< यहेजकेल 16 >

1 याहवेह का यह वचन मेरे पास आया:
फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
2 “हे मनुष्य के पुत्र, येरूशलेम का उसके घृणित कार्यों के लिये विरोध करो
“हे मनुष्य के सन्तान, यरूशलेम को उसके सब घृणित काम जता दे,
3 और कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का येरूशलेम से यह कहना है: तुम्हारे पुरखे और तुम्हारा जन्म कनानियों के देश में हुआ; तुम्हारा पिता एक अमोरी और तुम्हारी मां एक हित्ती थी.
और उससे कह, हे यरूशलेम, प्रभु यहोवा तुझ से यह कहता है: तेरा जन्म और तेरी उत्पत्ति कनानियों के देश से हुई; तेरा पिता तो एमोरी और तेरी माता हित्तिन थी।
4 तुम्हारे जन्म के समय न तो तुम्हारी नाभिनाड़ी काटी गई, और न ही तुम्हें पानी से नहलाकर साफ किया गया, न तो तुम्हें नमक से रगड़ा गया था, और न ही तुम्हें कपड़ों में लपेटा गया था.
तेरा जन्म ऐसे हुआ कि जिस दिन तू जन्मी, उस दिन न तेरा नाल काटा गया, न तू शुद्ध होने के लिये धोई गई, न तुझ पर नमक मला गया और न तू कुछ कपड़ों में लपेटी गई।
5 तुम्हारे लिये इनमें से कोई भी काम करने हेतु किसी ने भी तुम पर दया दृष्टि नहीं की, या सहानुभूति नहीं दिखाई. बल्कि तुम्हें बाहर खुले मैदान में फेंक दिया गया, क्योंकि जन्म के दिन से ही तुम्हें तुच्छ समझा गया.
किसी की दयादृष्टि तुझ पर नहीं हुई कि इन कामों में से तेरे लिये एक भी काम किया जाता; वरन् अपने जन्म के दिन तू घृणित होने के कारण खुले मैदान में फेंक दी गई थी।
6 “‘तब मैं वहां से होकर गुजरा और तुम्हें अपने खून में लोटते हुए देखा, और जैसे कि तुम अपने खून में लेटी थी, मैंने तुमसे कहा, “जीवित रहो!”
“जब मैं तेरे पास से होकर निकला, और तुझे लहू में लोटते हुए देखा, तब मैंने तुझ से कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई जीवित रह;’ हाँ, तुझ ही से मैंने कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई, जीवित रह।’
7 मैंने तुम्हें खेत के एक पौधे की तरह बढ़ाया. तुम बढ़ती गई और विकसित हुई और यौवन अवस्था में आई. तुम्हारे स्तन विकसित हुए और तुम्हारे बाल लंबे हो गए, फिर भी तुम बिलकुल निवस्त्र थी.
फिर मैंने तुझे खेत के पौधे के समान बढ़ाया, और तू बढ़ते-बढ़ते बड़ी हो गई और अति सुन्दर हो गई; तेरी छातियाँ सुडौल हुईं, और तेरे बाल बढ़े; तो भी तू नंगी थी।
8 “‘बाद में, मैं वहां से होकर गुजरा, और मैंने देखा कि तुम प्रेम करने लायक बड़ी हो चुकी थी, अतः मैंने अपने कपड़े का कोना तुम्हारे ऊपर फैला दिया और तुम्हारे नंगे शरीर को ढांप दिया. तब मैंने तुमसे सत्यनिष्ठा से शपथ खाई और तुम्हारे साथ एक वाचा बांधी, और तुम मेरी हो गई, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
“मैंने फिर तेरे पास से होकर जाते हुए तुझे देखा, और अब तू पूरी स्त्री हो गई थी; इसलिए मैंने तुझे अपना वस्त्र ओढ़ाकर तेरा तन ढाँप दिया; और सौगन्ध खाकर तुझ से वाचा बाँधी और तू मेरी हो गई, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
9 “‘तब मैंने तुम्हें पानी से नहलाया और तुम पर लगे खून को धोया तथा तुम्हारे शरीर पर तेल लगाया.
