< 1 राजा 1 >

1 राजा दावीद अब बहुत बूढ़े हो चुके थे. उन्हें ओढ़ाया अवश्य जाता, था मगर कपड़े उनके शरीर को गर्म नहीं रख पा रहे थे.
दाऊद राजा बूढ़ा और उसकी आयु बहुत बढ़ गई थी; और यद्यपि उसको कपड़े ओढ़ाए जाते थे, तो भी वह गर्म न होता था।
2 इसलिये उनके सेवकों ने उन्हें सलाह दी, “महाराज, हमारे स्वामी के लिए एक जवान लड़की की खोज की जाए, वह महाराज की सेवा करे और उनके सामने ही रहे. वही आपकी गोद में सोया करे, कि महाराज, हमारे स्वामी की देह गर्म रह सके.”
उसके कर्मचारियों ने उससे कहा, “हमारे प्रभु राजा के लिये कोई जवान कुँवारी ढूँढ़ी जाए, जो राजा के सम्मुख रहकर उसकी सेवा किया करे और तेरे पास लेटा करे, कि हमारे प्रभु राजा को गर्मी पहुँचे।”
3 तब उन्होंने पूरे इस्राएल में एक सुंदर लड़की को खोजना शुरू कर दिया. उन्हें शुनाम देश में ऐसी लड़की मिल गई, जिसका नाम था अबीशाग. वे उसे राजा के सामने ले आए.
तब उन्होंने समस्त इस्राएली देश में सुन्दर कुँवारी ढूँढ़ते-ढूँढ़ते अबीशग नामक एक शूनेमिन कन्या को पाया, और राजा के पास ले आए।
4 यह जवान लड़की बहुत ही सुंदर थी. उसे राजा की सेविका बना दिया गया, वह उनकी सेवा करने में लग गई; मगर राजा ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाए.
वह कन्या बहुत ही सुन्दर थी; और वह राजा की दासी होकर उसकी सेवा करती रही; परन्तु राजा का उससे सहवास न हुआ।
5 उसी समय हेग्गीथ के पुत्र अदोनियाह ने अपने आपको ऊंचा उठाते हुए यह घोषणा की: “अगला राजा मैं हूं.” उसने अपने लिए रथ और घुड़सवार भी तैयार कर लिए और अपने आगे-आगे दौड़ने के लिए पचास सैनिक भी.
तब हग्गीत का पुत्र अदोनिय्याह सिर ऊँचा करके कहने लगा, “मैं राजा बनूँगा।” सो उसने रथ और सवार और अपने आगे-आगे दौड़ने को पचास अंगरक्षकों को रख लिए।
6 उसके पिता ने उससे यह प्रश्न करते हुए कभी नहीं रोका: “तुमने ऐसा क्यों किया है?” अदोनियाह एक सुंदर युवक था. उसका जन्म अबशालोम के ठीक बाद ही हुआ था.
उसके पिता ने तो जन्म से लेकर उसे कभी यह कहकर उदास न किया था, “तूने ऐसा क्यों किया।” वह बहुत रूपवान था, और अबशालोम के बाद उसका जन्म हुआ था।
7 अदोनियाह ने जाकर ज़ेरुइयाह के पुत्र योआब और पुरोहित अबीयाथर से मिलकर बातचीत की. उन्होंने अदोनियाह की तरफ होकर उसकी सहायता भी की.
उसने सरूयाह के पुत्र योआब से और एब्यातार याजक से बातचीत की, और उन्होंने उसके पीछे होकर उसकी सहायता की।
8 मगर पुरोहित सादोक, यहोयादा का पुत्र बेनाइयाह, भविष्यद्वक्ता नाथान, शिमेई, रेइ और दावीद के वीर योद्धाओं ने अदोनियाह को समर्थन नहीं दिया.
परन्तु सादोक याजक यहोयादा का पुत्र बनायाह, नातान नबी, शिमी, रेई, और दाऊद के शूरवीरों ने अदोनिय्याह का साथ न दिया।
9 अदोनियाह ने एन-रोगेल नामक स्थान पर जाकर ज़ोहेलेथ नामक चट्टान के पास भेड़ों, बैलों और हष्ट-पुष्ट पशुओं की बलि चढ़ाई. इस मौके पर उसने अपने सभी भाइयों—राजकुमारों और यहूदिया के राजकीय अधिकारियों को तो आमंत्रित किया था,
अदोनिय्याह ने जोहेलेत नामक पत्थर के पास जो एनरोगेल के निकट है, भेड़-बैल और तैयार किए हुए पशुबलि किए, और अपने सब भाइयों, राजकुमारों और राजा के सब यहूदी कर्मचारियों को बुला लिया।
10 मगर उसने इस मौके पर न तो भविष्यद्वक्ता नाथान को, न तो बेनाइयाह को न अपने भाई शलोमोन को और न किसी वीर योद्धा को आमंत्रित किया.
