< שִׁיר הַשִּׁירִים 3 >

עַל־מִשְׁכָּבִי֙ בַּלֵּילֹ֔ות בִּקַּ֕שְׁתִּי אֵ֥ת שֶׁאָהֲבָ֖ה נַפְשִׁ֑י בִּקַּשְׁתִּ֖יו וְלֹ֥א מְצָאתִֽיו׃ 1
रात के समय मैं अपने पलंग पर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ती रही; मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया;
אָק֨וּמָה נָּ֜א וַאֲסֹובְבָ֣ה בָעִ֗יר בַּשְּׁוָקִים֙ וּבָ֣רְחֹבֹ֔ות אֲבַקְשָׁ֕ה אֵ֥ת שֶׁאָהֲבָ֖ה נַפְשִׁ֑י בִּקַּשְׁתִּ֖יו וְלֹ֥א מְצָאתִֽיו׃ 2
“मैंने कहा, मैं अब उठकर नगर में, और सड़कों और चौकों में घूमकर अपने प्राणप्रिय को ढूँढ़ूगी।” मैं उसे ढूँढ़ती तो रही, परन्तु उसे न पाया।
מְצָא֙וּנִי֙ הַשֹּׁ֣מְרִ֔ים הַסֹּבְבִ֖ים בָּעִ֑יר אֵ֛ת שֶׁאָהֲבָ֥ה נַפְשִׁ֖י רְאִיתֶֽם׃ 3
जो पहरुए नगर में घूमते थे, वे मुझे मिले, मैंने उनसे पूछा, “क्या तुम ने मेरे प्राणप्रिय को देखा है?”
כִּמְעַט֙ שֶׁעָבַ֣רְתִּי מֵהֶ֔ם עַ֣ד שֶֽׁמָּצָ֔אתִי אֵ֥ת שֶׁאָהֲבָ֖ה נַפְשִׁ֑י אֲחַזְתִּיו֙ וְלֹ֣א אַרְפֶּ֔נּוּ עַד־שֶׁ֤הֲבֵיאתִיו֙ אֶל־בֵּ֣ית אִמִּ֔י וְאֶל־חֶ֖דֶר הֹורָתִֽי׃ 4
मुझ को उनके पास से आगे बढ़े थोड़े ही देर हुई थी कि मेरा प्राणप्रिय मुझे मिल गया। मैंने उसको पकड़ लिया, और उसको जाने न दिया जब तक उसे अपनी माता के घर अर्थात् अपनी जननी की कोठरी में न ले आई।
הִשְׁבַּ֨עְתִּי אֶתְכֶ֜ם בְּנֹ֤ות יְרוּשָׁלַ֙͏ִם֙ בִּצְבָאֹ֔ות אֹ֖ו בְּאַיְלֹ֣ות הַשָּׂדֶ֑ה אִם־תָּעִ֧ירוּ ׀ וְֽאִם־תְּעֹֽורְר֛וּ אֶת־הָאַהֲבָ֖ה עַ֥ד שֶׁתֶּחְפָּֽץ׃ ס 5
हे यरूशलेम की पुत्रियों, मैं तुम से चिकारियों और मैदान की हिरनियों की शपथ धराकर कहती हूँ, कि जब तक प्रेम आप से न उठे, तब तक उसको न उकसाओं और न जगाओ। वधू
מִ֣י זֹ֗את עֹלָה֙ מִן־הַמִּדְבָּ֔ר כְּתִֽימֲרֹ֖ות עָשָׁ֑ן מְקֻטֶּ֤רֶת מֹור֙ וּלְבֹונָ֔ה מִכֹּ֖ל אַבְקַ֥ת רֹוכֵֽל׃ 6
यह क्या है जो धुएँ के खम्भे के समान, गन्धरस और लोबान से सुगन्धित, और व्यापारी की सब भाँति की बुकनी लगाए हुए जंगल से निकला आता है?
הִנֵּ֗ה מִטָּתֹו֙ שֶׁלִּשְׁלֹמֹ֔ה שִׁשִּׁ֥ים גִּבֹּרִ֖ים סָבִ֣יב לָ֑הּ מִגִּבֹּרֵ֖י יִשְׂרָאֵֽל׃ 7
देखो, यह सुलैमान की पालकी है! उसके चारों ओर इस्राएल के शूरवीरों में के साठ वीर हैं।
כֻּלָּם֙ אֲחֻ֣זֵי חֶ֔רֶב מְלֻמְּדֵ֖י מִלְחָמָ֑ה אִ֤ישׁ חַרְבֹּו֙ עַל־יְרֵכֹ֔ו מִפַּ֖חַד בַּלֵּילֹֽות׃ ס 8
वे सब के सब तलवार बाँधनेवाले और युद्ध विद्या में निपुण हैं। प्रत्येक पुरुष रात के डर से जाँघ पर तलवार लटकाए रहता है।
אַפִּרְיֹ֗ון עָ֤שָׂה לֹו֙ הַמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֔ה מֵעֲצֵ֖י הַלְּבָנֹֽון׃ 9
सुलैमान राजा ने अपने लिये लबानोन के काठ की एक बड़ी पालकी बनवा ली।
עַמּוּדָיו֙ עָ֣שָׂה כֶ֔סֶף רְפִידָתֹ֣ו זָהָ֔ב מֶרְכָּבֹ֖ו אַרְגָּמָ֑ן תֹּוכֹו֙ רָצ֣וּף אַהֲבָ֔ה מִבְּנֹ֖ות יְרוּשָׁלָֽ͏ִם׃ 10
१०उसने उसके खम्भे चाँदी के, उसका सिरहाना सोने का, और गद्दी बैंगनी रंग की बनवाई है; और उसके भीतरी भाग को यरूशलेम की पुत्रियों की ओर से बड़े प्रेम से जड़ा गया है।
צְאֶ֧ינָה ׀ וּֽרְאֶ֛ינָה בְּנֹ֥ות צִיֹּ֖ון בַּמֶּ֣לֶךְ שְׁלֹמֹ֑ה בָּעֲטָרָ֗ה שֶׁעִטְּרָה־לֹּ֤ו אִמֹּו֙ בְּיֹ֣ום חֲתֻנָּתֹ֔ו וּבְיֹ֖ום שִׂמְחַ֥ת לִבֹּֽו׃ ס 11
११हे सिय्योन की पुत्रियों निकलकर सुलैमान राजा पर दृष्टि डालो, देखो, वह वही मुकुट पहने हुए है जिसे उसकी माता ने उसके विवाह के दिन और उसके मन के आनन्द के दिन, उसके सिर पर रखा था।

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