तब मैंने तुझे जल से नहलाकर तुझ पर से लहू धो दिया, और तेरी देह पर तेल मला।
10 मैंने तुम्हें कसीदा काढ़े वस्त्र पहनाया और तुम्हारे पांवों पर उच्च दर्जे के चमड़े की जूतियां पहनाई. मैंने तुम्हें सुंदर मलमल के कपड़े पहनाए और तुम्हें कीमती कपड़े ओढ़ाए.
१०फिर मैंने तुझे बूटेदार वस्त्र और सुइसों के चमड़े की जूतियाँ पहनाई; और तेरी कमर में सूक्ष्म सन बाँधा, और तुझे रेशमी कपड़ा ओढ़ाया।
11 मैंने गहनों से तुम्हारा श्रृंगार किया: मैंने तुम्हारे हाथों में कंगन डाला और तुम्हारे गले में हार पहनाया,
११तब मैंने तेरा श्रृंगार किया, और तेरे हाथों में चूड़ियाँ और गले में हार पहनाया।
12 और मैंने तुम्हारी नाक में नथनी, कानों में बालियां और तुम्हारे सिर पर एक सुंदर मुकुट पहनाया.
१२फिर मैंने तेरी नाक में नत्थ और तेरे कानों में बालियाँ पहनाई, और तेरे सिर पर शोभायमान मुकुट धरा।
13 इस प्रकार सोने और चांदी से तुम्हारा श्रृंगार किया गया; तुम्हारे कपड़े सुंदर मलमल, मंहगे बुनावट और कसीदा किए हुए थे. तुम्हारे भोजन में शहद, जैतून तेल और सबसे अच्छा आटा था. तुम बहुत सुंदर हो गई और रानी बनने के योग्य हो गई.
१३तेरे आभूषण सोने चाँदी के और तेरे वस्त्र सूक्ष्म सन, रेशम और बूटेदार कपड़े के बने; फिर तेरा भोजन मैदा, मधु और तेल हुआ; और तू अत्यन्त सुन्दर, वरन् रानी होने के योग्य हो गई।
14 और तुम्हारी सुंदरता के कारण तुम्हारी प्रसिद्धि जाति-जाति के लोगों में फैल गई, क्योंकि मैंने तुम्हें जो शोभा दी, उसने तुम्हारी सुंदरता को परिपूर्ण कर दिया, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
१४तेरी सुन्दरता की कीर्ति अन्यजातियों में फैल गई, क्योंकि उस प्रताप के कारण, जो मैंने अपनी ओर से तुझे दिया था, तू अत्यन्त सुन्दर थी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
15 “‘परंतु तुमने अपनी सुंदरता पर भरोसा किया और अपनी प्रसिद्धि का उपयोग एक वेश्या बनने में किया. जो भी तुम्हारे पास से होकर गुजरा, तुमने उस पर बहुत कृपा दिखाई, और तुम्हारी सुंदरता ने उसे मोह लिया.
१५“परन्तु तू अपनी सुन्दरता पर भरोसा करके अपनी नामवरी के कारण व्यभिचार करने लगी, और सब यात्रियों के संग बहुत कुकर्म किया, और जो कोई तुझे चाहता था तू उसी से मिलती थी।
16 तुमने अपने कुछ कपड़ों को लेकर भड़कीले ऊंचे स्थान बनाए, और वहां तुम वेश्यावृत्ति करती रही. तुम उसके पास गई, और उसने तुम्हारी सुंदरता पर अधिकार कर लिया है.
१६तूने अपने वस्त्र लेकर रंग-बिरंगे ऊँचे स्थान बना लिए, और उन पर व्यभिचार किया, ऐसे कुकर्म किए जो न कभी हुए और न होंगे।
17 तुमने मेरे दिये हुए उन सुंदर गहनों को भी लिया, जो सोने और चांदी से बने थे, और तुमने अपने लिए पुरुष-मूर्तियां बना लीं और उन मूर्तियों के साथ व्यभिचार करने लगीं.
१७तूने अपने सुशोभित गहने लेकर जो मेरे दिए हुए सोने-चाँदी के थे, उनसे पुरुषों की मूरतें बना ली, और उनसे भी व्यभिचार करने लगी;
18 और तुमने अपने कसीदा किए हुए कपड़े लेकर उनको पहनाए, और तुमने मेरा तेल और धूप उनको चढ़ाए.