१०परन्तु नातान नबी, और बनायाह और शूरवीरों को और अपने भाई सुलैमान को उसने न बुलाया।
11 नाथान ने शलोमोन की माता बैथशेबा से कहा, “क्या तुमने सुना नहीं कि हेग्गीथ का पुत्र अदोनियाह राजा बन गया है, और दावीद हमारे स्वामी इससे अनजान हैं?”
११तब नातान ने सुलैमान की माता बतशेबा से कहा, “क्या तूने सुना है कि हग्गीत का पुत्र अदोनिय्याह राजा बन बैठा है और हमारा प्रभु दाऊद इसे नहीं जानता?
12 इसलिये अब मेरी सलाह सुनो, कि तुम अपना और अपने पुत्र शलोमोन का जीवन सुरक्षित रख सको:
१२इसलिए अब आ, मैं तुझे ऐसी सम्मति देता हूँ, जिससे तू अपना और अपने पुत्र सुलैमान का प्राण बचाए।
13 इसी समय राजा दावीद से जाकर कहो, “महाराज, मेरे स्वामी, क्या आपने अपनी दासी से यह शपथ न ली थी, ‘मेरे बाद तुम्हारा पुत्र शलोमोन ही राजा बनेगा, वही मेरे सिंहासन पर बैठेगा? तो फिर अदोनियाह राजा कैसे बन बैठा?’
१३तू दाऊद राजा के पास जाकर, उससे यह पूछ, ‘हे मेरे प्रभु! हे राजा! क्या तूने शपथ खाकर अपनी दासी से नहीं कहा, कि तेरा पुत्र सुलैमान मेरे बाद राजा होगा, और वह मेरी राजगद्दी पर विराजेगा? फिर अदोनिय्याह क्यों राजा बन बैठा है?’
14 जब तुम राजा से बातचीत कर ही रही होगी, मैं वहां तुम्हारे पीछे-पीछे आ जाऊंगा और तुम्हारी बातों में हामी भरूंगा.”
१४और जब तू वहाँ राजा से ऐसी बातें करती रहेगी, तब मैं तेरे पीछे आकर, तेरी बातों की पुष्टि करूँगा।”
15 तब बैथशेबा राजा के कमरे में गई. राजा बहुत ही बूढ़े हो चुके थे और शूनामी अबीशाग उनकी सेवा में लगी थी.
१५तब बतशेबा राजा के पास कोठरी में गई; राजा तो बहुत बूढ़ा था, और उसकी सेवा टहल शूनेमिन अबीशग करती थी।
16 बैथशेबा ने झुककर राजा को नमस्कार किया. राजा ने उससे पूछा, “क्या चाहती हो तुम?”
१६बतशेबा ने झुककर राजा को दण्डवत् किया, और राजा ने पूछा, “तू क्या चाहती है?”
17 बैथशेबा ने उन्हें उत्तर दिया, “मेरे स्वामी, आपने अपनी सेविका से याहवेह, आपके परमेश्वर की शपथ ली थी, ‘तुम्हारा पुत्र शलोमोन ही मेरे बाद राजा होगा, और वह मेरे राज सिंहासन पर बैठेगा.’
१७उसने उत्तर दिया, “हे मेरे प्रभु, तूने तो अपने परमेश्वर यहोवा की शपथ खाकर अपनी दासी से कहा था, ‘तेरा पुत्र सुलैमान मेरे बाद राजा होगा और वह मेरी गद्दी पर विराजेगा।’
18 अब देखिए, अदोनियाह राजा बन बैठा है, जबकि महाराज, मेरे स्वामी, आपको इसके बारे में पता ही नहीं है.
