< תְהִלִּים 9 >

לַ֭מְנַצֵּחַ עַלְמ֥וּת לַבֵּ֗ן מִזְמֹ֥ור לְדָוִֽד׃ אֹודֶ֣ה יְ֭הוָה בְּכָל־לִבִּ֑י אֲ֝סַפְּרָ֗ה כָּל־נִפְלְאֹותֶֽיךָ׃ 1
संगीत निर्देशक के लिये. मूथलब्बेन धुन पर आधारित. दावीद का एक स्तोत्र. याहवेह, मैं संपूर्ण हृदय से आपका आभार मानूंगा; मैं आपके हर एक आश्चर्य कर्मों का वर्णन करूंगा.
אֶשְׂמְחָ֣ה וְאֶעֶלְצָ֣ה בָ֑ךְ אֲזַמְּרָ֖ה שִׁמְךָ֣ עֶלְיֹֽון׃ 2
मैं आप में उल्‍लसित होकर आनंद मनाता हूं; सर्वोच्च प्रभु, मैं आपका भजन गाता हूं.
בְּשׁוּב־אֹויְבַ֥י אָחֹ֑ור יִכָּשְׁל֥וּ וְ֝יֹאבְד֗וּ מִפָּנֶֽיךָ׃ 3
जब मेरे शत्रु पीठ दिखाकर भागे; वे आपकी उपस्थिति के कारण नाश होकर लड़खड़ा कर गिर पड़े.
כִּֽי־עָ֭שִׂיתָ מִשְׁפָּטִ֣י וְדִינִ֑י יָשַׁ֥בְתָּ לְ֝כִסֵּ֗א שֹׁופֵ֥ט צֶֽדֶק׃ 4
आपने न्याय किया और मेरे पक्ष में निर्णय दिया, आपने अपने सिंहासन पर बैठ सच्चाई में न्याय किया.
גָּעַ֣רְתָּ גֹ֭ויִם אִבַּ֣דְתָּ רָשָׁ֑ע שְׁמָ֥ם מָ֝חִ֗יתָ לְעֹולָ֥ם וָעֶֽד׃ 5
आपने जनताओं को डांटा और दुष्टों को नष्ट कर दिया; आपने सदा के लिए उनका नाम मिटा दिया.
הָֽאֹויֵ֨ב ׀ תַּ֥מּוּ חֳרָבֹ֗ות לָ֫נֶ֥צַח וְעָרִ֥ים נָתַ֑שְׁתָּ אָבַ֖ד זִכְרָ֣ם הֵֽמָּה׃ 6
कोई भी शत्रु शेष न रहा, उनके नगर अब स्थायी विध्वंस मात्र रह गए हैं; शत्रु का नाम भी शेष न रहा.
וַֽ֭יהוָה לְעֹולָ֣ם יֵשֵׁ֑ב כֹּונֵ֖ן לַמִּשְׁפָּ֣ט כִּסְאֹֽו׃ 7
परंतु याहवेह सदैव सिंहासन पर विराजमान हैं; उन्होंने अपना सिंहासन न्याय के लिए स्थापित किया है.
וְה֗וּא יִשְׁפֹּֽט־תֵּבֵ֥ל בְּצֶ֑דֶק יָדִ֥ין לְ֝אֻמִּ֗ים בְּמֵישָׁרֽ͏ִים׃ 8
वह संसार का न्याय तथा राष्ट्रों का निर्णय धार्मिकता से करते हैं.
וִ֘יהִ֤י יְהוָ֣ה מִשְׂגָּ֣ב לַדָּ֑ךְ מִ֝שְׂגָּ֗ב לְעִתֹּ֥ות בַּצָּרָֽה׃ 9
याहवेह ही दुःखित को शरण देते हैं, संकट के समय वही ऊंचा गढ़ हैं.
וְיִבְטְח֣וּ בְ֭ךָ יֹודְעֵ֣י שְׁמֶ֑ךָ כִּ֤י לֹֽא־עָזַ֖בְתָּ דֹרְשֶׁ֣יךָ יְהוָֽה׃ 10
जिन्होंने आपकी महिमा को पहचान लिया है, वे आप पर भरोसा करेंगे, याहवेह, जिन्होंने आपसे प्रार्थना की, आपने उन्हें निराश न होने दिया.