१८और अपने बूटेदार वस्त्र लेकर उनको पहनाए, और मेरा तेल और मेरा धूप उनके सामने चढ़ाया।
19 और वह भोजन भी जो मैंने तुमको तुम्हारे खाने के लिये दिया था—आटा, जैतून तेल और शहद—तुमने इसे उनके सामने एक सुगंधित धूप के रूप में चढ़ाया. ऐसा ही हुआ है, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
१९जो भोजन मैंने तुझे दिया था, अर्थात् जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तूने उनके सामने सुखदायक सुगन्ध करके रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि ऐसा ही हुआ।
20 “‘और तुमने अपने उन बेटे और बेटियों को लिया, जिन्हें तुमने मेरे लिए पैदा किए थे, और उन्हें उन मूर्तियों के लिये भोजन के रूप में चढ़ा दिया. क्या तुम्हारी वेश्यावृत्ति पर्याप्‍त नहीं थी?
२०फिर तूने अपने पुत्र-पुत्रियाँ लेकर जिन्हें तूने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूर्तियों को बलिदान करके चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थीं;
21 तुमने मेरे बच्चों का वध किया और उन्हें इन मूर्तियों को चढ़ा दिया.
२१कि तूने मेरे बाल-बच्चे उन मूर्तियों के आगे आग में चढ़ाकर घात किए हैं?
22 अपने इन सब घृणित कार्यों और वेश्यावृत्ति के बीच, तुमने अपने बचपन के उन दिनों को भूला दिया, जब तुम नंगी और खुली अपने खून में लेट रही थी.
२२तूने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जबकि तू नंगी अपने लहू में लोटती थी।
23 “‘धिक्कार! धिक्कार है तुम पर, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. अपनी सब दुष्टताओं के अलावा,
२३“तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय!
24 तुमने अपने लिये एक टीला बना लिया है और हर एक चौक पर अपने लिए एक ऊंचा पूजा-स्थल बनाया है.
२४तूने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊँचा स्थान बनवा लिया;
25 हर एक गली के कोने पर तुमने ऊंचे पूजा-स्थल बना लिए हैं और वहां से गुज़रने वाले लोगों के सामने बढ़ती दुराचार प्रवृत्ति के साथ अपने पैरों को फैलाकर अपनी सुंदरता का अपमान किया है.
२५और एक-एक सड़क के सिरे पर भी तूने अपना ऊँचा स्थान बनवाकर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुलाकर महाव्यभिचारिणी हो गई।
26 तुमने बड़े जननांगों वाले मिस्री और अपने पड़ोसियों से व्यभिचार किया है, और अपनी बढ़ती दुराचार प्रवृत्ति से तुमने मेरे क्रोध को भड़काया है.
२६तूने अपने पड़ोसी मिस्री लोगों से भी, जो मोटे-ताजे हैं, व्यभिचार किया और मुझे क्रोध दिलाने के लिये अपना व्यभिचार बढ़ाती गई।
27 इसलिये मैंने अपना हाथ तुम्हारे विरुद्ध उठाया है और तुम्हारे क्षेत्र को घटा दिया है, मैंने तुम्हें तुम्हारे शत्रुओं की कृपा पर छोड़ दिया है, अर्थात् फिलिस्तीनियों की पुत्रियों की कृपा पर, जिन्हें तुम्हारे व्यभिचारी आचरण के कारण धक्का लगा है.
२७इस कारण मैंने अपना हाथ तेरे विरुद्ध बढ़ाकर, तेरा प्रतिदिन का खाना घटा दिया, और तेरी बैरिन पलिश्ती स्त्रियाँ जो तेरे महापाप की चाल से लजाती है, उनकी इच्छा पर मैंने तुझे छोड़ दिया है।
28 तुमने अश्शूरियों के साथ भी व्यभिचार किया है, क्योंकि तुम्हें संतोष ही नहीं होता था; और उसके बाद भी तुम संतुष्ट न हुई
२८फिर भी तेरी तृष्णा न बुझी, इसलिए तूने अश्शूरी लोगों से भी व्यभिचार किया; और उनसे व्यभिचार करने पर भी तेरी तृष्णा न बुझी।
29 तब तुमने अपने दुराचार प्रवृत्ति को बढ़ाकर उसमें बाबेल देश को भी शामिल कर लिया, जो व्यापारियों का एक देश है, पर इससे भी तुम्हें संतोष न हुआ.