१८अब देख अदोनिय्याह राजा बन बैठा है, और अब तक मेरा प्रभु राजा इसे नहीं जानता।
19 अदोनियाह ने बड़ी संख्या में बैलों, हष्ट-पुष्ट पशुओं और भेड़ों की बलि चढ़ाई है, और उसने राजा के सभी पुत्रों को पुरोहित अबीयाथर और सेनापति योआब को भी बुलाया है, मगर आपके सेवक शलोमोन को इसके लिए नहीं बुलाया गया है.
१९उसने बहुत से बैल तैयार किए, पशु और भेड़ें बलि की, और सब राजकुमारों को और एब्यातार याजक और योआब सेनापति को बुलाया है, परन्तु तेरे दास सुलैमान को नहीं बुलाया।
20 महाराज, मेरे स्वामी, इस समय सारे इस्राएल की नज़रें आप पर लगी हैं, कि आप यह घोषणा करें कि महाराज, मेरे स्वामी के बाद कौन सिंहासन पर बैठेगा.
२०और हे मेरे प्रभु! हे राजा! सब इस्राएली तुझे ताक रहे हैं कि तू उनसे कहे, कि हमारे प्रभु राजा की गद्दी पर उसके बाद कौन बैठेगा।
21 नहीं तो यही होगा कि जैसे ही आप मेरे स्वामी हमेशा के लिए अपने पूर्वजों में जा मिलेंगे, मुझे और मेरे पुत्र शलोमोन को अपराधी घोषित कर दिया जाएगा.”
२१नहीं तो जब हमारा प्रभु राजा, अपने पुरखाओं के संग सोएगा, तब मैं और मेरा पुत्र सुलैमान दोनों अपराधी गिने जाएँगे।”
22 बैथशेबा राजा से यह बातें कर ही रही थी, कि भविष्यद्वक्ता नाथान वहां आ गए.
२२जब बतशेबा राजा से बातें कर ही रही थी, कि नातान नबी भी आ गया।
23 उन्हें बताया गया, “भविष्यद्वक्ता नाथान आए हैं.” जब भविष्यद्वक्ता नाथान राजा के सामने पहुंचे, उन्होंने राजा को दंडवत किया.
२३और राजा से कहा गया, “नातान नबी हाजिर है;” तब वह राजा के सम्मुख आया, और मुँह के बल गिरकर राजा को दण्डवत् की।
24 इसके बाद नाथान ने कहा, “महाराज, मेरे स्वामी, क्या यह आपकी घोषणा है ‘मेरे बाद अदोनियाह राज करेगा, वही मेरे सिंहासन पर बैठेगा?’
२४तब नातान कहने लगा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा! क्या तूने कहा है, ‘अदोनिय्याह मेरे बाद राजा होगा और वह मेरी गद्दी पर विराजेगा?’
25 क्योंकि आज उसने जाकर बैल, हष्ट-पुष्ट पशु और बड़ी मात्रा में भेड़ों की बलि चढ़ाई है. इस मौके पर उसने सभी राजकुमारों, सेनापतियों और पुरोहित अबीयाथर को भी आमंत्रित किया है. ये सभी इस समय उसकी उपस्थिति में यह कहते हुए खुशी मना रहे है. ‘अदोनियाह सदा जीवित रहे!’
२५देख उसने आज नीचे जाकर बहुत से बैल, तैयार किए हुए पशु और भेड़ें बलि की हैं, और सब राजकुमारों और सेनापतियों को और एब्यातार याजक को भी बुला लिया है; और वे उसके सम्मुख खाते पीते हुए कह रहे हैं, ‘अदोनिय्याह राजा जीवित रहे।’
26 मगर अदोनियाह ने मुझे, हां मुझे, आपके सेवक को, पुरोहित सादोक को, यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह और आपके सेवक शलोमोन को नहीं बुलाया है.
२६परन्तु मुझ तेरे दास को, और सादोक याजक और यहोयादा के पुत्र बनायाह, और तेरे दास सुलैमान को उसने नहीं बुलाया।
27 क्या, यह सब महाराज, मेरे स्वामी द्वारा किया गया है, और आपने अपने इन सेवकों को इस बात की सूचना देना सही न समझा, कि महाराज, मेरे स्वामी के बाद उनके सिंहासन पर कौन बैठेगा?”
२७क्या यह मेरे प्रभु राजा की ओर से हुआ? तूने तो अपने दास को यह नहीं जताया है, कि प्रभु राजा की गद्दी पर कौन उसके बाद विराजेगा।”
28 जब राजा दावीद ने यह सुना, उन्होंने आदेश दिया, “मेरे सामने बैथशेबा को बुलाया जाए.” बैथशेबा आकर राजा के सामने खड़ी हो गई.