זַמְּר֗וּ לַ֭יהוָה יֹשֵׁ֣ב צִיֹּ֑ון הַגִּ֥ידוּ בָ֝עַמִּ֗ים עֲלִֽילֹותָֽיו׃ 11
याहवेह का गुणगान करो, जो ज़ियोन में सिंहासन पर विराजमान हैं; राष्ट्रों में उनके आश्चर्य कार्यों की उद्घोषणा करो.
כִּֽי־דֹרֵ֣שׁ דָּ֭מִים אֹותָ֣ם זָכָ֑ר לֹֽא־שָׁ֝כַ֗ח צַעֲקַ֥ת עֲנִיִּים (עֲנָוֽ͏ִים)׃ 12
वह, जो पीड़ितों के बदला लेनेवाले हैं, उन्हें स्मरण रखते हैं; दीनों की वाणी को वह अनसुनी नहीं करते.
חָֽנְנֵ֬נִי יְהוָ֗ה רְאֵ֣ה עָ֭נְיִי מִשֹּׂנְאָ֑י מְ֝רֹומְמִ֗י מִשַּׁ֥עֲרֵי מָֽוֶת׃ 13
हे याहवेह, मुझ पर कृपादृष्टि कीजिए! मेरी पीड़ा पर दृष्टि कीजिए. आप ही हैं, जो मुझे मृत्यु-द्वार के निकट से झपटकर उठा सकते हैं,
לְמַ֥עַן אֲסַפְּרָ֗ה כָּֽל־תְּהִלָּ֫תֶ֥יךָ בְּשַֽׁעֲרֵ֥י בַת־צִיֹּ֑ון אָ֝גִ֗ילָה בִּישׁוּעָתֶֽךָ׃ 14
कि मैं ज़ियोन की पुत्री के द्वारों के भीतर आपके हर एक गुण का वर्णन करूं, कि मैं आपके द्वारा किए उद्धार में उल्‍लसित होऊं.
טָבְע֣וּ גֹ֭ויִם בְּשַׁ֣חַת עָשׂ֑וּ בְּרֶֽשֶׁת־ז֥וּ טָ֝מָ֗נוּ נִלְכְּדָ֥ה רַגְלָֽם׃ 15
अन्य जनता उसी गड्ढे में जा गिरे, जिसे स्वयं उन्हीं ने खोदा था; उनके पैर उसी जाल में जा फंसे, जिसे उन्होंने बिछाया था.
נֹ֤ודַ֨ע ׀ יְהוָה֮ מִשְׁפָּ֪ט עָ֫שָׂ֥ה בְּפֹ֣עַל כַּ֭פָּיו נֹוקֵ֣שׁ רָשָׁ֑ע הִגָּיֹ֥ון סֶֽלָה׃ 16
याहवेह ने स्वयं को प्रकट किया, उन्होंने न्याय सम्पन्‍न किया; दुष्ट अपने ही फंदे में उलझ कर रह गए.
יָשׁ֣וּבוּ רְשָׁעִ֣ים לִשְׁאֹ֑ולָה כָּל־גֹּ֝ויִ֗ם שְׁכֵחֵ֥י אֱלֹהִֽים׃ (Sheol h7585) 17
दुष्ट अधोलोक में लौट जाएंगे, यही नियति है उन सभी राष्ट्रों की भी, जिन्होंने परमेश्वर की उपेक्षा की है. (Sheol h7585)
כִּ֤י לֹ֣א לָ֭נֶצַח יִשָּׁכַ֣ח אֶבְיֹ֑ון תִּקְוַ֥ת עֲנָוִים (עֲ֝נִיִּ֗ים) תֹּאבַ֥ד לָעַֽד׃ 18
दीन दरिद्र सदा भुला नहीं दिए जाएंगे; पीड़ितों की आशा सदा के लिए चूर नहीं होगी.
קוּמָ֣ה יְ֭הוָה אַל־יָעֹ֣ז אֱנֹ֑ושׁ יִשָּׁפְט֥וּ גֹ֝ויִ֗ם עַל־פָּנֶֽיךָ׃ 19
याहवेह, आप उठ जाएं, कि कोई मनुष्य प्रबल न हो जाए; जनताओं का न्याय आपके सामने हो.
שִׁ֘יתָ֤ה יְהוָ֨ה ׀ מֹורָ֗ה לָ֫הֶ֥ם יֵדְע֥וּ גֹויִ֑ם אֱנֹ֖ושׁ הֵ֣מָּה סֶּֽלָה׃ 20
याहवेह, आप उन्हें भयभीत कर दें; जनताओं को यह बोध हो जाए कि वे मात्र मनुष्य हैं.

< תְהִלִּים 9 >