२९फिर तू लेन-देन के देश में व्यभिचार करते-करते कसदियों के देश तक पहुँची, और वहाँ भी तेरी तृष्णा न बुझी।
30 “‘जब तुम इस प्रकार एक निर्लज्ज वेश्या की तरह काम करती हो, तो मैं क्रोध से भर जाता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है!
३०“प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?
31 जब तुमने हर गली के कोने पर अपना टीला बनाया है और हर चौक में अपना ऊंचा पूजा-स्थल बनाया है, तो तुम एक वेश्या की तरह ठहरी, क्योंकि तुमने दिये गये रकम का असम्मान किया है.
३१तूने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊँचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हँसती है।
32 “‘तुम व्यभिचारी पत्नी हो! तुम अपने स्वयं के पति के बदले अजनबियों को ज्यादा पसंद करती हो!
३२तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराए पुरुषों को अपने पति के बदले ग्रहण करती है।
33 सब वेश्याएं उपहार लेती हैं, परंतु तुम अपने सब प्रेमियों को उपहार देती हो, कि वे हर जगह से तुम्हारे अवैध चाहत के लिये आएं.
३३सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तूने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपये देकर, और उनको लालच दिखाकर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।
34 इस प्रकार तुम्हारी वेश्यावृत्ति दूसरों की वेश्यावृत्ति का उलटा है; तुम्हारी चाहत के लिये तुम्हारे पीछे कोई नहीं भागता. तुम बिलकुल उलटा हो, क्योंकि तुम दाम (पैसा) देती हो और तुम्हें कुछ नहीं दिया जाता.
३४इस प्रकार तेरा व्यभिचार अन्य व्यभिचारियों से उलटा है। तेरे पीछे कोई व्यभिचारी नहीं चलता, और तू किसी से दाम लेती नहीं, वरन् तू ही देती है; इसी कारण तू उलटी ठहरी।
35 “‘इसलिये, हे वेश्या, याहवेह की बात सुनो!
३५“इस कारण, हे वेश्या, यहोवा का वचन सुन,
36 परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्योंकि तुमने अपनी वासना को उंडेला है और अपने कामुक प्रवृत्ति में अपने प्रेमियों को अपने नंगे देह को दिखाया है, और तुम्हारे सब घृणित मूर्तियों के कारण, और क्योंकि तुमने उन मूर्तियों को अपने बच्चों का खून दिया है,
३६प्रभु यहोवा यह कहता है: तूने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज होकर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूर्तियों से घृणित काम किए, और अपने बच्चों का लहू बहाकर उन्हें बलि चढ़ाया है,
37 इसलिये मैं तुम्हारे उन सब प्रेमियों को इकट्ठा करनेवाला हूं, जिनके साथ तुम्हें खुशी मिली है, जिनसे तुमने प्रेम किया है, साथ ही साथ जिनसे तुमने घृणा किया है. मैं उन्हें चारों तरफ से तुम्हारे विरुद्ध इकट्ठा करूंगा और उनके सामने तुम्हारे कपड़े उतारूंगा और वे तुम्हें पूरी तरह नंगी देखेंगे.
३७इस कारण देख, मैं तेरे सब मित्रों को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तूने प्रीति लगाई, और जितनों से तूने बैर रखा, उन सभी को चारों ओर से तेरे विरुद्ध इकट्ठा करके उनको तेरी देह नंगी करके दिखाऊँगा, और वे तेरा तन देखेंगे।
38 मैं तुम्हें उन स्त्रियों का दंड दूंगा जो व्यभिचार करती हैं और जो खून बहाती हैं; मैं अपने कोप और ईर्ष्या के क्रोध से तुमसे खून का बदला लूंगा.