२८दाऊद राजा ने कहा, “बतशेबा को मेरे पास बुला लाओ।” तब वह राजा के पास आकर उसके सामने खड़ी हुई।
29 राजा ने यह शपथ लेते हुए कहा, “जीवित याहवेह की शपथ, जिन्होंने मुझे हर एक मुसीबत में से निकाला है,
२९राजा ने शपथ खाकर कहा, “यहोवा जो मेरा प्राण सब जोखिमों से बचाता आया है,
30 मैंने इस्राएल के परमेश्वर, याहवेह के सामने जो शपथ ली थी, ‘तुम्हारा पुत्र शलोमोन मेरे बाद राजा होगा और वही मेरी जगह पर मेरे सिंहासन पर बैठेगा,’ मैं आज ठीक यही पूरा करूंगा.”
३०उसके जीवन की शपथ, जैसा मैंने तुझ से इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की शपथ खाकर कहा था, ‘तेरा पुत्र सुलैमान मेरे बाद राजा होगा, और वह मेरे बदले मेरी गद्दी पर विराजेगा,’ वैसा ही मैं निश्चय आज के दिन करूँगा।”
31 यह सुन बैथशेबा ने झुककर राजा को दंडवत करते हुए कहा, “राजा दावीद, मेरे स्वामी, सदा जीवित रहें.”
३१तब बतशेबा ने भूमि पर मुँह के बल गिर राजा को दण्डवत् करके कहा, “मेरा प्रभु राजा दाऊद सदा तक जीवित रहे!”
32 राजा दावीद ने आदेश दिया, “पुरोहित सादोक, भविष्यद्वक्ता नाथान और यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह को मेरे सामने बुलाया जाए.” जब वे राजा के सामने आए,
३२तब दाऊद राजा ने कहा, “मेरे पास सादोक याजक, नातान नबी, यहोयादा के पुत्र बनायाह को बुला लाओ।” अतः वे राजा के सामने आए।
33 राजा ने उन्हें आदेश दिया, “मेरे पुत्र शलोमोन को मेरे निज खच्चर पर चढ़ाकर उसे अपने स्वामी के सेवकों के साथ लेकर गीहोन चले जाओ.
३३राजा ने उनसे कहा, “अपने प्रभु के कर्मचारियों को साथ लेकर मेरे पुत्र सुलैमान को मेरे निज खच्चर पर चढ़ाओ; और गीहोन को ले जाओ;
34 वहां पहुंचकर पुरोहित सादोक और भविष्यद्वक्ता नाथान इस्राएल का राजा होने के लिए शलोमोन को अभिषेक करें. इसके बाद नरसिंग फूंकने के साथ यह घोषणा की जाए. ‘राजा शलोमोन सदा जीवित रहें!’
३४और वहाँ सादोक याजक और नातान नबी इस्राएल का राजा होने को उसका अभिषेक करें; तब तुम सब नरसिंगा फूँककर कहना, ‘राजा सुलैमान जीवित रहे।’
35 आप सभी इसके बाद शलोमोन के पीछे-पीछे आएं. तब वह यहां आकर मेरे राज सिंहासन पर बैठे कि वह मेरे बाद मेरी जगह पर राजा हो जाए; क्योंकि खुद मैंने उसे यहूदिया और इस्राएल पर राजा बनाया है.”
३५और तुम उसके पीछे-पीछे इधर आना, और वह आकर मेरे सिंहासन पर विराजे, क्योंकि मेरे बदले में वही राजा होगा; और उसी को मैंने इस्राएल और यहूदा का प्रधान होने को ठहराया है।”
36 यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह ने राजा से कहा, “आमेन! महाराज, मेरे स्वामी के परमेश्वर, याहवेह भी ऐसा ही कहें.
३६तब यहोयादा के पुत्र बनायाह ने कहा, “आमीन! मेरे प्रभु राजा का परमेश्वर यहोवा भी ऐसा ही कहे।
37 जिस प्रकार याहवेह महाराज, मेरे स्वामी के साथ साथ रहे हैं, उसी प्रकार वह शलोमोन के साथ साथ बने रहें, और उसके सिंहासन को मेरे स्वामी, राजा दावीद के सिंहासन से भी अधिक बढ़ाएं.”
