेंगे।
18 उस दिन मैं उनके लिये जंगली जानवरों, आकाश के पक्षियों और भूमि पर रेंगनेवाले जंतुओं के साथ एक वाचा बांधूंगा. धनुष और तलवार और युद्ध को मैं देश से समाप्‍त कर दूंगा, ताकि लोग निडर होकर आराम करें.
१८और उस समय मैं उनके लिये वन-पशुओं और आकाश के पक्षियों और भूमि पर के रेंगनेवाले जन्तुओं के साथ वाचा बाँधूँगा, और धनुष और तलवार तोड़कर युद्ध को उनके देश से दूर कर दूँगा; और ऐसा करूँगा कि वे लोग निडर सोया करेंगे।
19 मैं तुम्हें सदा के लिए विवाह का वचन दूंगा; मैं तुमको धर्मीपन और सच्चाई, प्रेम और करुणा के साथ विवाह का वचन दूंगा.
१९मैं सदा के लिये तुझे अपनी स्त्री करने की प्रतिज्ञा करूँगा, और यह प्रतिज्ञा धार्मिकता, और न्याय, और करुणा, और दया के साथ करूँगा।
20 मैं तुम्हें विश्वासयोग्यता के साथ विवाह का वचन दूंगा, और तुम याहवेह को जान जाओगी.”
२०यह सच्चाई के साथ की जाएगी, और तू यहोवा को जान लेगी।
21 याहवेह की घोषणा है, “उस दिन मैं जवाब दूंगा, मैं आकाशमंडल को जवाब दूंगा, और वे पृथ्वी को जवाब देंगे;
२१“यहोवा की यह वाणी है कि उस समय मैं आकाश की सुनकर उसको उत्तर दूँगा, और वह पृथ्वी की सुनकर उसे उत्तर देगा;
22 और पृथ्वी अन्‍न, नई दाखमधु और जैतून तेल को जवाब देगी, और वे येज़्रील को जवाब देंगे.
२२और पृथ्वी अन्न, नये दाखमधु, और ताजे तेल की सुनकर उनको उत्तर देगी, और वे यिज्रेल को उत्तर देंगे।
23 तब मैं स्वयं उस देश में उसका रोपण करूंगा; मैं उसे अपना प्रेम दिखाऊंगा, जिसे मैं अपना प्रिय नहीं कहता, वे जो मेरे लोग नहीं कहे जाते, उन्हें मैं कहूंगा, ‘तुम मेरे लोग हो’; और वे कहेंगे, ‘आप हमारे परमेश्वर हैं.’”
२३मैं अपने लिये उसे देश में बोऊँगा, और लोरुहामा पर दया करूँगा, और लोअम्मी से कहूँगा, तू मेरी प्रजा है, और वह कहेगा, ‘हे मेरे परमेश्वर।’”

< होशे 2 >