३८तब मैं तुझको ऐसा दण्ड दूँगा, जैसा व्यभिचारिणियों और लहू बहानेवाली स्त्रियों को दिया जाता है; और क्रोध और जलन के साथ तेरा लहू बहाऊँगा।
39 तब मैं तुम्हें तुम्हारे प्रेमियों के हाथों में सौंप दूंगा, और वे तुम्हारे पूजा के टीलों को तोड़कर गिरा देंगे और तुम्हारे ऊंचे पूजा स्थलों को नष्ट कर देंगे. वे तुम्हारे कपड़े उतार लेंगे और तुम्हारे अच्छे गहने आभूषण लूट लेंगे और तुम्हें बिलकुल नंगी छोड़ देंगे.
३९इस रीति मैं तुझे उनके वश में कर दूँगा, और वे तेरे गुम्मटों को ढा देंगे, और तेरे ऊँचे स्थानों को तोड़ देंगे; वे तेरे वस्त्र जबरन उतारेंगे, और तेरे सुन्दर गहने छीन लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे।
40 वे तुम्हारे विरुद्ध एक उपद्रवी भीड़ ले आएंगे, जो तुम पर पत्थरवाह करेंगे और तुम्हें अपनी तलवारों से टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे.
४०तब तेरे विरुद्ध एक सभा इकट्ठी करके वे तुझ पर पथराव करेंगे, और अपनी कटारों से आर-पार छेदेंगे।
41 वे तुम्हारे घरों को जला देंगे और बहुत सी स्त्रियों के देखते में तुम्हें दंड देंगे. मैं तुम्हारे वेश्यावृत्ति को बंद कर दूंगा, और तुम अपने प्रेमियों को दाम नहीं दोगी.
४१तब वे आग लगाकर तेरे घरों को जला देंगे, और तुझे बहुत सी स्त्रियों के देखते दण्ड देंगे; और मैं तेरा व्यभिचार बन्द करूँगा, और तू फिर वेश्यावृत्ति के लिये दाम न देगी।
42 तब तुम्हारे विरुद्ध मेरा कोप ठंडा पड़ जाएगा और तुम्हारे ऊपर से मेरी ईर्ष्या का क्रोध जाता रहेगा; मैं शांत हो जाऊंगा और फिर गुस्सा नहीं करूंगा.
४२जब मैं तुझ पर पूरी जलजलाहट प्रगट कर चुकूँगा, तब तुझ पर और न जलूँगा वरन् शान्त हो जाऊँगा, और फिर क्रोध न करूँगा।
43 “‘क्योंकि तुमने अपनी जवानी के दिनों को याद नहीं रखा, पर इन सब कामों के द्वारा मुझे नाराज किया; इसलिये जो कुछ तुमने किया है, निश्चित रूप से उन बातों को मैं तुम्हारे ही सिर पर ले आऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है. अपने सब दूसरे घृणित कामों के अलावा क्या तुमने अश्लीलता भी नहीं की?
४३तूने जो अपने बचपन के दिन स्मरण नहीं रखे, वरन् इन सब बातों के द्वारा मुझे चिढ़ाया; इस कारण मैं तेरा चाल चलन तेरे सिर पर डालूँगा और तू अपने सब पिछले घृणित कामों से और अधिक महापाप न करेगी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
44 “‘हर एक व्यक्ति, जो कहावतों का प्रयोग करता है, वह तुम्हारे बारे में इस कहावत का प्रयोग करेगा: “जैसी मां, वैसी बेटी.”
४४“देख, सब कहावत कहनेवाले तेरे विषय यह कहावत कहेंगे, ‘जैसी माँ वैसी पुत्री।’
45 तुम अपनी मां की सही बेटी हो, जिसने अपने पति और अपने बच्चों को तुच्छ जाना; और तुम अपनी बहनों की सही बहन हो, जिन्होंने अपने पतियों और बच्चों को तुच्छ जाना. तुम्हारी माता एक हित्ती और तुम्हारे पिता एक अमोरी थे.
४५तेरी माँ जो अपने पति और बच्चों से घृणा करती थी, तू भी ठीक उसकी पुत्री ठहरी; और तेरी बहनें जो अपने-अपने पति और बच्चों से घृणा करती थीं, तू भी ठीक उनकी बहन निकली। तेरी माता हित्तिन और पिता एमोरी था।
46 शमरिया तुम्हारी बड़ी बहन थी, जो अपनी बेटियों के साथ तुम्हारे उत्तर की ओर रहती थी; और तुम्हारी छोटी बहन सोदोम है, जो अपनी बेटियों के साथ तुम्हारे दक्षिण की ओर रहती थी.