३७जिस रीति यहोवा मेरे प्रभु राजा के संग रहा, उसी रीति वह सुलैमान के भी संग रहे, और उसका राज्य मेरे प्रभु दाऊद राजा के राज्य से भी अधिक बढ़ाए।”
38 तब पुरोहित सादोक, भविष्यद्वक्ता नाथान, यहोयादा का पुत्र बेनाइयाह और केरेथि और पेलेथी शलोमोन को राजा दावीद के निज खच्चर पर बैठाकर उसे गीहोन ले गए.
३८तब सादोक याजक और नातान नबी और यहोयादा का पुत्र बनायाह और करेतियों और पलेतियों को संग लिए हुए नीचे गए, और सुलैमान को राजा दाऊद के खच्चर पर चढ़ाकर गीहोन को ले चले।
39 वहां पुरोहित सादोक ने मिलनवाले तंबू से लाए हुए सींग के तेल से शलोमोन का अभिषेक किया. तब उन्होंने नरसिंगा फूंका और सभी ने एक आवाज में यह नारे लगाए: “राजा शलोमोन सदा जीवित रहें!”
३९तब सादोक याजक ने यहोवा के तम्बू में से तेल भरा हुआ सींग निकाला, और सुलैमान का राज्याभिषेक किया। और वे नरसिंगे फूँकने लगे; और सब लोग बोल उठे, “राजा सुलैमान जीवित रहे।”
40 तब सारी भीड़ बड़े ही आनंद में बांसुरी बजाते हुए राजा के पीछे-पीछे चलने लगी. इतनी तेज थी उनकी आवाज कि इससे धरती डोल उठी!
४०तब सब लोग उसके पीछे-पीछे बाँसुरी बजाते और इतना बड़ा आनन्द करते हुए ऊपर गए, कि उनकी ध्वनि से पृथ्वी डोल उठी।
41 यह आवाज अदोनियाह और उसके सभी अतिथियों ने भी सुनी. इस समय वे अपना भोजन खत्म कर ही रहे थे. जैसे ही योआब ने नरसिंगे की आवाज सुनी, वह पूछने लगा, “नगर में इस चिल्लाहट का कारण क्या है?”
४१जब अदोनिय्याह और उसके सब अतिथि खा चुके थे, तब यह ध्वनि उनको सुनाई पड़ी। योआब ने नरसिंगे का शब्द सुनकर पूछा, “नगर में हलचल और चिल्लाहट का शब्द क्यों हो रहा है?”
42 वह यह पूछताछ कर ही रहा था, कि पुरोहित अबीयाथर का पुत्र योनातन वहां आ पहुंचा. अदोनियाह ने उससे कहा, “यहां आओ तुम भले व्यक्ति हो, इसलिये भला समाचार ही लाए होगे.”
४२वह यह कहता ही था, कि एब्यातार याजक का पुत्र योनातान आया और अदोनिय्याह ने उससे कहा, “भीतर आ; तू तो भला मनुष्य है, और भला समाचार भी लाया होगा।”
43 योनातन ने उसे उत्तर दिया, “नहीं! हमारे स्वामी, महाराज दावीद ने शलोमोन को राजा बना दिया है.
४३योनातान ने अदोनिय्याह से कहा, “सचमुच हमारे प्रभु राजा दाऊद ने सुलैमान को राजा बना दिया।
44 राजा दावीद ने उसे पुरोहित सादोक, भविष्यद्वक्ता नाथान, यहोयादा के पुत्र बेनाइयाह और केरेथि और पेलेथी भी उसके साथ भेजे हैं. इसके अलावा उन्होंने शलोमोन को राजा दावीद के निज खच्चर पर भी चढ़ा दिया है.
४४और राजा ने सादोक याजक, नातान नबी और यहोयादा के पुत्र बनायाह और करेतियों और पलेतियों को उसके संग भेज दिया, और उन्होंने उसको राजा के खच्चर पर चढ़ाया है।
45 पुरोहित सादोक और भविष्यद्वक्ता नाथान ने गीहोन में शलोमोन का राजाभिषेक कर दिया है. वे सभी वहां से बड़ी ही खुशी में लौटे हैं. इसलिये नगर में यह आनंद मनाने की आवाज सुनाई दे रही है. यही है वह चिल्लाहट, जो आपने सुनी है.
४५और सादोक याजक, और नातान नबी ने गीहोन में उसका राज्याभिषेक किया है; और वे वहाँ से ऐसा आनन्द करते हुए ऊपर गए हैं कि नगर में हलचल मच गई, और जो शब्द तुम को सुनाई पड़ रहा है वही है।
46 इन सबके अलावा अब शलोमोन राज सिंहासन पर बैठे हैं.
४६सुलैमान राजगद्दी पर विराज भी रहा है।
47 वह सब होने के बाद राजा के सेवकों ने जाकर महाराज, हमारे स्वामी को यह कहते हुए बधाईयां दी है ‘परमेश्वर शलोमोन के नाम को आपके नाम से भी अधिक ऊंचा करें, उनके राज सिंहासन को आपके राज सिंहासन से भी अधिक बढ़ाएं.’ यह सुन महाराज ने अपने पलंग पर ही दंडवत किया.
४७फिर राजा के कर्मचारी हमारे प्रभु दाऊद राजा को यह कहकर धन्य कहने आए, ‘तेरा परमेश्वर, सुलैमान का नाम, तेरे नाम से भी महान करे, और उसका राज्य तेरे राज्य से भी अधिक बढ़ाए;’ और राजा ने अपने पलंग पर दण्डवत् की।
48 साथ ही राजा ने यह भी कहा, ‘धन्य हैं, याहवेह, इस्राएल के परमेश्वर, जिन्होंने आज किसी को मेरे सिंहासन पर बैठने के लिए चुना है, और उसे खुद मेरी आंखों ने देख लिया है.’”
४८फिर राजा ने यह भी कहा, ‘इस्राएल का परमेश्वर यहोवा धन्य है, जिसने आज मेरे देखते एक को मेरी गद्दी पर विराजमान किया है।’”
49 यह सुन अदोनियाह के सभी अतिथि बहुत ही डर गए. वे सभी उसी समय उठकर अपने-अपने रास्ते पर निकल गए.
४९तब जितने अतिथि अदोनिय्याह के संग थे वे सब थरथरा उठे, और उठकर अपना-अपना मार्ग लिया।
50 फिर अदोनियाह मन ही मन शलोमोन से डरने लगा; इसलिये उसने तुरंत जाकर वेदी के सींग पकड़ लिए. शलोमोन को इस बात की ख़बर इस प्रकार दी गई:
५०और अदोनिय्याह सुलैमान से डरकर उठा, और जाकर वेदी के सींगों को पकड़ लिया।
51 “सुनिए, सुनिए! अदोनियाह महाराज से डरता है, इसलिये उसने जाकर यह कहते हुए वेदी के सींग थाम लिए हैं, ‘आज महाराज शलोमोन यह शपथ लें, कि वह अपने सेवक को तलवार से नहीं मारेंगे.’”
५१तब सुलैमान को यह समाचार मिला, “अदोनिय्याह सुलैमान राजा से ऐसा डर गया है कि उसने वेदी के सींगों को यह कहकर पकड़ लिया है, ‘आज राजा सुलैमान शपथ खाए कि अपने दास को तलवार से न मार डालेगा।’”
52 शलोमोन ने उत्तर दिया, “यदि वह अपने आपको एक अच्छा व्यक्ति साबित करे, उसका ज़रा सा भी नुकसान न होगा; मगर यदि उसमें दुष्टता का अंश भी पाया गया तो उसकी मृत्यु तय है.”
५२सुलैमान ने कहा, “यदि वह भलमनसी दिखाए तो उसका एक बाल भी भूमि पर गिरने न पाएगा, परन्तु यदि उसमें दुष्टता पाई जाए, तो वह मारा जाएगा।”
53 राजा शलोमोन ने आदेश दिया कि उसे वेदी से लाकर उनके सामने पेश किया जाए. वह लाया गया, और उसे राजा शलोमोन के सामने पेश किया गया. वह आया और राजा शलोमोन के सामने दंडवत हो गया. राजा शलोमोन ने उसे आदेश दिया, “आप अपने घर को लौट जाइए.”
५३तब राजा सुलैमान ने लोगों को भेज दिया जो उसको वेदी के पास से उतार ले आए तब उसने आकर राजा सुलैमान को दण्डवत् की और सुलैमान ने उससे कहा, “अपने घर चला जा।”

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