४६तेरी बड़ी बहन सामरिया है, जो अपनी पुत्रियों समेत तेरी बाईं ओर रहती है, और तेरी छोटी बहन, जो तेरी दाहिनी ओर रहती है वह पुत्रियों समेत सदोम है।
47 तुमने न सिर्फ उनके पद-चिन्हों पर चलकर उनके घृणित कामों की नकल की, पर जल्दी ही तुम अपने सब कामों में उनसे भी ज्यादा भ्रष्‍ट हो गई.
४७तू उनकी सी चाल नहीं चली, और न उनके से घृणित कामों ही से सन्तुष्ट हुई; यह तो बहुत छोटी बात ठहरती, परन्तु तेरा सारा चाल चलन उनसे भी अधिक बिगड़ गया।
48 परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, तुम्हारी बहन सोदोम तथा उसकी बेटियों ने ऐसा घृणित काम कभी नहीं किया, जैसा कि तुमने और तुम्हारी बेटियों ने किया है.
४८प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, तेरी बहन सदोम ने अपनी पुत्रियों समेत तेरे और तेरी पुत्रियों के समान काम नहीं किए।
49 “‘तुम्हारी बहन सोदोम का पाप यह था: वह और उसकी बेटियां घमंडी, ज्यादा खानेवाली और निश्चिंत जीवन जीनेवाली थी; वे गरीबों और ज़रूरतमंदों की सहायता नहीं करती थी.
४९देख, तेरी बहन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरकर खाती और सुख चैन से रहती थी; और दीन दरिद्र को न सम्भालती थी।
50 वे घमंड से भरी थी और उन्होंने मेरे सामने घृणित कार्य किया. इसलिये मैंने उन्हें दूर कर दिया जैसे कि तुमने देखा है.
५०अतः वह गर्व करके मेरे सामने घृणित काम करने लगी, और यह देखकर मैंने उन्हें दूर कर दिया।
51 शमरिया ने तुमसे आधे भी पाप नहीं किए हैं. तुमने उनसे ज्यादा घृणित काम किए हैं, और तुम्हारे द्वारा किए गये इन सब कामों के द्वारा तुम्हारी बहनें धार्मिक दिखाई दे रही हैं.
५१फिर सामरिया ने तेरे पापों के आधे भी पाप नहीं किए, तूने तो उससे बढ़कर घृणित काम किए, और अपने घोर घृणित कामों के द्वारा अपनी बहनों से जीत गई।
52 अपने कलंक का बोझ उठाती रहो, क्योंकि तुमने ही अपनी बहनों के कुछ न्याय-प्रक्रिया को साफ किया है. क्योंकि तुम्हारे पाप उनके पापों से ज्यादा नीच प्रकृति के थे, वे तुमसे ज्यादा धर्मी जान पड़ती हैं. इसलिये लज्जित हो और अपने कलंक का भार उठाओ, क्योंकि तुलना में तुम्हारी बहनें धर्मी जान पड़ती हैं.
५२इसलिए तूने जो अपनी बहनों का न्याय किया, इस कारण लज्जित हो, क्योंकि तूने उनसे बढ़कर घृणित पाप किए हैं; इस कारण वे तुझ से कम दोषी ठहरी हैं। इसलिए तू इस बात से लज्जा कर और लजाती रह, क्योंकि तूने अपनी बहनों को कम दोषी ठहराया है।
53 “‘फिर भी, मैं सोदोम और उसकी बेटियों के जीवन, शमरिया और उसकी बेटियों के जीवन, और साथ में तुम्हारे जीवन को भी बदलूंगा,
५३“जब मैं उनको अर्थात् पुत्रियों सहित सदोम और सामरिया को बँधुआई से लौटा लाऊँगा, तब उनके बीच ही तेरे बन्दियों को भी लौटा लाऊँगा,
54 ताकि तुम अपने कलंक का बोझ उठा सको और उनको सांत्वना देकर जो काम तुमने किया है, उससे लज्जित हो.
५४जिससे तू लजाती रहे, और अपने सब कामों को देखकर लजाए, क्योंकि तू उनकी शान्ति ही का कारण हुई है।
55 और तुम्हारी बहनें, सोदोम और उसकी बेटियां, और शमरिया और उसकी बेटियां अपने पहले की स्थिति में लौट जाएंगी; और तुम और तुम्हारी बेटियां भी अपने पहले की स्थिति में लौट आएंगी.
५५तेरी बहनें सदोम और सामरिया अपनी-अपनी पुत्रियों समेत अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेंगी, और तू भी अपनी पुत्रियों सहित अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेगी।
56 अपने अहंकार के दिनों में, जब तुम्हारी दुष्टता प्रगट नहीं हुई थी, तब तुम अपनी बहन सोदोम का नाम तक लेना नहीं चाहती थी.
५६जब तक तेरी बुराई प्रगट न हुई थी, अर्थात् जिस समय तक तू आस-पास के लोगों समेत अरामी और पलिश्ती स्त्रियों की जो अब चारों ओर से तुझे तुच्छ जानती हैं, नामधराई करती थी,
57 उसी तरह, अब तुम एदोम की बेटियों और उसके सब पड़ोसियों और फिलिस्तीनियों की बेटियों—अपने चारों तरफ के लोगों के द्वारा तुच्छ समझी जाती हो.
५७उन अपने घमण्ड के दिनों में तो तू अपनी बहन सदोम का नाम भी न लेती थी।
58 तुम्हें अपनी नीचता और घृणित कार्यों का प्रतिफल मिलेगा, याहवेह की घोषणा है.
५८परन्तु अब तुझको अपने महापाप और घृणित कामों का भार आप ही उठाना पड़ा है, यहोवा की यही वाणी है।
59 “‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम्हारे साथ वैसा ही व्यवहार करूंगा, जैसा तुमने किया है, क्योंकि तुमने वाचा को तोड़ने के द्वारा मेरी सौगंध को तुच्छ समझा है.
५९“प्रभु यहोवा यह कहता है: मैं तेरे साथ ऐसा ही बर्ताव करूँगा, जैसा तूने किया है, क्योंकि तूने तो वाचा तोड़कर शपथ तुच्छ जानी है,
60 तौभी, मैं उस वाचा को याद रखूंगा, जिसे मैंने तुम्हारे साथ तुम्हारे जवानी के दिनों में बांधी थी, और मैं तुम्हारे साथ सदाकाल तक बने रहनेवाली एक वाचा बांधूंगा.
६०तो भी मैं तेरे बचपन के दिनों की अपनी वाचा स्मरण करूँगा, और तेरे साथ सदा की वाचा बाँधूँगा।
61 तब तुम अपने चालचलन को याद करके लज्जित होगी, जब तुम अपनी बड़ी और छोटी बहनों से मिलोगी. मैं उन्हें तुमको तुम्हारी बेटियों के रूप में दूंगा, परंतु यह तुम्हारे साथ बांधी गई वाचा के आधार पर नहीं होगा.
६१जब तू अपनी बहनों को अर्थात् अपनी बड़ी और छोटी बहनों को ग्रहण करे, तब तू अपना चाल चलन स्मरण करके लज्जित होगी; और मैं उन्हें तेरी पुत्रियाँ ठहरा दूँगा; परन्तु यह तेरी वाचा के अनुसार न करूँगा।
62 इस प्रकार मैं तुम्हारे साथ अपनी वाचा बांधूंगा, और तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
६२मैं तेरे साथ अपनी वाचा स्थिर करूँगा, और तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ,
63 तब, जब मैं तुम्हारे किए गये सब गलत कार्यों को क्षमा करूंगा, तब तुम याद करोगी और लज्जित होंगी और अपमानित होने के कारण फिर कभी अपना मुंह नहीं खोलोगी, यह परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’”
६३जिससे तू स्मरण करके लज्जित हो, और लज्जा के मारे फिर कभी मुँह न खोले। यह उस समय होगा, जब मैं तेरे सब कामों को ढाँपूँगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”

< यहेजकेल 16 >